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Previous Lesson -- Next Lesson रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 3 का अनुपूरक - रोम में कलीसिया के नेताओं को पौलुस के चरित्र पर विशेष राय (रोमियो 15:14 – 16:27)
4. पौलुस की रोम के उन महपुरूषों के नामों की सूची जिनको आप जानते थे (रोमियो 16:1-9)रोमियो 16:1-9 अपनी पत्री में, पौलुस ने निम्नलिकित विषयों की व्याख्या की थी: प्रथम: मसीह में विश्वास के मुलभूत सिद्धांत|
द्वितीय: परमेश्वर का चुनाव|
तृतीय: विश्वासियों का व्यवहार|
पत्री के अन्त में, पौलुस ने न केवल सिद्धांतों के बारे में कहा है, बल्कि कलीसिया के उन लोगों, जिन्हें आप जानते थे प्रस्तुत किया है| आपने सिद्ध किया है कि वे लोग आपके शिक्षण के सत्य को प्रमाणित करने के व्यवहारिक साक्षी हैं आपने उन्हें आपके संदेश को साकार रूप देने वाले, और आपके शिक्षण एवं आपके आगमन के लिए तैयार लोगों में सम्मिलित किया है| अन्य जातियों के उपदेशक रोम के लिए अजनबी नही थे, परन्तु आपने रोम के महापुरुषों के सामने एक चुनाव प्रस्तुत किया था जो अन्य भाईयों को जानते थे| वे सभी लोग मसीह में स्थापित थे, और रोम राज्य की राजधानी जो उस समय थी, में पवित्र आत्मा के मन्दिर में जीवित पत्थर थे| अजीब बात है कि पौलुस ने अपनी संतों की सूची एक महिला फिबे से शुरू की है जिसका उल्लेख आपने “मसीह में हमारी बहन” किया है| फिबे एक नेक ईसाई व्यक्ति थी जो कलीसिया की सेवकाई, गरीब, बीमार और यात्रियों के प्रति निष्ठावान थी| वह यूनान में कुरंथी के उत्तरी भाग में स्थित किंखिया कलीसिया द्वारा नियुक्त एक सेवक थी| यह दिखता है कि वह न्यायिक मामलों और सीमा शुल्क मांगों की व्यवस्था में साथ ही साथ मुअक्किलों और लोगों के, बिना नागरिक अधिकारों के व्याज के मामलों में विशेषज्ञ थी| उन्होंने पौलुस और उनके साथियों की यात्रा में मदद की थी, और संभवतः रोम में भी उनकी मदद करने के लिए तैयार थी, यदि उन्हें उनके आगमन पर किसी समस्या का सामना करना पड़ा| पौलुस ने रोमन ईसाईयों से फिबे को सहयोग करने के लिए जिस किसी भी मामले में यदि उनके द्वारा किसी मदद की आवश्यकता हो तों करें, और उनसे विनती की, कि उनका स्वागत एक संत के समान करे| यह माना गया था कि फिबे ने पौलुस की वर्तमान पत्री को रोम की कलीसिया तक पहुँचाया था| फिबे का व्यक्तित्व था, और वह मध्य पूर्व के प्रसिद्ध ईसाईयों में से एक थी| फिबे के बाद इस पत्र में रोम में संतों की सूची में, पौलुस प्रिसका और उनके पति अक्विला के नामों का उल्लेख करते है| इफिसियों में उन्होंने पौलुस को रहने के लिए स्थान दिया था और अपनी जीविका कमाने के लिए काम दिया था (प्रेरित के कामों का वर्णन 18:2-26) और जहां पौलुस ने अपिल्लेस को जो एक धाराप्रवाह बोलने वाले धर्मप्रचारक थे को अत्यधिक सही प्रकार से सुसमाचार की व्याख्या दी थी| इस बात का उल्लेख किया गया है कि पौलुस ने उनके पति से पहले महिला के नाम का उल्लेख किया था, यह जानते हुए कि पौलुस को बचाने के लिए दोनों ने अपने आपको सामने कर दिया था, उनकी सुरक्षा करने के लिए अपने जीवन को खतरों में डाल दिया था; और लघु एशिया के सभी विश्वसियों ने इन दम्पति की उनके आत्म बलिदान और दयालु सेवा के लिए धन्यवाद किया था| यह देखा गया है कि इसके बाद वे रोम की यात्रा कर चुके थे, जहाँ उन्होंने उस कलीसिया को पाया था जो कि उनके अतिथिसत्कार