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Previous Lesson -- Next Lesson

यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
पहला भाग – दिव्य ज्योति चमकती है (यूहन्ना 1:1 - 4:54)
ब - मसीह अपने चेलों को पश्चताप के घेरे से निकाल कर शादी की खुशी में ले जाते हैं (यूहन्ना 1:19 - 2:12)

1. यहुदियों के बड़े न्यायालय का प्रतिनिधी मंडल बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना से प्रश्न पूछता है (यूहन्ना 1:19-28)


यूहन्ना 1:25-28
“25 उन्हों ने उनसे यह प्रश्न पूछा, कि यदी तू न मसीह है, और न एलिय्याह, और न वो भविष्यवक्ता है, तो फिर बपतिस्मा क्यों देता है ? 26 यूहन्ना ने उन को उत्तर दिया कि मैं तो जल से बपतिस्मा देता हूँ; परन्तु तुम्हारे बीच मंन एक व्यक्ती खड़ा है जिसे तुम नहीं जानते | 27 अर्थात मेरे बाद आने वाला है, जिस की जूती का बंद मैं खोलने के योग्य नहीं | 28 ये बातें यर्दन के पार बैतनिय्याह में हुईं, जहां यूहन्ना बपतिस्मा देता था |”

मूसा की पांच किताबों (तोराह) से यहूदियों ने मन और शरीर के शुद्धीकरण और कुछ कुछ बपतिस्मा के बारे में भी सीखा था | शुद्धीकरण का अर्थ नैतिक पापों की सफाई था जब की बपतिस्मा खास तौर पर गैर यहूदियों को पवित्र करने के लिये था क्योंकी यहूदी अन्य समाजों को अपवित्र समझते थे | किसी भी तरह बपतिस्मा लेना नम्रता और परमेश्वर के चुने हुए लोगों में शामिल होना था | इस से पता चलता है कि यरूशलेम से आया हुआ प्रतिनिधी मंडल क्यों हैरान था, “तू उन विश्वासियों को पश्चाताप करने के लिये क्यों बुला रहा है ? विशेषतर जिनका खतना हो चुका है और जो वाचा में पूरी तरह से स्थापित हैं ? क्या तू हम जो अपने राष्ट्र के उत्तरदायी अगुआ हैं, अपवित्र और परमेश्वर के क्रोध में खोये हुए समझता है ?

यूहन्ना का बपतिस्मा “भक्तिपूर्ण” लोगों के लिये ठोकर का कारण था | इस ने लोगों को दो समूह में विभाजित कर दिया | पहला दल वो था जो पश्चताप के बपतिस्मे से पवित्र हो चुका था | उन्हों ने मसीह का स्वागत एक चुने हुए दल की सूरत में करना था जो अपने परमेश्वर से मिलने के लिये तैयार था | दूसरे दल ने पश्चताप का बपतिस्मा लेने से यह महसूस करते हुए इन्कार किया की वो मसीह का स्वागत करने के योग्य हैं | वो यह मानते थे कि मसीह का आना राजनीती और व्यवस्था के हित में था |

हो सकता है की प्रेरित यूहन्ना इस अधिकृत पूछ ताछ के समय स्वंय मौजूद थे | इस बहस से वो बहुत प्रभावित हुए | विशेषतर प्रतिनिधियों ने बपतिस्मा देनेवाले यूहन्ना से पुछे हुए प्रश्नों के द्वारा उन से स्वीकार करवाया की वो ना मसीह हैं , ना एलिय्याह और ना वायदा किये हुए भविष्यवक्ता हैं | यह उत्तर पाकर उन्हों ने यूहन्ना का अपमान किया की वो महत्त्वहीन थे | बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने यह जानते हुए कि क्या करना चाहिए, अपने आप को नाचीज़ बताते हुए मुस्कुराकर कहा: “तुम ठीक कहते हो, मेरा कोई महत्त्व नहीं है| मैं बगैर किसी जादू या शक्ती के सिर्फ पानी से बपतिस्मा देता हूँ | मैं जो भी करता हूँ वो एक निशानी है जो आने वाले की तरफ इशारा करती है |

तब यूहन्ना जो अपनी ऊंट की खाल से बनी हुई पोशाक पहने हुए थे, खड़े होकर प्रतिनिधी मंडल के नेताओं के बीच और भीड़ से ऊँची आवाज़ में पुकार कर कहने लगे“तुम सब अन्धे हो | तुम अपने बीच में एक ऐतिहासिक घटना होते हुए नहीं देख सकते | तुम ने मुझे परखा जो एक साधारण व्यक्ती है | परन्तु देखो मसीह आ चुके हैं | आप यहीं इस पश्चतापी भीड़ के बीच में हाज़िर हैं | मुझ यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले में कोई शक्ती नहीं है की कुछ कर सकूँ | मुझे केवल एक सेवा पूरी करनी है | मैं एक आवाज़ हूँ और पवित्र आत्मा ने मुझे परमेश्वर के बारे में बताया जो इस समय आ रहे हैं | आप यहाँ हैं | आज मुक्ती का दिन है | जल्दी पश्चताप कर लो क्योंकि अन्तिम क्षण बीतता जा रहा है |

