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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)
अ - प्रभु के वचन का यीशु में अवतारित होना (यूहन्ना 1:1-18)

3. मसीह के अवतारन में परमेश्वर की परिपूर्णता | (यूहन्ना 1:14-18)


यूहन्ना 1:14
“14 और वचन देहधारी हुआ और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया , और हम ने उस की ऎसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा|”

यीशु मसीह कौन हैं? वे सच्चे परमेश्वर और सच्चे मनुष्य हैं | प्रचारक यूहन्ना हमें यह गहरा रहस्य अपने सुसमाचार के उद्देश के तौर पर बताते हैं | जब वो परमेश्वर के बेटे के अवतरण का बयान करते हैं तब वो आपके समाचार की बुनियाद हम पर ज़ाहिर करते हैं | पद 14 अगले सभी समाचारों की चाबी है | अगर आप हर तरह से इस आत्मिक मोती के सभी पहलुओं को जान लें तो आप को अगले अध्याओं में गहरा आंतरिक ज्ञान प्राप्त होगा |

मसीह के अवतरण और हमारे आत्मिक नविकरण में बुन्यादी फर्क है | हम सब के शरीर हैं और हम अपनी मां और बाप से पैदा हुए | इस के बाद सुसमाचार का वचन हम तक पहुंचा और हम में अनन्त जीवन उत्पन्न हुआ | लेकिन मसीह दुनियावी बाप से पैदा नहीं हुए बल्की परमेश्वर का वचन स्वर्गदूत के द्वारा मरियम तक पहुंचा जिसने उस से कहा : “पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा ” (लुका 1:35) | जब कुआँरी मरियम ने इस आश्चर्यजनक संदेश को विश्वास से स्वीकार किया तब उन्हों ने अपने गर्भ में एक अनोखा भ्रूण महसूस किया जिसमें पवित्र आत्मा मानवीय रक्त से मिला | इस तरह परमेश्वर मनुष्य बना |

हमारा विचार इस तथ्य तक पहुँच नहीं पाता | विज्ञान इस रहस्य को स्पष्ट नहीं कर सकता | मनुष्य का अनुभव इसे समझने में असमर्थ है | कुछ धर्मशास्त्री, वैज्ञानिकों की मसीह की पैदाईश की असम्भवता को दूर करने के लिये कहते हैं कि वे ऐसे शरीर में प्रगट हुए जो मनुष्य के शरीर जैसा नहीं था, जो दुख और दर्द महसूस करता है | परन्तु हम यह स्वीकार करते हैं कि एक ही समय में मसीह समपूर्णता: मनुष्य और सम्पूर्णता: दिव्य व्यक्ती हैं |

मसीह का अवतरण इस आश्चर्यजनक जन्म की बहुत अच्छी व्याख्या है | परमेश्वर के अनन्त बेटे ने जो अनन्त काल से बाप के साथ थे, इस दुनिया में आकर हमारा शारीरिक स्वभाव ग्रहण किया | परन्तु बेगुनाह रहे क्योंकी उनमें बसी हुई पवित्र आत्मा ने पाप करने की प्रवृति पर काबू पा लिया था | इस तरह यीशु एक मात्र मनुष्य थे जिन्हों ने पापरहित, पवित्र और निशकलंक जीवन बिताया |

परमेश्वर के बेटे ने विद्रोहियों, लापरवाह और दुष्ट लोगों से सम्पर्क रखा जो मर जाते हैं परन्तु वो अनन्त व्यक्ती हैं जो अपनी दिव्यता के कारण मर नहीं सकते | अत्यधिक प्रशंसन हो कर भी आपने हम से प्रेम किया और अपनी प्रारंभिक महीमा छोडकर विनम्रता से हमारे साथ रहे | आप बिलकुल हमारे जैसे बने और हमारी परिस्थिती को ठीक तरह से समझ पाये | अपने दुख में भी आज्ञाकारी बने | इस तरह आप निश्चय ही दयालु बने | आप ने हम दुष्टों को नहीं ठुकराया बल्की हमें परमेश्वर के नज़दीक लाने के लिये स्वयं मनुष्य बन कर हमारे करीब आये|

मसीह का शरीर पुराने नियम के निवास स्थान की तरह है जहां परमेश्वर लोगों से मिलता था | परमेश्वर मसीह में था और मनुष्य के रूप में लोगों के सामने प्रगट हुआ | मसीह में पूर्ण दिव्यता थी |यूहन्ना के यूनानी भाषा में लिखे हुए सुसमाचार में उन्हों ने लिखा : “उसने हमारे बीच में डेरा किया |” इस का मतलब यह हुआ कि मसीह ने हमारे साथ हमेशा दुनिया में रहने के लिये कोई स्थाई महल नहीं बनाया परन्तु आप खानाबदोशों की तरह रहे जो अपने तम्बुओं में कुछ समय के लिये रहते हैं और फिर अपना तम्बू उठा कर दूसरी जगह चले जाते हैं |इसी तरह मसीह भी आसमान पर चले जाने से पहले कुछ समय ही हमारे बीच में रहे |

