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रोमियो - प्रभु हमारी धार्मिकता है|

पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम

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आरम्भ: अभिवादन, प्रभु का आभारप्रदर्शन और “परमेश्वर की धार्मिकता” का महत्व, इस पत्री का आदर्श है। (रोमियों 1:1-17)
अ) पह्चान और प्रेरित का आशीर्वाद (रोमियों 1:1-7)
ब) पौलुस की रोम जानेकी अत्यंत पुरानी अभिलाषा (रोमियो 1:8-15)
स) लगातार विश्वास के द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता हममे स्थापित हुई और हम उसे जान पाये (रोमियों 1:16-17)
भाग 1: परमेश्वर की धार्मिकता सभी पापियों को दण्ड देती है और मसीह में विश्वासियों का न्याय करती है और पापों से मुक्त करती है। (रोमियों 1:18-8:39)
अ - सारा संसार शैतान के तले झुका है और परमेश्वर अपनी पूरी धार्मिकता में न्याय करेंगे (रोमियों 1:18-3:20)
1. परमेश्वर का क्रोध राज्यों के विरोध में प्रगट होता है(रोमियो 1:18-32)

2. परमेश्वर का क्रोध यहुदियों के विरोध में प्रकट हुआ (रोमियो 2:1 - 3:20)
अ) वह जो दूसरों का न्याय करता है वह स्वयं दोषी है (रोमियो 2:1-11)
ब) कानून, या अंतःकरण मनुष्यको दोष देता है (रोमियो 2:12-16)
स) मनुष्य उसके ज्ञानके द्वारा नहीं परन्तु उसके कार्यों के द्वारा सुरक्षित किया गया है| (रोमियो 2:17-24)
ड) खतना धार्मिक रूप से लाभदायक नहीं है| (रोमियो 2:25-29)

ई) यहुदियों का विशेषाधिकार उन्हें क्रोध से बचा नहीं सकता| (रोमियो 3:1-8)
3. सभी मनुष्य भ्रष्ट और दोषित है (रोमियो 3:9-20)
ब - विश्वास के द्वारा नई धार्मिकता सभी मनुष्यों के लिए खुली है (रोमियो 3:21 - 4:22)
1. मसीह की क्षतिपूर्ति मृत्यु में परमेश्वर की धार्मिकता का पुनरुत्थान (रोमियो 3:21-26)
2. यीशु मे विश्वास के द्वारा हम न्यायोचित ठहराये गए हैं (रोमियो 3:27-31)

3. विश्वास द्वारा न्यायोचित ठहराए गए, उदहारण के रूप में अब्राहम और दाऊद (रोमियो 4:1-24)

अ) अब्राहम का विश्वास ही उनकी धार्मिकता का विवरण था (रोमियो 4:1-8)
ब) मनुष्य खतना द्वारा न्यायोचित नहीं है (रोमियो 4:9-12)
स) हम अनुग्रह द्वारा न्यायोचित ठहराए गए न कि नियमों द्वारा (रोमियो 4:13-18)
डी) इब्राहीम का साहसिक विश्वास हमारा उदाहरण है (रोमियो 4:19-25)

स - न्यायीकरण का अर्थ है परमेश्वर और मनुष्य के बीच एक नया रिश्ता (रोमियो 5:1-21)
1. शांति, आशा, और प्रेम, विश्वासियों में निवास करते हैं (रोमियो 5:1-5)
2. पुनर्जीवित यीशु हमारे अंदर अपनी धार्मिकता पूरी करते हैं (रोमियो 5:6-11)
3. मसीह का अनुग्रह मृत्यु, अपराध और कानून के ऊपर विजयी है (रोमियो 5:12-21)

द - परमेश्वर की शक्ति हमें अपराध कि शक्ति से छुडाती है| (रोमियो 6:1 - 8:27)
1. विश्वासी अपने आप को पाप के लिए मृतक समझता है| (रोमियो 6:1-14)
2. कानून से स्वतंत्रता हमें हमारे अपराधों से मुक्त कराने में सहायता करती है| (रोमियो 6:15-23)

3. कानून से उद्धार हमें मसीह के सेवा के लिए सौंपता है| (रोमियो 7:1-6)
4. कानून अपराधी को अपराध करने के लिए प्रेरित करता है| (रोमियो 7:7-13)
5. यीशु के बिना मनुष्य अपराधों के सामने हमेशा असफल है| (रोमियो 7:14-25)

6. यीशु में, मनुष्य अपराध, मृत्यु, और दोष से छुडाया गया है| (रोमियो 8:1-11)
7. हम में पवित्र आत्मा के निवास द्वारा हम परमेश्वर की संताने है| (रोमियो 8:12-17)
8. तीन अनुपम मातम (रोमियो 8:18-27)
इ - हमारा विश्वास हमेशा के लिए बनाहुआ (रोमियो 8:28-39)
1. परमेश्वर की उद्धार की योजना हमारी आगामी महिमा का अनुमोदन करती हैं (रोमियो 8:28-30)
2. यीशु की सच्चाई हमारी सभी समस्याओं के स्थान पर परमेश्वर के साथ हमारी मित्रता की जमानत है (रोमियो 8:31-39)

