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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)

क - मसीह का पहली बार यरूशलेम को चले आना (यूहन्ना 2:13 – 4:54 ) - सही उपासना क्या है?

2. यीशु की निकुदेमुस से बात चीत (यूहन्ना 2:23 – 3:21)

क) क्रूस, नये जन्म का साधन (यूहन्ना 3:14-16)


यूहन्ना 3:14–16
“ 14 और जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को उंचे पर चढाया, उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र भी उंचे पर चढाया जाए | 15 ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्त जीवन पाए | 16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए | ”

यीशु ने निकुदेमुस की शिक्षा का सिलसिला ज़ारी रखा और उसे विश्वास दिलाया कि आत्मिक जन्म सच्चे दिल से पश्चताप किये बिना, दिमाग की परिस्थिती बदले बिना और मानव जाती के लिये मसीह की निर्दयतापूर्ण मृत्यु पर विश्वास किये बिना नहीं हो पाता | यीशु ने इन सिद्धांतों को इसरायल में हुई एक ऐतेहासिक घटना को बताते हुए निकुदेमुस को समझाया |

जो लोग होर पर्वत के जंगल में यात्रा कर रहे थे वो परमेश्वर के विरुद्ध बड़बड़ाने लगे और उसके मार्गदर्शन के विरुद्ध विद्रोह कर बैठे (गिनती 21: 4-9) | परमेश्वर ने उनकी ज़िद की सज़ा के तौर पर ज़हरीले साँप ड़सने के लिये भेजे जिससे बहुत लोग मर गये |

इस मौके पर कुछ लोगों को अपने पापों का एहसास हुआ और उन्होंनें मूसा से नम्र विनती की, कि वो उनके लिये परमेश्वर से प्रार्थना करे कि वो अपने क्रोध को उनके ऊपर से हटा ले | परमेश्वर ने मूसा को आदेश दिया कि वो पीतल का एक साँप बनाये जो परमेश्वर के दंड का प्रतीक था | इस साँप को मूसा ने लोगों के बीच में ऊपर उठाया ताकी यह साबित हो कि दिव्य क्रोध का अन्त हो चुका है | जिस व्यक्ती ने परमेश्वर के क्रोध के उठाये जाने के इस निशान को देखा और उस के अनुग्रह पर विश्वास किया वो साँप के ज़हर से स्वस्थ हो गया |

हव्वा के बहकाने में आने के बाद से साँप दुष्ट का प्रतीक बन चुका था | जब मसीह आये तो आप ने मानव जाती के पाप उठा लिये | इस तरह यीशु जो पाप रहित थे, हमारे लिये पाप बन गये | यीशु जंगल के उस साँप के समान हैं जो बगैर ज़हर का था | इस लिये जब यीशु ने हमारे पाप उठाये तब वो खुद पापहीन थे |

परमेश्वर का पुत्र पृथ्वी पर तेजस्वी असतित्व में नहीं बल्की विनम्रता के साथ मनुष्य के पुत्र के रूप में अपने शरीर पर घाव, दर्द और व्यवस्था का शाप उठाये हुए आया | मानव के रूप में वे हमारे लिये मर सकते थे | “मनुष्य का पुत्र” यह आपके लिये एक विशेष सम्मान का चिन्ह है | ज़िस तरह ऊँचा उठाया हुआ साँप दिव्य क्रोध के उठाये जाने का चिन्ह है उसी तरह क्रूस पर चढाये हुए मसीह दिव्य क्रोध की आग के बुझ जाने का चिन्ह हैं | हमारे सारे पाप परमेश्वर के पुत्र पर डाल दिये गये ताकी आपके दुख उठाने से हमारा उद्धार हो जाये |

जिसने भी जंगल में ऊँचे उठाये हुए साँप की तरफ देखा और परमेश्वर के वचन पर विश्वास किया वह साँप के डंक से स्वस्थ हो गया | इस अनुग्रह के निशान पर विश्वास करने से विश्वासी को जीवन मिला और वह बच गया | जो कोई क्रूस की तरफ देखता है और उस पर मृत्यु पाये हुए मसीह से लिपट जाता है वह अनन्त जीवन पाता है | पौलुस लिखते हैं : “मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है !” जिस तरह मसीह की मृत्यु मेरी मृत्यु है उसी तरह आप का जीवन मेरा है | जो मनुष्य आप की निर्दयी मृत्यु को विश्वास के साथ स्वीकार करता है, वो धार्मिक ठहरता है और आपके साथ हमेशा जीवित रहता है | यह बंधन हमें आपके मुर्दों में से जी उठने में भी संगती प्रदान करता है |

