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Previous Lesson -- Next Lesson

यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
क - यीशु की यरूशलेम में अन्तिम यात्रा (यूहन्ना 7:1 - 11:54) अन्धकार का ज्योती से अलग होना
1. झोपड़ियों के पर्व के समय पर यीशु का वचन (यूहन्ना 7:1 – 8:59)

6) अब्राहम से पहले से यीशु उपस्थित हैं (यूहन्ना 8:48-59)


यूहन्ना 8:48-50
“48 यह सुन यहूदियों ने उससे कहा, ‘क्या हम ठीक नहीं कहते कि तू सामरी है, और तुझ में दुष्ट आत्मा है ?’ 49 यीशु ने उत्तर दिया, ‘मुझ में दुष्ट आत्मा नहीं; परन्तु मैं अपने पिता का आदर करता हूँ, और तुम मेरा निरादर करते हो | 50 परन्तु मैं अपनीं प्रतिष्ठा नहीं चाहता; हाँ, एक है जो चाहता है और न्याय करता है |”

यीशु ने इन यहूदियों को बताया कि उन्होंने सच्चाई को भुला कर शैतान की आत्मा से मिलाप कर लिया है और इस तरह आपने उनके मुखौटे को उतार दिया |

इस हमले के बाद दुष्ट आत्मा बाहर निकल आने पर मजबूर हो गई | उनके पापों के लिये विलाप और पश्चताप करने के बदले उन्हों ने स्वीकार किया कि उन्होंने शैतान के साथ हाथ मिलाकर पवित्र आत्मा के द्वारा यीशु के जन्म का इन्कार करके स्वंय धर्म द्रोह किया है | उन्होंने आप को एक मिश्रित जाती से आया हुआ सामरी कहा | सामरियों में आप के विषय में उत्साह का समाचार यरूशलेम पहुंच चुका था जिस से जातिवादी यहूदी क्रोधित हो गए थे |

उन में एक समारोह ऐसा था जिसे यीशु के यहूदी होने की जानकारी थी और वो बार बार कह रहे थे कि आप निसंदेह यहूदी हैं परन्तु दूसरे लोग आग्रह कर रहे थे कि आप शैतान की सहायता से आश्चर्यकर्म दिखाते थे | जिन लोगों में दुष्ट आत्मा थी वो स्वंय अपनी दशा से अनजान थे परन्तु दावा यह करते थे कि परमेश्वर के पवित्र पुत्र में दुष्ट आत्मा है | इस तरह पापों के पिता, शैतान ने उनके दिमाग को कुछ ऐसा मरोड़ दिया कि वो सफेद को काला और काले को सफेद समझने लगे |

यीशु ने उन आत्मिक तौर पर अंधे लोगों को बड़ी शांतता के साथ उत्तर दिया, “मुझ में शैतान नहीं है, बल्की मैं पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो चुका हूँ | कोई भी बुरी चिंगारी मुझे दुनिया की वासना की तरफ नहीं झुकाती | मैं सत्य और प्रेम से लबालब भरा हुआ हूँ | मैं स्वयं अपने लिये नहीं जीता | मैं ने स्वंय अपना खंडन किया और अपने पिता का आदर करता हूँ | यही मेरी परिपूर्ण आराधना है | मैं तुम्हारे सामने परमेश्वर के नाम की घोषणा करता हूँ और अपने आचरण के द्वारा पिता का आदर करता हूँ | हां, मैं तुम पर परमेश्वर की सच्चाई प्रगट करता हूँ परन्तु तुम मुझ से घ्रणा करते हो क्योंकि मैं ने परमेश्वर को अपना पिता कहा है |

तुम में जो दुष्ट आत्मा है वो तुम्हें छोड़ना नहीं चाहती ताकी परमेश्वर का आत्मा उसमे जगह ले | तुम पवित्र परमेश्वर की सन्तान बनना नहीं चाहते इस लिये तुम मुझे धर्मद्रोही कह कर मेरी मृत्यु चाहते हो | मैं अपनी महिमा नहीं चाहता क्योंकी मैं हमेशा अपने पिता में रहता हूँ | वो मेरी रक्षा करता है, मेरी चिंता करता है, मेरा सम्मान और मेरी महिमा करता है | वही तुम्हारा न्याय करेगा क्योंकी तुम मुझे स्वीकार नहीं करते हो | जो कोई पवित्र आत्मा से जन्म लिये हुए व्यक्ती को स्वीकार नहीं करता, उसका परमेश्वर न्याय करेगा | यह इस लिये कि जो इन्कार करते हैं उन पर दुष्ट आत्मा अपना प्रभाव डालता है जो उन्हें उद्धारकर्ता को प्राप्त करने से रोकता है |

