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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)
क - मसीह का पहली बार यरूशलेम को चले आना (यूहन्ना 2:13–4:54) - सही उपासना क्या है?
2. यीशु की निकुदेमुस से बात चीत (यूहन्ना 2:23 – 3:21)

अ) लोग यीशु की तरफ झुकते गये (यूहन्ना 2:23-25)


यूहन्ना 2:23–25
“23 जब वह येरूशलेम से फसह के समय पर्ब्ब में था, तो बहुतों ने उन चिन्हों को जो वह दिखाता था, देख कर उसके नाम पर विश्वास किया | 24 परन्तु यीशु ने अपने आप को उन के भरोसे पर नहीं छोड़ा, क्योंकि वह सब को जानता था | 25 और उसे प्रयोजन न था, की मनुष्य के विषय में कोई गवाही दे, क्योंकि वह आप ही जानता था, की मनुष्य के मन में क्या है?”

फसह के मौके पर हज़ारों लोग यरुशलेम आये क्योंकी वह आराधना का केन्द्र था | वे उस मेमने के बारे में सोच रहे थे जिस ने उनके पूर्वजों को परमेश्वर के क्रोध से बचाया था | इसी लिये वो अपने खाने में बलीदान के गोश्त को बाँटते थे |

यीशु भी, जो परमेश्वर की तरफ से नियुक्त किये हुए मेमना थे, यरूशलेम में आ चुके थे और अपना प्रेम और शक्ती प्रगट करते हुए बहुत से आश्चर्य कर्म दिखा चुके थे | इस तरह आप भीड़ में ध्यान का कारन बन गये और सब के ओठों पर आप का नाम था और लोग काना फूसी करने लगे, “ क्या यह कोई भविष्यवक्ता है या पुरोगंता,एलिया या फिर मसीह ?” कई लोग आप की तरफ झुके और विश्वास किया कि आप परमेश्वर की तरफ से आये हैं |

यीशु ने उनके दिलों में झाँक कर देखा परन्तु किसी को भी अपना चेला नहीं बनाया | उन्हें अभी तक आप की दिव्यता का पता न चला था, वे अभी तक दुनयावी सन्दर्भ में सोच रहे थे | उनके दिलों में रोम से आज़ादी, उचित व्यवसाय और आराम दायक भविष्य प्राप्त करने के विषय में विचार आ रहे थे | यीशु सब लोगों को जानते थे, किसी के दिल की बात उनकी आँखों से नहीं छिपी थी | कोई भी सच्चे दिल से परमेश्वर को नहीं खोजता था | अगर उन्हों ने सच्चे दिल से परमेश्वर को खोजा होता तो अपने पापों को स्वीकार करके और पश्चताप करके यर्दन नदी में बपतिस्मा ले लिया होता |

मसीह तुम्हारे दिल, तुम्हारे विचार, तुम्हारी प्रार्थनाओं और पापों को जानते है | वो तुम्हारे विचार और उन का तुम्हारे दिल में आने का मूल कारण भी जानते हैं | वो जानते हैं कि तुम सदाचार और धार्मिकता से रहना चाहते हो | तुम्हारा घमंड़ कब टूटेगा? और कब तुम अपने स्वाभिमान को छोड़ोगे ताकी पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाओ |


ब) नये जन्म की जरुरत (यूहन्ना 3:1–13)


यूहन्ना 3:1–3
“1 फरीसियों में से निकुदेमुस नाम एक मनुष्य था, जो यहूदियों का सरदार था | 2 उस ने रात में यीशु के पास आकार उस से कहा, हे रब्बी, हम जानते हैं की तू परमेश्वर की ओर से गुरु हो कर आया है; क्योंकि कोई इन चिन्हों को जो तू दिखाता है, यदि परमेश्वर उसके साथ न हो, तो नहीं दिखा सकता | 3 यीशु ने उसको उत्तर दिया : की मैं तुझ से सच सच कहता हूं, यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता |”

उस भीड़ में निकुदेमुस नाम का एक व्यक्ती था जो बहुत ही नेक और प्रतिष्ठित था और यहूदियों के उच्च न्यायालय के सत्तर सदस्यों में से एक था | उस ने मसीह में परमेश्वर कि शक्ती को महसूस किया | हो सकता है कि वह इस नये भविष्यवक्ता और यहूदियों की सभा के बीच सम्बन्ध बनाना चाहता था | परन्तु वो महा याजक और आम जनता से भी डरता था | उसे मसीह के व्यक्तित्व पर भरोसा नहीं हो रहा था इस लिये वो रात के अंधेरे में छुप कर मसीह को मिलने आया ताकी आपके समूह में मिलने से पहले आपको परखे |

