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अ) क्रूस पर लटकाया जाना और कबर के कपड़े (यूहन्ना 19:16ब-22)
यूहन्ना 19:16ब-18
“16 ब तब वे यीशु को ले गये, 17 और वह अपना क्रूस उठाए हुए उस स्थान तक बाहर गया, जो ‘खोपड़ी का स्थान’ कहलाता है और इब्रानी में ‘गुलगुता’ | 18 वहाँ उन्हों ने उसे और उस के साथ और दो मनुष्यों को क्रूस पर चढ़ाया, एक को इधर और एक को उधर, और बीच में यीशु को |”
फ़ौज की एक टोली दो डाकुओं को क्रूस पर लटकाने के लिये ले जाने वाली ही थी कि पिलातुस ने यीशु को तीसरे डाकू के तौर पर उन के हवाले किया | फौजियों ने उन तीनों के कन्धों पर उन के अपने अपने क्रूस रखे ताकि हर एक अपनी मृत्यु का सामान ले चले | मसीह ने अपना क्रूस ले जाने से इन्कार न किया और न ही उसे राह में गिरा दिया | तीनों शहर की गलियों में से होते हुए गये, यहाँ तक कि उत्तर-पश्चिम दरवाजे तक पोहुंचते उन्हें दम लग गया | तब वे एक टेकडी पर पहुँचे जिसे गोलगोता कहा जाता है, क्योंकि वह पथ्थर की खोपड़ी के समान दिखाई देती थी जो शहर की दीवारों से कुछ ऊंचाई पर थी | शहर के वासी क्रूस पर लटके हुए अपराधियों को शहर के बाहर से देख सकते थे |
यूहन्ना ने क्रूस के विषय में विस्तृत विवरण नहीं दिया क्योंकी उन की लेखनी ने इस भयानक दृश्य को लिखने से इन्कार किया | लोगों ने दिव्य प्रेम को अस्विकार र्किया और नरक की घ्रणा उनपर आ पड़ी | उन्हों ने उस व्यक्ति को निर्दयता से नष्ट किया जो आत्मा से जन्म ले चुका था और अपने पाप से मसीह के बलिदान को पूरा किया जिस ने उन के पापों का प्रायश्चित किया | जब आप लज्जित क्रूस पर लटक रहे थे तब आप पर सुनहरी हेलो न था परन्तु अपनी घ्रणा की गहराई में आप ने अपनी महिमा अपनी सहनशीलता और पवित्र संयम से प्रगट की |
यह कितनी लज्जा की बात है कि यीशु दो डाकुओं के बीच में क्रूस पर लटके रहे | वे डाकू बेचैन हो रहे थे और लटके लटके श्राप दे रहे थे |
अपने जीवन के अन्तिम क्षण में भी, दयालु और पवित्र प्रभु ने अपने आप को पापियों के साथी के तौर पर प्रगट किया | इसी कारण परमेश्वर के पुत्र ने मनुष्य के पुत्र के तौर पर जन्म लिया; ताकि मनुष्य की जिद्दी सन्तान परमेश्वर की धार्मिक सन्तान बने | आप अपमान की इतनी गहराई तक उतरे ताकि कोई यह न कह सके कि यीशु इस दर्जे तक नहीं उतर सकते थे | तुम जहाँ कहीं भी हों और कितने भी गिर चुके हों, मसीह तुम्हारे अपराध क्षमा कर सकते हैं और तुम्हें धो कर पूर्णत: अभिषिक्त कर सकते हैं |
यूहन्ना 19:19-20
“19 पिलातुस ने एक दोष-पत्र लिख कर क्रूस पर लगा दिया, और उस में यह लिखा हुआ था, ‘यीशु नासरी, यहूदियों का राजा |’ 20 यह दोष-पत्र बहुत से यहूदियों ने पढ़ा, क्योंकि वह स्थान जहाँ यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था नगर के पास था; और पत्र इब्रानी और लतीनी और यूनानी में लिखा हुआ था |”
