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स) मनुष्य उसके ज्ञानके द्वारा नहीं परन्तु उसके कार्यों के द्वारा सुरक्षित किया गया है| (रोमियो 2:17-24)
रोमियो 2:17-24
17 यदि तू यहूदी कहलाता है, और व्यवस्था पर भरोसा रखता है, और परमेश्वर के विषय में घमंड करता है| 18 और उस की इच्छा जानता और व्यवस्था की शिक्षा पाके उत्तम उत्तम बातों को प्रिय जानता है| 19 और अपने पर भरोसा रखता है, कि मै अन्धों का अगुवा, और अंधकार में पड़े हुओं की ज्योति| 20 और बुद्धिहीनों का सिखाने वाला, और बालकों का नमूना, जो व्यवस्था में है, मुझे मिला है| 21 सो क्या तू जो औरों को सिखाता है, अपने आप को नहीं सिखाता? क्या तू जो चोरी न करने का उपदेश देता है, आप ही चोरी करता है? 22 तू जो कहता है, व्यभिचार न करना, क्या आप ही व्यभिचार करता है? तू जो मूरतों से घृणा करता है, क्या आप ही मंदिरों को लूटता है| 23 तू जो व्यवस्था के विषय में घमंड करता है, क्या व्यवस्था न मानकर, परमेश्वर का अनादर करता है? 24 क्योंकि तुम्हारे कारण अन्यजातियों में परमेश्वर के नाम की निन्दा की जाती है जैसा लिखा भी है|
परमेश्वर ने विशेष अधिकार के साथ अब्राहम के उत्तराधिकारियों को पवित्र कानून सौंपा था, जोकि परमेश्वर की महानता और पवित्र महिमा की गवाही देता है| यहुदियों ने कानून के महत्त्व को पहचाना, और इस विशेष अधिकार द्वारा वे बड़े प्रभाव से भर गये थे और सोचते थे कि यह उन्हें स्वर्ग तक ले जाने के लिए पर्याप्त है, और जिस प्रकार से वे लोग नाटक करते थे, यह कानून, वास्तव में क्रोध और दण्ड का एक कारण था|
पौलुस ने यहूदियों के अच्छे और बुरे लक्षण गिनाये थे, जो उनके गुण दर्शा ते थे| दैवीय रिश्तेने लोगों को जंगल समान शांति, भरोसा और घमंड दिया, क्योंकि वे परमेश्वर और उनकी इच्छा को जानते थे| वे जीने का बहुत अच्छा रास्ता पहचानते थे और भूतकाल में लोगों के शिक्षक, और राज्यों के दीपक बन गये थे|
इसे दूसरे रूप में देखे तो, पौलुस ने लोगों को निश्चित रूप से बताया था कि कानून में लोगों को सुधारने की शक्ति नहीं है| यह सच है कि इसके द्वारा यहूदी जानते थे कि वे क्या करने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हैं, परन्तु उन्होंने उनकी प्रतिज्ञाएँ पूरी नहीं की| वे परमेश्वर के रहस्यों को जानते थे, लेकिन उन्होंने उस पर अमल नहीं किया| उनमें से बहुत सारे नियमानुसार कानूनन ईश्वरभक्ति की ऊँचाई तक पहुँचे थे, दृढ निश्चय के साथ, जबकि परमेश्वर की इच्छा उनके हृदयों में उड़ेली नहीं गई थी| व्यावहारिक रूप से शायद उन्होंने चोरी नहीं की, परन्तु उनकी आँखे झूठेपन से अंधी हो गई थी| शायद से उन्होंने सबके सामने व्यभिचार नहीं किया, परन्तु उनके हृदय अस्वच्छ विचारों से भरे हुए थे| उन्होंने ईश्वर के कानून का हजारों बार नियम भंग किया था| इसके साथ ही पौलुस ने विश्वासियों के जीवन में भी प्रेम की कमी का अनुभव किया था| उन्होंने अपने अपराधों द्वारा परमेश्वर का अपमान किया था, और ईश्वर के पवित्र नाम के विरोध में दूसरे राज्यों में ईश्वर निंदा के कारण बने थे|
पौलुस मूल यहूदियों में से निकले हुए एक ईसाई थे, आप, छल के महत्व के आलावा लोगों के सभी उत्तम गुणों के बारे में लिखते हैं, क्यों कि उनके इस वाक्य से आप अपने राज्य के अपराधों और कलंकों को उजागर करने का अधिकार रखते थे; कि महान अपराधों और गलत कार्यों की उत्तेजना की तुलना में, कुछ भी पवित्रता शेष नहीं बची थी| किसी भी इंसान या राज्य के विरोध में इससे अधिक कष्टदायक शिकायत नहीं है कि उनके व्यवहार के कारण ईश्वर के पवित्र नाम की निन्दा हुई थी| वे उनके वास्तविक बुलावे, कानून के साथ लोगों को सूचित करने के कार्य को नहीं कर रहे थे, बल्कि उसके विपरीत कर रहे थे| आज यदि केवल हम पौलुस के समान साहसी गवाह को पा सकेंगे जो हमारे विशेष अधिकारों को नहीं नकारते, बल्कि हमारे भ्रष्ट समाज के चेहरे पर से धर्म परायणता के मुखौटो को उतारते हैं कि सिर्फ पछतावे और टूटेपन के अलावा कुछ भी शेष नहीं बचेगा|
क्या तुम अब्राहम के लोगों को दोषी ठहराते हो? सावधान! वे तुम्हारे समान अपराधी हैं|
परमेश्वर ने स्पष्ट कहा था: “पवित्र रहो, क्योंकि मै पवित्र हूँ”| क्या तुम वास्तव में एक प्रवीण और पवित्र ईसाई हो, जैसे कि तुम्हारे स्वर्गीय पिता है? क्या तुम्हारी रौशनी लोगों के सामने ऐसे जगमगाती है कि वे तुम्हारे अच्छे कार्यों को देख पाये और तुम्हारे पिता जो कि स्वर्ग में है; की महिमा कर पाये, तुम्हारे जीवन में आये स्पष्ट परिवर्तन के कारण? क्या तुम्हारे मित्र तुम्हारे धर्म से घृणा करते है, क्योंकि तुम उनसे अच्छे नहीं हो जिन्होंने यीशु द्वारा दी गई पापों से मुक्ति को नाकारा? क्या तुम परमेश्वर की निन्दा का एक कारण हो? क्या हमारे स्वर्गीय पिता तुम्हारे प्रेम और विनम्रता द्वारा स्वयं को प्रकट कर सकेंगे?
प्रार्थना: ओ पवित्र और महान परमेश्वर, मेरे पाप, जितना मै जानता हूँ, से बहुत अधिक है| मेरी अवज्ञा और पाखंड में, मै बहुतों की निन्दा का एक कारण बना था| मुझे क्षमा करना जब कोई भी आपके पवित्र नाम के विरोध में आपकी निन्दा करता है, क्योंकि मै प्रवीणता से आपके पीछे नहीं चला था| मुझे क्षमा करे मेरे अधूरे प्रेम, निर्मलता, और धैर्यता के लिए| आपने मुझे अपने रूप में निर्मित किया कि दूसरे लोग, आपको मुझमे देख पाये, तो मेरी मदद कीजिए कि आपकी आयतों का पालन करूँ और आपके उदाहरण का अनुसरण करूँ कि आपकी छबी मुझमे चमकदार, और अधिक चमकदार होती जाये| मुझे मेरी कमजोरियों, मेरी गलतियों और स्वयं मुझसे बचाये|
प्रश्न: