Home
Links
Bible Versions
Contact
About us
Impressum
Site Map


WoL AUDIO
WoL CHILDREN


Bible Treasures
Doctrines of Bible
Key Bible Verses


Afrikaans
አማርኛ
عربي
Azərbaycanca
Bahasa Indones.
Basa Jawa
Basa Sunda
Baoulé
বাংলা
Български
Cebuano
Dagbani
Dan
Dioula
Deutsch
Ελληνικά
English
Ewe
Español
فارسی
Français
Gjuha shqipe
հայերեն
한국어
Hausa/هَوُسَا
עברית
हिन्दी
Igbo
ქართული
Kirundi
Kiswahili
Кыргызча
Lingála
മലയാളം
Mëranaw
မြန်မာဘာသာ
नेपाली
日本語
O‘zbek
Peul
Polski
Português
Русский
Srpski/Српски
Soomaaliga
தமிழ்
తెలుగు
ไทย
Tiếng Việt
Türkçe
Twi
Українська
اردو
Uyghur/ئۇيغۇرچه
Wolof
ייִדיש
Yorùbá
中文


ગુજરાતી
Latina
Magyar
Norsk

Home -- Hindi -- John - 103 (Jesus intercedes for his apostles)
This page in: -- Albanian -- Arabic -- Armenian -- Bengali -- Burmese -- Cebuano -- Chinese -- Dioula? -- English -- Farsi? -- French -- Georgian -- Greek -- Hausa -- HINDI -- Igbo -- Indonesian -- Javanese -- Kiswahili -- Kyrgyz -- Malayalam -- Peul -- Portuguese -- Russian -- Serbian -- Somali -- Spanish -- Tamil -- Telugu -- Thai -- Turkish -- Twi -- Urdu -- Uyghur? -- Uzbek -- Vietnamese -- Yiddish -- Yoruba

Previous Lesson -- Next Lesson

यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
तीसरा भाग - प्रेरितों के दल में ज्योती चमकती है (यूहन्ना 11:55 - 17:26)
इ - यीशु की मध्यस्थयी प्रार्थना (यूहन्ना 17:1-26)

3. यीशु अपने चेलों के लिये प्रार्थना करते हैं (यूहन्ना 17:6-19)


यूहन्ना 17:14
“14 मैं ने तेरा वचन उन्हें पहुँचा दिया है; और संसार ने उन से बैर किया, क्योंकि जैसा मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं |”

यीशु ने अपनी प्रार्थनाओं में गवाही दी कि आप ने पिता का वचन अपने चेलों को प्रस्तुत किया और उन पर उसका पिता जैसा नाम प्रगट कर के उस का अर्थ स्पष्ट किया | इस प्रदर्शन के द्वारा आप ने हमारे लिये पवित्र त्रिय की घोषणा की | परमेश्वर के तत्व के इस आश्चर्यपूर्ण प्रदर्शन ने चेलों के दिलों को छू लिया | इस से उन में परिवर्तन आया और वे शक्ति से परिपूर्ण हो गये और वे मसीह के आत्मिक शरीर (कलीसिया) के सदस्य बन गये |

इन विशेषताओं और सद्गुणों के कारण दुनिया उन से घ्रणा करने वाली थी, ठीक उसी तरह जैसे उस ने यीशु से घ्रणा की थी | जिस तरह मसीह का स्त्रोत परमेश्वर से था और आप का जीवन अनन्त काल से हमेशा के लिये परमेश्वर में छिपा हुआ था उसी तरह जिन लोगों का पुनरजन्म हो चुका है वह अनन्त काल तक जीते रहेंगे |

यूहन्ना 17:15
“15 मैं यह विनती नहीं करता कि तू उन्हें जगत से उठा ले; परन्तु यह कि तू उन्हें उस दुष्ट से बचाए रख |”