के साथ उनकी कोठी में आराधना के लिए इकट्ठा होने के लिए जाने जाते थे| पौलुस ने उसी प्रकार से उनके घरों में, कलीसिया को अपनी शुभकामना भेजी है इस बात का उल्लेख करते हुए कि वे सभी परमेश्वर के अनुग्रह के बारे में उनके शिक्षण के गवाह के समान हैं| इपैनितुस का पौलुस के प्रिय के रूप में स्वागत किया गया था| एशिया में वह पहले व्यक्ति थे जो मसीह के विश्वास में धर्मपरिवर्तक थे, और विश्वासी लोग उनको मसीह और उनके बीच की जोड़ने वाली कड़ी के रूप में मानते थे| तब आपने यीशु के पदचिन्हों का निरंतर अनुसरण करने के लिए रोम की यात्रा की थी| इपैनितुस के बाद पौलुस मरियम के नाम का उल्लेख करते हैं, जिन्होंने ईमानदारीपूर्वक एवंम लगन पूर्वक रोम की कलीसिया में अतिपरिश्रम किया था, और यूनान एवं अंतोंलिया में संभवतः पौलुस और उनके साथियों को मदद की थी| पौलुस ने उनकी शुद्ध, निरंतर, मसीह के अनुयायियों के लिए सेवा की गवाही दी थी| इनके बाद पौलुस ने अन्द्रुनीकुस और जुनिया के नामों का उल्लेख किया, जो कि बेंजामिन जाति के मूल यहूदी के विश्वासी थे, पौलुस के समान, जो रोम में रहते थे, और उस सत्य के गवाह थे कि पौलुस याकूब के बच्चों में से एक थे| वे पौलुस के साथी कैदी थे और मसीह के लिए झेली गई यातनाओं में उनके भागीदार थे| वे पौलुस से पहले धर्मपरिवर्तन कर चुके थे, और यरूशलेम की कलीसिया में प्रथम ईसाईयों में प्रतिष्ठित पहचान एवं अन्य उपदेशकों से मित्रता के साथ एक विशिष्ट आदर रखते थे| अब पौलुस ने तीन अजीब नामों का इस सूची में उल्लेख किया है: अम्पलियातुस, उरबानुस, और स्टेचीस| अम्पलियातुस और स्टेचीस तब तक भी दास थे| पौलुस ने अम्पलियातुस को परमेश्वर में उनके प्रिय के समान ऐसा वर्णन किया था, यह संकेत देते हुए कि जिससे घृणा की जा रही थी, और जिसे अत्याचार सहन करना पड़ रहा था, उसे बहुत अधिक आदर मिला जब वह मसीह के आध्यात्मिक शरीर में, आध्यात्मिक कलम द्वारा लगाया गया था| एक और व्यक्ति जिसे पौलुस ने अपना प्रिय कहा है कलीसिया का एक प्रशंसनीय नौकर था| उरबानुस मूल रोम के एक सम्मानीय सज्जन थे, जिन्होंने पौलुस के साथ एक लंबे समय तक काम किया था कि पौलुस उन्हें उनके याजकीय कार्यों में भागीदार और मसीह के मददगार मानते थे| उरबानुस रोम की सभी कलीसियाओं में जाने जाते थे| यह पहचानना आवश्यक है कि आरंभ से स्वतंत्र और दास जिन सब लोगों ने मसीह की आध्यात्मिक एकता बनाई थी, रोम की कलीसिया में शामिल थे| इससे हमें ज्ञात होता है कि पवित्र आत्मा प्रजातीय या सामाजिक भेदभावों को महत्वता नहीं देता| वह एक पुरुष और एक महिला, एक स्वतंत्र और एक दास मनुष्य, एक अमीर और एक गरीब मनुष्य, एक यहूदी और एक अन्यजाति के बीच कोई भेदभाव नहीं करता, क्योंकि वे सभी मसीह की आद्यात्मिक एकता में एक बराबर हैं| प्रार्थना: स्वर्ग में हमारे पिता, हम आपकी प्रशंसा करते है, क्योंकि आपने यीशु मसीह में, और पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के तले रोम में कलीसियाओं को स्थापित किया था| हम विशेष रूप से आनंदित है क्योंकि आपके पुत्र ने स्वतंत्र मनुष्य और दास, पुरूष और महिला, अमीर और गरीब यहूदियों और अन्यजातियों को इन कलीसियाओं में शामिल किया था, और वे सभी एक आशीषित, आध्यात्मिक एकता बन गये थे| प्रश्न: 96. रोम में कलीसिया के सदस्यों के नामों से हम क्या सीख सकते हैं?
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