सभी प्रेरित एक साथ गवाही देते हैं कि उन्होंने मसीह की महीमा देखी,उनकी गवाही खुशी का नारा है | वे परमेश्वर के बेटे के मनुष्य के शरीर में अस्तित्व के आँखों देखे गवाह हैं |उनके विश्वास ने उनकी आँखें खोलीं और वे यीशु के प्रेम, धीरज, विनम्रता, वफादारी और दिव्यता को समझ पाये | आपकी पवित्रता में उन्हों ने स्वयं परमेश्वर को देखा |उसकी महीमा पुराने नियम में प्रयोग किया हुआ मुहाविरा “उसकी महीमा” सभी दिव्य लक्षणों के महत्त्व को संक्षेप में बताता है | प्रेरित यूहन्ना ने अपनी गवाही में यीशु के सभी गुणों का बड़े साहस से वर्णन किया है | उन्हों ने आप की छिपी हुई दिव्यता और आपके सौंदर्य और महानता को पहचाना |

पवित्र आत्मा की प्रेरणा से यूहन्ना ने परमेश्वर को बाप और यीशु को बेटा कहा |इन नामों से बच नहीं सकते |आत्मा की प्रेरणा उस पर्दे को फाड़ देती है जो परमेश्वर के नाम को छुपाता है | इससे हमारा आत्म विश्वास बढ़ जाता है की अनन्त पवित्र परमेश्वर और शक्तिमान निर्माणकरता बाप है और उसका बेटा भी है जो उसी की तरह पवित्र, महान और अनन्त है और प्रेम से परिपूर्ण है | परमेश्वर कोई बर्बाद करके और अपनी शक्ती से बदला लेकर पराजीत करने वाला न्यायाधीश नहीं है | वह दयालु, कोमल और सहनशील है और वैसा ही उसका बेटा भी है |बाप और बेटे को समझ कर हम नये नियम के मूलतथ्य तक पहुँच जाते हैं | जिसने बेटे को देखा उसने बाप को देखा |इस दिव्य ज्ञान से दूसरे धर्मों में पाया जाने वाला परमेश्वर के व्यक्तित्व का दृष्टिकोण और प्रेम के काल के लिये हमारी हमारी ऑंखें खोल दीं |

क्या तुम परमेश्वर को जानना चाहते हो? तो तुम मसीह के जीवन का अध्ययन करो ! चेलों ने आपमें क्या देखा? उनकी गवाही का सारांश क्या है? उन्हों ने आप में परमेश्वर का प्रेम, अनुग्रह और सच्चाई के साथ मिला हुआ देखा | जब आप प्रार्थना करें तो इन तीन अर्थों पर विचार करें और तुम मसीह में परमेश्वर की महिमा की परिपूर्णता पाओगे | आप अपने अनुग्रह से हमें स्वास्थ देने आये जिसके लायक हम नहीं थे | हम सब अपराधी हैं, हम में से कोई भी अच्छा नहीं है | हमारे भ्रष्ट होते हुए भी आप का हमारे पास आना अनुग्रह प्रगट करता है |हमें अपना भाई कहते हुए भी आप न शरमाये | आप ने हमें पवित्र करके अभिशिक्त किया और हमारा नवीकरण करके हमें अपनी आत्मा से भर दिया | क्या यह सब मुक्तीकार्य “अनुग्रह पर अनुग्रह” नहीं है? और इस से बढ़ कर हमें एक नया अधिकार प्राप्त हुआ | वह ये ही मसीह ने अपने अनुग्रह से हमें परमेश्वर की सन्तान बनने का अधिकार दिया | अनुग्रह का संदेश कोई धोका या कल्पना नहीं है बल्की एक नया अधिकार है | मसीह का अवतरन परमेश्वर के काम में लगे रहने की असलियत का सबूत है जो हमें आप की तरफ से मिले हुए उद्धार को परिपूर्ण करता है | अनुग्रह हमारे विश्वास की बुनियाद है |

प्रार्थना: हे चरनी के शिशु, हम आप के आगे झुकते हैं, ठीक उसी तरह जैसे बेतलहम में चरवाहे और मजूसियों ने किया था |आप परमेश्वर हैं जो देहधारी होकर हमारे पास आये और हमें अपना भाई कहने से न शरमाये |आपकी ज्योती अन्धकार में चमकती है | मेरे नापाक दिल को पवित्र कीजिये ताकि वो आप के लिये अनन्त चरनी बनने के काबिल हो सके | मैं सब विश्वासियों के साथ आप की अराधना करता हूँ क्योंकि आपकी महिमा नम्र शरीर बन गई है | हम आप से नम्र विनती करते हैं कि बहुत से बदनसीब लोग आपके अपने नये अधिकार को पहचानें और आप को स्वीकार करें |

प्रश्न:

12. यीशु के अवतरण का क्या मतलब है?

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