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रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 1: परमेश्वर की धार्मिकता सभी पापियों को दण्ड देती है और मसीह में विश्वासियों का न्याय करती है और पापों से मुक्त करती है। (रोमियों 1:18-8:39)
ब - विश्वास के द्वारा नई धार्मिकता सभी मनुष्यों के लिए खुली है (रोमियो 3:21 - 4:22)
3. विश्वास द्वारा न्यायोचित ठहराए गए, उदहारण के रूप में अब्राहम और दाऊद (रोमियो 4:1-24)

डी) इब्राहीम का साहसिक विश्वास हमारा उदाहरण है (रोमियो 4:19-25)


रोमियो 4:19–22
19 और वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मरे हुए से शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई की सी दशा जानकर भी विश्वास में निर्बल न हुआ| 20 और न अविश्वासी होकर परमेश्वर की प्रतिज्ञा पर संदेह किया, पर विश्वास में दृढ होकर परमेश्वर की महिमा की| 21 और निश्चय जाना, कि जिस बात की उस ने प्रतिज्ञा की है, वह उसे पूरी करने को भी सामर्थी है| 22 इस कारण, यह उसके लिए धार्मिकता गिना गया|

इब्राहीम ने परमेश्वर की भविष्य वाणी को सुना था कि उन्हें कई लोगों के पिता के रूप में चुना गया था| रहस्य प्रकटीकरण के इस शब्द से इब्राहीम चकित होने चाहिए थे, जिनको कोई पुत्र नहीं था, परन्तु उन्होंने इसे विश्वास द्वारा स्वीकार किया| वे विश्वास करते थे कि परमेश्वर आशा देते है जब सभी मानवीय आशाये समाप्त हो जाती है| इब्राहीम भी उनके विश्वास के संघर्ष में असफल हो चुके थे| जब मिस्रवासी दासी से उनको इश्माएल का जन्म हुआ था| अब जैसे यह असंभव प्रतीत हो रहा था, उनकी वृद्ध पत्नी के लिए एक बच्चे को जन्म देना, उन्होंने प्रकृति के नियमों को नहीं, बल्कि प्रकृति के सृष्टिकर्ता की ओ़र देखा था| इब्राहीम ने अपने आप को इस विचार के साथ धोखा नहीं दिया था कि उनको सारा, उनकी पत्नी, से एक पुत्र प्राप्त होना असंभव है| इसके स्थान पर उन्होंने अपने विश्वास को प्रोत्साहन दिया, परमेश्वर के वचन को तुरंत पकड़ लिया, उसके अनंत सत्य पर विश्वास किया, और निश्चित रूप से जान लिया था कि महिमा के परमेश्वर झूठ नहीं कहते और यह कि वे अपने वादे को पूरा करने में कभी असफल नहीं होंगे, जब कि मानवीय दिमाग वादे को पूरा करने के लिए कोई रास्ता नहीं ढूंढ पाए|

इस विश्वास के संघर्ष में परमेश्वर की ईमानदारी को मजबूती से पकड़ने का श्रेय इब्राहीम को धार्मिकता के रूप में गया था(उत्पत्ति 15:1-6 17:1-8)