फौजियों ने यीशु को दो अपराधियों के बीच में लटकाया ताकि इस से उन के राजा होने के दावे का मज़ाक उड़ाया जाये | इसी समय पिलातुस यहूदियों के न्यायालय की ठिठोली करता रहा जिस ने उसे उसके अन्तकरण की इच्छा के विरुद्ध यीशु को सजा देने पर मजबूर किया | क्रूस पर लटकाये हुए व्यक्ति के सिर के ऊपर पिलातुस ने एक उपाधि लिख कर लगा दी जिस में यहूदियों का यीशु पर लगाया हुआ दोष दोहराया गया था |
परमेश्वर ने क्रूस के ऊपर लगाई हुई इस उपाधि को यहूदियों का न्याय करने के लिये उपयोग में लाया क्योंकि यीशु निश्चित ही राजा थे | यीशु यथार्थ असली राजा हैं जो धार्मिकता, प्रेम, सौम्यता और विनम्रता के साथ आये | आप ने ज़मीन पर स्वर्ग स्थापित किया | यहूदियों ने नरक को पसंद किया और अपने दिव्य राजा को अस्विकार किया और आप को समाज से बाहर कर दिया | इस तरह आप राष्ट्रों के राजा बन गये परन्तु क्या आज राष्ट्र क्रूस पर चढ़ाये हुए राजा को स्वीकार करते हैं या फिर से प्रेम के प्रभु को अस्विकार करेंगे ?
यूहन्ना 19:21-22
तब यहूदियों के प्रधान याजकों ने पिलातुस से कहा, ‘यहूदियों का राजा’ मत लिख परन्तु यह कि ‘उस ने कहा, मैं यहूदियों का राजा हूँ |’ 22 पिलातुस ने उत्तर दिया, ‘मैं ने जो लिख दिया, वह लिख दिया |’”
महायाजक पिलातुस की घ्रणा और धमकी का अर्थ समझ गये यधपि उस पर परदा पड़ा हुआ था | उन्होंने अपने राजा को अस्विकार किया था और यीशु की कमज़ोरी में उन्हें पिलातुस के दावे के विरुद्ध मामला नज़र आया | वह क्रूस पर लटकाये हुए व्यक्ति से और भी अधिक घ्रणा करने लगे |
पिलातुस को विश्वास था कि वह उपाधि कैसर की इच्छा के अनुसार थी, इस लिये उस ने उसे तीन भाषाओँ में लिखवाया ताकि सभी सुशिक्षित लोग, शहरी और मेहमान उसे पढ़ें और समझें कि रोम के विरुद्ध विद्रोह करने वाले का ऐसा ही परिणाम होगा | सन इस्वी 70 में जब यहूदियों ने रोमी राज्य के विरुद्ध विद्रोह किया तब हजारों यहूदियों को यरूशलेम की दीवार के चारों तरफ क्रूस पर लटकाया गया था |
ब) कपड़ों का बांटना और चिठ्ठी डालना (यूहन्ना 19:23-24)
यूहन्ना 19:23-24
“23 जब सैनिक यीशु को क्रूस पर चढ़ा चुके, तो उस के कपड़े लेकर चार भाग किए, हर सैनिक के लिए एक भाग, और कुरता भी लिया, परन्तु कुरता बिन सीअन ऊपर से नीचे तक बुना हुआ था | 24 इस लिये उन्हों ने आपस में कहा, ‘हम इस को न फाड़ें, परन्तु इस पर चिट्ठी डालें कि यह किस का होगा |’ यह इसलिये हुआ कि पवित्र शास्त्र में जो कहा गया वह पूरा हो, ‘उन्हों ने मेरे कपड़े आपस में बाँट लिये और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डाली |’”
