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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
ब - यीशु जीवन की रोटी हैं (यूहन्ना 6:1-71)

4. यीशु लोगों को चुनने का मौका देते हैं, “स्वीकार करो या ठुकराओ” (यूहन्ना 6:22-59)


यूहन्ना 6:41–42
“41 इसलिये यहूदी उस पर कुड़कुड़ाने लगे,क्योंकि उसने कहा था, “जो रोटी स्वर्ग से उतरी वह मैं हूँ |” 42 और उन्होंने कहा, “क्या यह यूसुफ का पुत्र यीशु नहीं,जिसके माता-पिता को हम जानते हैं ? तो वह कैसे कहता है कि मैं स्वर्ग से उतरा हूँ ?”

प्रचारक यूहन्ना ने गलीलियों को यहूदी कहा यधपि वो इस जाती से संबंध नहीं रखते थे, परन्तु उन्होंने मसीह की आत्मा को स्वीकार करने से इन्कार किया इस लिये वो यहुदिओं और दक्षिण विभाग के निवासियों से बेहतर नहीं थे |

व्यवस्था के विद्वानों ने एक और कारण निकाला ताकी वो यीशु का इन्कार कर सकें क्योंकी उनके कानूनी विचार और स्वंय सुधार में विश्वास यीशु के प्रेम का खंडन करते थे | गलीलियों ने यीशु की सामाजिक स्तिथी देख कर ठोकर खाई, क्योंकी वे उनके परिवार से परीचित थे | आप के “पिता” (यूसुफ जो बढ़ई थे) उनके साथ रहते थे | वो एक साधारण व्यक्ती थे जिनमें भविष्यवाणी या विशेष वरदान का कोई चिन्ह नहीं था | आपकी मां, मरियम में भी कोई ऐसी विशेषता नहीं थी जो उन्हें स्त्रियों से भिन्न करती | इस समय वो विधवा हो गई थीं, जिसे परमेश्वर का श्राप समझा जाता था | इसलिये गलीलियों ने यह विश्वास नहीं किया कि मसीह आस्मानी रोटी हैं |

यूहन्ना 6:43–46
“43 यीशु ने उनको उत्तर दिया, “आपस में मत कुड़कुड़ाओ | 44 कोई मेरे पास नहीं आ सकता जब तक पिता, जिस ने मुझे भेजा है, उसे खींच न ले; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा | 45 भविष्यवक्ताओं के लेखों में लिखा है : ‘वे सब परमेश्वर की ओर से सिखाए हुए होंगे |’ जिस किसी ने पिता से सुना और सीखा है, वह मेरे पास आता है | 46 यह नहीं कि किसी ने पिता को देखा है; परन्तु जो परमेश्वर की ओर से है, केवल उसी ने पिता को देखा है |”

यीशु ने आपका इन्कार करने वाले लोगों को अपने जन्म के आश्चर्य के बारे में नहीं बताया क्योंकी वो इस पर भी विश्वास नहीं करते | ना ही हम यीशु के दिव्य व्यक्तित्व को जान सकते हैं जब तक पवित्र आत्मा हमारे विचारों को ज्ञानप्रदान ना करे | जो कोई आप के पास विश्वास करके आता है वो आप को देख सकता है और आपकी महान सच्चाई को जान लेता है |

यीशु ने भीड़ को दिव्य प्रकाशित वचन के विरुध बड़बडा़ने से मना किया | ज़िद्दी आत्मा परमेश्वर के राज्य के बारे में कुछ भी नहीं सुनना चाहती है | परन्तु जो कोई प्रकाशित वचन पर ध्यान देता है और स्वंय अपने लिये यीशु कि आवयश्कता को महसूस करता है वो परमेश्वर के प्रेम का अनुभव कर लेता है |

परमेश्वर इस तरह प्रेम के द्वारा लोगों को उद्धारकर्ता, यीशु की तरफ आकर्षित करता है और चाहता है कि उनका ज्ञान प्रदान हो और वो प्रतिएक व्यक्ती को सिखाता है, जैसा की हम यिर्मयाह 31: 3 में पढ़ते हैं | नये नियम के अनुसार विश्वास, मनुष्य की इच्छा या विचार के द्वारा नहीं बल्की पवित्र आत्मा के द्वारा उत्पन्न होता है | पवित्र आत्मा हमारे विचारों को ज्ञान प्रदान करता है और हम में दिव्य जीवन उत्पन्न करता है ताकी हम जानें कि सच में शक्तिमान परमेश्वर ही हमारा परमेश्वर और पिता है | वो अपने बच्चों को सिखाता है और उनके साथ सीधा संबंध बनाये रखता है | वो पवित्र आत्मा के अभिवादन के द्वारा हमारे दिलों में विश्वास उत्पन्न करता है | क्या तुमने अपने दिल में इस अभिवादन का अनुभव किया है? क्या तुम परमेश्वर के इस प्रेम को अपनाना चाहोगे ?

आस्मानी पिता का आत्मा हमें यीशु की तरफ बढ़ाता और मार्ग दर्शन करता है | वो हमारे दिलों में यीशु के लिये उस समय तक लालसा उत्पन्न करता रहता है जब तक हम आप से मिल कर प्रेम नहीं करते | हम जैसे भी हैं, आप हमें स्वीकार करते हैं और अलग नहीं करते, बल्की हमें अनन्त जीवन प्रदान करते हैं ताकी हम मृत्कों में से दोबारह जीवित हो कर आस्मानी पिता की महीमा में प्रवेश करें |

यीशु और पुनर्जन्म लिये हुए विश्वासियों में एक विशिष्टता पायी जाती है | परमेश्वर के पुत्र के सिवाय किसी और व्यक्ती ने परमेश्वर को कभी नहीं देखा, और यीशु शुरू से ही पिता के साथ थे और आपने उसे देखा है | पिता और पुत्र कभी अलग नहीं हुए | यीशु पिता के साथ आस्मानी शान्ति और दिव्य गुणों में सहभागी थे |

यूहन्ना 6:47–50
मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसी का है | 48 जीवन की रोटी मैं हूँ | 49 तुम्हारे बापदादों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए | 50 यह वो रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकी मनुष्य उसमें से खाए और न मरे |”

अनुयाईयों के बीच आस्मानी पिता के साथ आपकी एकता और पवित्र आत्मा के काम की घोषणा के बाद यीशु ने फिर अपने व्यक्तीत्व की सच्चाई उन्हें प्रस्तुत की ताकी वे आप पर विश्वास करें | आप ने सारांश में मसीही सिद्धांत बताये | जो कोई यीशु पर विश्वास करता है वो अनन्त काल तक जियेगा | यह सत्य ऐसा आशवासन है जिसे मृत्यु भी नहीं मिटा सकती |

यीशु परमेश्वर की तरफ से दुनिया के लिये रोटी की तरह हैं | जिस तरह पाँच हज़ार लोगों को खिलाने के आश्चर्यकर्म के समय आप के हाथ से दी जाने वाली रोटी कम नहीं हुई थी उसी तरह यीशु हर समय दुनिया की आवयश्कता को पूरी करने के लिये पर्याप्त हैं | क्योंकी आप में परमेश्वर की परिपूर्णता वास करती है | आप के द्वारा तुम को आशा, प्रसन्नता और आशीषें प्राप्त होती हैं | संक्षिप्त में कहा जाय तो आप दुनिया को परमेश्वर का जीवन प्रदान करते हैं फिर भी दुनिया ने आप को ठुकरा दिया |

जंगल में मन्ना का गिरना परमेश्वर की तरफ से वरदान था | परन्तु यह कुछ ही समय के लिये मिलता था | जितनों ने उसे खाया, सब मर गये | इसी तरह हम दया के कार्यों,औधोगिक विकास और विज्ञानीय खोज में देखते हैं कि वे कुछ समय या अंश तक सहायता करते हैं | इन लक्षणों में मृत्यु का कोई इलाज या पाप पर विजय प्राप्त नहीं होती | परन्तु जो कोई यीशु को स्वीकार करता है वो कभी नहीं मरेगा | मसीह के आने और तुम में विश्राम करने का यही उद्देश था | आप व्यक्तीगत रूप से तुम में विश्राम करना चाहते है ताकी कोई और आत्मा तुम पर शासन ना करे | यीशु तुम में से सभी बुरी इच्छाओं और भय को दूर कर सकते हैं | साथ ही साथ तुम्हारी कमज़ोरियों को मजबूत बना सकते हैं | आप परमेश्वर की रोटी हैं जो तुम्हारे लिये नियुक्त की गई है | इसे खाओ और जीओ ताकी दूसरे पापियों की तरह नाश ना होजाओ |

प्रश्न:

48. अपने अनुयाईयों के बड़बडा़ने का यीशु ने किस प्रकार उत्तर दिया?

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