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5) पाप गुलामी है (यूहन्ना 8:30-36)
यूहन्ना 8:30–32
“30 वह ये बातें कह ही रहा था कि बहुतों ने उस पर विश्वास किया | 31 तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्होंने उस पर विश्वास किया था, कहा, ‘यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे | 32 तुम सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा:’”
मसीह की नम्र परन्तु प्रभावशाली गवाही ने बहुत से अनुयायीयों को प्रभावित किया | वे यह विश्वास करने पर प्रवृत हुये की आप परमेश्वर की तरफ से आये हैं | यीशु ने उन के विश्वास का अनुभव किया और यह भी स्वीकार किया कि वो आपका सुसमाचार सुनने के लिये तैयार हैं | इस लिये आप ने उनसे बिन्ती की, कि वो केवल आपके सुसमाचार पर ही विश्वास ना करें बल्की आप के वचन पर भी ध्यान दें और आपके सहयोगी बन कर अंगूर की बेला की तरह आप में बने रहें ताकी आपकी आत्मा बगैर किसी रूकावट के उनके दिल और विचारों में प्रवाह करे ताकी वो आपकी इच्छा पूरी करने के लिये आकर्षित हों | जो कोई मसीह के वचन का पालन करता है वो सच्चाई को जान जाता है | क्योंकी सच्चाई केवल विचार ही नहीं है परन्तु व्यावहारिक अनुभव है जिस में हम अपने जीवन के आचरण से सहभागी होते हैं |
सब से पहले परमेश्वर की सच्चाई, भाषा है जो विश्वसनीय और बुद्धीमान होती है | दूसरा यह की परमेश्वर की सच्चाई को पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के प्रेम और प्रयास की एकता में परमेश्वर को जानना है | ज्यों ही हम मसीह में जड़ पकड़ लेते हैं पवित्र त्रिय की सुंदरता को जान जाते हैं |
परमेश्वर को जानने से हमारे जीवन का परिवर्तन होता है | हम परमेश्वर को उतना ही जानते हैं जितना दूसरों से प्रेम करते हैं | जो प्रेम नहीं करता वो परमेश्वर को नहीं जानता | मसीह के वचन के द्वारा परमेश्वर को जानने से हम स्वार्थीपन से मुक्त हो जाते हैं | पश्चताप की बातें करने या न्यायानुसर सेवा करने से हम पाप की गुलामी से मुक्त नहीं हो सकते; अगर कोई चीज हमें मुक्ती दिला सकती है तो वो परमेश्वर के प्रेम को जानना, पुत्र की तरफ से मिलने वाली क्षमा को स्वीकार करना और पवित्र आत्मा का हमारे जीवन में आ जाना है | परमेश्वर का प्रेम ही स्वार्थीपन और अहंकार की बेड़ीयों को तोड़ सकता है |
यूहन्ना 8:33–36
“ 33 उन्होंने उसको उत्तर दिया, ‘ हम तो अब्राहम के वंश से हैं, और कभी किसी के दास नहीं हुए | फिर तू कैसे कहता है कि तुम स्वतंत्र हो जाओगे ? 34 यीशु ने उनको उत्तर दिया, ‘ मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है | 35 दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है | 36 इसलिये यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जोहे |”
यहूदी आश्चर्यचकित थे | उनके पूर्वज चार सौ साल तक मिस्र में फिरौन की गुलामी में रहे और वो सोचते थे कि अब वो परमेश्वर की शक्ती से स्वतंत्र हो चुके थे क्योंकी उसने उन्हें उस गुलामी से निकाल लाया था(निर्गमन 20:2) | परन्तु जब यीशु ने उनके स्वतंत्र हो जाने को अस्वीकार किया तो आप के वचन से वे अप्रसन्न हुए |
यीशु को उनके अहंकार को दूर करना था जो आप पर विश्वास करने लगे थे | आप ने उन्हें बताया कि वो पाप के गुलाम हैं और शैतान ने उन्हें कैद कर रखा है | अगर हम अपनी गुलामी के भारी बोझ़ का अनुभव ना कर सके तो उद्धार की इच्छा ना कर पाएंगे | जो मनुष्य जानता है कि वो अपने पापों को पराजित नहीं कर सकता वही परमेश्वर से बिनती करेगा कि वो उसका उद्धार करे | यही कारण है जो कई लोग यीशु की खोज में नहीं रहते क्योंकी वो सोचते हैं कि उन्हें आपके उद्धार की आवयश्कता नहीं है |
यीशु ने प्रभावशाली घोषणा की, “जो पाप करता है, पाप का गुलाम बन जाता है |” कई नौजवान झूट बोलते हुए सुस्ती वा महत्वहीनता से अपने जीवन का आरंभ करते हैं | वो पाप से खेलते रहे और अपनी कल्पना में उसमें लोटते रहे | अन्त में वे उसमें उलझने का निर्णय करके धोके से अपने मार्ग की योजना बना लेते हैं | वो किसी भी बुरी आदत में पड़ जाते हैं और बार बार वही करते रहते हैं यहाँ तक की उन्हें उसकी आदत हो जाती है | लेकिन जब उन्हें उसकी गन्दगी और भयानकता का अनुभव हो जाता है और इस विषय में स्वंय अपने अंत:करण की डांट को सुन लेते हैं तब बहुत देर हो चुकी होती है और वो अपने पापों के दास बन चुके होते हैं | ना चाहने पर भी पाप करने के लिये बढते चले जाते हैं | तब उस घड़ी वह उस समय को श्राप देते हैं जब वो दुष्ट विचारों को सुनने लगे थे | मनुष्य दुष्ट बन चुके होते हैं फिर भी झूटी धार्मिकता के मुखौटे के पीछे मलीन सच्चाई को छिपाते हैं | हर एक मनुष्य मसीह के बिना अपनी वासना का गुलाम होता है | शैतान भी उनको वैसे ही सताता है जैसे तूफान में सूखे पत्ते का हाल होता है |
तब परमेश्वर का पुत्र अपना वैभवशाली वचन कहता है, “इस समय मैं तुम्हारे साथ हूँ और तुम्हारे बन्धन को जानता हूँ | मैं तुम्हारे पाप मिटा कर तुम्हें स्वतंत्र कर सकता हूँ और उसके लिये तैयार भी हूँ | मैं दुनिया का ऊपरी समाज सुधार करने या तुम्हें कठोर नियम का पालन करने के लिये कह कर सुधारने के लिये नहीं आया | नहीं, मैं तुम्हें पाप की शक्ती और मृत्यु की शक्ती से जिस के अधिकार का शैतान दावा करता है, स्वतंत्र करने आया हूँ | मैं तुम्हें पुनर्जीवन दुंगा और तुम्हारा नवीकरण करूंगा ताकी परमेश्वर की शक्ती तुम में पाप के प्रती प्रभावनाशक बन सके | इस में संदेह नहीं कि शैतान तुम्हे हज़ार तरीकों से उकसायेगा | तुम लड़खड़ाओगे परन्तु गुलाम की तरह नहीं बल्की उन बच्चों की तरह जो अपने नये अधिकार को बड़ी गंभीरता के साथ लिये रहते हैं |”
तुम्हें हमेशा के लिये उद्धार प्राप्त हुआ है जिस की कीमत मेरे लहू से दी गई है और तुम्हें पाप के बाज़ार से ख़रीदा गया है | तुम परमेश्वर के लिये विशेष व्यक्ती हो | उसने तुम्हें स्वतंत्रता दी है ताकी तुम स्वतंत्र बच्चे बन सको जो पाप से मुक्त किये गये हो | मैं तुम्हें परमेश्वर की संगती में पहुंचाऊंगा ताकी तुम अपनी इच्छा से धन्यबाद देते हुए उसकी सेवा कर सको | मैं ही वो मुक्तीदाता हूँ जो तुम्हें अपराध के बंदीग्रह से छुड़ा कर परमेश्वर के राज्य में ले आता हूँ | मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ जिस के पास उन लोगों को मुक्ती देने का अधिकार है जो मेरी आवाज़ सुनते हैं |
प्रार्थना: प्रभु यीशु, हम आपकी आराधना व प्रशंसा करते है क्योंकी आप सर्वसत्ताधारी उद्धारकर्ता हैं जिस ने अन्त में क्रूस पर हमें शैतान के अत्याचार से मुक्ती दिलाई | आप ने हमारे सभी अपराधों को क्षमा कर दिया | हमें स्वच्छ कीजिये ताकी हम कड़वाहट और घ्रणा के गुलाम न रहें बल्की परमेश्वर की मुक्ती पाये हुए पुत्र के समान प्रसन्न होकर सेवा करें |
प्रश्न:
प्रश्नावली - भाग 3
प्रिय पढ़ने वाले भाई,
अगर तुम हमें इन 24 में से 20 प्रश्नों के सही उत्तर लिख कर भेजोगे तो हम तुम्हें इस अध्ययन माला का अगला भाग भेज देंगे |
अपना नाम और पता साफ़ अक्षरों में लिख कर अपने उत्तरों के साथ इस पते पर भेजिये |
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