यीशु ने अपने चेलों को हवा में उड़ा कर आस्मान पर नहीं पहुँचाया, न ही आप उन्हें एकांतता में ले गये, यदपि पीड़ा और कठिनाईयां चारों ओर से उन्हें घेरे हुई थीं | आप ने अपने पिता से विनती की कि वह आप के अनुयायियों को शैतान के प्रभाव और कुशल वक्ताओं और दुष्ट आत्माओं के धोखे से बचाए रखे | हमारा प्रभु हमारे लिये प्रार्थना करता है | हर विश्वासी आप की बाहों में निश्चित रूप से सुरक्षित रहता है | यीशु का खून हमारी रक्षा करता है और आप के बलीदान के कारण परमेश्वर हमारे साथ है | कोई व्यक्ति न हमें दोषी ठहरा सकता है न हमारा नाश कर सकता है | हम धार्मिक ठहराये गये हैं, हम ने अनन्त जीवन पाया है और पवित्र परमेश्वर के अनुग्रह में बने हुए हैं | अगर हम आज्ञा का पालन न करें और अपना रुझान विशेष पापों की तरफ मोड लें तब वह हमें परीक्षा में गिरने देगा क्योंकि इस से जो पाप हमारे अन्दर है वह उभर आएगा और हमारी शरम बेपरदा हो जायेगी | तब हम कांपने लगेंगे और आँसू बहा कर पश्चताप करेंगे और चिल्लायेंगे, “हे पिता, हमें परिक्षा में न डाल, परन्तु दुष्ट से बचा |” जो व्यक्ति स्वंय: अपनी शक्ति और मानविय साहस से शैतान और मृत्यु से संघर्ष करने का प्रयत्न करता है, अपने आप को धोका देता है | मसीह के खून और मध्यस्तीय प्रार्थना का सहारा लो, आप हमारे एक मात्र उद्धार कर्ता हैं |

यूहन्ना 17:16-17
“16 जैसे मैं संसार का नहीं, वैसे ही वे भी संसार के नहीं | 17 सत्य के द्वारा उन्हें पवित्र कर : तेरा वचन सत्य है |”

अपनी प्रार्थना में यीशु ने अपने चेलों के विषय में गवाही दी कि वे अब तक इस दुष्ट दुनिया से बाहर निकल न आये थे, यदपि वे भी मनुष्य थे और दूसरों की तरह दुष्ट की ओर प्रवृत हो सकते थे | वह अब भी बुराई में पड़े रहते परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह से मसीह के खून ने उन्हें शैतान की कैद से क़ानूनी तौर पर मुक्त कर दिया है | अब वे इस दुनिया में अजनबी बन गये परन्तु स्वर्गवासी बन गये हैं |

उन विश्वासियों के नये स्वभाव में जो शरीर और प्राण पर आधारित है, जीवन भर निर्दयी संघर्ष जारी रहता है | अगर हम दूसरों से ज्यादा स्वय: अपने आप, अपने कामों और अपने परिवारों ही से प्रेम करते हैं तो पवित्र आत्मा दु:खी होता है | स्वय: अपने आप को खुश करने की सभी कोशिशें हमारे अन्तकरण को चोट पहुंचायेंगी | हर झूट हमारे स्मरण में जलती हुई छड़ी की तरह सुलगती रहती है | परमेश्वर का आत्मा तुम्हें चुराया हुआ माल अपने घर में रखने न देगा | अगर तुम ने अपमान कर के या किसी दयाहीन कार्य से किसी व्यक्ति को चोट पहुँचाई हो तो सत्य का आत्मा तुम्हें जा कर उस व्यक्ति से क्षमा मांगने के लिये प्रेरणा देगा क्योंकि यह पवित्र आत्मा सब दुष्ट, धोका और तुम्हारे जीवन के हर बल और पेच का पर्दा फाश कर देता है और वह उस के अनुसार तुम्हारा न्याय करेगा |

मसीह ने अपने पिता से हमें अभिषिक्त करने के लिये विनती की क्योंकि एक अपवित्र व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को पवित्र नहीं कर सकता | यह पवित्रीकरण हमें उस के सत्य की तरफ आकर्शित कर के किया जाता है | जहाँ तक हम परमेश्वर के प्रेम को समझते हैं और पुत्र के अनुग्रह में बने रहते हैं और पवित्र आत्मा की शक्ति में जीते हैं, हम पवित्र किये जाते हैं | हमारे जीवन में परमेश्वर की उपस्थिति हमें प्रभावित करती है | परमेश्वर स्वय: अपने उद्देश हम में पूरे कर लेता है, “पवित्र बनो जैसे कि मैं पवित्र हूँ |” यीशु का खून हमेशा के लिये हमें अभिषिक्त करता है, ठीक उसी तरह जैसे हम में वास करने वाले पवित्र आत्मा को किसी वस्तु की कमी नहीं होती | पवित्र त्रिय के स्वभाव पर तुम्हारा विश्वास तुम्हे पूरी तरह से महामंडित करता है |

जब हम परमेश्वर के वचन का अत्यंत गहराई से अध्ययन करते हैं तो परमेश्वर स्वय: हमें अभिषिक्त कर्ता है | सुसमाचार हमारी पवित्रता का स्त्रोत और हमारी आज्ञा पालन की जड़ है | मसीह का वचन हमें विश्वास करने, संयम से काम लेने और प्रेम से आराधना करने के लिये प्रेरित करता है ताकि हम बगैर किसी रूकावट के परमेश्वर तक पहुँचने के योग्य बन जायें | अपने दिल अपने परमेश्वर के वचन के लिये खोल दो क्योंकि परमेश्वर प्रेम है और जो प्रेम में बना रहता है वह परमेश्वर में बना रहता है और परमेश्वर उस में |

यूहन्ना 17:18
“ 18 जैसे तू ने मुझे जगत में भेजा, वैसे ही मैं ने भी उन्हें जगत में भेजा;”

अपने चेलों को अभिषिक्त करने के लिये प्रार्थना करने के बाद आप ने उन्हें उन के नवीकरण के बाद दुष्ट दुनिया में भेज दिया | आप ने हमारा उद्धार किया ताकि हमारे जीवन अभिषिक्त हों, फिर आप ने हमें दुनिया में भेजा ताकि हम बहुतों को बचायें और उन्हें अभिषिक्त करें | कलीसिया, विश्राम की मंडली नहीं है जो अपने काम धार्मिक प्रवचनों और कानूनी न्याय से चलाती है | वह अभियान की संगती जो विश्वास के साथ शैतान के किले पर धावा बोल देती है और इस उद्देश से प्रार्थना और निरंतर प्रयत्न करती है की खोये हुए लोगों का परिवर्तन हो | कलीसिया पिता के राज्य की घोषणा करती है और दुनिया में सुसमाचार के प्रचार के लिये उस की इच्छा के अनुसार काम करती है | क्या तुम्हें सुसमाचार के प्रचार के विषय में यीशु की, की हुई प्रार्थना की जानकारी है ?

जिस तरह पिता ने यीशु को भेजा उसी तरह आप तुम्हें सम्मानित करके खोये हुए लोगों में भेजते हैं | इस का उद्देश वही है जैसा कि साज सामान | वे तुम को मसीह मे परमेश्वर के सत्य के विषय में केवल प्रगटन को पेश करते हैं | यीशु तुम्हें व्यावहारिक सेवा के लिये बुलाते हैं न की आराम और भ्रम के लिये | आप का पवित्र आत्मा तुम्हारी शक्ति है |

यूहन्ना 17:19
“19 और उनके लिये मैं अपने आप को पवित्र करता हूँ, ताकि वे भी सत्य के द्वारा पवित्र किये जाएँ|“

यीशु जानते थे कि आप का कोई भी चेला सुसमाचार का प्रचार करने या आत्मिक कल्याण करने के योग्य न था और यह कि वह सब अपने दिलों और अंत:करणों में घातक धाव लेकर गिर जायेंगे परन्तु परमेश्वर की पवित्रता उन्हें घेरे हुई थी | इसी कारण पुत्र बलि बना और स्वय: अपने आप को अभिषिक्त किया यदपि आप हमेशा पवित्र रहे | अपने मृत्यु से आप ने पवित्रता की सभी आवश्यकतायें पूरी कर दीं ताकि शैतान के आरोप मसीह के खून में हमारे विश्वास के कारण बुझ जाते | इस प्रायश्चित करने वाली मृत्यु के आधार पर चेले पवित्र आत्मा पा सके जिस के कारण वे जीवन का पानी रखने के बरतन और यीशु के नाम मे उपदेश दे कर आप के गवाह बन गये |'''

इस तरह से वे धोखे से मुक्त किये गये और उन के ओंठ धोखे के ज़हर से पवित्र किये गये | सत्य से कभी इन्कार न करने, पाप को प्रगट करने के लिये साहस पाया, यदपि इस से उन का अन्तकरण बेचैन क्यों न हो परन्तु अंतत: यह उद्धार की ओर मार्गदर्शन करता है | यह झूट, अनैतिकता और गर्व के साथ संघर्ष उसी समय सफल होता है जब मसीह के खून से मिलने वाली और आप की मध्यस्तीय प्रार्थना के प्रभाव का लाभ मिलता है |

प्रार्थना: हमारे दिलों में पाई जाने वाली घ्रणा, झूट और घमंड के लिये क्षमा कीजिये | हम अपने स्वभाव से बुरे हैं परन्तु आप पवित्र हैं | हमें शैतान के फंदों से बचाइये | हमें सुसमाचार का अर्थ समझाइये ताकि आप का वचन सत्य रूप से हमें अभिषिक्त करे और हम जो उपदेश देते हैं उस के अनुसार जियें |

प्रश्न:

107. हमें दुष्ट से बचाने के लिये यीशु ने अपने पिता से कैसी विनती की ?

www.Waters-of-Life.net

Page last modified on March 04, 2015, at 05:31 PM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)