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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
क - यीशु की यरूशलेम में अन्तिम यात्रा (यूहन्ना 7:1 - 11:54) अन्धकार का ज्योती से अलग होना
1. झोपड़ियों के पर्व के समय पर यीशु का वचन (यूहन्ना 7:1 – 8:59)

5) शैतान हत्यारा और झूटा है (यूहन्ना 8:37-47)


यूहन्ना 8: 44
“44 तुम अपने पिता शैतान से हो और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो | वह तो आरम्भ से हत्यारा है और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उसमें है ही नहीं | जब वह झूट बोलता, तो अपने स्वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है वरन झूठ का पिता है |”

यीशु प्रत्येक व्यक्ती से जो आप से प्रेम नहीं करता था, यही कहते थे कि वो शैतान की सन्तान है | इस तरह आपने यहूदियों को स्वंय उनके अपने विषय में सच बता दिया, यधपि वो दावा करते थे कि वो परमेश्वर को जानते हैं | न्याय शाश्त्री परमेश्वर से बहुत दूर थे |

शैतान जहाँ कहीं जाता है, खलबली मचा देता है | उसका लक्ष परमेश्वर की सृष्टी को बरबाद करना है | वो प्रत्येक व्यक्ती की कमज़ोरियों को भांपता है और उसे धोका दे कर उकसाता है और उस पर काबू पाकर उससे पाप करवाता है | फिर परमेश्वर के सिंहासन की तरफ दौड़ता हुआ जाता है और पापी पर आरोप लगाता है ताकी न्यायाधीश उस अभागे को सज़ा दे | धोका कितना भयानक होता है !

यीशु ने शैतान को दुष्ट वासनाओं का संग्रह घोषित किया जिसके कारण वो सदभावना से वंचित रहा | वो स्वंय अपना गुलाम बन गया और प्रत्येक व्यक्ती से घ्रणा करने लगा | मसीह के सभी शत्रुओं ने वही आत्मा पाई जो दूसरों के साथ साथ स्वंय को भी वासना में घसीट कर बरबाद कर लेती हैं | वो सब लोग जो प्रभु से अलग हो कर जीते हैं, शैतान के उत्तेजित करने से बुराई की तरफ आकर्षित हो जाते हैं |

शैतान की वासनायें क्या हैं? यीशु हमें बताते हैं कि वो शुरू से हत्यारा था क्योंकी वो मनुष्य में पायी जाने वाली परमेश्वर की प्रतिमा से घ्रणा करता है | वो जीवन देने वाले परमेश्वर से अलग हो गया और वह अनन्त मृत्यु का करण बना | वो मृत्यु पर अधिकार जमा बैठा | उसका उद्देश सभी जीवित प्राणियों को समाप्त करना है इस क्रूरता का कारण धोका देना है | शैतान ने मनुष्य के पहले जोड़े, आदम और हवा को झूट बोल कर धोका दिया और उनके विश्वास को ठेस पहुंचाई और परमेश्वर की आज्ञा ना मानने का पाप करवाया | जब वो दूतों का सरदार था तब उसने स्वंय को परमेश्वर से अधिक विशाल, सुन्दर और शक्तिशाली होने की कल्पना करके अपने आप को भी मूर्ख बना लिया |

स्वंय को धोका देना शैतान का मूल तत्व है जिसे अपनी महत्वकांक्षा की हद का अहसास नहीं था और इस लिये वो गहरे गडढे में जा गिरा | मसीह इसके विपरीत हैं | वो विनम्र और दीन हैं | दुख की बात यह है कि लोग अहंगकार और शेखी बघारने को मसीह की नम्रता और स्वार्थहीनता से ज़्यादा पसन्द करते हैं | इस लिये यह धोकेबाज़ झूटों की सेना जमा करता है जिन के मुँह से झूट निकलता है | ठीक उसी तरह जैसे साँप के मुँह से निकला हुआ विष लोगों के जीवन को नष्ट करता है | इस लिये लोग एक दूसरे पर विश्वास नहीं करते |

