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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
क - यीशु की यरूशलेम में अन्तिम यात्रा (यूहन्ना 7:1 - 11:54) अन्धकार का ज्योती से अलग होना
1. झोपड़ियों के पर्व के समय पर यीशु का वचन (यूहन्ना 7:1 – 8:59)

ब) लोगों और उच्च न्यायालय के सदस्यों के बीच यीशु के विषय में निराशा जनक विचार (यूहन्ना 7:14-53)


यूहन्ना 7:21-24
“21 यीशु ने उनको उत्तर दिया , “मैं ने एक काम किया, और तुम सब आश्चर्य करते हो | 22 इसी कारण मूसा ने तुम्हें खतने की आज्ञा दी है (यह नहीं कि वह मूसा की ओर से है परन्तु बापदादों से चली आई है), और तुम सब्त के दिन मनुष्य का खतना करते हो | 23 जब सब्त के दिन मनुष्य का खतना किया जाता है ताकी मूसा की व्यवस्था की आज्ञा टल न जाए, तो तुम मुझ पर क्यों इसलिये क्रोध करते हो कि मैं ने सब्त के दिन एक मनुष्य को पूरी रीति से चंगा किया | 24 मुँह देखा न्याय न करो, परन्तु ठीक ठीक न्याय करो |”

यीशु ने यहूदियों के इस दावे का, कि आप में दुष्ट आत्मा है, सरल उत्तर नहीं दिया परन्तु जो भीड़ वहां जमा हुई थी उसे बताया कि आप पर जो मृत्यु दंड की घोषणा की गई है वह गैर जरुरी है | आप ने उन्हें याद दिलाया कि आप ने एक अपाहिज को सब्बत के दिन बैतहसदा में चंगा किया था इस लिये नेताओं ने आपके विरुध यह निर्णय किया है | उस दिन यीशु ने उस व्यक्ती को आज्ञा दी थी कि अपना बिस्तर उठाये और चंगा होकर अपने घर चला जाये | यह एक महान चमत्कार था और यह आश्चर्यकर्म आप पर लगाये हुए दोष को बरखास्त करने का अधिकार है |

तब यीशु ने इस बात का समर्थन किया कि व्यवस्था के तज्ञों ने स्वंय व्यवस्था का पूरी तरह से पालन नहीं किया है | इस व्यवस्था में स्वंय परस्पर विरोध है | खतना, परमेश्वर के साथ किये हुए समझोते का चिह है और सब्बत पवित्र परमेश्वर की संगती में विश्राम की बात करता है | लोगों को अपने बच्चों का उनके जन्म के आठवें दिन खतना करवाना था और यह दिन सब्बत का दिन भी हो सकता था | क्या खतना करना काम नहीं है?

जब की बीमारी पाप का कारण समझी जाती है, इस लिये उपचार का अर्थ शरीर, जान और आत्मा का उद्धार होता है | यीशु ने लोगों से अपने दिमाग से काम लेने का प्रस्ताव रखा कि वे सब्बत के दिन खतना करने या भलाई का काम करने में से कौन सा काम ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं ? इस तरह यीशु ने विचारधारा का प्रयोग कर उसे अपने प्रेम, शक्ती और उद्धार को नापने के लिये उन्हें जगाने का साधन बनाया परन्तु आपका प्रयास असफल रहा, उनके कान बहरे और आत्मा कठोर हो गई थी | कोई सही निश्चय करना या किसी निर्णायक फैसले पर पहुंचना उनके लिये असंभव था |

यूहन्ना 7:25-27
“25 तब कुछ यरूशलेमवासी कहने लगे, “क्या यह वही नहीं जिसे मार डालने का प्रयत्न किया जा रहा है? 26 परन्तु देखो, वह तो खुल्लमखुल्ला बातें करता है और कोई उससे कुछ नहीं कहता | क्या सरदारों ने सच सच जान लिया है कि यही मसीह है? 27 इसको तो हम जानते हैं कि यह कहाँ का है; परन्तु मसीह जब आयेगा तो कोई न जानेगा कि वह कहाँ का है |”

यरूशलेम की जनता जब मंदिर में पहुँची तो उन्हें वहाँ बड़ी भीड़ दिखाई दी | जब उन्होंने यीशु को लोगों के बीच में देखा जिनकी तरफ सब का ध्यान था तो वे क्रोधित हो गये क्योंकी आप अपनी गिरिफ्तारी की आज्ञा के होने पर भी स्वतंत्र घूम रहे थे | इस समाचार से सभी लोग परिचित थे |

राजधानी की जनता ने उच्च न्यायालय की कमज़ोर कार्यवाही का मज़ाक उड़ाया | रोमियों ने यहूदी शासकों से मृत्यु दंड देने का अधिकार छीन लिया था | लोग यह कह कर उनका मज़ाक उड़ा रहे थे कि “जिस आदमी को ढूंढा जा रहा है, वह तो स्वतंत्रता से शहर में घूम रहा है और मंदिर के आँगन में निडर हो कर प्रचार कर रहा है | नेताओं को कोई अधिकार ही नहीं कि इस पर प्रतिबंध लगायें | याजक भी आप से वादविवाद या वार्तालाप करके आप को वश में नहीं कर पा रहे हैं |”

