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रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 1: परमेश्वर की धार्मिकता सभी पापियों को दण्ड देती है और मसीह में विश्वासियों का न्याय करती है और पापों से मुक्त करती है। (रोमियों 1:18-8:39)
अ - सारा संसार शैतान के तले झुका है और परमेश्वर अपनी पूरी धार्मिकता में न्याय करेंगे (रोमियों 1:18-3:20)
2. परमेश्वर का क्रोध यहुदियों के विरोध में प्रकट हुआ (रोमियो 2:1 - 3:20)

ड) खतना धार्मिक रूप से लाभदायक नहीं है| (रोमियो 2:25-29)


रोमियो 2:25-29
25 यदि तू व्यवस्था पे चले, तो खतना से लाभ तो है, परन्तु यदि तू व्यवस्था को न माने, तो तेरा खतना बिन खतना की दशा ठहरा| 26 सो यदि खतनारहित मनुष्य व्यवस्था की विधियों को माना करे, तो क्या उस की बिन खतना की दशा खतने के बराबर न गिनी जाएगी? 27 और जो मनुष्य जाति के कारण बिन खतना रहा यदि वह व्यवस्था को पूरा करे, तो क्या तुझे जो लेख पाने और खतना किए जाने पर भी व्यवस्था को माना नहीं करता है, दोषी न ठहराएगा? 28 क्योंकि वह यहूदी नहीं, जो प्रगट में यहूदी है; और न वह खतना है, जो प्रगट में है, और देह में है| 29 पर यहूदी वही है, जो मन में है; और खतना वही है, जो ह्रदय का और आत्मा में है; न कि लेख का: ऐसे की प्रशंसा मनुष्यों की ओर से नहीं, परन्तु परमेश्वर की ओर से होती है|

जब आपने मूल यहूदियों के घमंड को तोड दिया था, वह जो कानून पर विश्वास करते थे, और जो दूसरे लोगों के शिक्षक थे, पौलुस ने अपने आत्मा में सुना कि उनमे से कुछ कह रहे थे “हाँ! हम गलत है, क्योंकि परमेश्वर के अलावा कोई भी सर्व गुण संपन्न नहीं है| परन्तु सर्वोपरि परमेश्वर के साथ गठबंधन में रहने के लिए हमारे पिता अब्राहम और उनके उत्तराधिकारियों के साथ, कानून के इस चिन्ह द्वारा, खतना करने का वादा है| तो हम परमेश्वर के हैं इस लिए नहीं कि हम धार्मिक है, परन्तु क्योंकि उन्होंने हमें चुना है|”

(वचन 25) तब पौलुस, जो कि मूसा के कानून की धार्मिक शिक्षा देने में निपुण थे, ने उनके इस गलत प्रभाव का उत्तर दिया यह कह कर कि अब्राहम के साथ अनुबंधित किये गए नियम, कानून को निरर्थक नहीं ठहराते है, क्योंकि नियम कानून पर निर्भर है, जैसे कानून नियमों पर निर्भर है जैसे कि परमेश्वर ने अब्राहम से मुखरता से कहा था: “मै सर्वोपरि परमेश्वर हूँ; मेरी उपस्थिति में चलो और निर्दोष रहो” (उत्पति 17:1) यह वचन नियमों को प्रमाणित करने के लिए दिया गया है, जब अब्राहम ने, पहले वादे पर विश्वास नहीं किया था, और बगैर परमेश्वर, के मार्गदर्शन के, एक यहूदी दासी द्वारा अपनि पहली संतान इश्माएल को जन्म दिया था|

इस प्रकार से पौलुस ने रोम में, मूल यहूदी लोगों के सामने यह साबित किया कि बिना कानून के कोई नियम, नहीं है और परमेश्वर द्वारा दी गई आयतों को निभाये बिना, खतना करने का कोई औचित्य नहीं है| सैद्धान्तिक रूप में, आपने खतना में एक अच्छा चिन्ह देखा था कि परमेश्वर अपने द्वारा अपराधियों को स्वच्छ करते है, और तब विश्वासी और उनके उत्तराधिकारी उनकी आज्ञा का पालन करते हैं|

यद्यपि, यह सिद्धान्त केवल तब तक लागू होता है जब तक कि नियमों में हिस्सा लेने वाला परमेश्वर की इच्छा के अनुसार कार्य करता है| जब विश्वासी आयातों को नहीं मानता है और परमेश्वर के विरोध में, नियमों को भंग करता है, वह उसकी खतना के विरोध में, खतनारहितों में गिना जाएगा, परमेश्वर से दूर और उन के लिए एक अजनबी के रूप में|

(वचन 26) लेकिन यदि एक अन्य जाति का सदस्य, पवित्र आत्मा की शक्ति में कानून को सीखता और पालन करता है तो वह जो कि शारीरिक रूप से वैसे तो खतनारहितों में गिना जाता था, परमेश्वर द्वारा खतनासहितों में गिना गया होगा, कानून के अंतर्गत, अनंत काल से चुना हुआ, गिना गया होगा, क्यों कि नियमों और चुनने के प्रक्रिया का नवीनीकरण करके, चुनाव के लिए लाया गया था| जो कोई अपने व्यवहार द्वारा कर्तव्य परायणता के लक्ष तक पहुँचता है, पुराने नियमों की रुकावटो के बिना, उस का विचार नियमों के अंतर्गत किया गया था|

