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रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 2 - परमेश्वर की धार्मिकता याकूब की संतानों उनके अपने लोगों की कठोरता के बावजूद निश्चल है। (रोमियो 9:1 - 11:36)
5. परमेश्वर की धार्मिकता केवल विश्वास के द्वारा प्राप्त होती है, ना कि नियमों का पालन करने के द्वारा (रोमियो 11:1-36)

स) अन्यजातियों के विश्वासियों को याकूब की संतानों के प्रति घमंडी न बने रहने की चेतावनी (रोमियो 11:16-24)


रोमियो 11:16-24
16 जब भेंट का पहिला पेड़ा पवित्र ठहरा, तो पूरा गुंधा हुआ आटा भी पवित्र है: और जब जड़ पवित्र ठहरी, तो डालियां भी ऐसी ही हैं। 17 और यदि कई एक डाली तोड़ दी गई, और तू जंगली जलपाई होकर उन में साटा गया, और जलपाई की जड़ की चिकनाई का भागी हुआ है। 18 तो डालियोंपर घमण्‍ड न करना: और यदि तू घमण्‍ड करे, तो जान रख, कि तू जड़ को नहीं, परन्‍तु जड़ तुझे सम्भालती है। 19 फिर तू कहेगा डालियां इसलिये तोड़ी गई, कि मैं साटा जां। 20 भला, वे तो अविश्वास के कारण तोड़ी गई, परन्‍तु तू विश्वास से बना रहता है इसलिये अभिमानी न हो, परन्‍तु भय कर । 21 क्‍योंकि जब परमेश्वर ने स्‍वाभाविक डालियां न छोड़ी, तो तुझे भी न छोड़ेगा । 22 इसलिये परमेश्वर की कृपा और कड़ाई को देख! जो गिर गए, उन पर कड़ाई, परन्‍तु तुझ पर कृपा, यदि तू उस में बना रहे, नहीं तो, तू भी काट डाला जाएगा । 23 और वे भी यदि अविश्वास में न रहें, तो साटे जाएंगे क्योंकि परमेश्वर उन्‍हें फिर साट सकता है । 24 क्‍योंकि यदि तू उस जलपाई से, जो स्‍वभाव से जंगली है काटा गया और स्‍वभाव के विरूद्ध अच्‍छी जलपाई में साटा गया तो ये जो स्‍वाभाविक डालियां हैं, अपने ही जलपाई में साटे क्‍यों न जाएंगे ।

पौलुस ने जान लिया कि इब्राहीम केवल अनुग्रह द्वारा न्यायोचित ठहराये गये थे, और आप यह जानते थे कि इब्राहीम के उत्तराधिकारी भी न्यायोचित ठहराये गये होते यदि वे विश्वास करते जैसा कि उनके पिता ने किया था, क्योंकि यदि पेड की जड़े अच्छी थी तों उसकी शाखाएँ भी अच्छी होगी; और यदि गून्धे हुए आटे की प्रारंभिक रोटियां स्वादिष्ट थी, तों उसी आटे की अन्य रोटियां भी स्वादिष्ट होंगी| आरंभ में ईसाई लोग परमेश्वर के राज्य में अजनबी थे| वे इस प्रकार से थे जैसे कि जैतून के पेड की शाखाएँ निर्वासित अवस्था में हो, परन्तु स्वयं परमेश्वर ने उन्हें एक पुराने जैतून के पेड जैसे इब्राहीम और उनके वंशज, में कलम लगा कर जोड़ दिया था, ताकि वे उस पुराने पेड से प्राप्त होने वाले रस की सहायता से जीवित रहे, और उसकी शक्ति से उनमे फल भी आये| परन्तु यदि परमेश्वर ने अपने हाथों से कुछ मूल शाखाओं को काटकर उनके स्थान पर कुछ अन्य शाखाओं को कलम द्वारा लगाया था, तों लगाई गई शाखाओं को घमंड नहीं करना चाहिए, और अपने आप को उन शाखाओं, जिन्हें काटकर निकाला गया था से बेहतर और अधिक महत्वपूर्ण नहीं समझना चाहिए|

यहूदी उन निकाल दी गई शाखाओं के समान है क्योंकि उन्होंने मसीह को ठुकराया था और उनके उद्धार से घृणा करते थे जबकि नई कलम से लगी गई शाखाएँ ईसाईयों के समान है जिन्होंने परमेश्वर के पुत्र में विश्वास को प्राप्त किया था| नई कलम के समान जोड़े हुए लोगों द्वारा स्वयं पर गर्व करना उचित था, और उनका कहना था कि ईब्राहीम की संताने भ्रष्ट और घृणित है| वह जो घमंड करता है और अपने आप को ही गौरान्वित करता है का शीघ्र ही विनाश होगा| यही कारण है कि पौलुस अन्यजातियों में भी विश्वासियों को चेतावनी देते है कि वे घमंड से ना भर जाये|

