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Previous Lesson -- Next Lesson रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 3 का अनुपूरक - रोम में कलीसिया के नेताओं को पौलुस के चरित्र पर विशेष राय (रोमियो 15:14 – 16:27)
6. छल कपट करने वालों को एक चेतावनी (रोमियो 16:17-20)रोमियो 16:17-20 अपनी पत्री को समाप्त करते हुए संभवतः पौलुस को यह बात समझ में आई थी कि मूसा का कानून मानने वाले गुट ने जोशपूर्वक रोम की घरेलू कलीसियाओं में ईसाईयों को बुलाना आरंभ किया था कि वे मूसा के कानून और रीती रिवाजों को जो उन्हें यहूदीवाद से विरासत में मिले थे को बनाये रख पाये| इन कानूनों में, कुछ खाध पदार्थों को खाना निषेध, निश्चित दिनों या महीनो को उपवास, रविवार के स्थान पर सबात का पालन, और यहूदी वचनों का ईसाई वचनों से पहले पालन करना, शामिल था| पौलुस शीघ्र समझ गये थे, प्रलोभनों के सत्य को शैतान ने, घरेलू कलीसियाओं के बीच में से केवल परमेश्वर के अनुग्रह को शर्मिंदा किये बिना, अच्छे कार्यों और कानून बनाये रखने पर पाये जाने वाले अपधर्म से दूर चले जाने के डर से जिसकी युक्ति निकली थी| इस अपधर्म के अनुसार मसीह की सूली उद्धार प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है, परंतु हमें हमारे अपने प्रयासों, मूसा के कानून को बनाये रखना, और कठोरतापूर्वक उसका पालन करने पर विश्चास करना चाहिए| पौलुस ने देखा कि शैतान ने मसीह की धार्मिकता के विरोध में आक्रमण किया, मसीह जिन्होंने अपराधियों के सभी अपराधों को क्षमा कर दिया उनके कथन के अनुसार: “वह जो विश्वास करता है और बपतिस्मा लेता है बचाया जायेगा; परन्तु जो विश्वास नहीं करता दंडित किया जायेगा|” वह उनका उल्लेख करता है जिन्होंने मसीह के मुफ्त अनुग्रह को घुमा दिया था जैसे वह लोग जो अपराधों और विभाजनों के, कारण थे, सिद्धांत के विपरीत जैसा उपदेशक दाऊद ने कहा था: “किन्तु परमेश्वर से मुड कर सभी दूर हो गये हैं| आपस में मिल कर सभी लोग पापी हो गये हैं| कोई भी जन अच्छे कर्म नहीं कर रहा है!” (भजन संहिता 14:3) पौलुस ने रोमियों को लिखी अपनी इस पत्री में मानवीयता के दिवालियेपन को स्पष्ट किया था, मसीह के रास्ते को हमारे उद्धार के एक मात्र रास्ते के रूप में महत्त्व दिया (रोमियो 3:9-24)| स्पष्टीकरण के बाद कपटी यहूदी आये थे, और पौलुस जिसके साथ आये थे, उसका अंत करने का प्रयास उनकी पत्री के रोम की कअलिसिया तक पहुँचने से पहले, किया था| इसीलिए पौलुस ने रोम की कलीसिया को उन् झूठे कपटियों के बारे में चेतावनी दी थी| इसके पहले यरूशलेम में उपदेशकों की पहली सभा में, और वो लोग जो विश्वासियों में कानून के बारे में कट्टर थे, के साथ एक गरमागरम बहस के साथ, पौलुस ने बेझिझक कहा: “सो अब शिष्यों की गर्दन पर एक ऐसा जुआ लड़ कर जिसे न हम उठा सकते हैं और न हमारे पूर्वज, तुम परमेश्वर को झमेले में क्यों डालते हो? किन्तु हमारा तों यह विश्वास है कि प्रभु यीशु के अनुग्रह से जैसे हमारा उद्धार हुआ है, वैसे ही हमें भरोसा है कि उनका भी उद्धार होगा!” (प्रेरितों के काम 15:10-11) जब उपदेशकों के प्रमुख पतरस ने, मसीह को पीडाओं और सूली पर चढाने की प्रक्रिया की ओर बढ़ने से हटा देने का प्रयास किया था, यीशु ने उससे कहा “फिर यीशु उसकी तरफ मुड़ा और बोला, ‘पतरस, मेरे रास्ते से हट जा| अरे शैतान! तु मेरे लिए एक अड़चन है| क्योंकि तु परमेश्वर की तरह नहीं लोगों की तरह सोचता है|’” (मत्ती 16:23) यीशु की सूली का अंत करने, और अपने उद्धार के लिए उनकी अपनी कर्मठता की स्थापना करने के, मनुष्यों के सभी प्रयास असफल थे| फिर भी वे उनके सत्व में शैतानी