Waters of Life

Biblical Studies in Multiple Languages

Search in "Hindi":
Home -- Hindi -- John - 125 (Conclusion of John's gospel)
This page in: -- Albanian -- Arabic -- Armenian -- Bengali -- Burmese -- Cebuano -- Chinese -- Dioula? -- English -- Farsi? -- French -- Georgian -- Greek -- Hausa -- HINDI -- Igbo -- Indonesian -- Javanese -- Kiswahili -- Kyrgyz -- Malayalam -- Peul -- Portuguese -- Russian -- Serbian -- Somali -- Spanish -- Tamil -- Telugu -- Thai -- Turkish -- Twi -- Urdu -- Uyghur? -- Uzbek -- Vietnamese -- Yiddish -- Yoruba

Previous Lesson -- Next Lesson

यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
चौथा भाग - ज्योति अन्धकार पर विजय पाती है (यूहन्ना 18:1 - 21:25)
ब - मसीह का पुनरुत्थान और दर्शन देना (यूहन्ना 20:1 - 21:25)

4. यूहन्ना के सुसमाचार का अन्त (यूहन्ना 20:30-31)


यूहन्ना 20:30-31
“30 यीशु ने और भी बहुत से चिन्ह चेलों के सामने दिखाए, जो इस पुस्तक में लिखे नहीं गये; 31 परन्तु ये इसलिये लिखे गये हैं कि तुम विश्वास करो कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र, मसीह है, और विश्वास कर के उस के नाम से जीवन पाओ |”

इस अध्याय के अन्त में हम उस पाठ के अन्तिम भाग तक पहुँचते है जिसे यूहन्ना ने स्वय: लिखा | इस अध्यात्मिक लेखक और प्रचारक ने परमेश्वर की ज्योति का अन्धकार में चमकने की घोषणा की परन्तु अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया | पर जितनों ने उसे ग्रहण किया उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास करते हैं | इस महान प्रचारक ने हमें यीशु के व्यक्तित्व में दिव्य संगती की गहराई तक पहुँचा दिया | उन्हों ने अपने सुसमाचार में हमारे लिये मसीह की मृत्यु और आप के जिलाये जाने का दृष्य दिखाया ताकि हम आप पर विश्वास करें और आप को हमारे साथ जीवित देखें |

संक्षिप्त में यह कह सकते हैं कि प्रेरित ने हमारे सामने चार सिद्धांत रख दिये हैं ताकि उन के लिखे हुए सुसमाचार का सारांश और उन के लिखने का उद्देश स्पष्ट हो |

यूहन्ना ने यीशु के सभी वचन और काम व्यक्त करने के लिये कई किताबें नहीं लिखीं | अन्यथा उन्हें पुस्तकों के कई खंड लिखने पड़ते | उन्हों ने वही चिन्ह और उपदेश चुने जो यीशु के अनुपम व्यक्तित्व को आकर्शित करते | उन का लेख परमेश्वर की आत्मा की आज्ञा के अनुसार न था मानो वह अचेत मन से सुनी हुई आवाज़ हो | बल्कि उन्हों ने अत्यन्त जिम्मेदारी के साथ पवित्र आत्मा की प्रेरणा के अनुसार उल्लेखनीय घटनायें चुन कर अत्यन्त प्रेम से परमेश्वर के पुत्र का चरित्र वर्णन किया जो दुनिया का पाप उठता है और अपने प्राण देता है |

