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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
क - यीशु की यरूशलेम में अन्तिम यात्रा (यूहन्ना 7:1 - 11:54) अन्धकार का ज्योती से अलग होना
1. झोपड़ियों के पर्व के समय पर यीशु का वचन (यूहन्ना 7:1 – 8:59)

ब) लोगों और उच्च न्यायालय के सदस्यों के बीच यीशु के विषय में निराशा जनक विचार (यूहन्ना 7:14-53)


यूहन्ना 7:31-32
“31 फिर भी भीड़ में से बहुत से लोगों ने उस पर विश्वास किया, और कहने लगे, ‘मसीह जब आयेगा तो क्या इससे अधिक आश्चर्यकर्म दिखाएगा जो इस ने दिखाए ?’ 32 फरीसियों ने लोगों को उसके विषय में यह बातें चुपके चुपके करते सुना; और प्रधान याजकों और फरीसियों ने उसे पकड़ने को सिपाही भेजे |”

यरूशलेम में तनाव की परिस्तिथी होने पर भी कई लोग मसीह में काम करने वाली शक्ती पर विश्वास करने लगे | उन्होंने कहा: “हो सकता है यही मसीह हो क्योंकी आपने शक्तीशाली कार्यक्रम किये हैं ताकी जो लोग कट्टर उग्रवादी हैं वो सोचने पर मजबूर हों और आप पर विश्वास करें | हम देखते हैं कि आपके अनुयायी राजधानी में भी थे |

जब फरीसियों को उनके जासूसों की मेहरबानी से इस बात का एहसास हुआ कि लोगों में सुधार शुरू हो चुका है और आप का आन्दोलन यरूशलेम में जड़ पकड़ रहा है तब वो परेशान हो गये और अपने विरोधी दल, याजकों और सदूकियों से सहयोग करने की कोशिश करने लगे | यह इस लिये किया गया ताकी मंदिर के लिये उत्तरदाई लोगों को मजबूर किया जाये कि वो यीशु पर प्रतिबंध लगायें | महा याजकों ने यह बात मान ली और फरीसियों के साथ मिल कर यीशु को गिरिफतार करने के लिये राज़ी हो गये |

प्रभु के स्वर्गदूत मंदिर के आँगन में दिव्य अध्यापक के चारों ओर थे और सेवकों को उनके अधिकारियों की आज्ञा मानने से रोक रहे थे | यीशु ने इन सेवकों को अपने पास आते देखा परन्तु आप भागे नहीं बल्की अपनी महीमा प्रदर्शित की जिसे प्रेरित यूहन्ना ने हमारे लिये परमेश्वर के उद्धार की योजना की भविष्यवाणी के तौर पर लिखा |

यूहन्ना 7:33-36
“33 इस पर यीशु ने कहा, ‘मैं थोड़ी देर तक और तुम्हारे साथ हूँ , तब अपने भेजने वाले के पास चला जाऊंगा | 34 तुम मुझे ढूंढोगे, परन्तु नहीं पाओगे; और जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते |’ 35 इस पर यहूदियों ने आपस में कहा, ‘यह कहाँ जायेगा कि हम इसे न पाएँगे ? क्या वह उनके पास जायेगा जो यूननियों में तितर बितर होकर रहते हैं, और यूनानियों को भी उपदेश देगा ? 36 यह क्या बात है जो उसने कही, कि ‘तुम मुझे ढूंढोगे, परन्तु न पाओगे; और जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम नहीं आ सकते’ ?”

यीशु ने अपने शत्रुओं से कहा कि आप कुछ और समय तक अपने साथियों के साथ रहेंगे | आप पहले से जानते थे कि आप परमेश्वर के मेमने के तौर पर मर जायेंगे | साथ ही साथ आप के मरने के बाद जी उठने का और पिता के पास वापस जाने का समय भी जानते थे | यीशु अपने पिता से मिलना चाहते थे जिसने आपको हमारे उद्धार के लिये भेजा था | हमारे प्रेम की खातिर आप अपने आस्मानी घर से दूर इस दुनिया में रहे |

यीशु पहले से जानते थे कि आपके अनुयायी आपके मृत्कों में से जी उठने और आस्मान पर जाने से आश्चर्य चकित होंगे | वो निराश हो कर लौटेंगे क्योंकी उनमें वो आत्मिक शरीर नहीं थे जो आप के साथ आस्मान पर जा सकें | आप यह भी जानते थे कि आप के शत्रु आपकी “खोई हुई” लाश को ढूंढेंगे जो मुहर लगाई हुई कबर से गायब हो जायेगी | उनके लिये दुख की बात है जो उद्धारकर्ता से प्रेम नहीं करते! वो आप की महीमा में सहभागी ना हो पायेंगे ना ही स्वर्ग में प्रवेश करेंगे | उनके पाप उनको परमेश्वर से अलग करेंगे | उनका अविश्वास उन्हें अनुग्रह के क्षेत्र से अलग करेगा |

यहूदी यीशु के वचन का अर्थ समझ ना पाये क्योंकी उनके विचार मनुष्यों के थे, वे सोचते थे कि आप भूमध्य सागर के क्षेत्र में बसे हुए यूनानी शहरों के यहूदी आराधनालयों में भाग जाना चाहते हैं | आप का उद्देश इब्रानी आस्मानी किताबों से अपरिचित लोगों को अपना अनुयायी बनाना था | कुछ लोगों ने मज़ाक उड़ाया और कहा, “हो सकता है आप विद्वान प्रचारक बनना चाहते हों ताकी अपने विचार यूनानी फिलोसफरों को बता कर उन्हें जीवित परमेश्वर की ओर लाना चाहते हों |

जब यूहन्ना ने यीशु के इन प्रवचनों और घटनाओं को लिखा तब वो इफीसिस में यूनानियों के बीच रहते थे | उद्धार का सुसमाचार वहाँ बिखरे हुए यहूदियों तक पहुंच चुका था और कई यूनानी मसीह पर विश्वास कर चुके थे | प्रेरित यूहन्ना को यीशु के वचन और यहूदियों के मज़ाक में एक घोषणा दिखाई दी कि यीशु यूनानियों के बीच एक महान अध्यापक हैं | आपने खोखली फिलोसफी समर्पित नहीं की जो निराश करे | आप जीवन दाता हैं और आप ही से वो शक्ती उत्पन्न होती है जो कभी असफल नहीं होती |

प्रश्न:

55. यीशु ने अपने भविष्य के विषय में क्या भविष्यवाणी की?

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