कपटी हैं| इसी प्रकार से मानवीयता जगाने के प्रयास सुंदर दिखाई देते है, परन्तु, सत्व में, वे परमेश्वर के अनुग्रह के विरोध में हैं| प्रत्येक व्यक्ति जो कानून को बनाये रखने के द्वारा स्वर्ग को अर्जित करने का रास्ता ढूंढता है, सूली पर चढाये जाने के ऐतिहासिक सत्य, और मसीह के बहुमूल्य उद्धार को नकारता है, वह शैतान द्वारा जाल में फांसा और छला जा चुका है| अपनी पत्री में, पौलुस ने रोम के भ्रमित विश्वासियों को बुलाया और कहा था “सचेत रहो इन कपटीयों से, और उनसे दूर रहो, और अपने घरों के दायरे में उनको बोलने की अनुमति न देना, क्योंकि क्या तुम नहीं समझे यीशु के कथन का अर्थ क्या था: “यह उन बुजुर्गों..... के लिए कहा गया था, परंतु मै तुमसे..... कहता हूँ” वे छली भूतकाल में रहे, और नए युग अनुग्रह के युग तक नहीं आये है| तों सूली पर चढाये हुए को मजबूती से पकड लो जो मृतकों में से जी उठे, और तुम हमेशा जिन्दा रहोगे|” पौलुस ने अपनी चेतावनी में, रोम में विश्वासियों की प्रशंसा और सम्मान को शामिल किया था उनको यह कहकर: “मैं तुम्हारे सच्चे विश्वास और तुम्हारे अध्यात्मिक प्रेम के लिये बहुत प्रसन्न हूँ, क्योंकि तुमने पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन तले आज्ञा का पालन करना सीखा था, और तुमने इसका प्रयोग अपने व्यावहारिक जीवन में किया और इस अध्यात्मिक सत्य को यूनान की सभी कलीसियाओं ने जान लिया है| इसीलिए जीवित यीशु से बुद्धि मांगो कि तुम बुराई से अच्छे को अलग कर पाओ| जो अच्छा है वही करो, शैतान की मूर्खता को छोड़ दो| जीवित प्रभु से, हर समय प्रार्थना करो कि सुसमाचार पर मार्गदर्शन स्थापित हो ताकि वे तुम्हे सही विश्वास की ओर ले जाये और तुम परमेश्वर की शांति के साथ जी पाओ|” इन उत्साही शब्दों के बाद, पौलुस ने अपने पवित्र क्रोध में उनको अपने इस अदभुत कथन द्वारा विश्वास दिलाया था जो हमें पवित्र बाइबिल में किसी भी और स्थान पर नहीं मिलता है “शान्ति का परमेश्वर शैतान को तुम्हारे पांवोंसे शीघ्र कुचलवा देगा। हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह तुम पर होता रहे।” (रोमियो 16:20) इस निर्णायक कथन का अर्थ है कि शांति के परमेश्वर, जो शांति की पूर्णता के साथ, जो स्वयं उनमे है से, अपनी शांति उनके हृदयों में उंडेल देंगे| यह परमेश्वर जो भ्रम को कभी स्वीकार नहीं करता, शैतान पर विजय पायेगा जब मसीह स्वर्ग से वापस आयेंगे| पौलुस ने रोम की कलीसिया को इस बात की पुष्टि दी थी कि यह मसीह का आध्यात्मिक शरीर है, और इसलिए यह उनका व्यवहारिक अनुभव होगा कैसे सर्वशक्तिमान ने बुराई को उनके पैरों तले डाल दिया होगा, क्योंकि आप मसीह में थे, और मसीह आप में| “यहोवा ने मेरे स्वामी से कहा, ‘तुम मेरे दाहिने बैठ जा, जब तक कि मै तेरे शत्रुओं को तेरे पांव की चौकी नहीं कर दूँ’|” (भजन संहिता 110:1) पौलुस एक यथार्थवादी व्यक्ति थे| आपने प्रभु यीशु से प्रार्थना की थी कि रोम में विश्वासियों को प्रलोभनों और शैतान से दूर रखें, और उनमे अपने अनुग्रह को स्थापित करें, क्योंकि अनुग्रह पिता, पुत्र, एवं पवित्र आत्मा के आनंद की कुंजी है| प्रार्थना: ओ प्रभु यीशु, आपने हमें प्रार्थना करना सिखाया: “हमें परीक्षा में ना ला, बल्कि बुराई से बचा”| हमारे हृदयों की आँखों को खोलिए कि बुराई पर आपकी विजय को देख सके, और हमें हमारे प्रत्येक उस प्रयास से दूर रखें जो हम स्वयं को छुडाने के लिए स्वयं ही करें, क्योंकि आप, ही है, और दूसरा कोई भी नहीं हैं, जो हमारा रक्षक है| प्रश्न: 98. शैतान के प्रलोभनों का केन्द्र बिंदु क्या है?
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