(वचन 27) एक यहूदी जिसने कानून को तोडा है, वह वास्तव में परमेश्वर की दृष्टी में खतनारहित बनगया है| एक अन्य जाती का मनुष्य ना सिर्फ सच्चा यहूदी माना जाएगा यदि वह कानून की आवश्कताओं को पूरा करता है बल्कि वह जो शारीरिक रूप से खतनारहित था उन यहूदियों के ऊपर न्याय करने के लिए बैठेगा, जो कि शारीरिक रूप से खतनासहित हैं परन्तु आज्ञाओं का पालन नहीं करते हैं; क्योकि खतना का चिन्ह मनुष्य को नहीं बचाता है, परन्तु मनुष्य के पवित्र कार्य और व्यवहार यह साबित करते है कि वह परमेश्वर के साथ बंधा हुआ है, और परमेश्वर की शक्ति उस की कमजोरी में कार्य करती है|

(वचन 28) इस मजबूत हथौड़े के बाद जिसमे उन का मूल उद्देश्य यहूदी परम्पराएं थी, पौलुस “यहूदी” नाम की व्याख्या करते हैं, जो कि आज के युग में याद रखने और पहचानने के लिए आवश्यक है| परमेश्वर की दृष्टि में यहूदी वह नहीं है जो मूल यहूदियों में पैदा हुआ था, और यहूदी भाषा बोलता है, और घुमावदार नाक वाला है, नाहीं वह यहूदी है जो नियमों में विश्वास करता है जिसका खतना हो चुका है या शनिवारों को प्रार्थना करता है| यहूदी वह है जो परमेश्वर को स्वीकार्य है, और जो प्रेम, विनम्रता, पवित्रता और परिपूर्णता के साथ परमेश्वर से अपने संबध को प्रत्यक्ष करता है| इस धार्मिक व्याख्या के अनुसार केवल मसीह एक परिपूर्ण यहूदी हैं| क्योंकि वह हठी यहूदियों से विपरीत थे, उन लोगों ने अपने छल कपट से उनको सूली पर चढ़ाया; और उनकी कोमल आत्मा के कारण अब्राहम के लोग आज भी, मसीह के लोगों को कष्ट देते हैं| “यहूदी” शब्द के अर्थ का जो वर्णन पौलुस ने किया था उसके लिए हमारे दिमागों में परिवर्तन की आवश्यकता है|

(वचन 29) खतना इस बात का सबूत नहीं है कि परमेश्वर किसी एक राज्य या विश्वासी के हैं, यहाँ तक कि यह पवित्र पुस्तक में सौओं बार लिखा गया है, क्योकि परमेश्वर उनके नियमों में आलसी हिस्सेदारों को नहीं चाहते परन्तु उन की पवित्र आत्मा से भरे, सुधर कर नए जैसे बन गए ह्रदयों से प्रेम करते हैं| परमेश्वर की दृष्टि में, सिर्फ वापस जन्म लेने वालों को ही इन नियमों के भागीदारों में शामिल किया गया, और वे उन लोगों को आशीष देते हैं जो उन की आत्मा के फलों को और अधिक आशीषों के साथ लातें हैं| अबतक जो अपने आप को यहूदी या ईसाई कहते हैं परन्तु अपने शुद्ध विश्वासों के विपरीत यीशु की प्रेम भरी आत्मा का विरोध करते हैं, परमेश्वर द्वारा स्वीकारे नहीं गए परन्तु उन को, उनके शत्रुओं में गिना गया और परमेश्वर उन के न्यायधीश हैं|

प्रार्थना: ओ पवित्र परमेश्वर, हम आपका धन्यवाद करते हैं कि आप पूर्व काल में खतना के चिन्ह द्वारा आपने निकट मित्र अब्राहम और उनकी संतानों के साथ बंधे हुए थे| हम इसलिए भी आपका धन्यवाद करते हैं कि आपने अपने नए नियम में हमें स्वीकार किया| हमें क्षमा करना यदि हम पवित्रता में पूरी तरह से नहीं रहे या इस तरह से व्यवहार किया जैसे हमारे ह्रदय खतना रहित है और हमारे ह्रदयों में कोई सुधार नहीं हुआ है| हमें सभी बुरी आत्माओं से स्वच्छ करें, और हमें विनम्रता और यीशु का प्रेम दे कि हम हमेशा उनका अनुसरण करें|

प्रश्न:

24. नए और पुराने दोनों नियमों में खतना का अर्थ क्या है?

पर अपनी कठोरता और हठीले मन के अनुसार उसके क्रोध के दिन के लिए, जिस में परमेश्वर का सच्चा
न्याय प्रगट होगा, अपने नीमित क्रोध कमा रहा है| वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा|

(रोमियों 2:5-6)

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