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रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 3 का अनुपूरक - रोम में कलीसिया के नेताओं को पौलुस के चरित्र पर विशेष राय (रोमियो 15:14 – 16:27)

7. पौलुस के साथी कार्यकर्ताओं की ओर से शुभकामनाएँ (रोमियो 16:21-24)


रोमियो 16:21-24
21 तीमुयियुस मेरे सहकर्मी का, और लूकियुस और यासोन और सोसिपत्रुस मेरे कुटुम्बियों का, तुम को नमस्‍कार। 22 इस पत्र के लिखनेवाले तिरितयुस का प्रभु में तुम को नमस्‍कार। 23 गयुस का जो मेरी और कलीसिया का पहुनाई करनेवाला है उसका तुम्हें नमस्‍कार: 24इरास्‍तुस जो नगर का भण्‍डारी है, और भाई क्‍वारतुस का, तुम को नमस्‍कार।।

हमने पौलुस को कदाचित ही अकेला देखा| आप हमेशा आपके साथी कार्यकर्ताओं और प्रभु के कार्यभार को करने में अनुभवी भागीदारों, जैसे बरनबास और सिलास, से घिरे हुए रहते थे, उन्हें सलाह देने और अन्य उपदेशकों से उनकी पहरेदारी करने के लिए| कभी कभी अन्य विश्वासी दूसरे गावों के, मसीह की विजय की प्रक्रिया में हिस्सेदारी करते थे, जिसे पौलुस रथ की महानता से बंधे हुए अपने आप को विजयी रूप से आगे ले गए हुए दास के रूप में पाते थे, जैसे आप मसीह की महानता के लिए जलती हुई धूप हो, (सुगन्धित धुआं) और जो कोई भी उस धुंए को साँस द्वारा अंदर लेगा वह बच पाया होगा, परंतु जो कोई भी इसे ठुकरायेगा नाश किया गया होगा| (रोमियों 2:14-16)

पौलुस ने अपनी पत्री रोमियों को सन 59 में, उनके कुरिन्थि में बस जाने के दौरान लिखी थी, जहां कुछ मसीह के अनुयायी उनके साथ थे, उनकी शुभकामनाएँ इस पत्री के अंत में है| इन शुभकामनाओं से ऐसा संकेत मिलता है पौलुसने, एक दार्शनिक ने यह पत्री अकेले नहीं लिखी बल्कि एक दल उनके आसपास था, जो उन्हें रोम में विश्वासियों के बारे में विस्तार से सलाह देते थे|

तीमुयियुस उनकी यहूदी ईसाई माँ की देखरेख में बड़े हुए थे, जो अपने आप को मसीह को सौंप चुकी थी, और उनकी दादी विश्चास और धर्मपरायणता जिनकी विशेषताएँ थी| उनके पिता यूनानी थे जिनके बारे में कुछ खास जानकारी नहीं थी| पौलुस ने इस सज्जन में, जो मसीह से प्रेम करता था, में परमेश्वर के कार्यभार करने में एक उपयोगी भागीदार, सामी और यहूदी दोनों विरासत में थे देखा था| यद्यपि पौलुस ने उनका खतना करवाया, क्योंकि उनकी माँ एक यहूदी थी, उनका उद्देश्य था कि वे यहूदियों के साथ एक न्यायसंगत यहूदी और यूनानी के साथ एक न्यायसंगत यूनानी बन पाये| उन दोनों ने पूर्ण तालमेल के साथ कार्य किया था और पौलुस के लिए तीमुयियुस एक बेटे के समान थे|

तीमुयियुस स्वयं अपने लिए नहीं, परंतु प्रभु यीशु की महिमा करने के लिए जी रहे थे, और परमेश्वर राज्य और उनकी पवित्रता को ढूंढने वाले पहले व्यक्ति थे| पौलुस ने अपनी यात्राओं के दौरान कई बार उनको शहरों में उनके और उनके साथियों के रहने और याजकीय कार्यों के लिए व्यवस्था करने के लिए भेजा था| कुछ बार पौलुस विवश थे उन्हें अकेले छोड़ने के लिए, अत्याचारिक परिणामस्वरूप उनके निर्वासन के कारण| उस समय नये धर्मपरिवर्तकों के आध्यतमिक सुधार का उत्तरदायित्व तीमुयियुस पर था| (प्रेरितों के काम 16:1-3; 19:22, फिलिप्पियों 2:19-21)

