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Home -- Hindi -- John - 110 (Pilate awed by Christ; Pilate's unjust sentence)
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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
चौथा भाग - ज्योति अन्धकार पर विजय पाती है (यूहन्ना 18:1 - 21:25)
अ - गिरिफ्तारी से गाड़े जाने तक की घटनायें (यूहन्ना 18:1 - 19:42)
3. राष्ट्र के न्यायालय में रोमी गव्हर्नर के सामने यीशु की पेशी (यूहन्ना 18:28 - 19:16)

डी) मसीह के दिव्य स्वभाव से पिलातुस आश्चर्यचकित हुआ (यूहन्ना 19:6-12)


यूहन्ना 19:8-11
“ 8 जब पिलातुस ने यह बात सुनी तो और भी डर गया, 9 और फिर किले के भीतर गया और यीशु से कहा, ‘तू कहाँ का है ?’परन्तु यीशु ने उसे कुछ भी उत्तर न दिया 10 इस पर पिलातुस ने उस से कहा, ‘;मुझ से क्यों नहीं बोलता ? क्या तू नहीं जानता कि तुझे छोड़ देने का अधिकार मुझे है, और तुझे क्रूस पर चढाने का भी मुझे अधिकार है |’ 11 यीशु ने उत्तर दिया, ‘यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता, तो तेरा मुझ पर कुछ अधिकार न होता; इस लिये जिस ने मुझे तेरे हाथ पकड़वाया है उसका पाप अधिक है |’”

पिलातुस को यीशु के व्यक्तित्व पर विश्वास न आता था | आप की धार्मिकता, शुद्धता और प्रेम का जो प्रभाव गव्हर्नर पर पड़ा था वह व्यर्थ न गया | इस लिये जब उसे पता लगा कि यीशु को केवल राजा ही नहीं बल्कि परमेश्वर का पुत्र भी माना जाता है तो वह चौकन्ना हुआ | रोमी और यूनानी लोगों कि यह कल्पना थी कि आस्मान आत्माओं और देवताओं से भरे हुए हैं जो कभी कभी देहधारी हो कर लोगों के बीच में घूमा करते हैं | उसे संदेह हुआ कि यीशु कहीं मनुष्य के रूप में देवता तो नहीं हैं ? इस लिये उस ने पुछा, “तू कहाँ से आया है ?”

यीशु ने दंड टालने के लिये इस अच्छे अवसर का लाभ उठाने का प्रयत्न न किया बल्कि मौन रहे | यह ख़ामोशी विचारोत्तेजक थी | परमेश्वर ऐसे प्रश्नों के उत्तर नहीं देता जो तर्कशास्त्र से संबंध रखते हैं या केवल आश्चर्य करने के लिये होते हैं परन्तु अपने आप को ऐसे विश्वासियों पर प्रगट करता है जो उस पर विश्वास करते हैं | वह यूनानी और रोमियों की कल्पना से पूर्णत: अलग है, क्योंकि उस के जैसा कोई और है ही नहीं | आप की इस ख़ामोशी पर पिलातुस गुस्से में आ गया और आप से पूछा : “क्या तू मुझ से बोलना नहीं चाहता ? तुझे मार डालने या मुक्त करने का मुझे अधिकार है, तू मेरे अधिकार में है | तेरे शत्रु तुझे क्रूस पर चढाना चाहते हैं | केवल मैं ही तेरे प्राण बचा सकता हूँ या क्रूस पर लटका सकता हूँ |”

यीशु ने उत्तर दिया होता, “यह सच है कि तुझे अधिकार है | मेरे पिता ने वह अधिकार तुझे दिया है | तू स्वय: कोई महत्त्व नहीं रखता | तेरी असंभवता शीघ्र ही केवल एक अन्यायपूर्ण वाक्य में प्रगट हो जायेगी | मेरा पिता जो स्वर्ग में है वह सर्वशक्तिमान है और स्वय: मैं भी हूँ | उस की अनुमति के बगैर जमीन पर किसी को अधिकार प्राप्त नहीं होता |” इस अनुमति का परिणाम प्राय: विनाश होता है जैसा कि पिलातुस के साथ हुआ जिसे दिव्य अनुमति से अधिकार दिया गया था | परमेश्वर दुनिया के इतिहास पर नियंत्रण रखता है परन्तु वह लोगों को अपने कामों के उत्तरदायित्व में सहभागी करता है | दूसरों के साथ तुम्हारे व्यवहार के लिये तुम स्वय: उत्तरदायी होते हो |

