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Previous Lesson -- Next Lesson रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
भाग 2 - परमेश्वर की धार्मिकता याकूब की संतानों उनके अपने लोगों की कठोरता के बावजूद निश्चल है। (रोमियो 9:1 - 11:36)
5. परमेश्वर की धार्मिकता केवल विश्वास के द्वारा प्राप्त होती है, ना कि नियमों का पालन करने के द्वारा (रोमियो 11:1-36)
अ) क्या इस्राएल उनके अविश्वास के लिए जिम्मेदार है? (रोमियो 11:1-10)रोमियो 11:1-10 उपदेशक पौलुस ने इब्राहीम के बच्चों के उद्धार और विनाश के वाद विवाद के बारे में अपने आप को तैयार कर लिया था| आपने भयभीत होकर एक प्रश्न पूछा: “क्या समझौते वाले परमेश्वर ने लोगों पर से पूरी तरह से अपनी सख्ती हटा दी थी?” (भजन संहिता 14:14) पौलुस ने इस प्रश्न का उत्तर ‘नहीं’ कहकर दिया| यह बात असंभव है क्योंकि मै परमेश्वर के बचाए हुए अनुग्रह का प्रमाण हूँ| उन्होंने मुझ पापों से भरे हुए अपराधी को बचाया| शरीर के अनुसार मै बिन्यामीन जाति और इब्राहीम के वंश से हूँ| परमेश्वर ने मुझे बुलाया, मुझे क्षमा किया, और मुझे जीवन दिया| याकूब की संतानों के लिए मै परमेश्वर के बचाने वाले अनुग्रह का सबूत हूँ| जैसे मै मसीह में जीता हूँ, अतः परमेश्वर याकूब की संतानों की सभी जनजातियों को व्यक्तिगत रूप से बार बार बुलाते है| वे उनकी रक्षा करते है, आशीष देते है और भेजते है| परमेश्वर ने उनमे से मूल इसाईयत को बनाया| केवल यहूदी ईसाइयों ने जिनका कि मसीह में नवीनीकरण हो चुका था मसीह के सुसमाचार के बारे में लिखा है| वे परमेश्वर के राज्य के महत्वपूर्ण अंश थे, और उन्होंने ही राज्यों में परमेश्वर के राज्य के बीज बोये थे| उपज अपने आप ही कई गुणा बढ़ गई थी और परमेश्वर का राज्य शांति से आता है और बढ़ता है| परमेश्वर के कुछ चुने हुए लोग है और उनके आध्यात्मिक राज्य के लिये उनके अपने कुछ तरीके है| वे अपने प्रिय लोगों को छोड़ते नहीं है जबकि आज भी याकूब के अधिकांश बच्चे मसीह से घृणा करते है और उन्हें अस्वीकार करते है क्योंकि वे अन्य भगवानो का अनुसरण करते है| परन्तु उपदेशक एलियाह के समय कैसी परिस्थिति थी? यह साहसी उपदेशक विश्वासियों पर खुनी अत्याचार देखकर ठण्डी आह भरते थे, जोकि उत्तरी राज्य में आरंभ हो चुका था और उनकी मृत्यु की घोषणा रानी द्वारा पहले ही की जा चुकी थी| तब परमेश्वर ने उनको सांत्वना देते हुए उत्तर दिया था कि : “अब तक इस्राएल में मैंने साथ हजार लोगोंको बचा कर रखा है जिन्होंने बाअल के सामने घुटने नहीं टेके और ना ही उसको चूमा है” (1 राजा 19:18)| कोई नहीं जनता कि वे स्थायी विश्वासी कौन थे| शायद वे शेष बचे हुए पवित्र लोग थे जो कि संभवतः समेरिया के विनाश के समय दासता के लिए ढकेले गये थे, जहाँ उन्होंने अपने विश्वास का प्रचार पूरे जगत में किया था| परमेश्वर अपने विश्वासियों को बचाते है और कोई भी उनको उनके हाथ से छीन नहीं सकता| वे उनसे विलासी जीवन का वादा नहीं करते परन्तु अनंत आध्यात्मिक आश्वासन की गवाही देते है(यूहन्ना 10:29-30)| जिस परिचर्चा में, पौलुस ने अपना प्रश्न किया: “यहाँ तक कि इस युग में भी अनुग्रह के चुनाव के अनुसार कुछ शेष है” (रोमियों 11:5)| मसीह के जन्म के साथ यह कथन वैध हो गया| विश्वसनीय ईसाई का प्रतीक ना तो शक्ति है, ना अमीरी, ना सम्मान है बल्कि केवल यीशु का अनुसरण, यहाँ तक कि पीडाओं में भी केवल मसीह का अनुसरण है| यीशु ने इसी रीती में उन कुछ लोगों को जो उनका अनुसरण करते थे कहा था: “डरो मत, छोटे से झुण्ड, क्योंकि यह तुम्हारे पिता के लिए आनंददायक बात है कि तुम्हे राज्य दे” (लुका 12:32; 22:28-29) पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा की शक्ति हमेशा उनके चुने हुए महापुरुषों के आशीषित चुनाव का निर्माण करती है| पौलुस और बारनाबास ने अपनी पहली धर्म प्रचारक यात्रा के दौरान उन लोगो को कहा था “हमें परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने के लिए बहुत सारे संकटों से गुजरना पड़ेगा (प्रेरित के कामों का वर्णन 14:22)| उपदेशक पौलुस ने इस ज्ञान को अपने अन्दर गहराई तक ले लिया और इस बात की साक्षी दी कि याकूब के शेष बच्चे, केवल अनुग्रह के कारण नाश नहीं हुए और लगातार बने हुए है| (रोमियों 11:6) परमेश्वर ने अन्तिम दिनों में उन्हें शैतानी प्रलोभनों से दूर रखा, और एक अच्छे गडरिये के समान उनका मार्गदर्शन किया है| यह शेषांश अपने स्वयं के कार्यों के कारण धार्मिक, पवित्र या चुने हुए नहीं है, परन्तु इनमे जो कुछ भी अच्छा है वह केवल अनुग्रह का परिणाम है| इसलिए हमें मसीह के अनुग्रह की विश्वव्यापी एवं विशेष शक्ति में विश्वास करना चाहिए जिसने इस्राएल के लोगों के पवित्र शेषांश को बनाये रखा| हमें इसके लिए प्रभु को धन्यवाद देना चाहिए क्योंकि इसके कारण हम ईसाईयों के अस्तित्व को लगातार बनाये रखा है| रोमियों 11:7 में पौलुस पूछते है: याकूब के बच्चों की आध्यत्मिक स्थिति तब क्या थी, और आज क्या है? नियमों का पालन करने से उनका अर्थ क्या था? और उनकी पवित्रता का लक्ष्य क्या था जिसे वे प्राप्त नहीं कर पाये? यह अपने लक्ष्य को खो चुके थे, और अपने राजा को सूली पर चढा चुके थे पवित्र आत्मा के निवास के विरोध में अपने आप को कठोर करके पवित्र त्रयी की एकता से स्वयं अपनी इच्छा पूर्वक दूर चले गये थे और अन्य देशों में राजा और अन्य नेताओं की सेवा करते थे जो उनका भरपूर फायदा उठाते थे और इस बात की प्रतीक्षा में थे कि इन मसीह विरोधियों के साथ वे अन्य लोगो पर राज्य करे| याकूब के सभी बच्चे इस दर्दनाक सत्य में शामिल नहीं है क्योंकि इव्रहीम की संतानों में कुछ दुबारा पवित्र आत्मा में जन्म ले चुके थे| वे अपने अपराधों को जानते थे और सबके सामने स्वीकार करते थे, परमेश्वर के विनम्र मेमने में विश्वास करते थे, और उनसे पूर्णतया क्षमा प्राप्त कर चुके थे, और प्रतिज्ञाबद्ध आत्मा के साथ अभिषेक किये गये थे| वे मसीह का जीवन जीते थे और उनके आध्यात्मिक कार्यों के सक्रीय सदस्य थे| यद्यपि उनके राज्य में अधिकाँश लोग कठोर थे (व्यवस्थाविवरण 29:4; यशायाह 29:10) उन्होंने एक ऐसी आत्मा को प्राप्त किया था जो अच्छे और बुरे को नहीं पहचानते थे| इसलिए उन्हें अच्छे और बुरे का ज्ञान नहीं था, परन्तु वे जो करते थे उससे प्रसन्न थे, परमेश्वर और उनके अन्तिम न्याय से उनका कुछ संबंध नहीं था क्योंकि जब वे देखते थे, कुछ नहीं देखते थे, और जब सुनते थे, कुछ नहीं सुनते थे यहाँ तक कि राजा दाऊद ने परमेश्वर से प्रार्थना की थी कि उनमे से अधिकांश लोगों को दण्ड दे एवं उनकी योजनाओं को उनके लिए ही एक फंदा बना दे (भजन संहिता69:23-24) फिर भी यीशु ने दाऊद के गंभीर शब्दों को बदल दिया था, और अपने अनुयायियों को आदेश दिया था: “अपने शत्रुओं से प्रेम करो उनको आशीष दो जो तुम्हे श्राप दे, उनके लिए अच्छा करो जो तुमसे घृणा करते है और उनके लिए प्रार्थना करो जो विद्वेष पूर्वक तुम्हारा उपयोग करते है और तुम पर अत्याचार करते है, ताकि तुम तुम्हारे पिता जो स्वर्ग में है के बच्चे बन पाओ” (मत्ती 5:44-45)| चुने हुए लोगो में से शेष बचे पवित्र लोगो और पूरे जगत में ईसाई धर्म ने अपनी उपस्थिति के महत्त्व को सिद्ध कर दिया है अत्याचारों, तनावों और झुठे लांछनो के होते भी हुए मसीह के आदेशों को बाहर दूर तक ले जाने के द्वारा| प्रार्थना: ओ स्वर्गीय पिता, हम आपकी आराधना करते है क्योंकि आपने इब्राहीम के बच्चों की संख्या को बढाया जिन्होंने आपकी पवित्र आत्मा के लिए अपने हृदय के द्वार को खोला, अपने आपको यीशु के लहू से पवित्र किया और अनन्त जीवन पाया| कृपया करके नए विश्वासियों को शक्ति दे, और उन्हें बनाये रखे ताकि वे आंतकी अत्याचारों के बीच में भी आपकी उपस्थिति को अपने साथ अनुभव कर पाये, विश्वास के साथियों से मदद पाये, और विभाजनों के एक शिकार ना बने| प्रश्न:
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