आप को शिक्षक कह कर निकुदेमुस आम लोगों का विश्वास प्रगट कर रहा था जो मसीह को अपने पीछे चलने वालों को धर्मशास्त्र की शिक्षा देने वाला समझते थे | उस ने स्वीकार किया की यीशु को परमेश्वर ने भेजा जिसका सबूत उन आश्चर्य कर्मों में पाया जाता है जिन्हें वो करते हैं | उस ने यह भी स्वीकार किया कि “ हम विश्वास करते हैं की परमेश्वर आप के साथ है और वो आप का समर्थन करता है | शायद आप ही मसीह हैं?” यह निश्चित समर्पण था |

यीशु ने लोगों के नेताओं और अपने बीच में इस बिचोलिये पर विश्वास न रखते हुए भी उसके प्रश्न का उत्तर दिया | आप ने निकुदेमुस के भटके हुए दिल, उसके पापों और धार्मिकता के लिये उसकी इच्छुकता को देखा | आप उसे उसकी आत्मिक अज्ञानता जता कर ही उसकी सहायता कर सकते थे | निकुदेमुस अपनी भक्ती के बावजूद परमेश्वर को नहीं जानता था | यीशु ने निसंकोच होकर उस से कहा, “सच है कोई भी व्यक्ती अपने खुद के प्रयास से परमेश्वर को नहीं जान सकता, उसे आसमानी आत्मा के द्वारा नया जन्म लेने की जरुरत है |

यह घोषणा केवल धार्मिक शिक्षा और तर्क शास्त्र पर आधारित धार्मिक सिद्धांतों के विषय में मसीह का निर्णय था | परन्तु परमेश्वर का ज्ञान बुद्धिमान भाषणों से नहीं बल्की नये जन्म से प्राप्त होता है | जैसे की रेडियो पर तुम अपनी इच्छा के अनुसार प्रोगराम चुन कर आवाज़ तो सुन सकते हो लेकिन टी व्ही की तरह प्रतिबिम्ब नहीं देख सकते| तस्वीरों को देखने के लिये तुम को रेडियो से अलग सेट की ज़रूरत होती है | इस तरह एक आम आदमी अपनी भक्ती और कोशिश के बावजूद परमेश्वर को अपने विचार और धारणा के द्वारा देख नहीं सकता | इस आत्मिक बोध के लिये आत्मिक क्रांती, नये सिरे से आत्मिक जन्म और एक नई उत्पत्ती की ज़रुरत होती है |

यूहन्ना 3:4 – 5
“4 निकुदेमुस ने उस से कहा, मनुष्य जब बूढ़ा हो गया, तो क्योंकर जन्म ले सकता है? क्या वह अपनी माता के गर्भ में दूसरी बार प्रवेश करके जन्म ले सकता है? 5 यीशु ने उत्तर दिया, कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं ; जब तक कोई मनुष्य जल और आत्मा से न जन्मे तो वह परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकता |”

मसीह के जवाब ने निकुदेमुस पर उसकी परमेश्वर की अज्ञानता सपष्ट करके परेशानी में डाल दिया | उस ने दूसरे जन्म के विषय में पहले कभी नहीं सुना था | वह यह सुनकर की बूढ़ा व्यक्ती दोबारह मां के गर्भ में जा सकता है, उलझन में पड़ गया | बुद्धिमानी पर आधारित यह प्रतिक्रिया व्यक्ती की तंग नज़री को स्पष्ट करती है | वह यह नहीं समझ सकता की परमेश्वर पिता अपनी आत्मा के द्वारा सन्तान को जन्म दे सकता है |

यीशु निकुदेमुस से प्रेम करते थे | उस से स्वीकार करवा के कि वह परमेश्वर के राज्य का रास्ता नहीं जानता, आप ने इस सत्य पर ज़ोर दिया कि आप ही सत्य हैं | हमें विश्वास करना चाहिये की दोबारह जन्म लिये बगैर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते, शर्त केवल यही है |