कुछ और लोग कहने लगे, “तुम समझते नहीं, हो सकता है कुछ नेता विश्वास करते हों कि आप मसीह हैं | यही कारण हो सकता है वो यीशु को गिरिफ्तार करने से हिचकिचाते हों | जनता के समूहों का विचार अलग अलग था |

तीसरा विचार यह था कि अगर मान भी लिया जाये कि मसीह का आना निश्चित है तो आप एक साधारण व्यक्ती की तरह नहीं आयेंगे बल्की एक चमकदार वैभवशाली अस्तित्व में आयेंगे | यह नौजवान पहाड़ी गांव का एक बढ़ई है | सच्चा मसीह सीधा आस्मान से उतरेगा, वह इस तरह साधारण लोगों के बीच में नहीं भटकेगा |

यूहन्ना 7:28-30
“28 तब यीशु ने मन्दिर मे उपदेश देते हुए पुकार के कहा, “तुम मुझे जानते हो, और यह भी जानते हो कि मैं कहाँ का हूँ | मैं तो आप से नहीं आया, परन्तु मेरा भेजने वाला सच्चा है, उसको तुम नहीं जानते | 29 मैं उसे जानता हूँ क्योंकि मैं उसकी ओर से हूँ और उसी ने मुझे भेजा है |” 30 इस पर उन्हों ने उसे पकड़ना चाहा, तौभी किसी ने उस पर हाथ न डाला क्योंकि उसका समय अब तक न आया था |”

यीशु ने अपने दुनियावी अस्तित्व के विषय में यह विवाद सुना और पुकार कर कहा, “क्या तुम सच में मुझे जानते हो, यह कि मैं कहाँ से आया हूँ ? तुम अपना न्याय ऊपर ही ऊपर से कर लेते हो और मेरी असलियत को नहीं जानते | मेरी बात ध्यान से सुनो और मेरी आत्मा की गहराई में झांक कर देखो, तब तुम जान जाओगे की मैं कौन हूँ और कहाँ से आया हूँ |”

यीशु खुद हो कर नहीं आये परन्तु परमेश्वर आपके पीछे था जिसके पास से आप निकल कर आये | आप के पिता ने आप को भेजा | यीशु अपने पिता के स्वभाव को पा चुके थे और हमेशा उस से मिले रहे | आप ने कहा, “तुम में से कोई भी परमेश्वर को नहीं जनता, यधपी तुम सोचते हो कि वो यहाँ मंदिर में है | तुम्हारे याजक अंधे हैं, वो परमेश्वर को देख नहीं पाते, ना ही उसकी आवाज़ सही प्रकार से सुनते हैं | इस तरह तुम अपने आप को धोका दे रहे हो |”

तब आपने कहा, “मैं उसे जनता हूँ |” सुसमाचार का निचोड़ यह है कि यीशु परमेश्वर को जानते हैं और हमें पिता का नाम और उसके प्रेम को बताते हैं | नाज़रत के यीशु पापहीन थे और वो हमेशा अपने पिता की संगती में रहते थे | जब की दूसरे सब लोग अपने पापों के कारण पवित्र परमेश्वर से अपने आप को अलग कर चुके थे |

जब आपके श्रोताओं ने आप के वचन की महत्वता को जाना और यह कि आप ने उनके विषय में निर्णायक अनुमान लगाया है, तब वो पुकार उठे, “इस ने मंदिर के विरुध धर्मद्रोह किया है और हमें काफ़िर कहा है | वे क्रोधित हो गये और चींख कर आप को गिरिफ्तार करने का प्रयास करने लगे | परन्तु उन में से एक भी व्यक्ती परमेश्वर के पुत्र तक ना पहुंच सका | ऐसा लगता था जैसे स्वर्ग दूतों ने आप को चारों ओर से घेर लिया हो | पृथ्वी पर आपकी अन्तिम गवाही देने का समय अभी न आया था | आप के पिता ने आप के द्वारा मानव जाती के उद्धार करने का समय निश्तित कर लिया था | पृथ्वी पर कोई ऐसा व्यक्ती नहीं था जो उस धड़ी को आगे या पीछे कर सकता था |

प्रार्थना: प्रभु यीशु, हम आपकी अराधना करते हैं क्योंकी आप परमेश्वर को जानते हैं और पिता को हम पर प्रगट किया है | हम आपकी सेवा करते हैं और आनन्दपूर्वक आप से प्रेम करते हैं | आप के प्रगट होने से हम परमेश्वर कि सन्तान बन गये हैं | हम आप से प्रसन्न हैं और उन सब लोगों के साथ जिनका पुनर्जन्म हुआ है, आपके नाम की महीमा करते हैं | हमारी आप से विन्ती है कि हमारे आस पास रहने वाले शंकालु लोगों पर पिता परमेश्वर को प्रगट कीजिये ताकि वो भी अपने उग्रवाद और लापरवाही से लौट आयें |

प्रश्न:

54. यीशु ही ऐसे अकेले व्यक्ती क्यों हैं जो परमेश्वर को जानते हैं ?

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