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Home -- Hindi -- John - 063 (The Jews interrogate the healed man)
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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
क - यीशु की यरूशलेम में अन्तिम यात्रा (यूहन्ना 7:1 - 11:54) अन्धकार का ज्योती से अलग होना
2. जन्म से अंधे व्यक्ती का स्वस्थ हो जाना (यूहन्ना 9:1-41)

ब) यहूदियोंने उस चंगे व्यक्ती से प्रश्न पूछे (यूहन्ना 9:13–34)


यूहन्ना 9:13–15
“13 लोग उसे जो पहले अंधा था फरीसियों के पास ले गए | 14 जिस दिन यीशु ने मिट्टी सान कर उसकी आँखें खोली थीं, वह सब्त का दिन था | 15 फिर फरीसियों ने भी उससे पूछा कि उसकी आँखें किस रीति से खुल गईं | उसने उनसे कहा, ‘उसने मेरी आँखों पर मिट्टी लगाई, फिर मैं ने धो लिया, और अब देखता हूँ |’

यहूदी जीवन व्यवस्था का कारागार था | यहूदियों को इस बात की ज्यादा चिंता थी कि कोई सब्बत न तोड़े | परन्तु अगर उस दिन कोई चंगा हो तो उन्हें कोई प्रसन्नता नहीं होती थी | पड़ोसी और जासूस उस चंगे व्यक्ती को फरीसियों के पास ले आये ताकी इस बात का खुलासा करें कि यह चंगाई परमेश्वर की तरफ से थी या शैतानी शक्तियों का परिणाम था |

इस तरह यीशु के विषय में प्रश्न उत्तर और वादविवाद शुरू हो गया | इस चंगे नौजवान ने बताया कि उसे चंगाई कैसे प्राप्त हुई | उसने अपना विवरण संक्षेप में रखा क्योंकी उसके चंगे होने की खुशी यीशु के शत्रुओं की घ्रणा के कारण मिट्टी में मिल गई थी |

यूहन्ना 9:16–17
16 इस पर कुछ फरीसी कहने लगे, ‘यह मनुष्य परमेश्वर की ओर से नहीं, क्योंकि वह सब्त का दिन नहीं मानता |’ दूसरों ने कहा, ‘पापी मनुष्य ऐसे चिन्ह कैसे दिखा सकता है ?’ अत: उनमें फूट पड़ गई | 17 उन्हों ने उस अंधे से फिर कहा, ‘उसने तेरी आँखें खोली हैं | तू उसके विषय में क्या कहता है ?’ उसने कहा, ‘वह भविष्यवक्ता है |’

उसकी गवाही सुनने के बाद न्याय शास्त्री वाद विवाद करने लगे | कुछ लोग कहने लगे कि यीशु को परमेश्वर की तरफ से कोई अधिकार नहीं है क्योंकी आपने परमेश्वर की आज्ञा को तोडा है | उन्होंने व्यवस्था के नियमों के अनुसार यीशु का न्याय किया |

दूसरों को उस अंधे व्यक्ती के पाप और उसकी चंगाई और क्षमा के बीच संबंध दिखाई दिया | उनके विचार के अनुसार चंगाई अवश्य कोई गहरा अर्थ रखती थी | क्योंकी उसका संबंध परमेश्वर की क्षमा करने की योग्यता से था | इस लिए यीशु का पापी होना असंभव था क्योंकि आपने पाप को क्षमा करके उस यातना के कारण का समाधान किया |

दोनों समुदाई किसी समझोते पर न पहुँच सके क्योंकि दोनों पक्ष हमारे ज़माने में पाये जाने वाले कई लोगों की तरह अंधे थे जो यीशु के विषय में ऊपरी तौर पर और बगैर किसी उद्देश के बहस करते रहते थे | तब उन्होंने चंगे व्यक्ती से यह जानने के लिए पूछा कि यीशु ने और क्या कहा था और यह की वो स्वयं यीशु के विषय में क्या अनुभव करता है ? इस तरह की पूछ ताछ उन लोगों के लिए उपयोगी है जो यीशु के विषय में कुछ जानते हैं | जिन का पुनरजन्म हो चुका है उनसे ऐसे प्रश्न पूछना अच्छा होता है क्योंकी वो जानते हैं कि पाप और परमेश्वर के क्रोध से मुक्ती कैसे मिलती है | अपने आत्मिक पुनरजन्म के बगैर हम परमेश्वर को देख नहीं सकते |

चंगा व्यक्ती सोचने लगा, “आखिर यह यीशु कौन हैं ?” वो यीशु की तुलना परमेश्वर के उन लोगों से करने लगा जो इतिहास में उसके लोगों में से थे | उस ऐतिहासिक काल में कई आश्चर्यकर्म दिखाये गये थे परन्तु किसी जन्म के अंधे व्यक्ती को चंगा नहीं किया गया था | यीशु के कामों को देख कर कोई भी विचार करने वाला व्यक्ती इस बात का अन्दाज़ा लगा सकता था कि आप अनोखे उद्धारकर्ता थे | इस लिए उस व्यक्ती ने यीशु को भविष्यवक्ता कहा जो न केवल भविष्य को देख सकते हैं बल्की वर्तमान का भी परमेश्वर की शक्ती से निर्णय कर सकते हैं | वो दिलों को जांचते हैं और परमेश्वर की इच्छा व्यक्त करते हैं |

यूहन्ना 9:18–23
18 परन्तु यहूदियों को विश्वास न हुआ कि वह अंधा था, और अब देखता है, जब तक उन्होंने उसके, जिसकी आँखें खुल गयी थीं, माता-पिता को बुलाकर 19 उनसे न पूछा , ‘क्या यह तुम्हारा पुत्र है, जिसे तुम कहते हो कि अंधा जन्मा था ? फिर अब वह कैसे देखता है ?’ 20 उसके माता-पिता ने उत्तर दिया, ‘हम तो जानते हैं कि यह हमारा पुत्र है, और अंधा जन्मा था; 21 परन्तु हम यह नहीं जानते हैं कि अब कैसे देखता है, और न यह जानते हैं कि किस ने उसकी आँखें खोलीं | वह सयाना है, उसी से पूछ लो; वह अपने विषय में आप कह देगा |’ 22 ये बातें उसके माता-पिता ने इसलिए कहीं क्योंकि वे यहूदियों से डरते थे क्योंकि यहूदी एकमत हो चुके थे कि यदि कोई कहे कि वह मसीह है, तो आराधनालय से निकाला जाए | 23 इसी कारण उसके माता-पिता ने कहा, ‘वह सयाना है, उसी से पूछ लो |’”

यहूदियों ने पुराने नियम के आश्चर्यकर्मों का, मसीह के किये हुए परमेश्वर के कामों की तुलना करने से इन्कार किया जो आश्चर्यजनक थे | वो नहीं मानते थे कि आप भविष्यवक्ता या परमेश्वर के भेजे हुए थे अन्यथा उनकी स्थिति गलत और दोषजनक ठहरती |

उन्होंने फिर गलती की और कहा यह आश्चर्यकर्म भ्रम था और वो व्यक्ती भी अंधा था ही नहीं | वो यहाँ तक कहने को राज़ी थे कि यीशु के हाथों ऐसा आश्चर्यकर्म होना असंभव था | उनकी नज़रों में जन्म के अंधे का चंगा होना असंभव था जिसकी विकलांगता पाप के कारण हुई थी |

उसके माता-पिता को भी बुलाया गया जिन्हें उनके पुत्र की समस्याओं की जानकारी पुलिस के द्वारा हो चुकी थी | उसके माता-पिता ने फरीसियों के डर से बड़ी सावधानी से कहा और पहले जो कुछ अपने पुत्र से सुना था उस का इन्कार किया | उन्होंने उसे त्याग दिया ताकी किसी संकट के जाल में ना फसें | इस तरह पुत्र को स्वयं अपनी ज़िम्मेदारी उठाने के लिए उसके हाल पर छोड़ दिया | समाज से निकाल दिया जाना गंभीर मामला समझा जाता था | इस का अर्थ एक कोढ़ी के समाज से निकाल दिये जाने के समान था | इस का मतलब सारे अधिकारों से इनकार करना और शादी न होने की संभावना भी हो सकता था | यहूदियों में यीशु के प्रति घ्रणा इतनी बढ़ गई थी कि वो आपके अनुयायियों को भी नाश करना चाहते थे |

प्रार्थना: ऐ प्रभु यीशु हम आपका धन्यवाद करते हैं कि आप परमेश्वर का अधिकार हैं जो मनुष्य बने | अपनी आज़माइश के समय हम अपनी रक्षा और सुख से नहीं बल्की आप से लिपट कर रहें ऐसी हमें प्रेरणा दीजिये | हमें सयंम बरतने, धीरज रखने और निष्ठावान बने रहने की और आप को न छोडकर और न भूलते हुए मृत्यु को पसन्द करने की प्रेरणा दीजिए |

प्रश्न:

67. यहूदियों ने जन्म के अंधे व्यक्ती की चंगा होने की संभावना से इन्कार क्यों किया?

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