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रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 1: परमेश्वर की धार्मिकता सभी पापियों को दण्ड देती है और मसीह में विश्वासियों का न्याय करती है और पापों से मुक्त करती है। (रोमियों 1:18-8:39)
स - न्यायीकरण का अर्थ है परमेश्वर और मनुष्य के बीच एक नया रिश्ता (रोमियो 5:1-21)

1. शांति, आशा, और प्रेम, विश्वासियों में निवास करते हैं (रोमियो 5:1-5)


रोमियो 5:1–5
1 सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखे| 2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुँच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमंड करें|

प्राकृतिक मनुष्य परमेश्वर के साथ विवाद में जीता है| पवित्र परमेश्वर के विरोध में सभी मानवीय अतिक्रमण, तब से हमारे अपराध अतिक्रमण में गिने जाते है| इसलिए परमेश्वर का क्रोध मनुष्यों की सभी नास्तिकता और अधार्मिकता के विरोध में प्रकटित होता है|

अब जब की मसीह सूली पर मर चुके, और उनके परमेश्वर से मनुष्यों की संधि करा चुके, हम लोग एक शांति के युग में प्रवेश कर चुके हैं क्योंकि पुत्र अलग करने वाले अपराधों को दूर ले गये, और परमेश्वर की रक्षा करने वाली अनुग्रह सभी मनुष्यों के लिए दिखाई दे रही है| कैसी महान आशीषे, राहत, और शांति, उन लोगों में है जो हमारे रक्षक मसीह द्वारा परमेश्वर में विश्वास करते हैं| सूली पर चढ़ाये गये में विश्वास के सिवाय बुरे कार्य करने वालो के लिए कोई शांति नहीं है, और ना ही आत्मा के लिए विश्राम है|

मसीह ने हमें स्वच्छ और पापों से मुक्त किया था कि प्रत्येक विश्वासी नये समझौते में महान विशेषाधिकार को स्वीकार कर पायेगे, जोकि पुराने समझौते में केवल मुख्य पादरियों को ही मिलता था जो पवित्रों के पवित्र में वर्ष में एक बार प्रवेश करते थे, यहूदियों की संतानों के सभी अपराधों के प्रायश्चित के लिए| यद्यपि मसीह की मृत्यु के क्षण पवित्रों के पवित्र के सम्मुख जो पर्दा था वह दो भागों में फट चुका था, और इसलिए हमें उन एकमात्र महान पवित्र की उपस्थिति में खड़े रहने का अधिकार प्राप्त हुआ है| वह प्रत्येक को अपने पास पूर्णविश्वास के साथ आने, और देखने का निमंत्रण देते है कि वे ना तो भयावह है, ना नाश करने वाले है, और ना हम से बहुत दूर है, परन्तु इसके स्थान पर वे तो पिता और रक्षक है, जो कि प्रेम और दया से भरपूर है| वह हमारी प्रार्थनाओं की आशा रखते हैं, हमारे विनय का उत्तर देते हैं और अपने पुत्र के सुसमाचार का प्रचार-प्रसार करने के लिए हमारा उपयोग करते है कि सूली पर हुए बलिदान से मिलने वाली आशीष उन सभी लोगों के लिए ले आये, जो अपनी आत्माओं के लिए विश्राम खोजते हैं|

जब यीशु मरे हुओ मेंसे जी उठे, उन्होंने अनेक बार “शांति तुम्हारे साथ बनी रहे” कह कर अपने शिष्यों का अभिवादन किया, जिस के दो अर्थ होते हैं

1. मसीह द्वारा सहन किये गए दुखों के कारण परमेश्वर तुम्हे तुम्हारे सभी अपराधों से क्षमा करते हैं|
2. उठो और जाओ और सुसमाचार का प्रचार दूर तक करो क्यों कि मसीह ने तुम्हे आदेश दिया है “जिस प्रकार पिता ने मुझे भेजा है, मैं भी तुम्हे भेजता हूँ|” वह, जो मसीह में विश्वास करता है, ना सिर्फ वही शांति से भर दिया गया था बल्कि अन्य शांति स्थापकों को भी मसीह ने परमानन्द सुख दिया था और उन्हें परमेश्वर की संतान कहा था|

ह्रदय की शांति, जो कि न्यायीकरण से जुडी हुई थी हमारा पवित्र परमेश्वर के सिंहासन के सामने प्रवेशाधिकार, और उन के अनुग्रह का प्रचार करने का हमारा कार्य भार के साथ, पौलुस इस बात की पुष्टि करते हैं कि हमारे पास एक आशा है जो कि सभी प्रकार की समझदारियों से श्रेष्ट है: परमेश्वर ने हमें अपने रूप में बनाया, परन्तु हम अपने अपराधों के कारण, दी गई महिमा को खो चुके हैं| यह आशा अब हमारे ह्रदयों में पवित्र आत्मा के कारण निवास करती है, परमेश्वर ने हमें हमारी वही महिमा वापस दी है जो कि उन के पास है, और जो उन के पुत्र द्वारा चमचमाती है, क्या तुम्हे परमेश्वर की महिमा पर गर्व है? क्या तुम ने उस आशा को तुम्हारे सामने आने से पहले पकड़ लिया है? हमारा भविष्य एक विचार, कल्पना या इच्छा नहीं है, परन्तु इस की वास्तविकता का ज्ञान हमें पवित्र आत्मा की शक्ति से होता है, जो कि उस महिमा, जो हम में प्रकटित हुई है का वचन है|