आज मसीह तुम्हे इब्राहीम के विश्वास के भागी दार बनने के लिए बुला ते हैं| जैसे ही हम अपने आप को देखते है और यह, हमारी कलीसियाओं को भीतर तक भेदता है, हम पाते हैं कि हमारा समाज आत्मिक रूप से थका हुआ, असमर्थ, और मर चुका है| यद्यपि मसीह दोनों के, तुम्हारे और मेरे विश्वास द्वारा करोड़ों को अनंत जीवन देना चाहते है| वह हमारी गवाहियों को आशीष देना चाहते है कि उनका प्रेम आकाश में तारों की तरह साकार और बढ़ता जाये| क्या तुम परमेश्वर के वादे और मसीह के बुलावे में विश्वास करते हो कि तुम तुम्हारे विश्वास के स्पष्टीकरण द्वारा आत्मिक संताने प्राप्त कर पाओगे? क्या तुम विश्वास करते हो कि परमेश्वर तुम्हारी अयोग्यता को योग्यता, तुम्हारी उदासीन कलीसियाओं को पुनर्जीवित और स्वयं उनकी आत्मा की संतानों को कठोर हृदयों से ऊपर उठा सकते है जैसे कि बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने कहा था कि यदि तुम ईमानदारी से प्रायश्चित ना करो तो क्या परमेश्वर निर्जन स्थान में खोयी हुई इब्राहीम की संतानों को ऊपर उठा सकते है? क्या तुम परमेश्वर का आदर करते हो? क्या तुम तुम्हारी उदासीन कलीसिया और तुम्हारे अस्वस्थ रंग ढंग के कारण निराशा वादी बनने के स्थान पर परमेश्वर की महिमा पर भरोसा और उनमें विश्वास करते हो? उनमे इतनी क्षमता है कि अपने जीवन की शक्ति को तुम्हारे द्वारा अनेको तक पंहुचा सके| निश्चित रहो कि इब्राहीम के परमेश्वर, पौलुस के प्रभु, कल, आज और हमेशा वही है| वह तुमसे विश्वास की आशा रखते है, क्योंकि तुम्हारा विश्वास – यही तो वह विजय है जिसने पूरे जगत के ऊपर सफलता प्राप्त की है| ना तो नींद में रहो ! ना अपनी आशा को टूट ने दो, चाहे तुम्हारे विश्वास का संघर्ष वर्षों और दशकों तक चलता रहे, जैसा कि इब्राहीम के जीवन में हुआ था , तब तक, जब तक कि अंत में उनमे एक छोटा सा फल कमजोर इसहाक के रूप में तैयार हुआ था| इब्राहीम के संघर्ष के बावजूद, परमेश्वर ने उनको उनकी आत्मा में शक्ति शाली किया था, और उपदेशको का पिता बनाया था| तुम्हारे परमेश्वर जिन्दा है और वह तुम्हे तुम्हारे विश्वास द्वारा न्यायोचित करना चाहते है, तो अपने हृदयों को उठाओ, तुम्हारे हाथों को जो कि नीचे की ओ़र झुक चुके है और तुम्हारे कमजोर घुटनों को मजबूत बनाओ क्योंकि परमेश्वर जीवित है और वह तुम्हारे आत्मिक युद्ध में तुमसे पहले पहुँच जाते है|

रोमियों 4:23-25
23 और यह वचन, कि विश्वास उसके लिए धार्मिकता गिना गया, न केवल उसी के लिए लिखा गया| 24 वरन हमारे लिए भी जिन के लिए विश्वास धार्मिकता गिना जाएगा, अर्थात हमारे लिए जो उस पर विश्वास करते हैं, जिस ने हमारे प्रभु यीशु को मरे हुओं में से जिलाया| 25 वह हमारे अपराधों के लिए पकड़वाया गया, और हमारे धर्मी ठहरने के लिए जिलाया भी गया||

इब्राहीम के रहस्य प्रकटीकरण के लिए आदर के साथ हमारे विश्वास का ज्ञान पूरे भरोसे के रूप में बढ़ गया है आज परमेश्वर ने अपने आप को अनंत, महान और छिपा हुआ नहीं दर्शाया है, बल्कि अपने पुत्र यीशु को हमारे पास भेज दिया है कि शायद हम उनके प्रेम में पिता परमेश्वर के प्रेम को पहचान सके| क्या असंभव सी बात संभव सी होती प्रतीत हुई, और परमेश्वर के एक मात्र पुत्र ने स्वयं अपने प्राण त्याग दिए और हमारे अपराधों को पोछ कर साफ कर दिया पवित्र परमेश्वर ने अपराधियों को उनके अपराधों के लिए नाश नहीं किया परन्तु उन्होंने स्वयं का नाश किया, ताकि हम अपराधी सुरक्षित हो सके| इस प्रकार के दयावान, प्रेम करने वाले, स्वयं का बलिदान करने वाले, देने वाले और धैर्यवान परमेश्वर हमारे परमेश्वर है|

