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पत्रक - वितरण के लिये लघु बायबलसंबंधी सन्देश

पत्रक 01 -- क्या आप यीशु को जानते हैं?


जो कोई इतिहास का मनन करता है, सभी कालों में ऐसे अत्यधिक श्रेष्ठ नेताओं को पाता है जिनका सभ्यता पर प्रभाव रहा और जिन्होंने अपने राज्यों को एक आकार दिया| एक ऐसे व्यक्ति का नाम यीशु, मरियम के बेटे का है| दुनिया की जनसँख्या में एक तिहाई भाग उनकी सीख का अनुसरण करता है| यीशु का नाम नए नियम में एक अत्यंत महत्वपूर्ण शब्द है जो इसकी सत्ताईस पुस्तकों में 975 बार आया है|

जिब्राईल स्वर्गदूत को परमेश्वर द्वारा कुंवारी मरियम के पास भेजा गया, साथ ही परमेश्वर का एक स्वर्गदूत, मरियम के पति युसुफ़ के सपने में आया| उनको यह कहा गया कि मरियम जोकि गर्भवती थी वह पवित्र आत्मा का पुत्र था और उन दोनों ने उसका नाम रखना चाहिए “यीशु, क्योंकि वह अपने लोगों को उनके अपराधों से बचायेगा” (मत्ती 1:20-23, लुका 1:31)|

यह मनुष्यों द्वारा बनाया गया नाम नहीं था, परन्तु परमेश्वर की इच्छा द्वारा निर्धारित था| इस नाम “यीशु” में लोगों की अपराधों से मुक्ति की योजना थी, एक ऐसी योजना जो संसार की नीवं से पहले से पुर्वनिश्चित थी| यीशु के नाम का शाब्दिक अर्थ है “सौदे के परमेश्वर सहायता करते और बचाते हैं|”

परमेश्वर ने नासरी के यीशु द्वारा संसार की चाल को बदल दिया था| मरियम का पुत्र मानवीय शिक्षण पर व्यर्थ भाषण नहीं देता था, न ही भौतिक चमत्कार करता था, परंतु उनके द्वारा परमेश्वर बोलते और कार्य करते थे (यूहन्ना 5:19-21; 14:10-24)| उनके आने का उद्देश्य क्या था? और उनकी महान शक्ति का रहस्य क्या है?


उन्होंने हमें घमंड से मुक्त किया है

यीशु ने कहा था “अरे, ओ थके-माँदे, बोझ से दबे लोगों! मेरे पास आओ, मैं तुम्हें सुख चैन दूँगा| मेरा जुआ लो और उसे अपने ऊपर संभालो| फिर मुझ से सिखो क्योंकि मै सरल हूँ और मेरा मन कोमल है| तुम्हें भी अपने लिये सुख-चुन मिलेगा|” (मत्ती 11:28-29)| वह सभी जो अपने जीवनों को नियंत्रण करने का संघर्ष करते हैं यीशु की ओर आने के लिए उत्साहित थे| जो कोई भी उनके निकट आता है, यीशु उसे घमंड से मुक्त करायेंगे और उसे सुख देंगे|

यीशु ने कहा, “तुम्हें मनुष्य के पुत्र जैसा ही होना चाहिये जो सेवा कराने नहीं, बल्कि सेवा करने और बहुतों के छुटकारे के लिये अपने प्राणों की फिरौती देने आया है|” (मत्ती 20:28) जो यीशु का अनुसरण करतें है वो अपने स्वार्थीपन से मुक्त होजाएंगे और आनंद पूर्वक उनकी शक्ति में दूसरों की सेवा करेंगे|


