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Previous Lesson -- Next Lesson यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
क - यीशु की यरूशलेम में अन्तिम यात्रा (यूहन्ना 7:1 - 11:54) अन्धकार का ज्योती से अलग होना
3. यीशु अच्छा चरवाहा (यूहन्ना 10:1-39)
ई) परमेश्वर का पुत्र, पिता में और पिता उस में (यूहन्ना 10:31-36)यूहन्ना 10:31-36 जैसे ही यीशु ने कहा, “मैं और पिता एक हैं,” यहूदी आप से घ्रणा करने लगे | उन्हों ने आप की स्वय: आप के बारे में दी हुई गवाही को धर्मद्रोह ठहराया और आप को व्यवस्था के अनुसार पथराव करने के लिये आतुर थे अन्यथा यहोवा का क्रोध राष्ट्र पर आता | इस लिये वे दौड़ते हुए आंगन में गये और आप पर फेकने के लिये पत्थर ले कर आये | यीशु उनके सामने धैर्य से खड़े रहे और उनसे पूछा, ‘मैं ने तुम्हारे साथ कौन सा बुरा काम किया है ? मैं ने तुम्हारी सेवा की, तुम्हारे बीमारों को चंगा किया, दुष्ट आत्माओं को निकाला और अन्धे की ऑंखें खोल दीं | मैं ने कोढियों को चंगा किया और गरीबों को सुसमाचार सुनाया | इन में से किस काम के लिये तुम मुझे मारना चाहते हो? तुम अपने हितचिन्तक को मारना चाहते हो | मैं अपनी सेवा के लिये जिसे मैं ने अपने पिता के काम कहा, सम्मान या धन नहीं चाहता | मैं यहाँ तुम्हारा सेवक बन कर आया हूँ |” यहूदियों ने चिल्ला कर कहा , ‘हम तुझे तेरे किये हुए काम के कारण नहीं परन्तु तेरे धर्मद्रोह के कारण पथराव करते हैं | तू ने अपने आप को परमेश्वर के स्थर तक ऊंचा किया है, जब की तू हमारे बीच में एक मनुष्य के रूप में खड़ा है | हम तेरा खून बहा कर बतायेंगे कि तू केवल मनुष्य है | तू ने अपने आप को परमेश्वर कहने और उस पवित्र परमेश्वर के साथ एक होने का साहस कैसे किया? तुझ में दुष्ट आत्मा होनी चाहिये और तुझे तुरन्त नाश किया जाना चाहिये | यीशु ने पूरे विश्वास के साथ उत्तर दिया , “क्या तुम ने अपनी व्यवस्था में नहीं पढ़ा कि परमेश्वर ने स्वय: अपने चुने हुए लोगों से कहा करता था कि, “तुम ईश्वर हो, और सब के सब परमप्रधान के पुत्र हो |” (भजन संहिता 82:6) | जब की तुम स्वय: नाश हो रहे हो और एक पाप से दूसरे पाप में गिरते जा रहे हो | इस में संदेह नहीं कि सब पापी हैं ; और गलत मार्ग पर भटक रहे हैं | फिर भी परमेश्वर ने उन्हें अपने दिव्य नाम के कारण ईश्वर और पुत्र कहा | वो नहीं चाहता की तुम्हारा नाश हो बल्की यह कि हमेशा जीवित रहो | अपने परमेश्वर की ओर लौट आओ और जैसे वह पवित्र है, तुम भी हो जाओ | तुम मुझे क्यों पथराव करना चाहते हो ? परमेश्वर स्वय: तुम्हें ईश्वर और बच्चे कहता है | मैं ने तुम्हारी तरह पाप नहीं किया है | मै वचन और काम दोनों में पवित्र हूँ ; मुझे परमेश्वर के पुत्र की तरह अनन्त काल तक जीने का अधिकार है | अपनी व्यवस्था में पढ़ कर देखो तब तुम मुझे जान लोगे, परन्तु तुम अपने पवित्र शास्त्र पर भी विश्वास नहीं रखते और मेरी दिव्यता को भी नहीं पहचानते |” मैं अपने आप नहीं आया परन्तु मेरे पवित्र पिता ने मुझे भेजा है | मैं उसका पुत्र हूँ और वह मेरा पिता है | उसकी पवित्रता मुझ में है इसलिये मैं परमेश्वर से परमेश्वर, ज्योति से ज्योति, परमेश्वर से निकला हुआ हूँ न कि पैदा किया गया, और पिता का और मेरा एक ही तत्व है |” यीशु ने यहूदियों के पवित्र शास्त्रों में से पाठ पढ़ कर उन्हें मात कर दिया और उनके विवाद को ध्वस्त कर दिया | परन्तु उनकी आँखों मे घ्रणा का केन्सर बाकी रहा | और उन्होंने अपने हथयार ड़ाल दिये क्योंकि आपने स्वय: उनके