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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
चौथा भाग - ज्योति अन्धकार पर विजय पाती है (यूहन्ना 18:1 - 21:25)
ब - मसीह का पुनरुत्थान और दर्शन देना (यूहन्ना 20:1 - 21:25)
5. यीशु झील के किनारे पर प्रगट होते हैं (यूहन्ना 21:1-25)

ब) पतरस की समूह की सेवा के लिये नियुक्ति (यूहन्ना 21:15-19)


यूहन्ना 21:18-19
“18 ‘मैं तुझ से सच सच कहता हूँ , जब तू जवान था तो अपनी कमर बाँध कर जहाँ चाहता थे वहाँ फिरता था; परन्तु जब तू बूढ़ा होगा तो अपने हाथ फैलाएगा, और दूसरा तेरी कमर बाँध कर जहाँ तू न चाहेगा, वहाँ तुझे ले जाएगा |’ 19 उस ने इन बातों से संकेत दिया कि पतरस कैसी मृत्यु से परमेश्वर की महिमा करेगा | और तब उस ने उससे कहा, ‘मेरे पीछे हो ले |’”

यीशु ने अपने चेले, पतरस के दिल को समझ लिया था कि वह उत्साही और भावपूर्ण है | हमें ऐसी जल्दबाज़ स्थिति का बारंबार अनुभव उन नवजवान लोगों में होता है जो पहलीबार मसीह पर विश्वास करते हैं | जैसे ही उन्हें पवित्र आत्मा का अनुभव होता है वह तुरन्त निकल पड़ते हैं और दूसरों को उद्धार दिलाने के लिये कष्ट करते हैं | परन्तु ऐसे लोग अधिकतर केवल मानवी उत्साह के साथ सेवा करते हैं, यीशु के मार्गदर्शन में नहीं जो कि सौम्य, भक्तिपूर्ण और सहयोगपूर्ण होता है |

इस प्रकार, यीशु ने भविष्यवाणी की थी कि पतरस अपने आत्मविश्वास पर विजय पा लेंगे और आत्मा में उन्नती कर लेंगे और अपने प्रभु के सामने आप के प्रेम में कैद हो कर केवल मसीह की इच्छा के अनुसार आत्मसमर्पण करेंगे |

पतरस यरूशलेम में ही रहे और गैर यहूदियों के पास न गये | उन को पीटा गया और कई बार कारागार में डाला गया, जहाँ एक बार प्रभु के स्वर्ग दूत ने उन्हें छुड़ाया | पवित्र आत्मा ने उन्हें कुरनेलियस के घर जाने की प्रेरणा दी जो एक रोमी अफसर था (सौ सिपाहियों का सरदार) जहाँ उन्हों ने देखा कि पवित्र आत्मा उन गैर यहूदियों पर भी उतरता है जिन्हें पहले अपवित्र समझा जाता था | सुसमाचार के प्रचार के लिये उठाये हुए इस कदम के द्वारा उन्हों ने दुनिया भर में सुसमाचार के प्रचार के लिये दरवाज़े खोल दिये |

हिरोदेस राजा के काराग्रह से मुक्ति पाने के बाद, विशेषकर पौलुस के काराग्रह में डाले जाने के बाद, पतरस ने उन नई कलीसियाओं का दौरा किया जो अभी अभी स्थापित हुई थीं | इस तरह से मुख्य प्रेरित गैर यहूदियों से भेंट करते रहे और अपने पितृवत संदेशों के द्वारा उन का उत्साह बढ़ाते रहे | एक परंपरा के अनुसार उन की मृत्यु नीरो राजा के अत्याचार के दौर में रोम में हुई | अपने आप को अपने प्रभु के सामने क्रूस पर मरने के योग्य न समझते हुए उन्हों ने उन से विनती की कि उन्हें क्रूस पर उल्टा लटकाया जाये ताकि उन का सर नीचे रहे | यीशु ने इस घटना की ओर इन शब्दों में इशारा किया था जब आप ने कहा, “पतरस स्वय: अपनी मृत्यु में परमेश्वर को महामंडित करेंगे |”

इस से पहले पतरस ने स्वय: यीशु से कहा था कि वे अपने प्रभु के लिये अपने प्राण देने के लिये तैयार हैं | यीशु ने उन्हें उत्तर दिया था, “तू अब मेरे पीछे आ नहीं सकता पर इस के बाद मेरे पीछे आएगा” (यूहन्ना 13:39) | यीशु ने अपने चेलों को अपनी शक्ति और महिमा के साथ संगी बना लिया था ताकि वे आप के स्वर्गिय पिता और पवित्र आत्मा के साथ एक हों | आप ने उन्हें अपनी पीड़ा और मृत्यु में सहभागी कर लिया जो महिमा का पहला कदम हैं | सुसमाचार में महिमा का अर्थ दुनयावी शब्दों में चमक या सम्मान नहीं होता परन्तु उस के लिये पीड़ा सहना और क्रूस पर की मृत्यु पाना होता है जिस ने हम से प्रेम किया | पतरस स्वय: परमेश्वर को महामंडित न कर सके परन्तु मसीह के खून ने आप को पवित्र किया और आत्मा की शक्ति ने उन्हें अभिषिक्त किया जिस के कारण उन्हों ने संयम से काम लिया और अपने प्रभु के लिये जिये और आप को महामंडित करने के लिये मरे |

तब मसीह ने पतरस को एक फौजी आज्ञा दी : “मेरे पीछे हो ले !” जहाँ तक हम अपने जीवन और मृत्यु में आप के पीछे हो लेते हैं, वहाँ तक प्रेम के फल ला सकेंगे और दयालु पिता के नाम को अभिषिक्त करते रहेंगे |

प्रार्थना: ऐ प्रभु यीशु मसीह, हम आप का धन्यवाद करते हैं कि आप ने पतरस को नहीं ठुकराया, यधपि उन्हों ने आप का इन्कार किया था बल्कि आप ने उन्हें अपने जीवन और मृत्यु में पवित्र त्रिय को महामंडित करने के लिये बुलाया | हमारे जीवन को भी ले लीजिये और हमें पवित्र कीजिये ताकि हम अपनी इच्छा को पूर्णत: आप के मार्गदर्शन के अधीन रखें और आप की आज्ञाओं का पालन करें, अपने शत्रुओं से प्रेम करें और अन्त तक निष्ठावान विश्वास के द्वारा आप का सम्मान करें ताकि हमारे जीवन आप के अनुग्रह की प्रशंसा बनें |

प्रश्न:

132. पतरस ने परमेश्वर को किस प्रकार महामंडित किया ?

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