वह परमेश्वर के क्रोध से मुक्त करते हैं

एक मात्र पवित्र परमेश्वर का क्रोध उन सभी के साथ है जिन्होंने अपराध किया है, परंतु यीशु विश्वासियों को स्वयं में पुनर्जीवन के दिन किसी भी न्याय से मुक्त करते है (यूहन्ना 3:18; 5:24) परमेश्वर ने इस सत्य को उपदेशक यशायाह को प्रकटित किया था, “किन्तु उसने हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए| उसने हमारी पीडाको हमसे ले लिया और हम यही सोचते रहे कि परमेश्वर उसे दण्ड दे रहा है| हमने सोचा परमेश्वर उस पर उसके कर्मों के लिये मार लगा रहा है| किन्तु वह जो उन् बुरे कामों के लीये बेधा जा रहा था, जो हमने किये थे| वह हमारे अपराधों के लिए कुचला जा रहा था| जो कर्ज हमें चुकाना था, यानी हमारा दण्ड था, उसे वह चुका रहा था| उसकी यातनाओं के बदले में हम चंगे (क्षमा) किये गये थे| किन्तु उसके इतना करने के बाद भी हम सब भेड़ों की तरह इधर – उधर भटक गये| हममे से हर एक अपनी-अपनी राह चला गया| यहोवा द्वारा हमें हमारे अपराधों से मुक्त कर दिये जाने के बाद और हमारे अपराध को अपने सेवक से जोड़ देने पर भी हमने ऐसा किया|” (यशायाह 53:4-6)

यीशु ने मरने से पहले, परमेश्वर से मध्यस्थी करते हुए अपने शत्रुओं के लिए प्रार्थना की थी: “पिता, उनको क्षमा करना, क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं” (लुका 23:34)| हम निश्चित हैं कि परमेश्वर ने उनकी करुणा भरी प्रार्थना का उत्तर दिया था|


उन्होंने हमें अपराधों से मुक्त किया है

“यीशु ने उत्तर देते हुए कहा, ‘मै तुमसे सत्य कहता हूँ| हर वह जो पाप करता रहता है, पाप का दास है| अतः यदि पुत्र तुम्हें मुक्त करता है तभी तुम वास्तव में मुक्त होगे| मै जानता हूँ तुम इब्राहीम के वंश से हो’| (यूहन्ना 8:34,36)” यीशु उनको, जो अपराध की कैद से उन पर विश्वास करते हैं, मुक्त करते हैं| उन्होंने जगत के अपराध को स्वयं अपने ऊपर लिया हमारे लिए क्षतिपूर्ति दी| उनकी क्षतिपूर्ति मृत्यु ने हमारे सभी कलंकों को धो दिया था और उनकी पवित्र आत्मा हममे निवास करती है और अपराध पर विजय पाने के लिए हमें शक्ति देती है (रोमियो 8:9-11), तों, वह जो यीशु में और उनके प्रायश्चित में विश्वास करता है पूर्णरूप से न्यायोचित होगा|


वह शैतान के ऊपर विजयी हैं

यीशु ने शैतान पर विजय प्राप्त की थी, उसके प्रलोभनों के सामने झुके नहीं और मज़बूती से उसके सामने खड़े रहे थे (मत्ती 4:1-11, लुका 4-1:13)| विपदा और वेदना द्वारा, यीशु ने स्वयं को परमेश्वर को समर्पित किया और अपराधरहित बने रहे थे| बुराई अर्थात शैतान अपनी शक्ति का प्रयोग उन पर नहीं कर सका था| यीशु ने शैतान के कब्जे में की हुई आत्माओं से शैतान की आत्मा को निकाल कर फेंका था| यह अधिकार उन्होंने अपने शिष्यों को दान दिया था (लुका 9:1)| जो कोई भी उनके प्रायश्चित को स्वीकारता है पूर्णरूप से शैतान की शक्ति से मुक्त हुआ|


वह मृत्यु पर विजयी हैं

यीशु ने कहा था, “यीशु ने उससे कहा, ‘मैं ही पुनरुत्थान हूँ और मैं ही जीवन हूँ| वह जो मुझमे विश्वास करता है जियेगा| और हर वह, जो जीवित है और मुझमे विश्वास रखता है, कभी नहीं मरेगा| क्या तु यह विश्वास रखती है’| (युहन्ना 11:25-26)”

यीशु मृतकों में से विजयी समान जी उठे, अपने शिष्यों को शरीरिक रूप में दिखाई दिए और उनसे बात की, उन्होंने उनको छुआ| इसी प्रकार से यीशु अपने अनुयायियों को मृत्यु से छुड़ाने और उन्हें अनंत जीवन देने में सक्षम हैं|


