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Home -- Hindi -- Romans - 008 (The Righteousness of God)
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रोमियो – प्रभु हमारी धार्मिकता है|
पवित्र शास्त्र में लिखित रोमियों के नाम पौलुस प्रेरित की पत्री पर आधारित पाठ्यक्रम
आरम्भ: अभिवादन, प्रभु का आभारप्रदर्शन और “परमेश्वर की धार्मिकता” का महत्व, इस पत्री का आदर्श है। (रोमियों 1:1-17)

स) लगातार विश्वास के द्वारा परमेश्वर की धार्मिकता हममे स्थापित हुई और हम उसे जान पाये (रोमियों 1:16-17)


रोमियो 1:16
16 क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता, इसलिए कि वह हर एक विश्वास करनेवाले के लिये, पहिले तो यहूदी, फिर यूनानियों के लिये उद्धार के निमित परमेश्वर की सामर्थ है|

पौलुस जानते थे कि “सुसमाचार” शब्द रोम में जाना पहचाना जाता है और उस का एक सुखद अर्थ भी है क्यों कि वहाँ बहुतसे सुसमाचार थे जैसे कि राज घराने के स्तर पर शुभ संदेशों की घोषणाएँ, जिसे राजधानी के लोग सुनने के इच्छुक रहते थे|

आप ने उद्धार के शुभ संदेशों को उसी प्रकार के ऊँचे स्तर पर उठाया था जैसेकी राजकीय घोषणाएँ जैसे कि आप कहना चाहते थे: मै अपनी पत्री से शर्मिंन्दा नहीं हूँ जोकि फिलिस्तियन एक छोटी सी नगरी से आती है, बल्कि इसकी जगह मै तो इसे बाहर राजधानी के मध्य में लेकर आया हूँ, क्योंकि मै तुम लोगों के लिए यह शुभ सन्देश लेकर आया हूँ कि सिर्फ परमेश्वर का एक अनूठा पुत्र है जो कि सारे युगों से पहले परमेश्वर से था और हमारे पास रहने के लिए जिन्होंने अपनी देवत्वता में अवतार लिया| और सभी लोगों को अपनी मृत्यु एव पुर्नजीवन द्वारा छुटकारा दिलाया| मेरी पत्री में ऐसी घोषणा नहीं है कि नाशवान सीज़र के एक नाशवान पुत्र का जन्म हुआ, बल्कि अनंत पिता के अनंत पुत्र के जन्म की सुखद घोषणा की गई है| यदि राजकीय समाचार तुम्हे रोमन सेना की विजयों के सुखद संदेश देते है, या तुम्हारे लिए राजकीय खेलों का एलान करते है| या बड़ी संख्या में सामान्य लोगों के लिए भोज का ऐलान करते है मै यहाँ तुम्हारे लिए एक ऐसा शुभ संदश लेकर आया हूँ कि सारी मानव जाती को पूरी तरह से पाप, मृत्यु, शैतान, परमेश्वर के क्रोध और न्याय से छुटकारा, दिया गया था| मेरा सुसमाचार सभी रोमन सुसमाचारों से अधिक महान है क्यों कि यह सम्पूर्ण, ऊँचा, अनंत, शक्तिशाली, महान और महिमामय है| यह दर्शन शास्त्रों, पुस्तकों या रिक्त आशा पर निर्भर नहीं है बल्कि एक मनुष्य पर केंद्रित है|

रोमवासी “मसीह” शब्द के बहुत सारे अर्थों को नहीं जानते थे जैसे कि यहूदियों द्वारा दिये गए थे| वे इसका अर्थ ऐसा समझते थे जैसे ‘एक अभिषेक किया हुआ’ यही शीर्षक जोकि सीज़र को उसके दीवानी कार्यों में जोड़ते हुए, उसे उच्चतम याजक के विषय में दिया गया| सीज़र ने स्वयं में राजनीति, सेना, और न्याय के कार्यों के साथ, सामान्य लोगों के लिए राष्ट्रिय भगवानो और आत्माओं से संधि करवाने का कार्य शामिल कर लिया था जैसे कि वह शांति और आशीषों का लिए एक मध्यस्थ था|

यद्यपी मसीह प्रभुओं के प्रभु है, जिन्हें स्वर्ग और पृथ्वी दोनों स्थानों पर सारी शक्ति, दी गई है क्यों कि वही हमारे सच्चे महायाजक है और हमारे एकमात्र मध्यस्थ एवं परमेश्वर से हमारी ओर से वकालत करने वाले है|

पौलुस अपने सुसमाचार के प्रारंभ में ही इस एलानके द्वारा ना सिर्फ मसीह को परमेश्वर के पुत्र एव उनके दैवीय स्वभाव की सफाई देते है बल्कि उनके कार्यों के बारेमे भी सफाई दीथी जो उन्होंने प्रभु, न्यायधीश, राजा, शासक और संधि कराने वाले के रूप में किये थे जो अकेले ही इस शीर्षक के योग्य है ‘संसार को बचाने वाला’ जोकि उस समय सिर्फ सीज़र को माना जाता था|

यह शुभ सन्देश इस बारे में था कि परमेश्वर के पुत्र और उनके अलग अलग मन्त्रिमंडल मात्र एक विचार नही है| यह एक ऐसी फटनेवाली शक्ति है जो संसार की सभी शक्तियों से महान है क्योंकि इस सुसमाचार में परमेश्वर की सारी शक्तियां निहित है| प्रभु स्वयं इस सुसमाचार में उपस्थित है| वह काले अक्षरों द्वारा कहते है और सुनने वालों में एक नऐ जीवन का संचार कर रहे है एवम बुलाये हुओं को नई शक्ति और जीवन दे रहे है| तो इस पुस्तक को, दूसरी अन्य पुस्ताकोंके साथ सामान स्तर पर तुम्हारी टाँड पर मत रखो बल्कि इसे ऊपर उठाओ और एक योग्य स्थान पर रखो, क्योंकि यह पुस्तक और सभी पुस्तकों को अपराधी ठहराती है|यह सुसमाचार अपने आप में उत्तम है जैसे परमेश्वर उत्तम है और एक नए विश्व का निर्माण करने की शक्ति से भरे हुए है|

मसीह के सुसमाचार द्वारा, परमेश्वर की शक्ति, इस दुष्ट संसार को नष्ट करने के लिए, संसार में नहीं आई थी, बल्कि यह बचाने के लिए, क्योंकि परमेश्वर सभी लोगों को बचाना चाहते है ताकि लोग सच्चाई के ज्ञान की ओर आये| हमारे स्वर्गीय पिता एक अनन्य शासक नहीं है| वह उनके पुत्र के सुसमाचार को स्वीकार करने के लिए किसी पर भी दबाव नहीं डालते है बल्कि वह इस सच को हर एक व्यक्ति को भेंट देते है| जो कोई भी मसीह के शब्द के लिए ह्रदयों को खोलते है, और उन पर विश्वास करतें है, परमेश्वर की शक्ति का अनुभव करते है| विश्वास के बिना उद्धार नहीं है| जो कोई भी विश्वास करता है वह परमेश्वर के पुत्र के साथ जुड़ जाता है, जो अपनी दिव्यता को अपने विश्वासियों में रख ते है, और स्वच्छ करते है और पापों से मुक्त करते है और उनको फिरसे जीवित करते है|

जो कोई भी अपने ह्रदय को मसीह के लिए खोलता है मसीह में विश्वास करता है, यह विश्वास उसमे अनन्त उद्धार को स्थापित करता है; और परमेश्वर के पुत्र में विश्वास ही उद्धार का एकमात्र रास्ता है| विश्वास के द्वारा, विश्वासी क्षमा एव मरो हुओं में से पुनर्जीवन प्राप्त करते है| इस कारण से रोमियों की पत्री में विश्वास ही निर्णायक क्रिया है, क्योंकि बिना विश्वास के तुम परमेश्वर को नहीं जान सकते हो, या परमेश्वर की शक्ति को महसूस कर सकते हो वह जो विश्वास करता है यद्यपी उसका फैसला हो चुका है वस्तुतः वह जीवित है|

यहूदियों ने इस सुखद सुख का अनुभव किया था कि अधिकतर लोगों ने मसीह को ठुकराया, नफरत की, और उन्हें सूली पर चढाया था, तो भी विनीत चुने हुए उन्हें जानते थे और उन पर विश्वास करते थे| वे पवित्र आत्मा से भरे हुए बन गये, और परमेश्वर के प्रेम में लगातार बने रहे| यहाँ तक कि आज भी पवित्र त्रय की शक्ति प्रेरितों की गवाही के द्वारा लोगों में निवास करती है|

जब यहूदियों के अल्पसंख्यकों ने मसीह के उद्धार को स्वीकार किया था तब बड़ी संख्या में यूनान और इसरायल के लोगों ने जिन्होंने अपने ह्रदयों को उद्धार के सुसमाचार के लिए खोल दिया था, उनका अनुसरण किया| उन्होंने यह अनुभव किया था कि यह सन्देश खाली शब्द नहीं थे बल्कि परमेश्वर की शक्ति से भरे हुए थे, जो एक अनन्त सौदे के अंतर्गत विश्वासियों और जीवित मसीह को जोड़ती है|

प्रिय भाईयों, यदि तुम मसीह के सुसमाचार को सावधनी पूर्वक पढ़ो, अपने ह्रदयों को उनके शब्दों की ओर ले जाओ, मसीह की दैव्यता में विश्वास करो और प्रार्थना में उनसे बात करो तुम्हे अनुभव होगा कि सूली पर चढाये गये और मरे हुओ में से पुनर्जीवित मसीह ही सच्चे बचानेवाले और याजक है, शक्तिमान राजा, और संसार को पापों से छुडानेवाले है| तो, साहसी बने रहो और तुम्हारे पूरे जीवन का सुसमाचार पर निर्माण करो कि तुम्हारी कमजोरी में परमेश्वर की शक्ति अधिक बढ़ जाये|

प्रार्थना: हम आपकी पूजा करते है, ओ परमेश्वर, पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा, क्योंकि आपने मसीह के सुसमाचार में स्वय घोषणा की, और हमें विश्वास में पवित्र किया और पूर्णता में हम में निवास किया| हम इस लिए भी आपकी पूजा करते है क्योंकि रोमियों को लिखी गई पत्री के पत्रों द्वारा आपकी शक्ति पूरी तरह से कार्य करती है और नए नियम की सभी पुस्तकों में से बाहर निकल आई है| हमरी आंखे खोलिये और दिमाग भी खोलिये कि हम आपकी आवाज को सुन पाये, आप पर विश्वास करें, और अपने जीवन को पूरी तरह से आपके विचारों और मार्गदर्शन को सौंप दे|

प्रश्न:

12. पद 16 में कौनसा वाक्य आपको सबसे अधिक महत्वपूर्ण लगता है? और क्यों?

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