यूहन्ना 8:51-53
“51 मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि यदि कोई व्यक्ती मेरे वचन पर चलेगा, तो वह अनन्त काल तक मृत्यु को न देखेगा |’ 52 यहूदियों ने उससे कहा, ‘अब हम ने जान लिया कि तुझ में दुष्ट आत्मा है | अब्राहम मर गया, और भविष्यवक्ता भी मर गए हैं; और तू कहता है, ‘यदि कोई मेरे वचन पर चलेगा तो वह अनन्त काल तक मृत्यु का स्वाद न चखेगा |’ 53 हमारा पिता अब्राहम तो मर गया | क्या तू उससे बड़ा है ? और भविष्यवक्ता भी मर गए | तू अपने आप को क्या ठहरता है ?”

यीशु अपने सुसमाचार का सारांश यह कहते हुए देते हैं, “वो सब लोग जो आप का वचन सुनते हैं और उसे स्वीकार करके अपने दिल में जगह देते हैं उन्हें अनुभव होगा कि यह वचन उनके जीवन में शक्तिशाली बन जायेगा | वो अनन्त जीवन पायेंगे और कभी नाश ना होंगे | मृत्यु उनके लिये पिता परमेश्वर के पास पहुंचने के लिये दरवाज़ा बन जायेगी | इसलिये नहीं कि वे अच्छे हैं परन्तु इसलिये कि उनमें मसीह का वचन वास करता है |” क्या तुम ने परमेश्वर के राज्य के इस सिद्धांत को समझ लिया है ? जो लोग यीशु के वचन को दिल में जगह नहीं देते वो पाप और शैतान के राज्य में डूब जाते हैं | जो लोग सुसमाचार और यीशु के वचन को अपने दिल में रखते हैं वो हमेशा जीवित रहते हैं |

यहूदी क्रोध से उत्तेजित हो गए और चिल्लाने लगे, “तू शैतान है, तू झूट बोलता है | सभी वृद्ध जन मर गए, फिर तू कैसे कह सकता है कि जो मुझ पर विश्वास करेगा उसे तेरा वचन हमेशा का जीवन प्रदान करेगा ? क्या तू परमेश्वर से महान है जो ऐसा जीवन देगा जिस का अन्त मृत्यु से नहीं होगा |क्या तू अब्राहम मूसा और दाउद से बड़ा है ? तुने अपने आप को अपवित्र कर लिया है |”

यूहन्ना 8: 54 - 55
“54 यीशु ने उत्तर दिया, ‘यदि मैं आप अपनी महिमा करूँ, तो मेरी महिमा कुछ नहीं; परन्तु मेरी महिमा करनेवाला मेरा पिता है, जिसे तुम कहते हो कि वह तुम्हारा परमेश्वर है, | 55 तुम ने तो उसे नहीं जाना; परन्तु मैं उसे जानता हूँ | यदि मैं कहूँ कि मैं उसे नहीं जानता, तो मैं तुम्हारी तरह झूठा ठहरूँगा; परन्तु मैं उसे जानता और उसके वचन पर चलता हूँ |”

यीशु ने बडे धैर्य से उत्तर दिया और अपने सत्त का बारीकी से वर्णन किया | ये मसीह स्वंय अपनी महिमा नहीं चाहते, आप अपने स्वभाव से ही हमेशा वैभवशाली हैं | परमेश्वर अपने पुत्र के सम्मान का आश्वासन देता है | जैसे पिता अपने पुत्र में है वैसे ही पुत्र के द्वारा परमेश्वर का पित्रत्व स्पष्ट किया जाता है | जी हां, यहूदी यह दावा करते थे कि अंतर्यामी ही उनका परमेश्वर है परन्तु वे निसंदेह उसे जानते ही नहीं थे | उनका पिता शैतान था जो “पिता के नाम” की आड़ में छुपा रहता है और झूटे तरीके से वो नाम अपने लिये उपयोग करता है | यहूदी भक्ती का दावा करते थे परन्तु वो प्रेम की आत्मा से खाली थे | जो परमेश्वर को जानता है वो ऐसे प्रेम करता है जैसे परमेश्वर उससे करता है | इस कारण कोई भी धर्म जो यह मानता है कि केवल परमेश्वर के नाम को थामे रहना काफी है वो उस प्रकार के जीवन की वैधता प्रमाणित नहीं करता | उसका धर्म सिद्धांत ही गलत हो सकता है | परमेश्वर पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा है | दूसरे धर्म के लोग दिव्य सत्त के जो लक्षण और नाम बताते हैं वो सहज विचार होते हैं | परमेश्वर कि सच्चाई त्रिय एकता में पाई जाती है | इस प्रकार यीशु ने यहूदियों को डाँटते हुए कहा, “तुम उसे नहीं जानते | तुम्हारे जीवन और विचार झूट पर निर्धारित हैं |” साथ ही साथ आपने आग्रह किया कि आप अनन्त पिता को जानते हैं | अगर ऐसा नहीं होता तो पित्रत्व के बारे में आपकी गवाही झूटी होती | परन्तु यीशु ने यहूदियों को परमेश्वर के सत्य रूप से सूचित किया |