तीमुयियुस की शुभेच्छा के बाद, पौलुस ने तीन मनुष्यों के नाम जो उनकी जाति के, उनके सबंधी थे, उल्लेखीत किये लूकियुस, यासोन और सोसिपत्रुस| थिस्सलोनिका में पौलुस के यहूदियों के साथ तीन सबातों पर हुए वादविवाद, और पौलुस और सिलास को धर्म परिवर्तक मिलने के, जिनके लिए आपने मसीह में एक नयी कलीसिया की स्थापना की थी, के दौरान जब पौलुस को रुकना पड़ा था तब यासोन ने उन्हें आश्रय दिया था| जब लोगो की भीड़ ने यासोन के घर पर हमला किया, और पौलुस एवं सिलास को वाहन ना पाने पर वे लोग यासोन को घसीट कर राजा के सामने ले गये थे, और उनको एक नये विश्वास, जो यीशु मसीह से राजाओं के राजा के रूप में संबधित है, जो लोगों को कैसर के प्रति उनकी राजनिष्ठा, उनके दान देने से रोकते हैं, का अनुसरण करने का अभियुक्त बताया था| परंतु राजा ने क्रोधित यहूदियों को भेज दिया था और यासोन को जमानत पर रिहा किया था|

सोसिपत्रुस बेरिया का एक विश्वासी था, जहाँ यहूदियों ने पौलुस के वचन को प्राप्त किया था और प्रत्येक दिन वे पुराने नियम की पुस्तकों में ढूढते थे कि जान सके कि जो क्रूस पर चढाया गया जो मृतकों में से जी उठा, निश्चित रूप से मसीह था| बेरिया के लोगों ने अथेन्स तक पौलुस का साथ दिया था और सिलास एवं तीमुयियुस बेरिया में धर्मपरिवर्तकों में मजबूत सत्य में विश्वास को स्थापित करने के लिए रुके रहे थे| तब हमने पढा था की सोसिपत्रुस नामक व्यक्ति ने यरूशलेम तक वहाँ के जरूरतमंदों को दरियादिली से अपना दान देने के लिए, पौलुस का साथ दिया था|

पौलुस के तीसरे संबधी संभवतः सिरेन के लूकियुस थे (प्रेरितों के काम 13:1) जो अन्तिओक की कलीसिया के एक वृद्ध व्यक्ति थे जो प्रर्थानाओं में पौलुस के साथ रहते थे|

तिरितयुस एक रोमवासी व्यक्ति था जो धराप्रवाह यूनानी बोलता था, और उनका नाम इस पत्री के अंत में जैसे लिपिक या मुंशी के रूप में उल्लेखित हुआ था, जिसे पौलुस ने रोमियों के लिये यह पत्र शब्द दर शब्द बोलकर लिखवाया था, और उनके पास यह महान काम करने का पर्याप्त समय था, क्योंकि यह लिपिक इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपनी कलम से उक्त से बने कागज का उपयोग करता था| यह सेवा पूर्णतः मिलजुल कर समरसता से हुई थी| तिरितयुस को पौलुस की बात के अर्थ को समझना पड़ता था कि रोम की कलीसिया को ईमानदारी पूर्वक लिख सके| पौलुस तिरितयुस को एक चुने हुए, जो प्रभु यीशु में स्थापित थे, और जिन्होंने रोम की कलीसिया को, जो उनको जानती व विश्वास करती थी, को तैयार किया था, में समझते थे|

गयुस थिस्लोनिका के एक विश्वासी थे, जिन्होंने पौलुस का उनके उत्पीडन के समय में अपने घर में सत्कार किया था, और अपने घर के द्वार कलीसिया की बैठकों के लिए खोल दिय थे| गयुस उन सभी लोगों की देख भाल करते थे जो उनके पास अपनी समस्याओं को लेकर आते थे और वे उन कुछ लोगों में से थे जिन्हें कुरंथी में पौलुस ने स्वयं बपतिस्मा दिया था, आपके कथनानुसार: “मै परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ कि मैंने सिवाय क्रिस्पुस और गयुस के अलावा किसी को भी बपतिस्मा नहीं दिया क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने के लिए नहीं, बल्कि सुसमाचार का प्रचार करने के लिए भेजा था” (1कुरिन्थियों 1:14-17)

इरास्‍तुस शहर के खजांची थे जो अपना कार्य ईमानदारी और विश्वसनीयता से करते थे| यह दर्शाता है कि कुरंथी की कलीसिया में न केवल गरीब और साधारण लोग बल्कि उच्च स्तर के लोग भी शामिल थे जो समाज पर अपना सीधा प्रभाव रखते थे| क्‍वारतुस मसीह में एक भाई थे| वह यूनानी नहीं रोमवासी थे जो उस समय कलीसिया में जाने जाते थे|

प्रार्थना: हम आपका धन्यवाद करते है, ओ प्रभु यीशु क्योंकि आप के पास आपकी कलीसिया में ऐसे सेवक हैं जो अलग अलग प्रशासन और आध्यात्मिक स्थानों में अपने पूरे हृदयों के साथ सेवा करते हैं| हमारी कलीसिया में वृद्ध लोगों की मदद कीजिए कि वे प्रत्येक उस कार्य को ईमानदारी से करें जिससे आपके पवित्र नाम की महिमा हो|

प्रश्न:

99. वह कौन है जिसे पौलुस ने रोम को लिखी अपनी पत्री बोल बोल कर लिखाई थी?

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