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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
तीसरा भाग - प्रेरितों के दल में ज्योती चमकती है (यूहन्ना 11:55 - 17:26)
स - ऊपर के कमरे में बिदाई का प्रवचन (यूहन्ना 14:1-31)

2. सहायक (पवित्र आत्मा) के द्वारा विश्वासियों के ऊपर पवित्र त्रिय का उतरना (यूहन्ना 14:12-25)


यूहन्ना 14:21
“21 जिस के पास मेरी आज्ञाएँ हैं और वह उन्हें मानता है, वही मुझसे प्रेम रखता है; और जो मुझ से प्रेम रखता है उससे मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उससे प्रेम रखूँगा और अपने आप को उस पर प्रगट करूँगा |”

यीशु मसीह की तरफ से आप की कलीसिया में आशीष और अनुग्रह का झरना हमेशा बहता रहता है | अगर सभी विश्वासी इन आशीषों से परिपूर्ण हो कर छलकने लगें तो भी अनुग्रह का समुन्दर बना रहेगा | अपने शत्रुओं के सामने यीशु को अपने दावे के साथ खड़े रहना था कि आप मसीह और परमेश्वर के पुत्र हैं | परंतु इस अन्तिम घड़ी में आप ने अपने चेलों को आपके और आपके पिता के बीच पाये जाने वाले बन्धन की आशीषों को प्रगट किया | काश हमारे दिल इतने खुल जायें कि हम मसीह की दिव्यता से परिपूर्ण हो जायें |

यीशु ने हमें बताया कि आप के चेलों का प्रेम आप के लिये, उन की सदभावना से उछलती हुई भावना ही नहीं है बल्कि यह प्रेम आपके हुकुम की आज्ञाकारिता/आप की आज्ञा के पालन की नीव पर बनी हुई थी जो कार्यन्वित हुई | साधारण व्यक्ति मसीह के प्रेम में आंतरिक मार्गदर्शन को नहीं जानता | यीशु हमारे लिये स्वर्गीय खजानों के दरवाज़े खोल देते हैं और हमें खोये हुए लोगों की सेवा और अपने भाइयों को प्रोत्साहन करने के लिये भेज देते हैं | आप हमें हमारे लिये आप की योजना को पूरा करने की क्षमता प्रदान करते हैं | आप की आज्ञायें ना भारी हैं और ना असंभव हैं जब की आत्मिक खुशी हमें उभारती है और सत्य की आत्मा हमें संचलित करती है कि हम अपना किया हुआ हर घृणित और धोकेबाज़ी का काम स्वीकार करें | यह आत्मा आपकी आज्ञाओं को मानने के लिये हमें शक्ति देती है | क्योंकि आप हम से बहुत प्रेम करते हैं और हमारा उद्धार करते हैं | इस लिये हम भी आप से प्रेम करते हैं और आप की आत्मा के बताये हुए मार्ग पर चलते हैं |

क्या तुम यीशु से प्रेम करते हो ? इस प्रश्न का उत्तर तुरन्त आनन्दित “हाँ” से ना दें, ना ही उदासी से “ना” कहें | अगर तुम ने पुनर्जन्म लिया है तो तुम्हारे अन्दर वास करने वाली पवित्र आत्मा कहेगी, “हाँ, प्रभु यीशु, मैं आप की भव्यता, नम्रता, बलीदान और सहनशीलता के लिये आप से प्रेम करता हूँ; आप ने मुझ में प्रेम करने कि क्षमता उत्पन्न की है |” हमारे अन्दर वास की हुई इस पवित्र आत्मा के साथ यह वार्तालाप व्यर्थ आशा या कल्पना नहीं है बल्की यह उस निर्णय पर आधारित है जिस के द्वारा हम प्रेम भरे कार्य करते हैं |प्रभु अपने प्रिय लोगों में प्रेम निर्माण करता है और अपने अनुग्रह से उन्हें उस प्रेम के नियम अच्छी तरह से समझा देता है |

