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Previous Lesson -- Next Lesson यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
अ – यरूशलेम की दूसरी यात्रा (यूहन्ना 5:1–47) –यीशु और यहूदियों के बीच शत्रुता का उभरना
2. परमेश्वर अपने पुत्र के साथ काम करता है (यूहन्ना 5:17–20)यूहन्ना 5:17-18 बैतहसदा की चंगाई से पहले यीशु का विरोध कम हुआ करता था परन्तु इस घटना के बाद वह बढ़ता गया | आप के शत्रुओं ने आप को मार डालने का निश्चय कर लिया | इस लिये इस आश्चर्यकर्म से यहूदियों के साथ आपके सम्बंध ने एक नया मोड़ लिया | उस समय से यीशु को सताया जाने लगा और आप की गिनती ऐसे लोगों में की जाने लगी जिन को मिटाया जाना था | हालात के इस तरह बदल जाने का कारण क्या था? मसीह के प्रेम की यात्रा और व्यवस्था के अधिकार की कठोरता में संघर्ष शुरू हो गया | पुराने नियम में लोग ऐसे जीते थे जैसे वो बन्दीगृह में हों | कई आज्ञायें दी गईं ताकी लोग व्यवस्था के नियमों का सावधानी से पालन करें ताकी अच्छे कामों के कारण धार्मिकता प्राप्त हो | धार्मिक लोग इस बात का ध्यान रखते थे कि उनसे छोटी से छोटी आज्ञा ना टूटे ताकी वो परमेश्वर का दिव्य अनुग्रह प्राप्त करें | धार्मिक नियमों का पालन करना अहंकार और कठोरता का बहाना बन गया | इस कारण सारी जाती परमेश्वर के साथ नियमों के आधीन थी और उसे एक समाज समझा जाता था | उग्रवादी ज़बरदस्ती यह प्रयत्न कर रहे थे कि सब लोग उनके अनेक नियमों का सावधानी से पालन करें | उन में सबसे महत्वपूर्ण नियम सब्त के दिन काम ना करना था | जिस तरह परमेश्वर ने सातवे दिन अपने उत्पत्ति के काम से विश्राम लिया था उसी तरह लोगों को इस आराधना के दिन कोई काम करने से मना किया गया था अन्यथा मृत्यु दंड दिया जाता था | इस तरह सब्त यहूदियों और उनके परमेश्वर के बीच किये गये समझौते का चिन्ह बन गया और वो उनके बीच परमेश्वर की उपस्थिती का संकेत करता था मनो वो परमेश्वर के विरुध कोई और पाप ना करते थे जो शान्ति को क्षति पहुंचाये | यीशु के पास उन फरीसियों के लिये जो आप के सब्त तोड़ने का विरोध करते थे, एक साधारण परन्तु निर्णयात्मक उत्तर था | वो यह की “परमेश्वर काम करता है |” यीशु ने उन फरीसियों को जो बयान दिया उसमें हम शब्द “काम” और उस से प्राप्त हुए कई “शब्द“ पाते हैं जैसे सात बार काम करना इत्यादि | आपने उनके सहानुभूतिहीन व्यव्स्थापालन का उत्तर परमेश्वर के प्रेममय कार्य से दिया | परमेश्वर अपने रचनात्मक काम करने से अब तक विश्राम कैसे कर सकता है? परन्तु वो लगातार काम करता है | जब से पाप ने दुनिया में प्रवेश किया और मृत्यु ने सब देह्धारीयों को भ्रष्ट किया और सृष्टी अपने स्त्रोत (परमेश्वर) से अलग हो गई, परमेश्वर शक्तिपूर्वक प्रयत्न करके भटके हुए लोगों को बचाने और विद्रोहियों को अपनी संगती में लाने का प्रयत्न कर रहा है | हम पवित्र बन जायें यही उसका उद्देश है ताकी पवित्र स्थिती में उसका प्रेम पायें | सब्त के दिन चंगा किया जाना परमेश्वर के काम की एक तस्वीर का मूल तथ्य है | मसीह ने अनुग्रह का प्रचार किया और प्रेम से ऐसे भी काम किये जो व्यवस्था के विरुध दिखाई देते हों | प्रेम व्यवस्था का समापन है | सब्त के दिन चंगा करना प्रेम से खाली, झूठी भक्ती पर सीधा हमला था | तब यहूदी चिल्ला उठे, “यीशु सब्त तोड़ रहा है ! सहायता कीजिये ! समझौते की इमारत के खंबे गिर रहें हैं | यह व्यवस्था का दुश्मन धर्मद्रोही है और खुद नयी व्यवस्था देने वाला बन रहा है जो हमारी जाती के लिये खतरा है |” उस में से किसी ने भी मसीह की उस अभागे को जताये हुए प्रेम की तरफ ध्यान ना दिया, ना ही उन्होंने आप की दुनिया पर पाई हुई विजय की तरफ देखा | वे अपने उग्रवाद में अंधे बने रहे | अगर आज भी लोग यीशु को इस कट्टरता के कारण अपना मुक्तिदाता मानने से इन्कार करें तो आश्चर्य ना कीजिये | यहूदी आप से इस लिये नाराज़ थे कि वो आप के विषय में ऐसी बातें सुन रहे थे जो उनके विचार से धर्मद्रोही थीं जैसे आप परमेश्वर को अपना पिता कहते थे | यह उन्हें अशलील लगा | इस लिये चिल्ला उठे, “परमेश्वर एक है, उसका कोई पुत्र नहीं है | यीशु परमेश्वर को अपना पिता कैसे कह सकता है ?” उनकी इस तरह की धारना उनकी अज्ञानता प्रकट करती है | वो आत्मिक प्रेरणा के अनुसार नहीं जी रहे थे और ना ही पवित्र शास्त्र में रुची रखते थे | क्योंकि उन शास्त्रों में परमेश्वर के पित्रत्व के बारे में असाधारण भविष्यवानियाँ हैं | परमेश्वर ने जिन लोगों से वाचा बांधी थी उन्हें “अपना पुत्र” कहा है (निर्गमन 4: 22; होशे 11: 1) | जहाँ जाती ने परमेश्वर को “पिता” कहा है (व्यवस्था विवरण 32: 6; भजन संहिता 103: 13; यशायाह 63: 16; यर्मयाह 3: 4, 19 और 31: 9), वहां परमेश्वर ने अपने विश्वासी राजा को “मेरा पुत्र” कहा है ( 2 शमूएल 7: 14). परन्तु वाचा के लोगों में से किसी एक व्यक्ती को परमेश्वर को पिता कहने के योग्य नहीं ठहराया गया | यहूदियों के लिये परमेश्वर को पिता कहना असंभव था और वो इसे अत्यधिक घमंड और अशिष्ट समझते थे | यहूदियों को परमेश्वर के वचन की याद थी कि यीशु मसीह दिव्य व्यक्ती होंगे जो अनन्त जीवन लेकर आयेंगे | उनका यीशु से घ्रणा करना आपके मसीह होने में उनका अविश्वास दर्शाता है | यहूदियों के दिलों में अपने वचन के लिये डर देख कर यीशु ने साफ शब्दों में कहा कि आप वही काम करते हैं जो आप का पिता बुद्धीमानी और प्रेम से करता है | यीशु ने यह स्वीकार किया कि आप सब कुछ कर सकते हैं और आप पिता के सामान हैं | ऐसे विचारों के बारे में यहूदियों की प्रतिक्रिया कठोर और निर्दयी थी | जो कोई स्वंय का परमेश्वर से समतलन करता है उसकी हत्या कर देनी चाहिये | यहूदी आप से घ्रणा करते थे क्योंकी वो आप को धर्मद्रोही समझते थे, जिसे मृत्यु दंड जिया जाना चाहिये था | यूहन्ना 5:19-20 यीशु ने यहूदियों को उनकी घ्रणा का प्रेम से उत्तर दिया और परमेश्वर के प्रेम भरे कामों की तरफ इशारा करके कहा, “जी हां, पुत्र वैसे ही काम करता है जैसा पिता करता है | यीशु अपनी तरफ से कुछ नहीं करते क्योंकी आप का पिता के साथ वैसा ही संबंध है जैसा बच्चा अपने पिता को बहुत ही नज़दीक से देखता है कि उसके हाथ उस काम को कैसे करते हैं और फिर वह भी ठीक उसी तरह से करता है जैसे उसका पिता करता है | इस प्रकार आप ने अपने आप को नम्र बना कर सारी महीमा पिता को लौटा दी | आप ने अपने पिता को सम्मानित किया | हमें जान लेना चाहिये कि हम लाभहीन सेवक हैं जिन्हें अपने पिता के नाम को अभिषेक करने के लिये बुलाया गया है | यीशु ने स्वार्थहीनता और नम्रता से अपने पिता के काम करने का अधिकार प्राप्त किया | पिता के सभी आंतरिक गुण, नाम और काम, आप के भी हैं |आप ही सच्चे परमेश्वर हैं जो अनन्त, योग्य, प्रेममय और तेजस्वी हैं |परमेश्वर के साथ आपकी एकता परीपूर्ण है | पिता परमेश्वर मसीह की स्वार्थहीनता के कारण आप से प्रेम करता है और आप से कुछ नहीं छिपाता | वो अपने पुत्र को अपने अधिकार, योजना और काम में सहयोगी कर लेता है | इन वक्तव्यों में हमें पवित्र त्रिय की एकता की स्विकृती स्पष्ट रूप में दिखाई देती है | जैसे प्रेममय कामों में एकता |यद्दपि पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा हर काम में सहयोग करते हैं इस लिये इस ज्ञान से हमें सन्तुष्ट होना चाहिये कि पवित्र त्रिय के दुनिया में हो रहे सब प्रकार के युद्ध, घ्रणा और असहनशीलता / उग्रवाद को नष्ट करने के काम हमेशा चलते रहते हैं | काम में प्रेममय एकता और व्यवस्था पालन के अप्रयास में कितनी विपरीतता है ! प्रार्थना: ऐ हमारे आसमानी पिता, हम तेरा धन्यवाद करते हैं कि तू ने अपने पुत्र को हमारे पास भेजा | आप के कामों के द्वारा तू ने हमें बताया कि तू क्या करता है और तू कौन है ? हमें व्यवस्था नुसार किये जाने वाले सारे कामों से मुक्त कर दे ताकी हम प्रेममय काम चुनें | हम उग्रवाद से पश्चताप करते हैं और तुझ से उन लोगों के लिये विन्ती करते हैं जो आत्मिक दृष्टी से अंधे हैं ताकी वो तेरे प्रेम की स्वतंत्रता को देखें और बड़ी नम्रता से तेरे आज्ञाकारी बनें | प्रश्न: 39. अपने पुत्र के साथ किस प्रकार और क्यों काम करता है ?
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