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Previous Lesson -- Next Lesson रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 3 का अनुपूरक - रोम में कलीसिया के नेताओं को पौलुस के चरित्र पर विशेष राय (रोमियो 15:14 – 16:27)
2. पौलुस के कार्यों का रहस्य (रोमियो 15:17-21)रोमियो 15:17-21 पौलुस खुश थे और अपने कार्यों एवं सफलताओं को सार्वजनिक रूप से गौरान्वित करते थे| आपने तुरंत घोषित किया था कि उनके सभी कार्य और वचन उनके नहीं परन्तु यीशु मसीह के है, जो उनमे निवास करते हैं, उनमे कार्य करते है और उनके द्वारा बात करते है| अन्यजातियों के यह उपदेशक को इतना साहस नहीं था कि इसके परिणाम और प्रभाव के बारे में जो स्वयं मसीह द्वारा निर्मित नहीं थे, कुछ कह पाये, परन्तु आप अपने आपको रक्षक के दास के रूप में मानते थे और उनके मार्गदर्शन के आज्ञाकारी थे| इस उपदेशक के जीवन का यही रहस्य था; कि आप “मसीह में” थे| आप मसीह के विचारों का विचार करते थे, मसीह ने उन्हें जो प्रेरणा दी थी उसके साथ कहते थे, और जो कुछ भी उन्हें आदेश मिलते थे उसे वह करते थे| प्रेरितों के कार्यों में यह अत्याधिक महत्वपूर्ण है, और आज कलीसिया में प्रत्येक प्रचार का रहस्य है| पौलुस के जीवन में प्रभु यीशु मसीह के जीवित रहने का उद्देश्य, जिन्होंने स्वयं अपने आप को उनका दास बना लिया था, वहशी लोगों को विश्वास द्वारा मसीह की आज्ञा का पालन करने की ओर ले जाना था| पौलुस के भाषण और लेखन कार्य इस सेवा के लिए पयाप्त नहीं थे, इसीलिए आपको ऊबाऊ यात्राएं करनी पड़ी और अजीब सा भोजन खाना पड़ा, मानवीय कार्यों वाले रोजगार, और चमत्कार करने पड़े| आपने स्पष्ट रूप से साक्षी दी थी कि उनके सभी भासन, कार्य और चमत्कार पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की शक्ति द्वारा सम्पन्न हुए थे आपके द्वारा नहीं हुए थे| आपकी इन प्रभावी सेवाओं का रहस्य, मसीह, हम सब के रक्षक के प्रति आपका आत्म त्याग और मसीह की अति प्रशंसा है| पौलुस ने अपने याजकीय रूप के कार्यों को येरूशलेम से अन्तोलिया और पश्चिमी यूनान तक फैलाने की घोषणा की थे| यह सभी राज्य रोमन राज्य की प्रजा थे और पौलुस ने अधिकतर अपनी ऊबाऊ और खतरनाक यात्राओं को, घोड़े पर या रथों पर नहीं बल्कि पैदल चल कर की थी | आपने अपने कार्यों से अविश्वासियों, अपेक्षितों और विधर्मियों को यीशु की ओर लाने में अपने आप को निढाल कर लिया था| आपने इस बात की ही पुष्टि दी थी कि मसीह का सुसमाचार उन् शहरों, गावों, और राज्यों तक पहुँचाना उनके कार्य का गौरव था जहाँ यीशु का नाम नहीं जाता था| आप दूसरों की नीवं पर ईमारत बनाना नहीं चाहते थे, परन्तु आप पहले व्यक्ति थे जिन्होंने उन स्थानों पर, जहाँ आपसे पहले किसी ने नहीं किया था, खतरों और कठिनाइयों को सहन करके, याजक के समान कार्य किया था| आपने अपने कार्यों द्वारा उस दैवीय वादे को जो यशायाह से किया गया था, को पूरा किया| “वैसे ही वह बहुत सी जातियों को पवित्र करेगा और उसको देखकर राजा शांत रहेंगे; क्योंकि वे ऐसी बात देखेंगे जिसका वर्णन उनके सुनाने में भी नहीं आया, और, ऎसी बात उनकी समझ में आएगी जो उन्हों ने अभी तक सुनी भी न थी| (यशायाह 52:15) यहूदियों का बहुमत, इस दैवीय योजना से सहमत नहीं था, वे केवल अपने आप को ही परमेश्वर के लोगों में गिनते थे| परंतु पौलुस ने अपने कार्यों के सत्य को अन्यजातियों के सामने, बाईबल के सबूतों एवं, अन्यजातियों से परमेश्वर के वादों के आधार पर स्पष्ट किया था| प्रार्थना: ओ स्वर्गीय पिता, हम यीशु मसीह द्वारा आपका धन्यवाद करते हैं, क्योंकि उनके ईमानदार सेवक अपने स्वयं के नामों के साथ नहीं कहते, या अपनी शक्ति के द्वारा कार्य नहीं करते, परंतु मसीह के नाम में कहते और कार्य करते थे, और उनकी शक्ति को प्राप्त करते थे| कृपया अपने सेवकों को उन सभी शब्दों और कार्यों से दूर रखें जो कि शायद उनकी स्वयं की इच्छा से निर्मित हुए थे, और उन्हें हमेशा के लिए मसीह के आध्यात्मिक शरीर में स्थापित कराएँ| प्रश्न: 94. उपदेशक पौलुस के याजकीय कार्यों का रहस्य क्या है?
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