हम दंडित हैं परन्तु मसीह की तरफ देखने से हम उद्धार पाते हैं | आप हमें नए सिरे से जन्म देते हैं | परमेश्वर के पास जाने के लिये और कोई रास्ता नहीं सिवाय मसीह के जो क्रूस पर बलीदान हुए | इसी लिये शैतान रात और दिन बड़ी प्रबलता से उद्धार के दो सिद्धांतों पर आक्रमण करता आया है : मसीह का दिव्य पुत्र होना और आप की क्रूस पर मृत्यु | परन्तु इन्ही दो सिद्धांतों पर दुनिया का उद्धार निर्भर करता है |

परमेश्वर प्रेम है; वो दया का सागर है जिसका कोई अन्त नहीं | उस ने प्रेम में हमारी धर्मद्रोही दुनिया को त्याग नहीं दिया परन्तु हम से प्रेम करता रहता है | वो पापी विद्रोहियों का त्याग नहीं करता परन्तु उन पर दया करता है | उस के पुत्र का बलीदान उन की धार्मिकता की अवशक्ताओं को पूरा करता है | पुत्र के अलावा उद्धार का कोई और मार्ग ही नहीं है |

हे भाई, क्या तुम अपने मित्र के लिये कुछ मामूली रकम त्याग सकते हो ? क्या तुम उसके बदले जेल में जाने के लिये राज़ी होंगे ? या उसके बदले अपने प्राण दोगे ? हो सकता है कि अगर तुम उससे प्रेम करते हो तो ऐसा करोगे परन्तु अगर वो तुम्हारा शत्रु हो तो तुम कभी ऐसा नहीं करोगे | अपराधियों के उद्धार के लिये अपने पुत्र का बलीदान करने में हमें परमेश्वर के प्रेम की महानता दिखाई देती है |

मसीह ने क्रूस पर दुनिया के उद्धार का कार्य पूरा किया | हम सब को यीशु के बलीदान की ज़रूरत है | हर तरह के लोगों को सांस्क्रितिक या अज्ञान, सम्य या असम्य, धनवान या गरीब, नेक या दुष्ट | कोई भी मनुष्य, अपने आप में धार्मिक नहीं है | मसीह ने दुनिया का अपने पिता से मेल मिलाप करवा दिया है |

आश्चर्य की बात यह है कि मानव इस सच्चाई को ग्रहण नहीं कर पाया सिवाये उन के जो क्रूस पर चढ़ाये हुए मसीह पर विश्वास करते हैं | उद्धार कर्ता के साथ तुम्हारा विश्वास का रिश्ता ही तुम्हारे उद्धार का निर्णय करता है | बगैर विश्वास के तुम परमेश्वर के क्रोध के अधीन रहते हो | परमेश्वर की पवित्रता के प्रकाश में तुम्हारे काम बेईमान और गन्दे समझे जाते हैं | निकुदेमुस जैसे वामपंथी और सदाचारी शिक्षक को ऐसे शब्द सुनना पड़े, जिससे वे भयभीत हुए |

जो मनुष्य क्रूस के उद्धार को स्वीकार करता है और परमेश्वर के उस पुत्र पर विश्वास करता है जो लज्जा के ऊँचे पेड़ पर उठाया गया, वो जीवित रहेगा | और उसके और परमेश्वर के बीच कोई रूकावट न रहेगी | क्या तुम यीशु की तुम्हें दी हुई क्षमा के लिये आप का धन्यवाद करते हो ? क्या तुम ने अपना जीवन मसीह के लिये अर्पित कर दिया है ?

जो कोई विश्वास करता है, जीवित रहेगा और जो मसीह में रहता है, कभी नहीं मरेगा | जो व्यक्ती मसीह में बना रहता है वह अनन्त जीवन की आशा रखता है | हमारा विश्वास हमें ज़मानत दिलाता है कि पवित्र आत्मा हमारे अन्दर है | अगर तुम 14 से 16 पदों के अर्थ कि गहराई समझोगे तो इसी वचन मे सुसमाचार का रहस्य जान जाओगे |

प्रार्थना:आस्मानी पिता, हम तेरे असीमित प्रेम के लिये तेरी अराधना करते हैं | तूने अपने एकलौते पुत्र को हमारी जगह मृत्यु के लिये दिया | उसने हमारे पाप और सज़ा सह कर हमें तेरे क्रोध से आज़ाद कर दिया | हम विश्वास, सम्मान और धन्यवाद के साथ क्रूस को देखते हैं | तू ने हमारे पापों को क्षमा करके दुनिया का अपने साथ मेल मिलाप कर लिया | दूसरों तक यह सुसमाचार पहुचाने में हमारी सहायता कर ताकी वे भी हमारी गवाही के द्वारा अनन्त जीवन पायें |

प्रश्न 28: मसीह और जंगल के साँप में किया समानता है ?

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