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4. कानून अपराधी को अपराध करने के लिए प्रेरित करता है| (रोमियो 7:7-13)
रोमियो 7: 7-8
7 तो हम क्या कहें क्या व्यवस्था पाप है कदापि नहीं ! बरन बिना व्यवस्था के मैं पाप को नहीं पहचानता: व्यवस्था यदि न कहती, कि लालच मत कर तो मैं लालच को न जानता । 8 परन्तु पाप ने अवसर पाकर आज्ञा के द्वारा मुझ में सब प्रकार का लालच उत्पन्न किया, क्योंकि बिना व्यवस्था के पाप मुर्दा है।
पौलुस ने आपकी आत्मा में आपके दुश्मनों के विरोध को सुना: यदि तुम हमें पवित्र, महान रहस्य प्रकटीकरण से छुडा लाए थे, क्या तुम कानून को अपूर्ण, कमजोर और गलत मानते हो? उपदेशक ने उनके सभी विरोधों को एकत्रित किया और बढा, चढा कर पूछा: क्या कानून अपराध है? और आपने तुरंत उत्तर दिया था: इसे योंही मत समझ ले, क्योकि यह असंभव है कि परमेश्वर के आदेश बुरे हो, क्योंकि वे हमें जीवन का पथ बताते हैं|
“इसके विपरीत” शब्दों की अभिव्यक्ति के अनुवाद का अर्थ “बल्कि” है; और यह इस अर्थ को बहुत सही प्रकार से व्यक्त करता है, “मै इस बात से इन्कार करता हूँ कि कानून अपराध है | मेरा सिध्दांत इस ओर नहीं ले जाता है; ना ही मै प्रमाणित करता हूँ कि यह बुरा है| मै इस अभियोग का मजबूती से विरोध करता हूँ; “बल्कि” इसके साथ नहीं है, मै अब तक समर्थन करता हूँ कि अपराधों को उत्तेजित करने में इसका प्रभाव पड़ा था| कानून के बिना मैं अपराधों में उदासीनता से रहता था, जैसे कि एक बच्चा जो उसके पडोसी के बगीचे से निषेध फलों को अनजाने में खाता है| अपराध शुरुआत में सुंदर और लुभावने लगते है, और यह हमारे अपराधों की घुमावदार स्तिथि है, कि हम इस घुमावदार, बुरी चीज को साधारण और अच्छी समझते हैं, जबकि अच्छी बातों को भयानक और नुकसानदायक समझते हैं|
रोमियो 7: 9-11
9 मैं तो व्यवस्था बिना पहिले जीवित था, परन्तु जब आज्ञा आई, तो पाप जी गया, और मैं मर गया । 10 और वही आज्ञा जो जीवन के लिये थी, मेरे लिये मृत्यु का कारण ठहरी । 11 क्योंकि पाप ने अवसर पाकर आज्ञा के द्वारा मुझै बहकाया, और उसी के द्वारा मुझे मार भी डाला।
जब हम एक आदेश ऊपर उठाते हैं, हम मनुष्य के हृदय में अवज्ञाकारीपन का कारण बनते हैं; और हमेशा उल्लंघन की इच्छा बढती है| पौलुस स्वयं को वचन 7 में “मैं” का उपयोग करते हुए प्रस्तुत करते हैं, क्योंकि आप स्वयं में उस मनुष्य का अनुभव करते हैं, जो कानून के ज्ञान के बिना, सोचता है कि वह बहुत अच्छी स्थिति में है, अपनी स्थिति की अच्छाई के प्रति निश्चिंत एवं बहुत सुरक्षित है, जैसे कि वह अपराधरहित है, और बुराई उसके शरीर में मर चुकी है| परन्तु जब परमेश्वर के आदेश उसके जीवन में आते हैं वह अपने अपराधों के प्रति जानकार और सचेत हो, जाता है, और अपने दिमाग में अपराध को नकारने एवं उसके लिए मर जाने के आदेश को सुनता है, क्योंकि कानून का अर्थ मानवीय स्वाभिमान, तब से अब तक हम स्वयं कुछ भी नहीं है परन्तु इच्छा और जिज्ञासा के विरोध में परमेश्वर का आक्रमण| परमेश्वर के प्रत्येक वचन और आदेश का अर्थ स्वयं को मारना है|
