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Home -- Hindi -- Romans - 059 (Would that the Salvation in the Believers of the Gentiles incite Jealousy in the Children of Jacob)
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रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 2 - परमेश्वर की धार्मिकता याकूब की संतानों उनके अपने लोगों की कठोरता के बावजूद निश्चल है। (रोमियो 9:1 - 11:36)
5. परमेश्वर की धार्मिकता केवल विश्वास के द्वारा प्राप्त होती है, ना कि नियमों का पालन करने के द्वारा (रोमियो 11:1-36)

ब) क्या अन्य जातियों के विश्वासियों में उद्धार ने याकूब की संतानों में जलन की भावना को उत्तेजित किया होगा (रोमियो 11:11-15)


रोमियो 11:11-15
11 सो मैं कहता हूं क्‍या उन्‍होंने इसलिये ठोकर खाई, कि गिर पडे कदापि नहीं: परन्‍तु उन के गिरने के कारण अन्यजातीयोंको उद्धार मिला, कि उन्‍हें जलन हो। 12 सो यदि उन का गिरना जगत के लिये धन और उन की घटी अन्यजातियोंके लिये सम्पति का कारण हुआ, तो उन की भरपूरी से कितना न होगा।। 13 मैं तुम अन्यजातियोंसे यह बातें कहता हूं: जब कि मैं अन्याजातियोंके लिये प्रेरित हूं, तो मैं आपक्की सेवा की बड़ाई करता हूं। 14 ताकि किसी रीति से मैं आपके कुटुम्बियोंसे जलन करवाकर उन में से कई एक का उद्धार करूँ । 15 क्‍योंकि जब कि उन का त्याग दिया जाना जगत के मिलाप का कारण हुआ, तो क्‍या उन का ग्रहण किया जाना मरे हुओं में से जी उठने के बराबर न होगा

पौलुस अपने राज्य को अपने सगे भाई बहनों के समान प्रेम करते थे| आप ऐसा नही सोचते थे कि केवल अवज्ञाकारीपन और मसीह को अस्वीकृत किया जाना ही परमेश्वर द्वारा दिए गये दण्ड का आधार था परन्तु आप यह मानते थे कि पुराने समझौते के चुने हुए लोगो ने जब मसीह को अस्वीकार किया उसी समय अस्वच्छ राज्यों में से नए लोगों का चुनाव हो गया| यहूदियों का विश्वास जब कम होता जा रहा था, इस कारण से अन्य जातियों के अविश्वासियों को उद्धार आत्मसात करने का एक बेजोड अधिकार मिल गया था, जोकि पहले से ही तैयार था, और मसीह में विश्वास द्वारा यह उद्धार उन्हें प्राप्त हुआ|

अन्यजातियों में उद्धार के प्रसार से याकूब की संतानों में एक जलन की भावना उत्तेजित हो गई थी| यहूदियों के हृदयों में जलन की इस भावना के मध्य में पौलुस को कुछ सकारात्मक तत्व दिखाई दिए कि शायद वे इस बात को समझ पाये कि अस्वच्छ लोग मसीह के साथ जी रहे है परमेश्वर के साथ उन्होंने संधि प्राप्त कर ली है, पवित्र आत्मा के आनंद से भर चुके है और अपने शत्रुओं से भी प्रेम करने लगे है| तब ईब्राहीम के बच्चे इस बात को समझ सके कि गरीब और ठुकराए हुए लोग अपनी संस्कृति द्वारा नहीं परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह द्वारा उनके राज्य के उत्तराधिकारी के भागीदार बन गये है| पौलुस को आशा थी कि ये विद्रोही, स्वार्थी यहूदी, इन अविश्वासियों से ईर्ष्या करते होंगे जिनका दुबारा जन्म हुआ था, और यह भी पहचान सके होंगे कि इब्राहीम, ईसहाक और याकूब की आशीषें उनमे निवास करती होंगी| आप आशा करते थे कि उनके लोग अपने दिमागों को बदलेंगे और अपनी विरासत में अन्य लोगों को भी शामिल करने का निर्णय लेंगे जो कि अजनबी लोगों में भरा हुआ था| इसी प्रकार से मसीह ने अपने शिष्यों से कहा था: “तुम इस जगत की ज्योति हो, लोगों के सामने तुम्हारी ज्योति चमके, कि वे तुम्हारे अच्छे कार्यों को देख पाये और तुम्हारे पिता जो कि स्वर्ग में है की महिमा कर पाये”|

यहूदियों के लिए पौलुस ने अपनी प्रचार योजना समाप्त की यह कहकर: यदि यहूदियों का विघटन, निंदनीय लोगों के लिए आशीषों का सोता और यदि उनकी भ्रष्टता के कारण शेष बचे पवित्र लोग अन्य जातियों के अनेक लोगों के उद्धार का कारण बने थे तो इन यहूदियों की वापसी आशीषों को कितना गुणा बढाकर पूरे जगत में आशिषों का विस्फोट कर पाई होती| यदि सभी यहूदियों ने मसीह में विश्वास किया होता तो उनके विश्वास की शक्ति और भावनाओं की गहराई ने पूरे जगत में एक प्रचार शक्ति का निर्माण किया होता, हमारे विश्व के रेगिस्तानो में जिवंत पानी के झरने बन कर बहे होते, और उन्हें अपराधों की लहरों के बीच में भी जिवंत दिव्यभूमि बनाया होता|

अपने युक्तिपूर्ण विचार के साथ, पौलुस ईसाईयों को विचलित करते है कि वे याकूब के बच्चों को प्रेम और क्षमा कर पाये उनके द्वेषपूर्ण, घमंडी हृदयों को शालीनता एव विनम्रता से जीत पाये (मत्ती 11:28-30)

तब पौलुस ने रोम की कलीसिया के अन्यजातियों में जो विश्वासी थे उनके हृदयों को स्वच्छ करने और उनको झिझोड़ने की ओर अपना रुख किया| आपको आध्यात्मिक सत्य के साथ यहूदियों का सामना करना पड़ा था पहले उन्हें यह कहकर: यीशु ने मुझे यहूदियों के बीच में एक प्रचारक के रूप में नहीं भेजा, परन्तु मुझे अन्यजातियों, जोकि सौ सौ ऐसे भगवानों के बीच जोकि अस्वच्छ आत्मा से भरे हुए थे, के उपदेशक के रूप में भेजा था| मै आनन्दपूर्वक इस कार्य को करता हूँ, उनकी भाषाएँ सीखकर, उनकी रुढिवादिता के बारे में विचार करके, और उनके अस्वच्छ भगवानो के भक्तो और उनकी सार्वजनिक वेश्यावृति तक यीशु के संस्कार को पंहुचाकर मै इस कार्य को करता हूँ|

अपनी सेवकाई में यहूदियों को अप्रत्यक्ष ढंग से प्रचार करने का अवसर पौलुस ने पाया था| आप कहते थे कि इब्राहीम के बच्चे ईसाईयों के पवित्र आचरण को देखकर और एशिया एवं यूरोप में उनके वास्तविक सहयोग को देखकर विस्मित हो जाये| आप उनमे आध्यात्मिक उत्साह निर्माण करने के लिए ऐसा करना चाहते थे, कि उनमे से कुछ तो अपने गलत रास्तों से वापस आ सके, अन्य जातियों के विश्वास से कुछ सबक सीख सके, और मसीह जो कि मृतकों में से जी उठे है, का अनुसरण करें| पौलुस आशा करते थे कि पुराने समझौते के ठुकराए हुए चुने हुए लोग एक बार फिर से अपनी वापसी द्वारा पुराने समझौते के अधिकार को प्राप्त कर पायें, क्योकि परमेश्वर के वादे उनके लिए अब तक असरदार और वैध है|

उनके द्वारा राजा यीशु को नकारना परमेश्वर और जगत के बीच संधि का कारण था, तो इन आध्यात्मिक रूप से मरे हुए लोगों की वापसी परमेश्वर में जीवन को कितना अधिक परिपूर्ण कर देंगी? पौलुस ने अपने अध्यात्मिक रूप से मरे हुए शरीर और शरीर में पाईगई कमियों के ऊपर परमेश्वर की शक्ति की विजय का अनुभव किया था हालाँकि वे अपनी धर्माधता में कसाईं थे फिर भी परमेश्वर ने उन्हें बचाया था| आप अपने राज्य के लोगों के लिए भी ऐसी आशा करते थे, और इसलिए आपने यह संकल्प किया था उन्हें अनंत जीवन में अपना भागीदार बनाने का ताकि वे सभी लोग मसीह के अनुग्रह को पूरे जगत में फैला पाये|

प्रार्थना: ओ स्वर्गीय पिता हम आप का धन्यवाद करतें हैं और आप की आराधना करतें है क्यों की आप ने यहूदियों की कठोरता को पूरे राज्यों के लिये एक आशिष बना दिया| हमारी मदद करें कि हम आत्मा में स्वार्थी ना बने, परन्तु सभी की आपकी पवित्र आत्मा के साथ सेवा करें, वचन द्वारा, कार्यों द्वारा, और प्रार्थना द्वारा, और अनेक अविश्वासियों और इब्रहिम की संतानों को यीशु मसीह के विश्वास में जीने के लिये मार्ग दर्शन करें|

प्रश्न:

73. अस्वच्छ अन्य जातियों के लिये यहूदियों की कठोरता का अर्थ क्या है?
74. ईसाई लोग किसतरह अविश्वासियों को सही विश्वास की ओर जाने के लिये बिनती करतें हैं?

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