रोमियो 5:3–5
3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमंड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज| 4 और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है| 5 और आशा से लज्जा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है|

हम स्वर्ग में नहीं, परन्तु पृथ्वी पर रहते हैं| जिस प्रकार से यीशु अनेक प्रकार की पीडाओं और अत्याचारों से गुजरे थे तो हमें भी आत्मिक फलों और विश्वास के बढ़ने के साथ, मनुष्यों के आक्रमण, बीमारियों और शैतानी छल का अनुभव होगा| यद्यपि पौलुस ने आसुओं और कराहने के साथ इन सत्यों को नहीं लिखा था परन्तु कहा था: हमें अपनी घोर विपतियों में भी महिमा करनी चाहिए क्योंकि यह हमारे द्वारा मसीह का अनुसरण करने का संकेत देती है| जैसे हम उनकी घोर कठिनाइयों में उनका अनुसरण करते है, हम महिमा में भी उनका अनुसरण करेंगे| अतः बगैर किसी शिकायत के अपने कार्य करो, क्योंकि तुम्हारे परमेश्वर जिन्दा हैं और कुछ भी उनकी आज्ञा के बिना नहीं हो सकता है|

सांसारिक बोझ हमें हमारे स्वार्थीपन, हमारी संवेदनशीलता की मृत्यु, हमारे उदेश्यों के स्वच्छीकरण, और हमारी इच्छा को मसीह के मार्गदर्शन के लिए समर्पण करने से नकारते हैं| जब हममें धैर्य बढ़ता है, और मसीह और उनके हस्तक्षेप के प्रति हमारी आशा बढ़ जाती है| पीडाओं की शाला में, हम सीखते हैं कि कैसे हम हमारी ओग्यता से दूर चले जाये इब्राहीम के समान निश्चिन्त हो जाये कि परमेश्वर हमारी असफलताओं की पीडाओं में हमें विजय देते हैं|

इस आत्मिक संघर्ष में हमें यह विशेषाधिकार, इब्राहीम के अनुभव से प्राप्त हुआ है क्योकि अनुग्रह के युग में परमेश्वर का प्रेम हमारे जीवन के मध्य, हमारे ह्रदय में पवित्र आत्मा द्वारा उंडेला गया है, सच्चे परमेश्वर, जोकि हमें दिए गए हैं| पांचवे अध्याय का पांचवा वचन बहुत महान और सुन्दर है कि हम इसे मुश्किल से कह पाते है| इसे मुहँ जबानी याद करो क्योंकि यह पवित्र शास्त्र का खजाना है| कोई मानवीय प्रेम या दया नहीं, परन्तु इसके स्थान पर अनंत अप्रदूषित परमेश्वर का शक्तिशाली प्रेम हमारे ह्रदयों में उंडेला गया है, जोकि परमेश्वर स्वय हैं| यह हमारे हृदयों में निवास नहीं करता है, बल्कि उंडेला गया है, हमारी किसी अच्छाई के कारण नही, परन्तु क्योंकि मसीह ने हमें स्वच्छ कर दिया था| इसी कारण पवित्र आत्मा हमारे नाशवान शरीरों को परमेश्वर के मन्दिर के रूप में बदलकर हमारे अन्दर निवास कर पाई| यह स्वर्गीय तत्व परमेश्वर की पवित्र शक्ति का, सार है, जिसे यीशु ने प्रत्येक व्यक्ति जो उनमे विश्वास करता है, को दिया है| वे सभी जिन्हें परमेश्वर के प्रेम की आत्मा प्राप्त हुई है, दूसरे जन्म, नवीनीकरण, और स्वयं में अनंत जीवन की वास्तविकता का अनुभव करते है| यद्यपि दैवीय आत्मा का हमारे अन्दर निवास, केवल हमारी अपनी शांति स्थापित करने के लिए ही नहीं, परन्तु, हमारे धीरज को भी मजबूत करने के लिए है कि हम आनदंपूर्वक उन लोगों को भी सहन करने योग्य बन पाए जो मुश्किल से प्रसन्न होते है और हमारे दुश्मनों को भी प्रेम करने की आदत बना ले और हमारे जीवन में आने वाली समस्याओं का हल करने में भी असफल न हो| यीशु ने हमें अनाथों के समान छोड़ नहीं दिया है, परन्तु हमें शक्ति, उनका प्रेम और उनकी महिमा का वचन, जो कि एक बार सभी पर प्रकटित हो चुका है, दिया है|

प्रार्थना: हम आपकी आराधना करते है ओ पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा क्योंकि आपने हम नाशवान, दुर्बल जन्तुओं को अस्वीकार नहीं किया था परन्तु आपने अपना पवित्र प्रेम हमारे नाशवान शरीरों पर उंडेल दिया कि हम आपकी आत्मा की शक्ति के प्रेम में रह पाए, और विश्वास करें कि हमारा जीवन आपकी महान करुणा का एक उदाहरण बन पाए| हम आपका धन्यवाद करते है, स्तुति करते है और हमारे हृदयों में आपकी उपस्थिति का आनंद लेते हैं| आपके प्रेम के अनुसार व्यवहार करने में हमारी मदद कीजिए|

प्रश्न:

34. परमेश्वर की शांति ने कैसे हमारे जीवन में पूर्णता दी थी?

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