एक और बार उपदेशक यह स्पष्ट करते है कि हमारे भ्रष्टाचार के लिए हमारी मृत्यु के अलावा और कोई अन्य हल नहीं है| यह आत्मिक मरण अद्भुत सत्य को प्रकट करता है कि कानून हमें जीने का रास्ता दिखलाता है, परन्तु यह मृत्यु की ओर ले जाता है| इससे भी आगे यह हमें मृत्यु और नाश के विरोध में हमें हमारे आत्मत्याग और ईश्वरीयनिन्दा की ओर ले जाता है|
पौलुस स्पष्ट करते हैं कि आरंभ में अपराध चीनी के समान मीठे दिखाई देते है, परन्तु यह मनुष्य को परमेश्वर की पवित्रता और उनके प्राकृतिक नियमों के विरोध में अवज्ञाकारीपन की ओर ले जाते हैं| बहुमूल्य पोषक उसे सीधा नर्क में ले जाते हैं| यह शैतान का झूठ, और पाखंड है जो आरंभ से एक खूनी था| चापलूसीभरे शब्दों और कपटपूर्ण प्रलोभनों के साथ वह हमें मृत्यु की ओर आमंत्रित करता है|
रोमियो 7: 12-13
12 इसलिये व्यवस्था पवित्र है, और आज्ञा भी ठीक और अच्छी है । 13 तो क्या वह जो अच्छी थी, मेरे लिये मृत्यु ठहरी कदापि नहीं ! परन्तु पाप उस अच्छी वस्तु के द्वारा मेरे लिये मृत्यु का उत्पन्न करनेवाला हुआ कि उसका पाप होना प्रगट हो, और आज्ञा के द्वारा पाप बहुत ही पापमय ठहरे।
पौलुस कानून के विशेषज्ञ और भूतपूर्व फरीसी निर्भयता से इस सत्य का सामना करते है कि पुराने सौदे में परमेश्वर के पवित्र रहस्य प्रकटीकरण ने मनुष्य के लिए कुछ अच्छा नहीं किया बल्कि इसके स्थान पर उसके हृदय को कठोर किया एवं उसे बुराई करने के लिए उकसाया| अतः तब से अब तक निषेधीकरण, विरोध का निर्माण करता है, और जो भी अच्छा व पवित्र के अंतर्गत है, मृत्यु की ओर ले जाता है| पौलुस चील्ला उठे: “नहीं |” यह विश्लेषण गलत है| अच्छाई बुराई पर प्रकट होती है और अपराधी को चंगाई के लिए खोज एवं सुरक्षित होने के लिए संघर्ष करने के लिए मनाती है| तो परमेश्वर प्राय: लोगों को अपराध में डुबकी लगाने की अनुमति देते है; उनके स्वभाव को बाहर लाने के लिए, ताकि वे लोग अपने आप को देख पाए, और अपने अपराधों के परिणामों के बारे में सचेत हो पाये|
प्रार्थना: ओ परमेश्वर, आपकी पवित्रता और परिपूर्णता में मेरे भ्रष्टाचार और मेरी अस्वच्छता स्पष्ट होती है| मुझे क्षमा करे धर्मपरायणता में सतहीपन के लिए, आपके कानून की तीक्ष्णता के साथ, हमारे चेहरों पर से हमारे पाखंड द्वारा बनाये गए प्रत्येक मुखौटे को निकल दीजिए ताकि हम जान और प्रायश्चित कर पायें कि वहाँ हमारे लिए अन्य और कोई उपाय नहीं है परन्तु आपकी सूली पर आपकी मृत्यु को स्वीकार करे, और इस मृत्यु में हमेशा बने रहे, क्योंकि आपका कानून हमें दण्ड देता है और हमारे अंदर हठी अवज्ञाकारीपन का निर्माण करता है| ओ परमेश्वर, मै स्वयं को आपको समर्पित करता हूँ ताकि आप मुझे चंगा करे, सुरक्षित करे, और मेरे स्वाभिमान को मृत्यु में रखे, और जीवन में आपके साथ रखे|
प्रश्न:
हे परमेश्वर, मुझ पापी पर दया कर|
(लूका 18:13)