दूसरा जन्म क्या है? यह एक जन्म है, कल्पना मात्र नहीं और न यह मनुष्य की कोशिशों से शुरू होती है, क्योंकी कोई भी मनुष्य अपने आप को स्वंय जन्म नहीं दे सकता | परमेश्वर माता पिता और जीवन दाता बन जाता है | यह आत्मिक जन्म एक अनुग्रह है केवल चाल चलन का परिवर्तन या सामाजिक अनुशासन नहीं है | शुरू से मानव जाती ने पाप में जन्म लिया और उसे सुधरने की कोई आशा नहीं थी | आत्मिक जन्म में परमेश्वर का जीवन मानव जाती में प्रवेश कर जाता है | यह कैसे होता है? यीशु ने निकुदेमुस को बताया कि यह पानी और आत्मा से प्राप्त होता है | पानी, यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के बपतिस्मा और शादी में रखे जाने वाले शुद्धिकरण के मटकों कि तरफ इशारा करता है | पुराने नियम के सदस्य जानते थे कि शुद्धिकरण के लिये पानी कि आव्यशक्ता होती है जो पापों से पवित्र होने का चिन्ह है | ऐसा लगता है जैसे यीशु कह रहे हों, “तुम यूहन्ना के पास क्यों नहीं जाते ताकि अपने पापों का पश्चताप करो और बपतिस्मा लो? एक और मौके पर यीशु ने कहा: “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे तो अपने आप का इन्कार करे और अपना क्रूस उठाए, और मेरे पीछे हो ले |” मेरे भाई, अपने अपराधों को स्वीकार कर लो, अपने पापों के बारे में परमेश्वर का निर्णय भी मान लो | तुम भ्रष्ट व्यक्ती हो और नाश हो रहे हो |

यीशु सिर्फ पानी के बपतिस्मे से संतुष्ट नहीं थे जो सिर्फ पश्चाताप और पापों की क्षमा तक सीमित था | परन्तु आप ने पश्चातापी लोगों को पवित्र आत्मा से बपतिस्मा दिया और इस तरह टूटे हुए दिलों में नया जीवन डाल दिया | आप की क्रूस पर की मृत्यु के बाद हम जान गये कि हमारे अंतकरण का शुद्धिकरण आप के बहुमूल्य खून से हुआ है | पश्चताप करने वाले मनुष्य में होने वाला यह शुद्धिकरण पवित्र आत्मा के द्वारा होता है | जब मनुष्य पवित्र आत्मा से आकर्षित होता है तब वह अनन्त जीवन और उसके फल से परिपूर्ण होता है. वो मसीह के मार्गदर्शन से एक अच्छा आदमी बन जाता है | यह रूपान्तर अचानक नहीं होता बल्की इस के लिये काफी समय की ज़रूरत होती है | ठीक उसी तरह जैसे शारीर पहले मां की कोख में बढ़ता है और तब जन्म लेता है | इस तरह यह जन्म भी इस तरह होता है और विश्वासी में हकीकत बन जाता है और वो सच मुच जान जाता है कि वो नये सिरे से पैदा हो चुका है और अब परमेश्वर उसका पिता बन चुका है और उसने मसीह से अनन्त जीवन प्राप्त कर लिया है |

मसीह ने परमेश्वर के राज्य को अपनी शिक्षा का उद्देश बना लिया | तो यह राज्य क्या है ? यह कोई राजनीतिक या आर्थिक नीति नहीं है बल्की दोबारह जन्म लेने वाले व्यक्ती की परमेश्वर, बेटे और पवित्र आत्मा के साथ संगती है | जब ये लोग मसीह को आत्मसमर्पण करते हैं और आप को अपना राजा मान लेते हैं ताकी आप की आज्ञा का पालन करें तब उन्हें आत्मा का वरदान प्राप्त होता है |

प्रार्थना: प्रभु यीशु, मैं आप का धन्यवाद करता हूँ कि केवल अनुग्रह के द्वारा आपने मुझे नया जन्म दिया | आप ने मेरी आत्मिक आँखें खोल दी हैं | मुझे अपने प्रेम की छाया में रहने दीजिये |जो आप को सच्चाई से ढूंढते है उनकी आँखें खोल दीजिये ताकी वो अपने पापों को पहचानें और पश्चताप करें और आपकी पवित्र आत्मा की शक्ती के द्वारा उनका नवी करण हो जाये जिस का आधार आपका बहाया हुआ खून है ताकी वो आपके साथ अनन्त संगती में बने रहें |

प्रश्न:

26. निकुदेमुस की भक्ती और यीशु के उद्देश में क्या फर्क है ?

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