जिन चार सिपाहियों ने मसीह को क्रूस पर चढ़ाया उन्हें आप के कपड़े बाँट कर लेने का अधिकार था | परन्तु उन का सरदार इतना गिरा हुआ न था इस लिये वह उन के साथ ऐसा भ्रष्ट कार्य करने में सहभागी न हुआ | इस तरह उन चार सिपाहियों ने मसीह से आप की अन्तिम संपत्ति भी छीन ली और आप को अपने गौरवपूर्ण स्थान से वंचित कर दिया | क्रूस पर चढ़ाये हुए अपराधियों को सामान्यत: नंगा किया जाता था ताकि उन को और अधिक अपमानित किया जाये |
इस अपमान ने यीशु की भव्यता का एलान किया | आप का बुना हुआ चोगा महायाजक के वस्त्र के समान था | यीशु स्वय: दिव्य महायाजक और सारी मानवजाति के मध्यस्थ हैं | इसी भूमिका के लिये आप ने कष्ट भोगा और यातना सहन की |
एक हजार वर्ष पहले पवित्र आत्मा ने क्रूस पर चढ़ाये जाने के विषय में विस्तृत भविष्यवाणी की थी और भजन सहित 22 में कहा गया है : “उन्हों ने आपस में मेरे कपड़े बांटे |” इस मामले से सिपाही परिचित थे | पवित्र आत्मा ने यह भी भविष्यवाणी की कि वह कपड़ों के लिये चिठ्ठी डालेंगे | पवित्र आत्मा ने क्रूस की घटना के विषय में ठीक प्रगट किया और यह घोषित किया कि यीशु का क्रूस पर चढ़ाया जाना तत्वत: परमेश्वर की इच्छा के अनुसार था | जैसा कि यीशु ने स्वय: कहा था : “तुम्हारे स्वर्गिय पिता की जानकारी के बिना तुम्हारे सिर का एक बाल भी न गिरे गा |” जो व्यक्ति यह दावा करता है कि मसीह को क्रूस पर नहीं चढ़ाया गया वह केवल इतिहास की घटना से ही इन्कार नहीं करता बल्कि परमेश्वर की आत्मा का भी विरोध करता है जिस ने इस घटना की भविष्यवाणी एक हजार साल पहले की थी | वह यातना पाये हुए मसीह के अवशेष पर झगड़ने लगे | वे दया से वंचित थे | उन्हों ने यह कभी न सोचा कि दुनिया का उद्धारकर्ता क्रूस पर अपना खून बहा रहा है |
ऐ भाई, क्या तुम मसीह के साथ आप की मृत्यु में क्रूस पर चढ़ाये गये हो ? या तुम धन और यश के पीछे भाग रहे हो ? क्या तुम क्रूस पर चढ़ाये गये मसीह से प्रेम रखते हो और क्या तुम ने आप की मृत्यु के द्वारा दिव्य धार्मिकता और असली पवित्रता पाई है ? या तुम केवल ऊपरी आवलोकन करने वाले हो जो क्रूस पर चढ़ाये हुए व्यक्ति पर दृष्टि डाल कर भी चिंता नहीं करता? पवित्र आत्मा, विश्वास और प्रेम से परमेश्वर के पुत्र से मिलाप कराता है ताकि हम आप की मृत्यु, गाड़े जाने और बलिदान किए हुए जीवन में सहभागी हों |
प्रार्थना: हे प्रभु यीशु मसीह, क्रूस पर मृत्यु सहन करने के लिये हम आप को धन्यवाद देते है | हम आप की सहनशीलता, प्रेम और आशीषों के लिये आप की आराधना करते हैं | हमारे और सारी दुनिया के पापों को क्षमा करने के लिये हम आप की प्रशंसा करते हैं | इस लज्जा के क्रूस पर लटकते हुए आप ने मेरे पाप उठा लिये और मानवजाति का परमेश्वर से मिलाप करा दिया | आप हमारे उद्धार कर्ता और मध्यस्थ हैं |
प्रश्न: