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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
चौथा भाग - ज्योति अन्धकार पर विजय पाती है (यूहन्ना 18:1 - 21:25)
ब - मसीह का पुनरुत्थान और दर्शन देना (यूहन्ना 20:1 - 21:25)

2. यीशु ऊपर के कमरे में चेलों पर प्रगट होते हैं (यूहन्ना 20:19-23)


यूहन्ना 20:19
“19 उस दिन जो सप्ताह का पहला दिन था, सन्ध्या के समय जब वहाँ के द्वार जहाँ चेले थे, यहूदियों के डर के मारे बन्द थे, तब यीशु आया और उन के बीच में खड़ा हो कर उन से कहा, ,तुम्हें शान्ति मिले |’

यीशु के चेले एक कमरे में बैठ कर, जिस के दरवाजों पर ताले लगे हुए थे, उस रविवार के दिन की डरावनी घटनाओं पर विचार विनिमय कर रहे थे | उन्हें पतरस और यूहन्ना के द्वारा पता लगा था कि कब्र खाली थी | उन महिलाओं ने भी स्वर्गदूतों के कहने के अनुसार इस सूचना की पुष्टि की कि यीशु जी उठे हैं | मरियम मगदलीनी ने यह भी बताया कि उस ने आप को देखा है | यह समाचार सुन कर यीशु के अनुयायियों को सदमा पहुँचा कि मरा हुआ व्यक्ति जीवित है फिर भी अपने विश्वासियों के समूह के पास न आया | परन्तु जब प्रभु गिरिफ्तार किये गये तब वे ऊंघ रहे थे; पतरस ने आप का इन्कार किया था और उन में से एक भी व्यक्ति आप की न्यायालय में पेशी के समय आप के निकट न था, न ही यूहन्ना और उन महिलाओं के सिवाय कोई क्रूस के पास खड़ा रहा और न आप के शव को अभिषिक्त करने के लिये नीचे उतारा | वे यहूदियों से डर रहे थे और सोच रहे थे कि जैसे ही पर्व समाप्त होगा वे उन्हें कष्ट देना शुरू करेंगे | इन कारणों के कारण उन्हों ने दरवाज़ों पर ताले लगा दिये थे और निराशा की स्थिति में अन्दर के कमरे में इकठ्ठे हो गये |

उन्हों ने यह महसूस किया कि महिलाओं ने पेश किया हुआ रिपोर्ट व्यर्थ है और एक दूसरे से कहने लगे, “हम यीशु के अनुयायी बने और प्रतिक्षा करते थे कि आप विजय प्राप्त करेंगे और हमें मंत्री बनायेंगे | परन्तु हम असफल रहे और अब यहूदी हमारा पीछा करेंगे ताकि हमें नाश कर दें |”

ऐसी निराशा के बीच में और उन के अविश्वास और कड़वाहट के बावजूद, यीशु आकार उन के बीच में खड़े हो गये | आप उन की आशा, प्रेम और दिवालियापन के कारण नहीं आये बल्कि जिद्दी लोगों पर अपनी दया और अविश्वासियों पर अपना अनुग्रह प्रदान करने के लिये आये थे |

उन के बीच में यीशु का अत्यन्त ख़ामोशी के साथ आना एक आश्चर्यकर्म था | एक मृतक जीवित प्रगट हो कर और एक त्याग किया हुआ व्यक्ति मुक्त स्थिति में आ कर उन के सामने खड़ा होता है | चट्टान में तराशी हुई कब्र और न ही लोहे का फाटक आप को अपने चुने हुओं के बीच में आने से रोक सकते थे | यहाँ आप उस कमरे में उन के बीच में किसी अन्य मनुष्य की तरह अपने शारीरिक रूप में उपस्थित थे जिन्हें उन्हों ने देखा, सुना और उन का स्पर्श किया | उसी समय आप आत्मा भी थे जिस के कारण आप दीवारों और दरवाज़ों में से निकल सकते थे | आप का नया अस्तित्व हमें बताता है कि अगर हम आप में बने रहे तो हम भी ऐसे ही होंगे | हम आशा करते हैं कि मृतकों में से जी उठने के बाद हम भी ऐसा ही शरीर पायेंगे |

कितनी शंतिदायक बात है ! वह जो मृतकों में से जी उठा, उस ने अपने चेलों को उन के अवगुणों के लिये ड़ाँटा नहीं बल्कि उन्हें ईस्टर की शुभकामनायें दीं जो पहले शब्द थे जो आप ने अपने पुनरुत्थान के बाद अपनी पूरी मंडली से कहे : “तुम्हें शान्ति मिले |” इस शुभकामना का यह अर्थ हुआ कि आप के क्रूस के द्वारा आप ने दुनिया का परमेश्वर से मिलाप कर दिया है | स्वर्ग से पृथ्वी पर शान्ति फैलने लगी और एक नये काल का आगमन हुआ जिसे यीशु ने हमें पेश किया ताकि हम चाहें तो आप को स्वीकार करें या त्याग दें | मनुष्य अपने उद्धार के लिये स्वय: ज़िम्म्वेदार होता है | हर व्यक्ति कि जो पश्चताप करता है और यीशु पर विश्वास करता है, आप की आशीषों में सहभागी होता है | जो व्यक्ति शान्ति के राजकुमार के वर्ग में शामिल हो जाता है वह आप के अनोखे बलिदान से धार्मिक ठहराया जाता है, जैसे कि पौलुस ने कहा: “अत: जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें |”

प्रार्थना: ऐ प्रभु यीशु मसीह, जो मृतकों में से जी उठे और शान्ति के राजकुमार हैं, हम आप के सामने प्रसन्नता और धन्यवाद के साथ नमन करते हैं क्योंकि आप हमारे पास न्याय करने और दंड़ देने नहीं आये बल्कि अपना अनुग्रह उंडेलने और हमें निराशा और अविश्वास से बचाने, अपनी शान्ति हमें प्रदान करने और परमेश्वर के साथ हमें मेल मिलाप में कायम करने के लिये आये | आप का उद्धार हमारे प्रयत्नों का परिणाम नहीं है परन्तु यह आप के अनुग्रह का उपहार है | हमारे मित्रों और शत्रुओं को आप के अनुग्रह के उद्देशों की जानकारी दीजिये, ताकि वे आप को स्वीकार करें और वे पवित्र परमेश्वर के साथ शत्रुता करते न रहें |

प्रश्न:

123. अपने पुनरुत्थान के बाद यीशु ने जो पहला वचन अपने चेलों को सुनाया उस का क्या अर्थ है ?

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