एक स्त्री ने अपनी माँ से कहा, “सब लोग झूटे हैं | वो मुस्कुरा कर एक दूसरे की खुशामद करते हैं | सब अपना सम्मान चाहते हैं, लोग परीक्षा में बेईमानी करते हैं, व्यापारी धोका देते हैं | घर में भी पती पत्नी एक दूसरे को धोका देते हैं | कोई किसी पर विश्वास नहीं करता है फिर भी हर कोई केवल अपने आप को धार्मिक समझता है |” शैतान की उत्तेजना झूटी होती है ! अकसर ये झूट, आधे सच होते हैं | शैतान का हर झूट ऐसे सुनाई देता है जैसे वो सच हो | वो धोकेबाज़ और झूट का पिता है |

यूहन्ना 8:45-47
“45 परन्तु मैं जो सच बोलता हूँ, इसी लिये तुम मेरा विश्वास नहीं करते | 46 तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है ? यदि मैं सच बोलता हूँ, तो तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते? 47 जो परमेश्वर से होता है, वह परमेश्वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिये नहीं सुनते कि परमेश्वर की ओर से नहीं हो |”

केवल यीशु ही सच बोलते हैं और परमेश्वर की सच्चाई प्रदर्शित करते हैं | धन्य हैं वो जो आप के वचन पर विश्वास करते हैं | आप विश्व की सच्चाई जानते हैं | परन्तु आप सब कुछ नम्रता और ईमान्दारी से कहते हैं |

कई लोग इस सच्चाई के सुसमाचार को स्वीकार नहीं करते, इसलिये की उसे यीशु कहते हैं | जो यीशु कहते हैं उसे अगर कोई राजनीतिक नेता या धार्मिक संस्थापक कहे तो लोग उस पर विश्वास करेंगे | परन्तु जब यीशु एक साधारण मनुष्य की तरह बोले तो लोगों ने आपको खुले आम अस्वीकार किया क्योंकी वो स्वार्थहीनता के बदले महानता और अधिकार चाहते हैं |

यीशु ने यहूदियों से स्पष्ट रूप में पूछा, “तुम मुझ पर विश्वास क्यों नहीं करते? क्या तुम ने मुझ में धोका या घमंड या दुष्ट आचरण पाया है ? नहीं, मैं हमेशा सच बोलता और उसके अनुसार चलता हूँ | मैं अवतारित सत्य हूँ, पापहीन और ईमानदार हूँ जिस में कोई छल या धोका नहीं है !”

अन्त में यीशु ने अपने विरुध विद्रोह करने वाले लोगों से कहा, “जो कोई परमेश्वर की तरफसे है वो उसका वचन सुनता है और उसकी आवाज़ पहचानता है , ठीक उसी तरह जैसे एक बच्चा अपने माता पिता की आवाज़ को दूसरी सब आवाजों मे से पहचान लेता है | एक माँ भी, जब अपने शिशु के रोने की आवाज़ सुनती है तो उसकी तरफ दौड़ती हुई जाती है | इसी तरह परमेश्वर के बुलाये हुए लोग आस्मानी पिता की आवाज़ सुनते हैं, परन्तु जो सुसमाचार को समझ नहीं पाते वो परमेश्वर की तरफ से नहीं होते |” कोई मनुष्य धार्मिक हो, प्रार्थना करता हो और उपवास भी करता हो, फिर भी वो शैतान की सन्तान हो सकता है | हमारी धार्मिकता हमारा उद्धार नहीं कर सकती, परन्तु केवल पुनरजन्म जो मसीह के लहू के द्वारा प्राप्त होता है, ऐसा कर सकता है ताकी आत्मा हम पर उतरे और हम में रहे | तुम्हारा पिता कौन है, परमेश्वर या शैतान? उत्तर देने में ज़ल्दी मत कीजिये बल्की अपने उद्देश की तुलना पहले शैतान के उद्देश से और फिर मसीह के कामों से कीजिये और तब पश्चताप कीजिये |

प्रार्थना: हे आस्मानी पिता, हम तेरा धन्यवाद करते हैं कि तूने हमें हमारे पापों और तेरे प्रेम के विषय में शिक्षा दी | मेरे झूट को क्षमा कर और मुझे घ्रणा और घमंड से स्वतंत्र कर दे | मुझे शैतान की शक्ती से छीन कर निकाल ताकी मैं अपना खंडन करूँ और किसी भ्रम में ना रहूँ | अपने सुसमाचार के लिये मेरे कान और दिल खोल दे और मुझे विनम्र और विश्वासयोग्य बना |

प्रश्न:

64. शैतान के वह कौन से गुण हैं जो यीशु ने हमें साफ तौर से बता दिये हैं?

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