यीशु ने पिलातुस से कहा, “तू ने गंभीर पाप किया है, परन्तु इस पाप में तू अकेला ही सम्मिलित नहीं है | सब लोग पापों के जाल में फंसे हुए हैं | तू मुझे क्रूस पर चढाना ना नहीं चाहता, परन्तु तेरी कायरता और कायफा का भय तुझे मजबूर कर रहा है कि तू मुझे दंड दे |” महायाजक इस से भी बड़ा पाप कर चुका है क्योंकि वह ईर्षा और घ्रणा के कारण यीशु को क्रूस पर लटकाना चाहता था | क्योंकि वह उच्च पद पर है, इस लिये उसे पापियों के साथ दया से पेश आना चाहिये था ताकि उन का परमेश्वर के साथ मिलाप किया जाता | परन्तु वह दुष्ट आत्माओं के अधीन रहा और उसे यीशु से इतनी घ्रणा थी कि आप की हत्या करने से भी न हिचकिचाया |


5) पिलातुस का यीशु पर अन्यायी दंड का आदेश (यूहन्ना 19:12-16)


यूहन्ना 19:12
“12 इस पर पिलातुस ने उसे छोड़ देना चाहा, परन्तु यहूदियों ने चिल्ला चिल्ला कर कहा, ‘यदि तू इस को छोड़ देगा, तो तेरी भक्ति कैसर की ओर नहीं | जो कोई अपने आप को राजा बनाता है वह कैसर का सामना करता है |”

पिलातुस यीशु को मुक्त करना चाहता था क्योंकि बंदी ने उस के अधिकार को स्वीकार कर लिया था | यधपि मसीह की भव्यता और भक्ति ने उस अधिकार को मर्यादित कर दिया था | यीशु ने पिलातुस को धमकी नहीं दी परन्तु उसे हलकी सी ड़ाँट निश्चित दी | आप ने पिलातुस के पाप और कायफा के अपराध में अंतर लाया | यीशु उसी के न्यायधीश बने जो आप का न्याय कर रहा था और उसे दिव्य सच्चाईयों की ओर आकर्शित कर रहे थे |

जब यहूदी याजकों ने पिलातुस के दिल में परिवर्तन देखा तो उन्होंने विचार विनमय को राजनीति में बदल दिया | उन का यह आरोप कि यीशु दिव्यता का दवा कर रहे हैं, रूमी न्यायालय में उपयोगी न रहा | इस लिये उन्हों ने धमकी दी कि यधपि गव्हर्नर ने यीशु की हत्या न की तो वह उस का रोम के कैसर के साथ निष्ठावान न रहने का परदा फाश कर देंगे |

“कैसर के मित्र” का अर्थ राजा का चहेता होता है | यह उपाधि राजा के राजदूतों और शाही रिश्तेदारों को दी जाती थी | पिलातुस की पत्नी इन रिश्तेदारों में से एक हो सकती है | यधपि तब्रियास कैसर किसी व्यक्ति पर विश्वास न करता था और निराशावादी स्वभाव रखता था, वह अपने प्रतिनिधियों की ईमानदारी पर संदेह कर सकता था | उसे इन लोगों में से किसी न किसी से हमेशा यह अपेक्षा लगी रहती थी कि वह विद्रोह का संचालन न करे | अगर किसी व्यक्ति ने कैसर के किसी मित्र पर आरोप लगाया और उसे प्रमाणित किया तो यह उस अपराधी की बर्बादी का कारण हो सकता था और उसे देश से निकाल भी दिया जा सकता था |

अगर यहूदी नेताओं ने रोम को पत्र लिख कर खबर दी होती कि स्वय: उन के अपने लगाये हुए विद्रोह के दोष के बावजूद पिलातुस ने “यहूदियों के राजा” को मुक्त कर दिया है, तो इस का अर्थ यह होता कि वह कैसर के शत्रुओं को अपने चारों ओर इकठ्ठे कर रहा है | इस का परिणाम यह हुआ कि पिलातुस की स्थिति अस्थिर हो गई | वह अपना स्थान यीशु के कारण छोडना न चाहता था यधपि सत्य यीशु के पक्ष में था | इस खतरे की चेतावनी से उस का विरोध टूट गया और उस ने नियमानुसार यीशु को मृत्यु दंड देने की तैयारी आरंभ कर दी | उस ने अपने आप को यीशु का खून बहाने के दोष से मुक्त करने के लिये योग्य उपाय किये | ऐसा प्रतीत होता था कि उस ने निष्पक्ष न्याय किया है परन्तु उस के दिल ही दिल में वह जानता था कि उस ने भारी अन्याय किया है |

यूहन्ना 19:13-16अ
“13 यह बातें सुन कर पिलातुस यीशु को बाहर लाया और उस जगह एक चबूतरा था जो इब्रानी में ‘गब्बता’ कहलाता है, और वहाँ न्याय आसन पर बैठा | 14 यह फसह की तैयारी का दिन था, और छटे घंटे के लग भग था | तब उस ने यहूदियों से कहा, ‘देखो तुम्हारा राजा !’ 15 परन्तु वे चिल्लाए, ‘ले जा !उसे क्रूस पर चढ़ा |’ पिलातुस ने उन से कहा, ‘क्या मैं तुम्हारे राजा को क्रूस पर चढाऊँ ?’ प्रधान याजकों ने उत्तर दिया, ‘कैसर को छोड़ हमारा कोई राजा नहीं |’ 16 तब उस ने उसे उन के हाथ सौंप दिया ताकि वह क्रूस पर चढ़ाया जाए |”

पिलातुस, यहूदियों की मसीह के आगमन की आशा को घ्रणा की दृष्टि से देखता था और उन का रोम की अवज्ञा करने का मज़ाक उड़ाने लगा और कहा : “तुम ने यीशु पर दोष लगाया जिस ने राजा होने का दावा किया | अपना शक्तिहीन राज्य संभालो | तुम उसी के समान हो जिन पर ध्यान देने की कोई आव्यशक्ता नहीं |”

यहूदियों ने इस मज़ाक का अर्थ ताड़ लिया जो उन का यीशु के विरुद्ध अपराध स्वय: उन की घ्रणा का कारण बना | वह एक साथ चिल्लाये, “उसे क्रूस पर चढ़ा !”

भाई, जिन लोगों ने आँसू बहाये वे उन की व्यवस्था के अनुसार धार्मिक व्यक्ति थे, परन्तु अन्धे हो गये थे इस लिये देहधारी प्रेम, दिव्य विनम्रता, यीशु में परिपूर्ण हुए परमेश्वर की पवित्रता को पहचान न सके | वे आप से घ्रणा करते थे और आप के प्राण लेना चाहते थे | कट्टरता और जोश लोगों को परमेश्वर की ओर प्रेरित नहीं कर सकते परन्तु यीशु में प्रगट हुआ प्रेम आप की दया और बलिदान को देखने के लिये हमारी आँखें खोल सकते हैं |

पिलातुस ने क्रोधित यहूदियों पर अपनी घ्रणा प्रगट करते हुए फिर एक बार यीशु को “राजा” कहा और यह स्पष्ट किया कि सारा जन समूह यीशु के प्राण लेने पर तुला हुआ है | पिलातुस ने स्वय: अपने ऊपर आरोप लगाने वाले अंतकरण को पेश करने के लिये कोई बहाना ढ़ूंड़ने की कोशिश की परन्तु वह चींख पुकार करने वाली भीड़ एह आवाज हो कर अपना इरादा दोहरा रही थी कि यीशु को क्रूस पर चढ़ाया जाय | लोगों की आवाज परमेश्वर की आवाज नहीं होती क्योंकि वह प्राय: अपने इरादों और दुनियावी योजनाओं में भूल कर बैठते हैं और शैतान इन असफलताओं का लाभ उठता है |

पिलातुस के बार बार मज़ाक उड़ाने से याजक बेज़ार आ चुके थे | उन्हों ने एक और आश्चर्यजनक घोषणा की कि “कैसर के सिवाय हमारा कोई राजा नहीं है |” यह स्वय: पाखंडी घोषणा थी | याजकों के परिवार को मसीही आंदोलनों और उस कठपुतली राजा, हेरोदेस से जिस से वह घ्रणा करते थे, भय निर्माण हुआ था | उन्हों ने कैसर को पसंद किया जो यूनानी संस्क्रति का रक्षक था और राष्ट्र में कानून और व्यवस्था बनाये हुए था | इस तरह से उन्हों ने पुराने नियम की सभी भविष्यवाणियों और मसीह के आगमन के विषय में सभी आशाओं को भुला दिया | पापों का पिता अपनी सन्तान को प्रेरित करता है | यधपि यीशु अकेले न्यायालय में सत्य को ले कर खड़े रहे और परमेश्वर की आवाज़ को अपने अन्तकरण में सुनते रहे और अपनी ईमानदारी को मजबूती से पकडे रहे |

अंतत: पिलातुस ने अहंकार, शत्रुता, और धोखे से प्रभावित हो कर कडे दंड की घोषणा की | परमेश्वर का पुत्र अपने पिता के निर्देशन पर विश्वास रखते हुए जिस ने गव्हर्नर को अपने पुत्र को क्रूस पर चढ़ाने की अनुमति दी थी, शांत खड़ा रहा | इस अन्यायी दंड के साथ यीशु ने परमेश्वर और मानवजाति के बीच में मेल मिलाप का काम पूरा किया | दुष्ट आत्माओं ने कल्पना की कि उन्हें विजय प्राप्त हुई है परन्तु यह परमेश्वर की योजना थी जो नरक की शक्तियों के धोकेबाज हस्तक्षेप के बावजूद पूरी हुई |

प्रार्थना: प्रभु यीशु, हम आप के सामने झुकते हैं | आप परमेश्वर के मेमने हैं जो दुनिया का पाप उठा ले जाता है | हमें दयालु, सत्य और धार्मिक दिल प्रदान कीजिये | हमारी सहायता कीजिये ताकि हम दूसरों को अपने लाभ का कारण न बनायें और हमें ऐसी प्रेरणा दीजिये कि हम मृत्यु को धोके बाजी और शैतान से समझौता करने पर प्राथमिकता दें |

प्रश्न:

114. पिलातुस ने यीशु को सजा क्यों दी?

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