Waters of Life

Biblical Studies in Multiple Languages

Search in "Hindi":
Home -- Hindi -- Romans - 034 (The Believer Considers Himself Dead to Sin)
This page in: -- Afrikaans -- Arabic -- Armenian -- Azeri -- Bengali -- Bulgarian -- Cebuano -- Chinese -- English -- French -- Georgian -- Greek -- Hausa -- Hebrew -- HINDI -- Igbo -- Indonesian -- Javanese -- Kiswahili -- Malayalam -- Polish -- Portuguese -- Russian -- Serbian -- Somali -- Spanish -- Tamil -- Telugu -- Turkish -- Urdu? -- Yiddish -- Yoruba

Previous Lesson -- Next Lesson

रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 1: परमेश्वर की धार्मिकता सभी पापियों को दण्ड देती है और मसीह में विश्वासियों का न्याय करती है और पापों से मुक्त करती है। (रोमियों 1:18-8:39)
द - परमेश्वर की शक्ति हमें अपराध कि शक्ति से छुडाती है| (रोमियो 6:1 - 8:27)

1. विश्वासी अपने आप को पाप के लिए मृतक समझता है| (रोमियो 6:1-14)


रोमियो 6:5–11
5 क्‍योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्‍चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे। 6 क्‍योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्‍व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्य हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्‍व में न रहें। 7 क्‍योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा। 8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी। 9 क्‍योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठकर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की। 10 क्‍योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिए एक ही बार मर गया; परन्‍तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिए जीवित है। 11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिए तो मरा, परन्‍तु परमेश्वर के लिए मसीह यीशु में जीवित समझो।

क्या तुम जानते हो कि तुम्हारे अस्वच्छ पापों के कारण यीशु ने दुःख उठाया और सूली पर चढ़ाये गये? तुम्हारे अपराधों और भ्रष्टाचार के कारण तुम यातना देकर मृत्यु और अनंत नर्क की विस्मयकारी पीडाओं के अधिकारी हो (यद्धपि, यीशु ने तुम्हारे अपराध के ऊपर न्याय को झेला, और तुम्हारे स्थान पर श्रापित पेड पर स्वयं सूली पर चढना स्वीकार किया था|

यदि तुम यीशु के कार्य और रक्षा करने वाले प्रेम को स्वीकार करते हो, तो तुम तुम्हारे अपराधों के लिए शर्मिन्दा हुए होंगे, तुम और अधिक अपराध न करना चाहते होंगे और न बुराई के बारे में सोचना चाहते होंगे| इसके परिणामस्वरूप तुमने अपने आपको नाकारा और घृणित समझा होगा| तुम अपने आप को स्वीकार नहीं कर पाए होंगे, परन्तु अपने आप को दोषी मान रहे होंगे और अपने आपको दण्डनीय स्वीकार कर रहे होंगे| तुमने स्वयं को मरा हुआ और मिटा दिये हुए में शामिल किया होगा| तुम स्वयं में इस आत्मिक मृत्यु का लगातार अभ्यास करो कि यीशु तुममे जी पाये, इसके अलावा तुम्हारे भ्रष्ट अंह के लिए और कोई उध्दार नहीं है|

मसीह का अनुसरण, अपने आप को नकारे बिना हम नहीं कर सकते| पौलुस ने एक प्राथमिक गवाही दी है, जिसे वे अपनी पत्रियों में दोहराते हैं: हम मसीह के साथ सूली पर मर गए और जी उठे ताकि हम उनके साथ समधुरता में जी सके; यह जानते हुए कि वह जो सूली पर मर गए चाहे जैसा हट नहीं सकते थे परन्तु उन्हें महिमा मिली थी, और दर्द के एक विशाल सौदे में वे मर गये|

पौलुस साक्षी देते हैं कि हमारी स्वयं की यह मृत्यु तब ही हो चुकी थी जब हमने सूली पर मरे हुए पर विश्वास करना शुरू किया था| उस पल हम यीशु की मृत्यु के साथ एकत्र हो गए थे, और हमने स्वीकार किया था कि उनकी वह मृत्यु हमारी थी| हम क़ानूनी रूप से मर चुके थे, और इस जीवन में हमारे ना और अधिक अधिकार है ना इच्छाएँ हैं, क्योंकि परमेश्वर के क्रोध ने यीशु में हमें पूरी तरह से नष्ट कर दिया है|

जैसे कि दीवानी कानून किसी मृतक को कोई अधिकार नहीं देता है, तो कानून का किसी मृत मनुष्य पर कोई दबाव नहीं होता| क्योंकि हम मृतकों में गिने जाते है, लोभ को भी हमारे दूषित शरीरों में कोई स्थान नहीं मिलता है|