पुराने नियम में से दिव्य पुत्र की शक्यता सिद्ध कर दी थी जो विशेषकर आप पर लागु होती है | यूहन्ना 10:37-39 यीशु ने यह स्पष्ट कर दिया कि इस का अर्थ यह हुआ कि तुम्हें मुझ पर विश्वास करना ही चाहिये क्योंकि मैं वही करता हूँ जो परमेश्वर करता है, अर्थात दया के काम | यदि मैं उसकी सहानुभूति का प्रदर्शन न करूँ तो प्रभुसत्ता मेरी न हो सकेगी | इस लिये कि उसका प्रेम मुझ में अवतरित है, मुझे परमेश्वर के काम पूरे करने का अधिकार है; क्योंकि वे निश्चय ही परमेश्वर के काम हैं |” हो सकता है कि तुम्हारे मन मानवता में दिव्यता के होने का अर्थ समझ न सकें | फिर भी मेरे कामों की जांच करो; कौन सा व्यक्ती अपने वचन से मृतकों को जीवित कर सकता है, और अन्धे की आँखें खोल सकता है, या तूफान को रोक सकता है, या 5000 भूखे लोगों को 5 रोटीयों और दो मछलियों से पेट भर कर भोजन दे सकता है? क्या तुम चाहोगे कि पवित्र आत्मा तुम्हारे मन खोल दे ताकी तुम परमेश्वर की आवाज़ सुन सको और जान सको कि परमेश्वर स्वय: मुझ में है ? जब तुम पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जाओगे तब तुम इस आवश्यक ज्ञान को अपना लोगे और जान लोगे कि मेरा शरीर दिव्यता से परिपूर्ण है | यहाँ और इतनी बड़ी भीड़ के सामने, यीशु ने वह शक्तिशाली शब्द कहे कि वे पिता में हैं और जिस तरह डाली अंगूर की बेल में लगी हुई रहती है और जड़ों से शक्ती पाती है उसी तरह मसीह पिता में से निकल कर उस से जुड़े रहते हैं | उन दोनों को अलग नहीं किया जा सकता | वे अविभाज्य हैं | दोनों की संगति और एकता परिपूर्ण होती है | इसलिये आप के पिता का सम्मान करने के लिये हम कह सकते हैं कि पुत्र, पिता में छिपा हुआ है | इस लिये सब से ज्यादा प्रसिद्द प्रार्थना इस तरह शुरू होती है, “हे हमारे पिता , तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए |” जो कोई प्रार्थना और भक्ति में यीशु की दिव्यता के विषय में आपकी गवाही की गहराई तक पहुँचने का प्रयत्न करता है वो जान लेगा कि यह गवाही पवित्र त्रिय के ऊपरी ज्ञान के विरुद्ध निर्णायक सबूत पेश करती है | पवित्र त्रिय तीन अलग अलग परमेश्वरों के अस्तित्व को प्रगट नहीं करती बल्की एक परमेश्वर की तीन व्यक्ती समान (जिसे उर्दू भाषा में तीन अकानीम कहते हैं) परिपूर्ण एकता स्पष्ट करती है, इस लिये हम प्रसन्नता के साथ गवाही देते हैं कि परमेश्वर एक है | जब यहूदियों ने वह गवाही बार बार सुनी जो यीशु की पिता के साथ परिपूर्ण एकता जताती है तब वो आप पर पत्थर फेंकने से बाज आये | फिर भी वो आप को गिरफ्तार कर के उच्च न्यायालय में लेजाकर वहाँ आप के विचारों का पता लगाना चाहते थे | यीशु उन के बीच में से फ़रार हुए | कोई व्यक्ती परमेश्वर की सन्तान में से किसी को भी शती नहीं पहुंचा सकता जब तक कि उसके पिता की इच्छा उस की रक्षा करती रहती है | यीशु ने कहा, “कोई उन्हें पिता के हाथ से छीन नहीं सकता |” प्रार्थना : ऐ पिता और परमेश्वर के मेमने, हम आप के प्रेम में परिपूर्ण एकता देखते हैं | हमारे मन आप की मानवीय व्यक्ती में दिव्यता को ग्रहण नहीं कर सकते | आप की आत्मा ने उस महान प्रेम और आप के मुक्तीदायक कामों को समझने के लिये हमें आलोकित किया है | ऐ पिता, तूने हमें अपनी सन्तान बना लिया है | हमें अपनी महत्वाकांक्षा, वचन और कामों में तेरे नाम को पवित्र मानने में मदद कर | और जैसे तू पवित्र है वैसे हमें भी पवित्र कर | प्रश्न: 73. यीशु ने अपनी दिव्यता की घोषणा कैसे की?
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