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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)
ब - मसीह अपने चेलों को पश्चताप के घेरे से निकाल कर शादी की खुशी में ले जाते हैं (यूहन्ना 1:19 - 2:12)

3. पहले छे चेले (यूहन्ना 1:35-51)


यूहन्ना 1:40-42
“40 उन दोनों में से जो यूहन्ना की बात सुनकर यीशु के पीछे हो लिए थे, एक तो शमौन पतरस का भाई, अन्द्रियास था | 41 उस ने पाहिले अपने सगे भाई शमौन से मिलकर उस से कहा की हम को ख्रीस्त अर्थात मसीह मिल गया | 42 वह उसे यीशु के पास लाया : यीशु ने उस पर दृष्टि करके कहा, कि तू कैफा अर्थात पतरस कहलायेगा |”

पतरस का भाई अन्द्रियास, तैबेरियस झील के किनारे बसे हुए बैतसैदा शहर का मछेरा था | वो बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना के पास पापों की क्षमा प्राप्त करने और मसीह के आने की प्रतीक्षा करने के लिए आया था | अन्द्रियास ने यूहन्ना की गवाही स्वीकार की थी और यीशु के पीछे हो लिया था | उसका दिल खुशी से भरा हुआ था | वो इस खोज को अपनी हद तक ना रख सका परन्तु उसने अजनबियों से पहले अपने भाई को ढूंड निकाला | इस तरह बड़े भाई अन्द्रियास ने अपने जोशीले भाई को ढूंढने के बाद उसे यह खुशी की खबर सुनाई, “हमें वायदा किये हुए मसीह और मुक्तिदाता मिल गए हैं जो प्रभु और परमेश्वर का मेमना हैं |” पतरस के दिल में शक हुआ होगा लेकिन अन्द्रियास ने उसे मना लिया | अनंत: पतरस उसके साथ यीशु के पास गए परन्तु उनका दिल कुछ परेशान ज़रुर था |

जब पतरस ने घर में प्रवेश किया तो यीशु ने उन्हें नाम लेकर पुकारा | यीशु ने उन्हें एक नया नाम , पतरस देकर उनके विचारों को टटोला | यीशु पतरस के भूत, वर्तमान और भविष्य काल के बारे में सब जानते थे | वो जानते थे कि पतरस हमेशा जल्दबाज़ी से काम लेते हैं | यीशु उन दिलों को जानते हैं जो उनके लिए खोल दिए जाते हैं | पतरस जान गए और आप की सरसरी नज़र के कायल हो गए | यीशु ने बड़े धीरज के साथ इस जल्दबाज़ मछेरे को मज़बूत चट्टान में बदलना शुरू किया | वो मसीह में कलीसिया के लिए बुन्याद बन गए | इस प्रकार, एक तरह से अन्द्रियास प्रारंभिक चेले बन गए |

एक और चेला भी अपने सगे भाई को यीशु कि तरफ लाने में सफल हुआ | यूहन्ना ने अपने भाई याकूब को यीशु के पास लाया | यधपि उन्हों ने अपने सुसमाचार में दोनों के नाम नहीं लिखे, यह उनकी विनम्रता की निशानी थी | दर असल चेलो की श्रंखला में अन्द्रियास और यूहन्ना ही पहले दो चेले समझे जा सकते हैं |

इन प्रारंभिक पदों की सुन्दरता की तुलना सूर्योदय - एंव नए युग के प्राताकाल से है | ये विश्वासी स्वार्थी नहीं थे, परन्तु अपने भाइयों को मसीह के पास ले आये | इस समय उन्हें बड़े रास्तों और गली कूचों में जाकर प्रचार नहीं करना था बल्की उनका ध्यान अपने रिश्तेदारों की तरफ था और वे उन्हें मसीह के पास ले आये | वो अविश्वासियों और राजनितिज्ञों के पीछे नहीं पड़े परन्तु उन लोगों को ढूंढने लगे जो परमेश्वर के भूखे, टूटे दिल वाले और पश्चातापी थे |

इस तरह हम सीखते हैं कि अनुग्रह की खुशखबरी किस तरह पहुंचाई जाती है, ज्यादा जोश से नहीं बल्की उस खुशी से जो यीशु की संगती में रहने से उमड़ आती है | इन प्रारंभिक चेलों ने किसी धार्मिक पाठशाला की बुनियाद नहीं डाली, ना ही अपनी जीवन कथा लिखी बल्की अपने अनुभव से मुंह से निकले हुए शब्दों से गवाही दी | उन में से हर एक ने मसीह को देखा था, आपका वचन सूना था, अपने हाथों से आपको छुआ था और आप पर विशवास किया था | यह घनिष्ट संगती उनके अधिकार का सोता थी | क्या मसीह के सुसमाचार के अध्यन से तुम्हारी भेंट यीशु से हुई है? क्या तुमने अपने मित्रों को धीरज से मना कर मसीह के पास लाए हो?

प्रार्थना: हे प्रभु यीशु, हमारे दिलों में जो खुशी है उसके लिए हम आपका धन्यवाद करते हैं | आपकी मीठी संगती से हमें प्रेरित कीजिये ताकी हम दूसरों को आपके पास लायें | हमें उत्तेजित कीजिये की हम प्रेम से सुसमाचार का प्रचार कर सकें | हमारी कायरता और लज्जा के लिए हमें क्षमा कीजिये ताकी हम निडर होकर आपके नाम से गवाही दें |

प्रश्न:

21. पहले चेलों ने यीशु के नाम को कैसे घोषित किया?

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