उपदेशक इसके आगे जाकर इस बात से आश्वस्त है कि पवित्र परमेश्वर मूल शाखाओं के लिए दुःख का अनुभव नहीं करते क्योंकि उनमे कोई फल नहीं आये जबकि परमेश्वर अपने वादों द्वारा इन मूल यहूदियों से बार बार बात करते रहे थे| उन्होंने नई कलमों द्वारा लगाई गई शाखाओं को भी काटकर अलग कर दिया होता यदि वे अपने अंदर कोई बीमारी लाई होती, और पुरानी जड़ों की शक्ति को भी, इन शाखाओं को पुर्नस्थापन नहीं करने दिया होता| पौलुस परमेश्वर की अच्छाई और कठोरता के बारे में एक साथ कहते है| परमेश्वर की कठोरता इन फल ना देने वाली शाखाओं को काट देने द्वारा दिखाई देती है यदि वे अपने पुर्नजीवन, स्वच्छीकरण और उद्धार की दिशा में कोई पहल नहीं करते| परमेश्वर की अच्छाई उनमे जो मसीह में कलम द्वारा जोड़े गये है दिखाई देती है क्योंकि मसीह एक आध्यात्मिक जैतून का पेड है, और वे उनमे पुर्नजीवित होंगे यदि वे उन्हें शीघ्र ही पकड़ लेंगे, परन्तु यदि वे हठी बनेंगे और उनकी पवित्र आत्मा के कार्यों का विरोध करेंगे मसीह उन्हें दुबारा काट कर अलग कर देंगे|

मसीह इस सिद्धांत को यह कहकर समझाते है कि: “मै दाख लता हूँ, और तुम शाखाएँ हो, वह जो मेरे साथ, और मै जिसके साथ रहता है, बहुत से फल लाता है, क्योंकि मेरे बिना तुम कुछ नहीं कर सकते| यदि कोई मेरे साथ नहीं रहता है वह जात बाहर है जैसे एक शाखा मुर्झा जाती है; और लोग उसे इकटठा करके आग में फेक देते है, और वह जल जाती है (योहन्ना 15:5-6)|

यहूदी जो कि एक बार पुराने जैतून के पेड से निकाल दिए गये थे, परन्तु अब उनमें से जो मसीह और उनकी दिव्यता में विश्वास करने लगे है और उनके प्रायश्चित को स्वीकार करते है, प्रभु के हाथ द्वारा दुबारा कलम द्वारा लगाये जायेंगे| परमेश्वर कोई भी अदभुत कार्य कर सकते है| वह काटकर अलग की गई शाखाओं को जीवन दे सकते है, और इसीलिए कुछ यहूदी वापस अपने रक्षक मसीह के विश्वास में वापस आ पाये|

और हमारे लिए, जब हम अपराधी थे, परमेश्वर हमसे नफरत नहीं करते थे परन्तु वे हमें मसीह के खून के साथ हमारे प्रायश्चित में क्षमा करते है और पवित्र करते है, और अपनी पवित्र आत्मा द्वारा वापस जीवन में लाते है| इस रीती से वह इब्राहीम के सभी बच्चों को, इश्माएल की सभी जातियों और याकूब के बच्चों के साथ बचाना चाहते है, यदि वे सत्य को ढूँढते है| मसीह उनमे से प्रत्येक को कलम द्वारा, अनेक फल लाने के लिए जोड़ते है|

प्रार्थना: ओ स्वर्गीय पिता, हम आपका धन्यवाद करते क्योंकि आपने हम अभद्र मनुष्यों को पवित्र किया, अपने अनुग्रह द्वारा हमें हमारे अपराधों से छुडाया, और यीशु के आध्यात्मिक शरीर में हमें जोड़ दिया| यह विशेषाधिकार कितना महान है कि आपने हमें यह बिना मूल्य के प्रदान किया है| हमारी मदद करें कि हम, अपने लिए ही ना जिये, या घमंडी ना बने, परंतु अनेक अभद्रों को आपके सुंदर जीवन में प्रवेश कराने की कोशिश करें|

प्रश्न:

75. यीशु के आध्यात्मिक शारीर में कलम द्वारा लगाये जाने का अर्थ क्या है?
76. यदि कलम नष्ट हो जाये तों खतरे में कौन होगा?

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