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Previous Lesson -- Next Lesson रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 3 - परमेश्वर की धार्मिकता मसीह के अनुयायियों के जीवन में दिखाई देती है। (रोमियो 12:1 - 15:13)
5. अपने अधिकारियों के प्रति आज्ञाकारी बने (रोमियो 13:1-6)रोमियो 13:1-6 अलग अलग दलों के बीच मतभेद द्वारा, नेताओं के छल कपट द्वारा, असंगत सरकारों द्वारा, और अंधी अव्यवस्था द्वारा बहुतसे लोग पीड़ा उठाते है| इस दुनिया में कोई भी सरकार परिपूर्ण नहीं है, क्योंकि यहाँ कोई भी अपराधरहित व्यक्ति नहीं है| इसलिए अपनी सरकार को सहन करो जैसे परमेश्वर तुमको और तुम्हारे परिवार को सहन करते हैं| उपदेशक ने देखा था कि कोई भी सरकार अपने लोगों पर तब तक जीत नहीं सकती है जब तक परमेश्वर स्वयं उसे दृढनिश्चयी एवं अधिकृत ना करे|इसीलिए यह अनंत न्यायाधीश के प्रति उत्तर दायी है| एक भ्रष्ट प्रकार के लोग संभवतः एक भ्रष्ट सरकार के ही अधिकारी है| यदि तुम अन्यजाति के उपदेशक के शब्दों से भीतर तक चुभन अनुभव करते हो, तुम्हे अजीब सी अभिव्यक्तियां मिलेगी| क) सभी सरकारे परमेश्वर के द्वारा दृढनिश्चत की गई है, क्योंकि उनकी इच्छा और जानकारी के बिना कुछ नहीं होता|
ख) वह जो अपनी सरकार की आज्ञा का पालन नहीं करता, परमेश्वर के प्रति अवज्ञाकारी है|
ग) वह जो सत्ता के विरोध में विद्रोह करता है एक न्यायसंगत दण्ड को प्राप्त करता है|
घ) परमेश्वर मंत्रियों और प्रधानों का अपराधियों और ढोंगी लोगो को डराने और न्याय की तलवार को ज्ञान एवं समरूपता के साथ उपयोग करने के लिए नियुक्त करते हैं| ड) वे लोग जो अच्छे है, उन्हें डराने की कोई आवश्यकता ही नहीं है| उनको एक न्यायी सरकार की आवश्यकता है, जो कि परमेश्वर के मंत्री कहे जाते हैं, और जो धार्मिक लोगों को उनकी रचनात्मक सेवाओं को निरंतर करते रहने के लिए प्रोत्साहन देते है|
उपदेशक पौलुस ने सरकार को “परमेश्वर के मंत्री” दो बार कहा है| इसलिए यदि यह सच्चाई एवं धार्मिकता के सिद्धांतों को स्थापित करते है, परमेश्वर इसे आशीष देंगे और इसके लोगों के साथ इसे ईनाम देंगे| परन्तु यदि यह सत्य को पलट देते हैं, या रिश्वत लेते है, तब परमेश्वर इसे दण्ड देंगे| सरकार में नियुक्त सभी व्यक्ति, अपने बुलावे के अनुसार परमेश्वर के मंत्री है, और वे या तों परमेश्वर की सुरक्षा या उनके न्याय का अनुभव करते है| यीशु ने कर्तव्यों और करों के प्रति मनुष्य की बाध्यता के साथ इस मामले को सुलझाया, जब उन्होंने कहा था: “जो वस्तुएँ कैसर की है कैसर को दो, और जो वस्तुएँ परमेश्वर की है, परमेश्वर को दो” (मत्ती 22:21)| इस वाक्य के द्वारा मसीह सरकार के प्रति कर्तव्यों को ईमानदारी से पूरा करने के लिए मनुष्यों को उत्तरदायी मानते है; और उसी समय वे सरकार की सत्ता की सीमाएं बताते हैं| इसलिए यदि कोई सत्ता सच्चे परमेश्वर और उनकी स्थापित की हुई आयतों को मानने का विरोध करती हैं, या सच्चे परमेश्वर के स्थान पर अन्य देवता की आराधना करने का आदेश देती है मनुष्य ने ऐसी सत्ता का विरोध करना चाहिए क्यों कि “हमें मनुष्यों की अपेक्षा परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना चाहिए” (प्रेरित के कामों का वर्णन 5:29) यहाँ तक कि उसके विश्वास के कारण ऐसे विरोध का परिणाम उसका निष्कासन, उसपर अत्याचार या उसकी हत्या हो| भूमध्यसागर के आसपास का भूभाग शहीदों के खून से भीगा हुआ है, जो अपनी सरकरों के लिए प्रार्थना करने वाले सिपाही थे, परन्तु उन्होंने उनके उन न्यायों का जो मसीह की आत्मा के विरूद्ध था, का विरोध किया था| पवित्र बाइबिल हमें कहती है कि अन्तिम दिनों में मसीहविरोधी, दुनिया के सभी लोगो के ऊपर सत्ताधारी के रूप में उठ खड़े हैं, और पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की आराधना करने के स्थान पर स्वयं की आराधना करने का आदेश देते हैं| यह भी कहती है कि जो कोई भी परमेश्वर से प्रार्थना करता है वह मसीह विरोधी के आदेश का उल्लंघन करने वालो में शामिल माना जायेगा, मसीह विरोधी जो परमेश्वर का विरोध करते हैं और उनकी मृत्यु वेदनाभारी होगी| अतः मनुष्य के लिए यह अच्छा है कि वह हमेशा केलिए नाश होने के स्थान पर कुछ समय के लिए दर्द सह ले| यह भी हमारा आध्यात्मिक कर्तव्य है कि हम हमारी सरकार के चयन और इसके संविधान के लिए और इसके अधिकारों की उपलब्धि के लिए प्रार्थना करे, क्योंकि सरकार के प्रमुख, परमेश्वर के विश्वसनीय अनुग्रह को छोड़कर कुछ भी अच्छा कार्य नहीं कर सकते| प्रार्थना: ओ प्रभु यीशु, आपने मनुष्यों के बदले अपने पिता की आज्ञा का पालन किया था और इसलिए आप सूली पर चढ़ाये गये| हमारी सहायता कीजिए कि हम अपनी सरकार के अच्छे के लिए प्रार्थना करे, और हमें साहस देना कि यदि वे हमें अविश्वास करने या बुराई करने के लिए विवश करे तों हम उनका विरोध करे| प्रश्न: 86. प्रत्येक सरकार की सत्ता की सीमाएँ क्या है; और हमें मनुष्यों की अपेक्षा परमेश्वर की आज्ञा का पालन करना चाहिए?
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