परमेश्वर उन से प्रेम करता है जो यीशु से प्रेम करते हैं | पिता परमेश्वर ने सारे अधिकार और दया अपने पुत्र को सौंप दिये हैं ताकि आप मानव जाति का उद्धार करें | जो कोई यीशु को स्वीकार करता है वो परमेश्वर को स्वीकार करता है और जो कोई पुत्र को स्वीकार करता है वो परमेश्वर को स्वीकार करता है | क्या तुम जानते हो कि परमेश्वर तुम्हें “मेरे प्रिय” कह कर बुलाता है क्योंकि यीशु की आत्मा ने तुम्हें बदल दिया है और तुम्हें प्रेममय व्यक्ति बना दिया है | तुम अपने आप में अच्छे नहीं हो परन्तु परमेश्वर के प्रेम ने तुम्हें एक नया प्राणी बना दिया है | यीशु तुम में हो कर काम करते हैं और पिता से तुम्हारे लिये मध्यस्थता करते है और आप तुम्हें अनन्त काल तक कायम रखेंगे | आप आत्मिक विश्वास के साथ अपने आप को तुम पर प्रगट करेंगे | तुम अपने उद्धारकर्ता की जानकारी में कितना ही आगे बढ़ चुके हों, वह जानकारी हमेशा कमज़ोर रहेगी, क्योंकि जानकारी का अर्थ आज्ञाकारी, प्रेम, बलीदान और संयम में बढ़ना है |

यूहन्ना 14:22-25
22 उस यहूदा ने जो इस्करियोती न था, उससे कहा, ‘हे प्रभु, क्या हुआ जो तु अपने आप को हम पर प्रगट करना चाहता है और संसार पर नहीं?’ 23 यीशु ने उस को उत्तर दिया, ‘यदि कोई मुझ से प्रेम रखेगा तो वह मेरे वचन को मानेगा, और मेरा पिता उस से प्रेम रखेगा, और हम उसके पास आयेंगे और उसके साथ वास करेंगे | 24 जो मुझ से प्रेम नहीं रखता,वह मेरे वचन नहीं मानता; और जो वचन तुम सुनते हो वह मेरा नहीं वरन पिता का है, जिस ने मुझे भेजा | 25 यह बातें मैं ने तुम्हारे साथ रहते हुए तुम से कहीं |”

यीशु का एक और चेला था जिस का नाम यहूदा (इस्करियोती नहीं) था | उसे इस बात का अहसास हुआ कि विश्वासघाती के चले जाने पर यीशु ने अपना विषय बदल दिया | उसे इस बात का संदेह हुआ कि कोई घातक घटना होने वाली है |

यीशु ने सरल उत्तर नहीं दिया परन्तु कलीसिया के महत्वपूर्ण उद्देश की घोषणा की और यह भी बताया कि उसे (कलीसिया को) दुनिया के लिये मरने की आवयश्कता है | यीशु ने उन्हें परमेश्वर के असली ज्ञान की ओर ले जाने वाले मार्ग के स्थान चिन्ह दिखाए | यह सत्य है कि यीशु को जानना और स्वीकार करना, आप के साथ घनिष्टता और नया जीवन उत्पन्न करता है, साथ ही साथ परमेश्वर के प्रेम का अनुभव करने के लिये पवित्र आत्मा की शक्ति से आप की आज्ञाओं का पालन करें | तब यीशु ने एक प्रभावशाली वाक्य कहा, “हम विश्वासी के पास आते हैं और वहाँ अपना निवास बनाते हैं |” यहाँ आप सामान्यत: कलीसिया के लिये नहीं कह रहे हैं परन्तु व्यक्तिकता विश्वासियों के लिये कह रहें हैं | पवित्र त्रिय (के तीनों व्यक्ति) विश्वासी के पास आ कर उस में वास करते हैं | ये शब्द मनुष्य के दिल में ऐसे गूंजते हैं जैसे वो पवित्र आत्मा, पिता और पुत्र से आलिंगन कर रहे हों | उद्धार की प्रगति में प्रवेश कर मनुष्य को यह पता चलता है कि परमेश्वर उसे पूरी तरह से घेर कर स्वय: उसकी रक्षा करता है | हर एक व्यक्ति जो मसीह पर विश्वास करता है इस रहस्य का अनुभव करता है |

प्रार्थना: ऐ पवित्र त्रिय, पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा, मैं आप की अराधना करता हूँ | आप का धन्यवाद और महिमा करता हूँ | आप मेरे पास आये और मुझ पापी में वास किया | मेरे पापों को क्षमा कीजिये | मुझे प्रेम की शक्ति प्रदान करने और मेरे दिल में प्रेम की आत्मा डालने के लिये आप का धन्यवाद करता हूँ | आप मुझे अपने नाम में कायम रखिये |

प्रश्न:

92. हमारा प्रेम मसीह के लिये कैसे बढ़ता है और पवित्र त्रिय हम पर कैसे उतरता है ?

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