उन्हों ने यह सुसमाचार इस लिये लिखा ताकि हम देखें की नासरत का एक व्यक्ति जिस का नाम यीशु था एक साधारण मनुष्य था परंतु घृणित था, वही मसीह है जिस के आने का वचन दिया गया था और साथ ही साथ वह परमेश्वर का पुत्र भी था | इन दो उपाधियों के द्वारा उन्हों ने यहूदियों की वह इच्छा पूरी की जो उन्हें पुराने नियम के दौर में थी | इस तरह से उन्हों ने अपने राष्ट्र का न्याय किया जिस ने दाऊद को वचन दिये हुए पुत्र को क्रूस पर चढ़ाया | यीशु नाम के मनुष्य ने प्रमाणित किया की सत्य मसीह परमेश्वर का पुत्र है | परमेश्वर का महान प्रेम और निरपराध पवित्रता का अपमान नहीं किया जा सकता या कोई शुभचिंतक व्यक्ति भुला नहीं सकता | यूहन्ना ने यीशु को प्रशंसनियता से महामंडित किया है | उन्हों ने हमारे लिये यीशु का जो चित्रण किया है वह उत्तम है ताकि हम परमेश्वर के पुत्र के प्रेम का अंदाजा लगा सकें जो मनुष्य बना ताकि हम परमेश्वर की सन्तान बन सकें |

यूहन्ना यह नहीं चाहते कि हम केवल धार्मिक नियमों के अनुसार मसीह को स्विकार करें बल्कि यह कि हम परमेश्वर के पुत्र के साथ संबन्ध स्थापित करें | जिस प्रकार यीशु पुत्र हैं उसी प्रकार परमेश्वर हमारा पिता बनता है | इसलिये कि वैभवशाली परमेश्वर हमारा पिता है, वह कई सन्तान उत्पन्न कर सकता है जो उस के अनन्त जीवन से परिपूर्ण होंगे | उन का मसीह के खून और हमारे अन्दर पाये जाने वाले आत्मा के द्वारा नया जन्म हो यही यूहन्ना के सुसमाचार का उद्देश है | तो क्या तुम्हारा आत्मिक जन्म हो चुका है या तुम अभी पाप में मरे हुए हो ? क्या परमेश्वर का जीवन तुम में पाया जाता है या तुम उस के पवित्र आत्मा से वंचित हो ?

परमेश्वर के पुत्र पर विश्वास करने से दूसरा जन्म पूर्ण होता है | जो आप पर विश्वास करता है वह दिव्य जीवन प्राप्त कर पाता है | हम विश्वास के द्वारा जीवन पा चुके हैं जो एक अटूट संबन्ध है | जो व्यक्ति यीशु में बना रहता है वह मसीह को अपने अन्दर वास करता हुआ पायेगा | ऐसा विश्वास आत्मा और सत्य में बढ़ता जायेगा और दिव्य जीवन के फल बहुतायत से दिखाई देंगे | अनन्त जीवन परमेश्वर का प्रेम है जो हमें दूसरे कई लोगों को यीशु पर विश्वास करने के लिये प्रेरणा देने के लिये प्रेरित करता है ताकि वे आप से हमेशा प्रेम करते रहें, आप में बने रहें और आप उन में बने रहें |

प्रार्थना: प्रभु यीशु, हम उस सुसमाचार के लिये आप का धन्यवाद करते हैं जिसे प्रचारक यूहन्ना ने लिखा | इस अनोखी पुस्तक के द्वारा हम आप की भव्यता और सत्य को जान जाते हैं | हम आनन्दित हो कर आप के सामने घुटने टेकते हैं क्योंकि आप ने हमें आप पर विश्वास करने की प्रेरणा दी और अनुग्रह के द्वारा हमें नया जन्म दिया | हमें अपनी संगती में स्थिर कीजिये ताकि हम आप की आज्ञाओं का पालन कर के आप से प्रेम करते रहें | हमें प्रेरित कीजिये ताकि हम लोगों में आप के नाम की गवाही दें ताकि हमारे मित्र आप पर विश्वास लायें और विश्वास के द्वारा अधिक्त: जीवन पायें |

प्रश्न:

129. अपने सुसमाचार के अन्त में यूहन्ना किन बातों को विस्तार से बताते हैं ?

www.Waters-of-Life.net

Page last modified on March 04, 2015, at 05:37 PM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)