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ब) यहूदियोंने उस चंगे व्यक्ती से प्रश्न पूछे (यूहन्ना 9:13–34)
यूहन्ना 9:24-25
“24 तब उन्होंने उस मनुष्य को जो अंधा था, दूसरी बार बुलाकर उससे कहा, ‘परमेश्वर की स्तुति कर | हम तो जानते हैं कि वह मनुष्य पापी है |’ 25 उसने उत्तर दिया, ‘मैं नहीं जानता कि वह पापी है या नहीं, मैं एक बात जानता हूँ कि मैं अंधा था और अब देखता हूँ |’”
फरीसी हर प्रकार की कोशिश कर रहे थे कि यीशु में कोई दोष पायें जिस से आप को दंड दे सकें | एक बार फिर उन्होंने उस चंगे व्यक्ती को अपने सामने बुलाकर और कसम दिलाकर यीशु के विरुद्ध गवाही देने और आप पर कोई अपराध लगाने पर विवश किया | उन्हों ने व्यवस्था के विद्वान व्यक्तीयों के रूप में दावा किया कि यीशु पापी हैं | उन्हें केवल सबूत की आवयश्कता थी | उन्होंने उस चंगे व्यक्ती पर दबाव डाला कि वो यीशु पर दोष लगाने के लिए राज़ी हो जाए और चाहते थे कि वो स्वीकार करे कि उसकी चंगाई से यीशु नासरी को महीमा ना मिले | परन्तु उस व्यक्ती ने बड़ी बुद्धिमानी से उत्तर दिया, “मैं नहीं जानता कि वो पापी है या नहीं | केवल परमेश्वर ही जानता है | मैं केवल इतना जानता हूँ कि मैं पहले अंधा था और अब देखता हूँ |” इस घटना से इन्कार नहीं किया जा सकता | इस से यह साबित होता है कि यह आश्चर्यकर्म जो हुआ वह दिव्य शक्ती और क्षमा करने के अनुग्रह से हो पाया | इस नौजवान की गवाही ऐसी थी जिस की पुष्टी हजारों विश्वासी करेंगे | उन्हें चाहे स्वर्ग या नरक के रहस्य की जानकारी न हो परन्तु उनको पुनरजन्म प्राप्त हुआ था | उनमें से हर एक यह दावा कर सकता है कि “किसी समय मैं अंधा था परन्तु अब देख सकता हूँ |”
यूहन्ना 9:26-27
“26 उन्होंने उससे फिर कहा, ‘उसने तेरे साथ क्या किया ? और किस तरह तेरी आँखें खोलीं ?’ 27 उसने उनसे कहा , ‘मैं तो तुमसे कह चुका, और तुम ने नहीं सुना; अब दूसरी बार क्यों सुनना चाहते हो ? क्या तुम भी उसके चेले होना चाहते हो ?’”
इस नौजवान के उत्तर से सन्तुष्ट न हो कर फरीसियों ने उसके वर्णन में परस्पर विरोध ढूंढने का प्रयत्न किया और उसे अपनी कहानी दुहराने के लिए कहा | उसने क्रोधित होकर कहा, “क्या तुम पहली बार समझ न पाये जो दुबारह सुनना चाहते हो ताकी उसके चेले बन सको ?”
