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Previous Lesson -- Next Lesson यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
क - यीशु की यरूशलेम में अन्तिम यात्रा (यूहन्ना 7:1 - 11:54) अन्धकार का ज्योती से अलग होना
3. यीशु अच्छा चरवाहा (यूहन्ना 10:1-39)
डी) पिता और पुत्र की एकता में हमारी सुरक्षा (यूहन्ना 10:22-30)यूहन्ना 10:22-26 समर्पित करने का उत्सव प्रसन्न और आनंदित होने का अवसर होता है, जिसे मसीह के आने से 515 वर्ष पहले देश से निकाल कर बाबेल ले जाये जाने के बाद मन्दिर के नवीकरण की याद मे मनाया जाता है | इस मन्दिर को मकाबियों ने मसीह के आने से 165 वर्ष पहले दोबारा स्थापन किया था | यह उत्सव दिसम्बर के शुरू में, जाड़े और बरसात की ॠतु मे मनाया जाता था क्योंकी यरुशलेम 750 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ शहर है | इस मौके पर सताये हूए यीशु फिर मन्दिर में आये और सुलेमान के बरामदे में उपदेश देने लगे जहाँ मन्दिर मे आने वाले लोग आप का प्रवचन सुनते थे | इस पूर्व के बरामदे का वर्णन प्रेरितों के कामों की पुस्तक के वचन 3:11 और 5:12 में फिर से किया गया है | इस समय यहूदियों नें यीशु पर आक्रमण करने की तैयारी कर ली थी | उन्हों ने माँग की कि आप अपने विषय में जनता के सामने घोषणा करें कि आप प्रतीक्षित मसीह हैं या नहीं | आप ने अपने विषय में जो घोषणा की थी वह लोगों को उनके मसीह से जो अपेक्षा थी उस से बढ़ चढ़ कर और व्यापक थी | ये गुण उस से भी बढ़ कर थे जिन की उन्हें खोज थी और वही उनकी डगमगाहट का कारण थी | कुछ लोग यह विश्वास करते थे कि यीशु ही सच्चे मसीह होने की संभावना है क्योंकी आप की व्यक्ती, अधिकार और काम प्रभावशाली सिद्ध हुए थे | इस प्रकार उन्हों ने मसीह पर दबाव डालने का प्रयत्न किया कि आप मसीही राष्ट्रिय आन्दोलन का उत्साहप्रद आवाहन करें क्योंकी यह उत्सव भी तो मकाबियों के आंदोलन की याद में मनाया जाता था | उन्हें आशा थी कि आप लोगों को हथियार उठाने के लिये बुला कर स्वय: देशका राजा बनने का अधिकार मांगें गे | वे युद्ध में उनके पीछे होने को तैयार थे ताकी उनके ऊपर स्थापित राजा की लज्जा को हटा सकें | यीशु की कुछ और योजनायें थीं : नम्रता, प्रेम, और मन का बदलाव | आप ने यहूदियों को यह नहीं कहा कि आप मसीह हैं लेकिन आपने सामरी स्त्री को यह बताया था | आप ने अपनी दिव्य महीमा के बारे में उस व्यक्ती को भी बताया था जो जनम का अन्धा था | यहूदी ऐसा मसीह चाहते थे जो राजनीतिक और लापरवाह हो परन्तु यीशु आत्मिक मुक्ती दाता और सहनुभूतिदर्श्क थे | लोगों ने अधिकार, स्वतंत्रता और सम्मान के स्वप्न देखे थे | यीशु स्वय: प्रायश्चित और नवीकरण का आग्रह करते हुए आये थे | आप ने अपनी महानता की घोषणा की परन्तु वे इसे समझ न पाए क्योंकि वे आप से ऐसी माँग करते थे जो आप में न थी | उनके दिमाग सहमत न हो सके और उनके दिल में विश्वास ने जन्म ना लिया | उन्हों ने अपने दिल यीशु की आत्मा के लिये नहीं खोले | आप के आश्चर्यकर्म आप के पिता के नाम से किये गये जिस ने आप का समर्थन किया और आप को विजयी किया | अपने राष्ट्र की स्थापना पुत्र और पिता के आपस के बन्धन पर आधारित होने के विषय में सुन कर यहूदी असहयोगप्रद हो गये | वह आज तक हिंसा, धन और बढ़त की माँग करते आये थे | यूहन्ना 10:27-28 यीशु परमेश्वर के नम्र मेमने हैं ; आप अपने अनुयायियों को, जो आप का स्वभाव रखते थे, भेड़ें और मेमने कहते हैं | उनका पहला गुण यह है कि वे सुनते हैं क्योंकि पवित्र आत्मा ने उनके मन और दिलों को खोल दिया है ताकी यीशु की आवाज और आप की इच्छा उनके दिल और मन की गहराई तक पहुँच जाये और उन्हें नये जीव मे बदल दे | इच्छापूर्वक ध्यान देना शिष्यता का आरंभ है | मसीह उन सब को जानते हैं जो स्वय: वचन सुनते और उसे समझते हैं; आप उनसे प्रेम करते हैं, उनके राज जानते हैं, और वह आक्रति भी