वह द्वेष और प्रतिशोध से चंगाई देते हैं

यीशु ने अपने सुननेवालों को आदेश दिया था “किन्तु मै कहता हूँ अपने शत्रुओं से भी प्यार करो| जो तुम्हे यातनाएं देते हैं, उनके लिये भी प्रार्थना करो| ताकि तुम स्वर्ग में रहने वाले अपने पिता की सिद्ध संतान बन सको| क्योंकि वह बुरों और भलों सब पर सूर्य का प्रकाश चमकाता है| पापियों और धर्मियों, सब पर वर्षा कराता है| (मत्ती 5:44-45; लुका 6:27-28)

एक मात्र वही जो परमेश्वर की आत्मा से पैदा हुए, ने अपने अनुयायियों को उनके सारे अपराधों से क्षमा किया और उनको आदेश दिया कि वे भी उन सभी को जो उनके प्रति अपराध करते हैं क्षमा करें| यीशु के क्षमादान का उद्देश्य उनका महान प्रेम था| यीशु उन सभी को जो उनके आज्ञाकारी हैं को द्वेष एवं प्रतिशोध से मुक्त करते हैं|

मरियम के पुत्र को स्वयं उनके ही लोगों ने ठुकराया, झिडकी दी और उनसे घृणा की| परंतु उनके ठुकराने के स्थान पर यीशु ने उनको प्रेम, संधिकरण, छुटकारा और शक्ति प्रदान की| वे सभी जो अपने अपराधों से अलग हो चुके और उनकी ओर आ चुके है, न्यायोचित रहेंगे और अनंत जीवन को प्राप्त करेंगे|

प्रिय पाठकों,
जीवित यीशु तुमको उन पर विश्वास करने और उनके वचनों को स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करते हैं| वह तुम्हे पवित्र आत्मा की शक्ति दे सकते है और तुम्हारी आत्मा, और शरीर को स्वच्छ कर सकते हैं| अपने हृदयों को कठोर न करो, परंतु उनके क्षमादान, और शक्ति का लाभ उठाओ एवं परमेश्वर के क्रोध से बच जाओ| यीशु तुम्हारे छुडानेवाले, रक्षक, और परमेश्वर के सामने तुम्हारे मध्यस्थ है| वह तुम्हारा जीवन है और तुम्हारी सुरक्षा की जमानत है| आगे बढ़ो और उनके फैले हुए हाथ में अपना हाथ दे दो कि तुम उनकी पूर्णता में अनुग्रह पर अनुग्रह को प्राप्त करो (यूहन्ना 1:16)

धन्यवाद–ज्ञापन प्रार्थना
हमारे साथ प्रार्थना करें: “प्रभु यीशु आप इस दुनिया के रक्षक और मेरे रक्षक भी हैं| आपने मुझे परमेश्वर के क्रोध और न्याय से बचाया| आपने मुझे मेरे घमंड और स्वार्थीपन से बचाया था| आपने मुझे मेरे अपराधों से स्वच्छ करें और मुझे आपका शुद्ध जीवन और स्वर्गीय धार्मिकता प्रदान करें, तों मुझ पर शैतान प्रबल ना हो पाये| मुझे अपने एक अनुयायी के समान स्वीकार करें और मुझे आपकी शिक्षा और आदेशों को समझाए| होने दें कि आपकी शक्ति मेरी कमजोरी में मुझमे निवास करे, कि मै अपने जीवन में पवित्र परमेश्वर की महिमा करूँ|” आमीन|


क्या तुम यीशु, मरियम के पुत्र के बारे में और अधिक जानना चाहते हो?

हम आपकी विनती पर आपको बिना किसी मूल्य के मसीह के सुसमाचार को व्यख्यात्मक मनन के साथ भेजने को तैयार हैं|


आपने पड़ोसियों में यीशु के शुभ समाचार को बांटिये

यदि इस विज्ञापन ने तुम्हे छुआ है और तुम सुख और शक्ति का अनुभव करते हो, इसे अपने मित्रों एवं पड़ोसियों के साथ बांटिये| हम एक सीमित संख्या में इसकी प्रति भेजने में आनंद का अनुभव करेंगे| हमें वह संख्या ज्ञात होने दे जितना तुम अपने आप को बिना किसी समस्या में डाले बाँट सकते हो|

हम आपके पत्र की प्रतीक्षा में, आपके लिए प्रार्थना करते हैं कि जीवित प्रभु आपको आशीष दें| अपना पूरा पता साफ साफ लिखना ना भूलें|

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