यूहन्ना 8:56–59
“56 ‘तुम्हारा पिता अब्राहम मेरा दिन देखने की आशा से बहुत मगन था; और उसने देखा और आनन्द किया |’ 57 यहूदियों ने उससे कहा, ‘अब तक तू पचास वर्ष का नहीं, फिर भी तूने अब्राहम को देखा है ?’ 58 यीशु ने उनसे कहा, ‘मैं तुम से सच सच कहता हूँ, कि पहले इसके कि अब्राहम उत्पन्न हुआ, मैं हूँ |’ 59 तब उन्होंने उसे मारने के लिये पत्थर उठाए, परन्तु यीशु छिपकर मन्दिर से निकल गया |”

जब यीशु ने यहूदियों को बताया कि वो सत्य परमेश्वर को नहीं जानते और उनकी भक्ती के पीछे शैतान की शक्ती काम कर रही थी, तब आपने उन पर अपना अनन्त अस्तित्व प्रगट किया ताकी वो चाहे उन्हें स्वीकार करें या ना करें | आप ने प्रथम विश्वासी अब्राहम का उद्धाहरण देकर अपनी दिव्यता प्रगट की | इस से यीशु हमें बताते हैं कि अब्राहम परमेश्वर के साथ जी रहे थे और वो आप का अवतारण देख कर प्रसन्न थे क्योंकी इससे अब्रहाम से किया हुआ वायदा पूरा हुआ कि उनके वंश से आने वाला व्यक्ती सब राष्ट्रों के लिये आशीष का कारण होगा |

इस पर यहूदी चकित हुए और कहने लगे, “तू अभी जवान है और फिर भी कहता है कि तू ने अब्राहम को देखा है जो आज से दो हज़ार साल पहले जिये | तेरा दिमाग खराब हो गया है |”

यीशु ने उन्हें राजसी वाक्य में उत्तर दिया, “इसके पहले की अब्राहम उत्पन्न हुआ, मैं हूँ |” इस दावे के समर्थन में यह भी कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ,” ताकी वो जानें कि आप अनन्त परमेश्वर हैं, जैसा की आप का पिता है | इससे पहले बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना ने आप के अनन्त जीवन की घोषणा की थी | भीड़ ने इस सच्चाई को विलुप्त कर दिया और ना ही विश्वास कर सके कि मनुष्य भी अनन्त परमेश्वर हो सकता है |

उन्हों ने यीशु की गवाही को धर्म द्रोह कहा, मानो परमेश्वर पर आक्रमण और एक असंभव सी बात हो, यहाँ तक की अधिकृत निर्णय के लिये भी नहीं ठहरे और आप पर फेकने के लिये पत्थर उठा लिये | वो अभी ये पत्थर फेकने वाले ही थे कि उनके बीच में से ना जाने आप किस तरह गायब हो गए | आप का समय अभी नहीं आया था | आप मन्दिर के दरवाजे से निकल गए |

प्रार्थना: प्रभु यीशु, हम आप की आराधना करते हैं | आप अनन्त परमेश्वर हैं जो विश्वसनीय और सत्य और प्रेम से परिपूर्ण हैं | आप स्वंय अपनी महिमा नहीं चाहते परन्तु केवल अपने पिता का सम्मान करते हैं | हमें हर तरह के घमंड से मुक्त कीजिये ताकी हम शैतान के पाप में ना गिरें | अपने आस्मानी पिता के नाम का अभिषेक करने के लिये और आप पर विश्वास कर अनन्त जीवन पाने के लिये हमारी सहायता कीजिये |

प्रश्न:

65. यहूदी आप पर पत्थर क्यों फेकना चाहते थे?

www.Waters-of-Life.net

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