भाग 2 - परमेश्वर की धार्मिकता याकूब की संतानों उनके अपने लोगों की कठोरता के बावजूद निश्चल है। (रोमियो 9:1 - 11:36)
1. पौलुस की उनके अपने खोए हुए लोगों केलिए चिंता (रोमियो 9:1-3)
2. चुनेहुए लोगों के आध्यात्मिक विशेषाधिकार (रोमियो 9:4-5)
3. यहूदियों में से अधिकांश परमेश्वर के विरोध में होने के बावजूद परमेश्वर अपनी धार्मिकता में बने रहते हैं | (रोमियो 9:6-29)
अ) इब्राहीम की प्राकृतिक संतानों से परमेश्वर के वादों का कोई वास्ता नहीं है| (रोमियो 9:6-13)
ब) परमेश्वर चयन करते है उसका जिस पर वो दया करते है, और वो जिसे चाहे कठोर करते है (रोमियो 9:14-18)
स) कुम्हार और उसके बर्तन की शिक्षाप्रद कथा यहूदियों और ईसाईयों की है (रोमियो 9:19-29)

4. परमेश्वर की धार्मिकता केवल विश्वास के द्वारा प्राप्त होती है, ना कि नियमों का पालन करने के द्वारा (रोमियो 9:30 - 10:21)
अ) यहूदियों ने परमेश्वर की धार्मिकता जो विश्वास के द्वारा प्राप्त होती है को अनदेखा किया, और वे नियमों के कार्यों के साथ ही लगे रहे (रोमियो 9:30 - 10:3)
ब) इस्रायली लोगों के अपराधों का प्रकोप क्योंकि परमेश्वर अन्य लोगों की अपेक्षा उन पर अधिक दयावान थे (रोमियो 10:4-8)
स) याकूब की संतानों में सुसमाचार की घोषणा की आत्याधिक आवश्यकता (रोमियो 10:9-15)
द) क्या इस्राएल उनके अविश्वास के लिए जिम्मेदार है? (रोमियो 10:16-21)

5. परमेश्वर की धार्मिकता केवल विश्वास के द्वारा प्राप्त होती है, ना कि नियमों का पालन करने के द्वारा (रोमियो 11:1-36)
अ) क्या इस्राएल उनके अविश्वास के लिए जिम्मेदार है? (रोमियो 11:1-10)
ब) क्या अन्य जातियों के विश्वासियों में उद्धार ने याकूब की संतानों में जलन की भावना को उत्तेजित किया होगा (रोमियो 11:11-15)
स) अन्यजातियों के विश्वासियों को याकूब की संतानों के प्रति घमंडी न बने रहने की चेतावनी (रोमियो 11:16-24)
द) अन्तिम दिनों में याकूब की संतानों की मुक्ति और उद्धार का रहस्य (रोमियो 11:25-32)
ई) उपदेशक की आराधना (रोमियो 11:33-36)

भाग 3 - परमेश्वर की धार्मिकता मसीह के अनुयायियों के जीवन में दिखाई देती है। (रोमियो 12:1 - 15:13)
1. परमेश्वर को तुम्हारे पूर्ण समर्पण द्वारा तुम्हारा जीवन पवित्रीकरण तक पहुँचता है (रोमियो 12:1-2)
2. घमंड ना करो परंतु अपने परमेश्वर की सेवा विश्वासियों के समूहों में तुम्हे दिए गये उपहारों के साथ करो (रोमियो 12:3-8)
3. हमें भ्रातृत्व प्रेम सीखाना चाहिए और इसमें प्रशिक्षित होना चाहिए (रोमियो 12:9-16)
4. अपने शत्रुओं और विरोधियों से प्रेम करो (रोमियो 12:17-21)

5. अपने अधिकारियों के प्रति आज्ञाकारी बने (रोमियो 13:1-6)
6. मनुष्यों के संबद्ध में आयतों का सारांश (रोमियो 13:7-10)
7. मसिह वापस आ रहे हैं इस ज्ञान का व्यवहारिक परिणाम (रोमियो 13:11-14)

8. रोम की कलीसिया की विशेष समस्याएं (रोमियो 14:1-12)
9. महत्वहीन कारणों के लिए अपने पड़ोसी को क्रोध ना दिलाये (रोमियो 14:13-23)

10. विश्वास में बलवान लोगों को अप्रत्याशित समस्याओं की ओर कैसे व्यवहार करना चाहिए (रोमियो 15:1-5)
11. यहूदियों के विश्वासियों, और अन्यजातियों के विश्वासियों के बीच मत भेदों पर मसीह ने विजय पाई (रोमियो 15:6-13)
भाग 3 का अनुपूरक - रोम में कलीसिया के नेताओं को पौलुस के चरित्र पर विशेष राय (रोमियो 15:14 – 16:27)
1. यह पत्री लिखने की पौलुस की योग्यता (रोमियो 15:14-16)
2. पौलुस के कार्यों का रहस्य (रोमियो 15:17-21)
3. अपनी यात्राओं से पौलुस की आशाएं (रोमियो 15:22-33)

4. पौलुस की रोम के उन महपुरूषों के नामों की सूची जिनको आप जानते थे (रोमियो 16:1-9)
5. रोम की कलीसिया के उन महापुरुषों के नामों की सूची का निरंतर क्रम जिनको आप जानते थे (रोमियो 16:10-16)
6. छल कपट करने वालों को एक चेतावनी (रोमियो 16:17-20)
7. पौलुस के साथी कार्यकर्ताओं की ओर से शुभकामनाएँ (रोमियो 16:21-24)
8. पत्री के अन्तिम भाग के रूप में पौलुस की आराधनाविधि (रोमियो 16:25-27)

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