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Home -- Hindi -- Romans - 079 (The Continuation of Paul’s List of the Saints)
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रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 3 का अनुपूरक - रोम में कलीसिया के नेताओं को पौलुस के चरित्र पर विशेष राय (रोमियो 15:14 – 16:27)

5. रोम की कलीसिया के उन महापुरुषों के नामों की सूची का निरंतर क्रम जिनको आप जानते थे (रोमियो 16:10-16)


रोमियो 16:10-16
10 अपिल्लेस को जो मसीह में खरा निकला, नमस्‍कार। अरिस्‍तुबुलुस के घराने को नमस्‍कार। 11 मेरे कुटुम्बी हेरोदियोन को नमस्‍कार। नरिकयुस के घराने के जो लोग प्रभु में हैं, उन को नमस्‍कार। 12 त्रूफैना और त्रूफोसा को जो प्रभु में परिश्र्म करती हैं, नमस्‍कार। प्रिया पिरिसस को जिस ने प्रभु में बहुत परिश्र्म किया, नमस्‍कार। 13 रूफुस को जो प्रभु में चुना हुआ है, और उस की माता को जो मेरी भी है, दोनोंको नमस्‍कार। 14 असुतिुस और फिलगोन और हिमस ओर पत्रुबास और हिमांस और उन के साथ के भाइयों को नमस्‍कार। 15 फिलुलुगुस और यूलिया और नेर्युस और उस की बहिन, और उलुम्पास और उन के साथ के सब पवित्र चुम्बन से नमस्‍कार करो: तुम को मसीह की सारी कलीसियाओं की ओर से नमस्‍कार।। 16 आपस में पवित्र चुम्बन से नमस्‍कार करो तुम को मसीह की सारी कलीसियाओं की ओर से नमस्‍कार।

पौलुस ने रोम की कलीसिया के उन सदस्यों के नामों के बारे में जानकारी दी थी जिनको आप जानते थे और लोगों को आपके द्वारा दी जाने वाली शिक्षा और अनुभव का ज्ञान था| आपने इस सूचि द्वारा कलीसिया के प्रमुख लोगों को इस बात की पुष्टि दी कि, आप रोम में एक अजनबी नहीं थे, परन्तु उनके कार्यकारी संदेशवाहक रोम की कलीसिया में जाने और स्वीकार किय जाते हैं|

अपिल्लेस एक अत्यधिक प्रसिध्द यूनानी पेन्टर का नाम था| वह रोम की कलीसिया के एक अनुभवी सदस्य थे, जो पीडाओं और संघर्षों के बावजूद मसीह के प्रति निरंतर विश्वासी बने रहे थे| अरिस्‍तुबुलुस घरेलू कलीसिया के भी संभवतः स्वतन्त्र दास, व्यक्तिगत रूप से ना पहचाने जाने वाले भाई थे, परंतु पौलुस उन्हें भाईयों के नाम से बुलाते थे क्यों की उनके मसीह, परमेश्वर के पुत्र में उनके विश्वास द्वारा सर्वशक्तिमान ने उनको स्वीकार और उनका नवीनीकरण किया था|

मूल यहूदी के ईसाइयों में से एक हेरोदियोन थे, जो मूसा के नियम पर चलने, और इस के साथ मसीह का अनुसरण करने का प्रयास करते थे| पौलुस की जाति के अनुसार वह उनके एक रिश्तेदार थे|

नरिकयुस के घरेलू कलीसिया, पौलुस उनको नामों से नहीं जानते थे, परन्तु वे ईमानदार ईसाई बने थे, प्रभु यीशु की एक सम्पति, और उन्होंने उनके आध्यात्मिक अनुभवों को स्वीकार किया था| त्रूफैना और त्रूफोसा दो बहनें प्रभु की उत्साही सेवकों के रूप में जानी जाती थी| पिरिसस प्रभु का तीसरी सेवक थी, जिसे पौलुस आध्यात्मिक रिवाज के अनुसार प्रिय कहते थे क्योंकि वह न केवल विश्वास करती थी, परन्तु वह जो विश्वास करती थी उस प्रकार से जीवन जीती थी, यीशु के लिए जिसने बहुत परिश्रम किया था|

पौलुस ने रूफुस पर यह अनुपम शीर्षक उंडेल दिया था, “परमेश्वर में चुना हुआ”, जो कि सीरेने के साईमन, जिन्होंने यीशु का क्रूस उठाया था (मर्कुस 15:21) के बेटे थे| साईमन की पत्नी; जोकि रूफुस की माता ने मध्य पूर्व में संभवतः पौलुस की सेवा की थी, क्योंकि पौलुस ने यह साक्षी दी है कि यह भली महिला, जिन्होंने उनकी देख भाल की, और उन्हें सुख सुविधाएँ दी, उनके लिए उनकी माता के समान थी|

पौलुस ने विश्वासियों के दो गुटों को अपनी शुभ कामनाएं भेजी और उनमे से प्रत्येक का नाम उसमे उल्लेखित किया, क्योंकि आप ऐसा समझते थे कि उनके बारे में आपका ज्ञान कलीसिया को ज्ञात हो| असुंक्रितुस और फिलगोन और हिर्मेस ओर पत्रुबास और हिर्मोस और उन के साथ के भाई जो उनके साथ थे, पहले गुट में थे जिन्हें आप प्रभु यीशु में भाई कहते है| दूसरा गुट था: फिलुलुगुस और यूलिया और नेर्युस और उस की बहिन, और उलुम्पास और सभी संत जो उनके साथ थे; वे घरेलू कलीसियाओं के सदस्य थे| पूर्वोल्लिखित पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के तले रहते थे, और पवित्र आत्मा के फल उनमे दिखाई देते थे इसलिए आप उनको संत कहते थे| उन्होंने सूली पर चढाये गये हुए जो मृतकों में से जी उठे का अनुभव उनके प्रभु और रक्षक के रूप में किया था, और पवित्र आत्मा के उपहारों एवं उनकी अनंत शक्ति को प्राप्त किया था|

पौलुस रोम में महापुरुषों के नामों की सूची समाप्त करते है उनसे यह विनती करते हुए कि एक पवित्र चुम्बन के साथ एक दूसरे का अभिवादन, मसीह के साथ उनके पवित्र, आध्यात्मिक भाई समान संबध के प्रतीक के रूप में करो| इससे अधिक पौलुस मध्य पूर्व में सभी कलिसियाओं के नामों में, रोम की सभी कलीसियाओं और विश्वासियों को, अपनी क्षमता जैसे उनके प्रतिनिधि के रूप में शुभकामनाएँ देते है|

वह जो ध्यानपूर्वक 25 नामों की इस सूची को देखता है, समझता है कि उस समय कलीसियाएं पत्थरों की बनी हुए बड़ी कलीसियाएं नहीं थी, परन्तु विश्वासियों का समागम, जो उनके अपने घरों के एक सिमित दायरे में हुआ करता था, जिन्हें पौलुस रोम में पवित्र आत्मा के मन्दिर के रूप में मानते थे| वे अलग अलग भाषाओं और रिवाजों में एक अन्तराष्ट्रीय कलीसिया का निर्माण करते थे| परन्तु उन सभी ने एक स्वर में मसीह के और उनके रक्त, और उनकी धार्मिकता जो उन को दी गई थी के नाम में साक्षी दी थी| हो सकता है कि नामों की इस सूची में हम कुछ ऐसे नाम पढ़ें जो मर चुके थे, जो रोमन निर्कुश शासक नेरो के काल के समय अत्यधिक अत्याचारों में मारे जा चुके थे| वह ईसाईयों को गिरफ्तार करते थे, उनको फांसी देते थे, उनके शरीरों पर ज्वलनशील पदार्थ उंडेलते थे उनको जलती हुई मशाल बनाने के लिए, या निचे आग लगाकर, उन्हें उस लोहे की छड़ों पर उनके शरीरों को भूनते थे|

प्रार्थना: ओ स्वर्गीय पिता, हम आपकी आराधना करते हैं क्योंकि आपने रोम में यीशु मसीह की कलीसियाओं को, पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के तले, अलग भाषाओँ में इकठ्ठा किया; और यह कलीसिया नए निर्माण का प्रतीक बन गया, क्योंकि अनंत जीवन उनमे निवास करता था| हमे भी ऐसी शक्ति दीजिए कि हम आलसी ना बने, बल्कि उन लोगों को ढूंढे और स्वीकार करे जो पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा; एक परमेश्वर से प्रेम करते हो|

प्रश्न:

97. सूची में उल्लेखित महा पुरषों के नामों से हमें क्या सीख मिलती है?

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