यधपि, यहाँ कुछ लोग है जो लगभग मर चुके है, या आधे मर चुके हैं, परन्तु अभी भी उनमे जीने के लिए एक छोटी सी साँस बाकी है| ऐसे लोग शायद अब भी चल सकने के लायक हैं| परन्तु विचार कीजिए एक मृत इंसान उठकर, आपके शहर की सड़कों में अपनी सड़े गले शरीर के साथ घूम रहा है| तो हर कोई उस के पास से उस की बदबू के कारण दूर भाग जाएगा| यहाँ इससे अधिक भयानक और कुछ नहीं है कि एक ईसाई अपने पुराने अपराधों की ओर फिर से मुड जाये, अपने भ्रष्ट शरीर को फिर से ग्रहण कर ले, और अपनी भ्रष्ट कामुकता का फिर से दास बन जाये| लगातार हमारा आत्मत्याग ही हमारे विश्वास की शर्त है| हमें अपने आपको हमेशा के लिए यीशु में मर चुके हुओ में गिनना चाहिए|

यीशु कभी नहीं मरे| उन्होंने मृत्यु पर विजय पाई क्योंकि इस मूल दुशमन के पास, कोई शक्ति नहीं थी जो उस एक मात्र पवित्र के ऊपर हो| यीशु परमेश्वर के मेमने समान हमारे अपराधों के लिए मर गयेथे, और उन्होंने अनंत छुटकारा पाया| वे परमेश्वर और मनुष्यों की सेवकाई के लिए मर गए थे| इससे भी कितना अधिक वे अपना जीवन आज परमेश्वर और मनुष्यों के लिए दे रहे होंगे, क्योंकि वे जीवित और हमेशा के लिए अपने पिता को महिमा देते है कि उनको बहुत सारे बेटे और बेटियां उत्पन्न हो, उनके अनंत नाम को अपने अच्छे आचरण द्वारा पापों से छुडाये|

क्या आप हमारी आस्था के प्रतीक को जानते हो? हम स्वयं को पूरी तरह नकारते है जब हम अपने पापों को स्वीकार करते हैं और सूली के साथ एकजुट हो जाते हैं| यही कारण है कि यीशु ने अपने जीवन की शक्ति को हम में बोया ताकि हम उनकी आत्मा में उठ सके और परमेश्वर के लिए अनंत धार्मिकता में मासूमियत और खुशी से जिए, जैसे कि यीशु मरे हुओं में से जी उठे और हमेशा जीते है और राज्य करते है|

तथापि मसीह और हमारे बीच एक गहरा फर्क है| वे अनंत काल से अपने आप में पवित्र थे, जबकि हमने केवल हमारा विश्वास उनके साथ होने द्वारा यह सच्ची पवित्रता पाई है| प्रेरित आपसे केवल परमेश्वर की सेवकाई करने के लिये नहीं कहरहे है, परन्तु वे हमें उनकी सेवा मसीह में करने के लिए विश्वास दिलातें हैं| हम स्वयं उस एक मात्र पवित्र के पास आने का अधिकार नहीं रख ते, पर जहाँ हम उद्धारकर्ता में डूबतें हैं, और हमारा स्वार्थिपन उसके प्यार में मर जाता है, और हम उसमे जीते है, वहीँ उसकी शक्ति, दयालुता, और हर्ष हम में काम करता है ताकि हमें हमारी निर्बलताओं पर भारी जीत मिले उन के द्वारा जो हमें प्यार करते थे| हमें केवल हमारे विश्वास और टूटी इच्छा द्वारा इस विशेषाधिकार में भागीदार बनाया गया| क्या आप मानते हैं कि आप वास्तव में मसीह के साथ सूली पर चढाये गए और दफ़नाए गए, और उनके पुनरुत्थान द्वारा ही सच में जी उठे?

प्रार्थना: हे पवित्र प्रभु मसीह, आप क्रूस पर मेरे विकल्प हैं| आप ने मेरे पापों और निंदा को सहन किया| धन्यवाद करता हूँ आप के इस महान और प्यार भरे उद्धार के लिए | मुझ में मेरा आत्म त्याग पूरा कीजिये और ज्ञान स्थापित कीजिए ताकि मुझे मौत की सजा सुनाई गई थी कि मै अपने आप को आप की मृत्यु में मृतक समझूँ| धन्यवाद देता हूँ आप के कष्टों और उद्देशों के लिए| मै आप की महिमा करता हूँ क्योंकि आपने मुझ में अपना जीवन बोया ताकि मै आप के लिए जी सकूँ, आपके पिता की महिमा हो, और आप के साथ विश्वास में एकजुट हो सकूँ| हे पवित्र प्रभु, आप अपराधियों और परमेश्वर के पिता हीन संतानों में से संतों को बनाते है जो उनके लिए जीतें हैं| कितना विशाल अनुग्रह है! कृपया हमारी पूजा और हमारे जीवन को स्वीकार करें|

प्रश्न:

37. हम मसीह में कैसे सूली पर मरे, और उन में जी उठे?

www.Waters-of-Life.net

Page last modified on March 05, 2015, at 11:50 AM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)