जब यीशु मरे हुए में से जी उठे, उनके बलिदान की विजय दिखाई दी| उनके पिता ने उनको छोड़ नहीं दिया था, जब उन्होंने सूली पर चढाये गए मेमने पर अपना पूरा क्रोध उंडेल दिया था, परन्तु उन्होंने अपने अबोध पुत्र को उठा लिया और यह स्पष्टता से सिद्ध कर दिया कि उनका अनोखा बलिदान परमेश्वर की दैवीय इच्छा के अनुरूप था| अतः मसीह का पुनरुत्थान हमारे न्यायी करण के सत्य के अनुरूप है| यह असंभव है कि मसीह दफनाने से पहले पृथ्वी से स्वर्ग को चले जाते और परमेश्वर के घनिष्ट साथी बन जाते| नहीं! परमेश्वर ने उन्हें उनकी मृत्यु से ऊपर उठा लिया कि हम देखे और निश्चित हो पाए कि सूली पर परमेश्वर और जगत के बीच संधि पूरी तरह से हो चुकी है|

आज हमारे एक मात्र मध्यस्थ परमेश्वर के दाहिने हाथ की ओ़र बैठे हैं| उन्होंने हमारे और एक मात्र पवित्र परमेश्वर के बीच मध्यस्थता स्थापित की और अपने बलिदान के परिणाम को लेकर आये ताकि हम बेचैन न हो परन्तु इसके स्थान पर उनके विश्वास में लगातार बने रहे और यह भरोसा करे कि मसीह अकेले इस योग्य हैं जो उन लोगों को जो उनके द्वारा परमेश्वर के पास आये है, को बचाने का पूरा प्रयत्न, और तबसे अबतक उनके लिए मध्यस्थता करते हुए अनंतता में जी रहे है|

तो सारी कठिनाईओं, भय और खतरों के समय तुम्हारा विश्वास कहाँ है? परमेश्वर के राज्य के आने के विषय में और करोड़ों में दूसरे जन्म की तुम्हारी आशा आज कहाँ है? मसीह ने परमेश्वर से हमरी सुलह कराई और आज अपनी मध्यस्थता द्वारा हमारे न्यायी करण को सिद्ध करने के लिए जी रहे है| भरोसा करो कि तुम्हारे विश्वास से बंजर जमीन में भी बहते हुए पानी के सोते हो सकते है, मरे हुए हृदयों, भरोसा रखो और कभी संदेह न करो क्योंकि मसीह सचमुच जीवित है|

प्रार्थना: ओ प्रभु परमेश्वर, आप जीवित हैं और आपने हमें जगत में भविष्य में प्रचार करने के लिए भेजा| आपके सेवक इब्राहीम ने विश्वास किया था और आपकी दया से वे और सारा वृद्ध उम्र में भी एक संतान को जन्म दे सके, जिसके द्वारा सभी लोगोंको आशीष मिली| हमारे क्षणिक विश्वास को बढ़ाये, और हमारे विश्वास को ताकत दे कि हम हमारे प्रलोभनों के विरोध में आप पर भरोसा करे ताकि आपकी शक्ति हमारी कमजोरियों में हमें पूर्णता दे| हम आपका धन्य वाद करते हैं कि आपने इस बात की पुष्टि की है कि जब तक आप जीवित है हमेशा राज्य करते रहेंगे और करोड़ों लोग फिर से जन्म ले पायेंगे|

प्रश्न:

33. इब्राहीम के विशवास के संघर्ष से हमें क्या सीख मिलती है?

अतः, हम विश्वास द्वारा न्यायोचित ठहराए गए हैं,
प्रभु यीशु मसीह द्वारा परमेश्वर के साथ हमरी शान्ति बनी हुई है

(रोमियों 5:1)

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