जानते हैं जिस में आप उन्हें ढालने वाले हैं | सच्चे मसीही चिन्तारहित और असावधानी में डूबे हुए नहीं होते | वे जाने पहचाने लोग होते हैं और उनके नाम आसमान पर लिखे हुए हैं | उनमें से हर व्यक्ती एक आश्चर्यकर्म होता है यानी परमेश्वर की नई उत्पत्ति | यीशु एक अच्छे चरवाहे के समान हैं; आप की भेड़ें आप की आवाज़ पहचानती हैं और आप के नेतृत्व मे प्रसन्नता के साथ आप के पीछे पीछे चलती हैं | वे अपने चरवाहे की इच्छा के सिवा और किसी चीज की इच्छा नहीं रखतीं | उनके दिल में किसी अहितकारी विचार के लिये जगह नहीं होती; वे नम्र मेमने होते हैं | मसीह के उनमें किये हुए काम के कारण उनमें यह परिवर्तन आया | आप ने उन्हें परमेश्वर का प्रेम दिया, और मृत्यु और पाप पर विजई होने के लिये शक्ती प्रदान की | वे मरेंगे नहीं बल्की हमेशा जीवित रहेंगे क्योंकी उनमें आपका जीवन है यानी अनन्त जीवन का उपहार. उन्हे न्याय और हानी और अनन्त मृत्यु से मुक्त किया गया है; और वे मसीह के खून से धर्मी ठहराये गये | मसीह के खून से खरीदी हुई एक भी भेड़ नष्ट न होगी. आप ने मानव जाती के उद्धार के लिये आसमान की महीमा छोड दी और उन्हें जीवन देने के लिये दुःख उठाया | आप ने उन्हें हर कीमत पर रखने का निश्चय किया | क्या तुम अपने प्रभु के हाथों में सुरक्षित होने पर विश्वास करते हो? क्या तुम ने मसीह की शक्ती और आप की योग्यता को चुन लिया है ? या तुम पाप की दुनिया में भटकने वाले की तरह जी रहे हो या पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर मसीह में परमेश्वर की गोद ली हुई संतान होने के कारण मुक्ती पा चुके हो | हमारे प्रभु का संरक्षण हमारे कामों से बड़ा होता है क्योंकी वह हमारे ज्ञान के दृष्टिविस्तार से भी दूर तक फैला हुआ है | हम विजेता के कंधे से कंधा मिला कर खड़े हो जाते हैं | यूहन्ना 10:29-30 कुछ विश्वासियों को इस विचार पर संदेह होगा कि जवान युवक, यीशु उन्हें मृत्यु, शैतान और परमेश्वर के क्रोध से बचायेंगे | यह समझ से बाहर है | इस लिये यीशु ने अपने चेलों का ध्यान अपने पिता और उस की सर्वशाक्तिमानता की तरफ आकर्षित किया | उसी ने यीशु के हर अनुयायी को चुना | कोई व्यक्ती परमेश्वर की इच्छा और उसके चुने बगैर यीशु के पीछे नहीं जा सकता | पिता परमेश्वर उन लोगों के लिये उत्तरदायी होता है जो उसके पुत्र से लिपटे रहते हैं | पिता महान और सर्वशक्तिमान है | यीशु ने अपनी प्रसन्नता नहीं चाही परन्तु आप अपने पिता के अधीन रहे | अपने संयम के कारण आप दिव्यता से परिपूर्ण थे | कुछ लोग कहते हैं कि मसीह अपने पिता से नीचले दरजे पर हैं परन्तु पवित्र आत्मा के नियम के अनुसार, कि जो अपने आप को महान समझता है वो नीचा किया जायेगा और जो अपने आप को नीचा समझता है उसे ऊंचा किया जायेगा क्योंकी यीशु ने सारी महीमा अपने पिता को दे दी, इसलिये आपको यह कहने का अधिकार था : “मैं और पिता एक हैं .” ऐसा बड़ा दिल रखने से उन लोगों की आपत्ति का खंडन होता है जो कहते हैं कि हम दूसरे को परमेश्वर के साथ जोड़ते हैं | हम तीन परमश्वरों की आराधना नहीं करते, हम केवल एक परमेश्वर की आराधना करते हैं | जो लोग मसीह और आप के पिता के बीच परिपूर्ण एकता होने से इनकार करते हैं वह घमंडी होते हैं और नहीं जानते कि महानता का मार्ग कमतरी से शुरू होता है | प्रार्थना : प्रभु यीशु, आप ही अच्छे चरवाहे हैं | आप ने भेड़ों के लिये अपनी ज़ान दे दी | आप हमें जीवन देते हैं ताकी हम मर न जायें | हम आप के आभारी हैं क्योंकि आप हमें मृत्यु, शैतान, पाप और परमेश्वर के क्रोध से बचाते हैं | कोई हमें आप के हाथ से छीन नहीं सकता | हमें आप की नम्रता सिखाइये ताकी हम पिता को आप में जान सकें और अपने आप को संयमित करें ताकी हमारी कमजोरी में आप की शक्ती प्रगट हो | प्रश्न: 72. मसीह अपने गल्ले का मार्गदर्शन कैसे करते हैं ?
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