इस घोषणा के बाद सारी भीड़ आश्चर्यचकित हो गई | वो अपने मन में यह मकसद लिये हुए जमा हुए थे की मसीह का स्वागत करेंगे | परन्तु आप तो पहले से ही आ चुके थे और उन्हों ने आपकी उपस्तिथी को महसूस नहीं किया और ना ही आप को देखा | वे एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखने लगे और आश्चर्य में पड़ गये |

तब बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने एक गवाही के द्वारा मसीह के बारे में अपना प्रसिद्द वर्णन पेश किया जो लेखक ने अपने सुसमाचार के 15 पद में किये हुए वर्णन से ज्यादा स्पष्ट है : “वो जो मेरे बाद आ रहा है, मुझ से पहले था |” इस तरह बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने मसीह की अमरता (eternity) और साथ ही साथ आप की लोगों के बीच में मौजूदगी, दोनों को प्रगट कर दिया | उन्हों ने स्पष्ट कर दिया की ऊपरी तौर पर मसीह उनके बीच में एक साधारण व्यक्ती की तरह हाज़िर थे जो पहचाने न गए क्योंकि आप तेजस्वी चेहरे, भव्य कपड़ों या उज्वल आँखों के साथ न आये | वो बिलकुल साधारण मनुष्यों की तरह थे और आप में ऐसा कोई गुण भी न था जो लोगों से अलग दिखाई देता परन्तु आप आपने जन्मज़ात गुणों में दूसरों से बिलकुल असमान थे | एक ऎसा आसमानी और दिव्य व्यक्ती जो अनन्तकाल से है और जो उनके बीच में बहुत ही सादगी के साथ खड़ा था |

बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने स्वीकार किया की वो मसीह के दास बनने के भी योग्य नहीं हैं | उन दिनों में यह प्रथा थी की जब किसी भी घर में महमानों का स्वागत किया जाता तो एक दास पानी से उनके पैर धोता | यह देखते हुए की मसीह भीड़ में आ चुके हैं, बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने स्वंय को इस योग्य न समझा की आप के पैर धोने के लिए आप के जूतों के बंध खोल दें | इन शब्दों ने भीड़ में खलबली मचा दी | वो एक दूसरे से पूछने लगे : “हमारे बीच में अनजाना कौन आया है ? प्रभु एक साधारण व्यक्ती कैसे हो सकता है ? और यह महान बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ऐसा क्यों कह रहे हैं की वो आप की जूती का बंध खोलने योग्य नहीं हैं ?” हो सकता है की यरूशलेम से आये हुए प्रतिनिधियों ने बपतिस्मा देने वाले के वे शब्द सुन कर उपहास से कहा होगा: “यह मलीन बपतिस्मा देने वाला छल कर रहा है | इसलिये वो चले गए | हो सकता है की बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना के पीछे चलने वाले कुछ लोग इन्ही लोगों की तरह सोचते हुए चले गए होंगे की मसीह उनकी राजधानी यरूशलेम में तेजस्वी व्यक्तित्व और प्रतिष्ठा के साथ प्रगट होंगे, ना की इस तरह जैसे जंगल में कोई अजनबी और साधारण व्यक्ती हो | इस प्रकार उन्हों ने अपनी परमेश्वर के मसीह से मिलने का यह अनोखा मौक़ा खो दिया |

यह घटनायें यर्दन नदी के पूर्वी किनारे पर हुईं | यह इलाका यहूदियों की अदालत के अधिकार से बाहर परन्तु हेरोदेस एन्टीपास की सत्ता में है | इस लिए प्रतिनिधी बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना को गिरिफ्तार करके यरूशलेम की अदालत में पेश करने के लिए न ले जा सके |

प्रार्थना: हे प्रभु यीशु मसीह, एक सही व्यक्ती और अनन्त परमेश्वर की सूरत में हमारे पास आने के लिए, हम आप का धन्यवाद करते हैं | आप हमारे नजदीक आये इस लिये हम आपकी आराधना और उपासना करते हैं | आप शारीरिक रूप से इतने नम्र बने की बपतिस्मा देने वाले के सिवाय कोई और व्यक्ती आप को पहचान न सका | आप का दिल सौम्य और स्वभीमानहीन है | हमें भी आप की तरह सहनशील बनाइये और आप की पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के अनुसार आपके पीछे चलने की प्रेरणा दीजिये |

प्रश्न:

17. बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने यहूदियों की अदालत के प्रतिनिधियों के सामने मसीह के विषय में दी हुई गवाही का शिखर क्या है ?

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