यूहन्ना 9:28-34
“28 तब वे उसे बुरा-भला कहकर बोले, ‘तू ही उसका चेला है, हम तो मूसा के चेले हैं | 29 हम जानते हैं कि परमेश्वर ने मूसा से बातें कीं; परन्तु इस मनुष्य को नहीं जानते कि कहाँ से है ?’ 30 उसने उनको उत्तर दिया, ‘ यह तो आश्चर्य की बात है कि तुम नहीं जानते कि वह कहाँ का है, तौभी उसने मेरी आँखें खोल दीं | 31 हम जानते हैं कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता, परन्तु यदि कोई परमेश्वर का भक्त हो और उसकी इच्छा पर चलता है, तो वह उसकी सुनता है | 32 जगत के आरम्भ से यह कभी सुनने में नहीं आया कि किसी ने जन्म के अंधे की आँखें खोली हों | 33 यदि यह व्यक्ति परमेश्वर की ओर से न होता, तो कुछ भी नहीं कर सकता |’ 34 उन्होंने उसको उत्तर दिया, ‘तू तो बिलकुल पापों में जन्मा है, तू हमें क्या सिखाता है ?’ और उन्होंने उसे बाहर निकाल दिया |”
जब इस नौजवान ने व्यवस्था के विशेषज्ञ और विद्वानों का उपहास किया तो वे चिल्ला उठे और उसे बुरा भला कह कर बोले, “हम नहीं बल्की तू उस धोकेबाज का चेला है | हम मूसा के अनुयायी हैं जिन्होंने परमेश्वर से बातें की थीं |” यीशु ने उन्हें पहले बताया था कि अगर उन्होंने मूसा को ठीक से समझा होता तो उन्होंने आप के वचन को भी सुना और समझा होता, परन्तु उन्होंने मूसा के वचन को तोड़ मरोड़ कर अपने आप को उचित ठहराने के लिए काम में लाया | वो स्वयं उनको ठीक से समझ न सके | ना ही उस आत्मा को पहचाना जिसके द्वारा वो बोला करते थे |
इस पर उस चंगे व्यक्ती ने उत्तर दिया, “जो व्यक्ती जन्म के अंधे मनुष्य की आँखें खोलता है उसमें उत्पन्न करने की शक्ती है | वो महान और योग्य है | अपनी सौम्यता में आप ने मुझ पर दोष नहीं लगाया, न ही पैसा माँगा, परन्तु बड़े प्रेम से मेरी सहायता की | आप वहाँ रुके भी नहीं ताकी मैं उनका धन्यवाद करता | मैं ने आप में न कोई कमी या दोष पाया |
तब उस नौजवान ने स्वीकार किया कि “पुराने नियम का हर सदस्य इस बात को जानता है कि परमेश्वर किसी घमंडी व्यक्ती की प्रार्थना का उत्तर नहीं देता है | मनुष्य में पाया जाने वाला पाप, परमेश्वर की तरफ से मिलने वाली आशीष को रोकता है | परन्तु जो मनुष्य अपना टूटा हुआ दिल लेकर परमेश्वर के सामने अपने पापों को स्वीकार करता है और विश्वास और प्रेम से धन्यवाद के साथ उसे ढूंढता है, उससे परमेश्वर स्वयं बोलता है |”
तुम में से किसी ने मेरी आँखें नहीं खोलीं और कोई ऐसा कर भी नहीं सकता है क्योंकि यीशु के सिवा सब ने पाप किया है | यीशु मुझे चंगा कर सके, यह साबित करता है कि आप पाप रहित हैं और परमेश्वर आप में वास करता है | इस पूछ ताछ के दौरान यीशु के बारे में सोचने के लिए मजबूर किये जाने पर, वो यीशु की निर्दोषता और दिव्यता को जान सका |
इस पर स्वयं को धार्मिक और भक्तीपूर्ण समझने वाले लोगोंने उसको धिक्कारते हुए कहा, “तुझ से ज्यादा भ्रष्टाचारी और कोई नहीं है | तेरे माता-पिता भी तेरी ही तरह हैं | तेरी अपराधीनता तेरे अंधेपन से प्रगट होती है |” यह भक्तीपूर्ण व्यक्ती नहीं जानते थे कि वे स्वयं इस गरीब व्यक्ती से अधिक अंधे थे | यीशु उस चंगे व्यक्ती का अपनी तरफ से इन लोगोंके लिये प्रेरित के समान उपयोग कर रहे थे ताकी उन्हें मालूम हो की आप उनके लिये क्या कर सकते हैं | परन्तु उन्होंने उस चंगे सन्देश देने वाले व्यक्ती के द्वारा मसीह की शिक्षा को ठुकरा दिया और उसे जबरदस्ती अराधनालय से बाहर निकाल दिया | यह बाहर निकाला जाना पहले समिती कार्यालय से, फिर जनता के सामने उस समय हुआ जब उन्होंने उसे यीशु का सेवक कहा | उस दिन वो चंगा था फिर भी उसके समाज ने उसे ठुकरा दिया और यह साबित कर दिया कि उनकी आत्मा मसीह की आत्मा को सहन नहीं कर सकी |
प्रश्न: