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रोमियो - परमेश्वर के वचन को न केवल सुननेवाले, परन्तु उस अनुसार कार्य करने वाले बनो|
याकूब की पत्री का अध्ययन (डॉक्टर रिचर्ड थॉमस द्वारा)

अध्याय III

ऊपर से मिलनेवाली बुध्दी (याकूब 3:13-18)


याकूब 3:13-18
13 तुममें ज्ञानवान और समझदार कौन है ? जो ऐसा हो वह अपने कामों को अच्छे चालचलन से उस नम्रता सहित प्रगट करे जो ज्ञान से उत्पन्न होती है | 14 पर यदि तुम अपने मन में कडवी डाह और विरोध रखते हो,तो सत्य के विरोध में घमंड न करना, और न तो झूठ बोलना | 15 यह ज्ञान वह नहीं, जो ऊपर से उतरता है वरन सांसारिक,और शारीरिक,और शैतानी है| 16 इसलिए कि जहाँ डाह और विरोध होता है, वहां बखेड़ा और हर प्रकार का दुष्कर्म भी होता है| 17 पर जो ज्ञान ऊपर से आता है वह पहिले तो पवित्र होता है फिर मिलनसार, कोमल और मृदुभाव और दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ और पक्षपात और कपट रहित होता है | 18 और मिलाप करने वालों के लिए धार्मिकता का फल मेल-मिलाप के साथ बोया जाता है |

याकूब की पत्री नये नियम की लेखनी के अत्यधिक निकट होते हुए विचित्र रूप से पुराने नियम के वर्ग जोकि बुध्दिमान साहित्य के रूप में जाना जाता है, तक है| इस लेखांश में उपदेशक दो बातों में, एक जिसे बुध्दि कहा जाता है और वैसा कुछ होता नहीं है और एक जिसे परमेश्वर का शब्द बुध्दि घोषित करता है, के बीच अंतर खोजने का प्रयास करते हैं| याकूब ने पहले ही उन स्थितियों के बारे में कहा था जहाँ मनुष्य परमेश्वर से ज्ञान प्राप्त करते हैं (1:5) अब वे इस बुध्दि (ज्ञान) की प्रकृति व फलों का वर्णन करते हैं|

बुध्दि, परमेश्वर की आत्मा के मार्ग में जाकर की प्रार्थना के उत्तर के रूप में उनके द्वारा दिया गया उपहार है| परमेश्वर स्वयं बुध्दिमान हैं; यह ऐसे पता चलता है कि उन्होंने अपनी छबि में पुरुष और महिला का निर्माण करके अपनी बुध्दि का अक्स दर्शाया है (दानिय्येल 2:20; सभोपदेशक 4:5-7) मिस्रवासियों,बेबिलोनवासियों और यूनानियों के बुध्दि के देवता देवियाँ थे| हमारे परमेश्वर एकमात्र बुध्दिमान हैं (रोमियो 16:27 ,1 तीमुथियुस 1:17,यहूदा 25) और सबसे समझदार हैं| ईस्तानबुल आने वाले पर्यटक एग्रो सोफिया की भव्य फैली हुई शानदार चमक दमक जोकि शहर की ऊचांई तक अपना प्रभुत्व रखती है और जो संत पतरस संग्रहालय का प्रतिद्वंदी भी था, से प्रभावित होते थे| यूनानी रूढ़िवादी परम्पराओं में वैयक्तिक रूप से ज्ञान ही मसीह की पहचान प्रतीक एक स्थापित किया गया विषय है (सभोपदेशक 8)| उनमें बुध्दि और ज्ञान का खजाना छिपा है (कुलुस्सियों 2:3)और हमारे लिए उन्होंने बुध्दि का निर्माण किया था (1 कुरिन्थियों 1:30)| तो जब परमेश्वर का भय ज्ञान का प्रारम्भ है, मसीह का ज्ञान हमें ज्ञान के खजानों की खोज की ओर ले जाता है (मत्ती 13:44-46)|

सेनेका एक दार्शनिक ने लिखित विवरण दिया था यह कहा था : “बुध्दि हमें अच्छा करना ही नहीं अच्छा कहना भी सिखाती है|” कोई भी यह दावा करता है कि उसके पास बुध्दि (ज्ञान) है उसे अपने आप को वचन 13 कि रोशनी में परखना चाहिए| सदाचारी जीवन और व्यवहारिक प्रयासों द्वारा यह दर्शाए कि तुम समझदार व सूझबूझवाले हो| शालीनता, विनम्रता, दीनता इस बात का प्रमाण होंगे कि इन सभी गुणों को केवल अन्य व्यक्तियों को प्रभावित करने के लिए नहीं परन्तु समझदारी से उपयोग करने के लिए दिए गये हैं| फिरौन ने पहचान लिया था कि युसुफ़ विवेकशील व बुध्दिमान दोनों गुणों वाला आदमी है| (उत्पति 41:39) साक्षात्कार के पहले ही उसका आचरण उदाहरणीय, प्रलोभनो का मुकाबला करने वाला और व्यवहारिक रूप से अपने पड़ोसियों के लिए चिंता करने वाला था (उत्पति 39:9,22)| जब कभी भी शब्द दब्बू पन (विनम्रता) हमारे सामने आता है, हमें याद आता है कि मूसा मनुष्यों में सबसे दब्बू मनुष्य| वह सुलेमान की अपेक्षा अधिक योग्य व्यक्ति थे जो मनुष्यों में सबसे अधिक बुद्धिमान शीर्षक के हकदार थे| धैर्यता के रूप में बेईज्जती व चोट दोनों इन वाक्यों के चिन्ह है राजा होने की अपेक्षा यह गुण मनुष्य में अधिक महत्वपूर्ण है|

“आशीषित हैं जो विनम्र है, क्यों कि वह इस दुनिया के अधिकारी होंगे|” इस परमानन्द सुख के साथ भजन संहिता के रचयिता का यह वादा है| “वह नम्र लोगों को न्याय की शिक्षा देगा, हाँ वह नम्र लोगोंको अपना मार्ग दिखलायेगा|” (भजन संहिता 25:9९) सच्चा ज्ञान मनुष्य को विनम्र बनाता है विलोमतः परमेश्वर उनको स्वर्गीय ज्ञान प्रदान करते हैं जो स्वयं को नम्र बनाते हैं|

इसके आगे याकूब ज्ञान की विनम्रता के प्रति अरुचिकर वैकल्पिक को मानते हैं| किसी अवांछनीय परिस्थिति में यह वैकल्पिक बहुतायत रूप में प्रकट होते हैं; याकूब इन में केवल दो तिकड़मों को शामिल करते है, जलन भावना और स्वार्थी अभिलाषा (14)| राजनीतिक संदर्भ में यह शब्द क्रोध भरी इच्छाओं के लिए कहा जाता है| लेकिन इच्छा किसी भी नाम में और किसी भी परिधि के योग्य नहीं है यदि वे स्वार्थ भावना से भरी हुई हैं| दित्रेफेस ने अपने आपको सबसे पहले रखा (3 यूहन्ना 9) और कोई संदेह नहीं कि एक उदासी व कड़वाहट का कारण बना था|

याकूब ईसाइयत के आध्यात्मिक महानगरों की कलीसिया में धर्माचार्य थे, उन्हें उच्चकार्यालय के खतरों की जानकारी थी| प्रत्येक युग में परमेश्वर बिखरे हुए अपने लोगों के समूह में मार्गदर्शकों को खड़ा करते हैं| अनुमान लगाया जा सकता है कि अध्यक्षता व नेतृत्व की जिम्मेदारी, जलन की भावना या आकांक्षा के जाल में फंसे बिना, पूरी कर पाना संभव है| अधिकांशतः स्वार्थी आकांक्षा एक बीमारी है जिसका असर उन बहुतसे लोगों पर होता है जो शिखर तक पहुँचने की उन की योजनाओं के साथ बहुत दूर नहीं है, और बुराई में शरण लेते हैं|

यह सत्य है जिस बात की ओर संकेत दिया गया है कि याकूब ने कंही भी बुध्दि का ‘व्यापक विश्लेषण’ नहीं दिया है, हो सकता है इसलिए कि पत्री बहुत छोटीसी है| बुद्धिमान व्यक्ति का केवल एक गुण विनम्रता है, यहाँ तक कि यह दैवीय स्वीकृति के लिए अति आवशयक है| याकूब बौध्दिक शक्तियों के बारेमे बातचीत नहीं करते हैं जो कि सामान्य रूप से ज्ञान (बुध्दि) और समझदारी के साथ जाती है| वह लोग जो नेतृत्व या शिक्षक बनने की आकांक्षा रखते हैं और स्वयं में अपेक्षित कुशलताओं के होने का अनुमान लगाते हैं, के लिए यह जानना पर्याप्त है और उन्हें यह स्मरण रखना चाहिए कि परमेश्वर घमंड का विरोध करते है और विनम्र को आशीष देते हैं| किसी कार्य में कुशल होने पर भी बुध्दि कम हो सकती है: “तकनिकी प्रविणताएँ, बुध्दी या जीवन्तता की जमानत नहीं है|”

झूठी समझदारी के संदर्भ में दो बाते, मूल नाम और बाहर आनेवाली बुध्दि यह दो बाते जोडनी चाहिए (15,16)| यह सांसारिक, पृथ्वी पर होने वाली बात है जिसे द्रुतगतिय रूचि के साथ ऊपर ले जाया गया है, आज के दिन की आधुनिकता है, ध्यान आकर्षित करने की प्रसिध्द चाल और लाभ की मात्रा बढाना| चूंकि यह सांसारिक है अआध्यात्मिक भी है और इसलिए जैसे सभी स्वर्गीय दिमागों का अपमान करती है कि यह सत्य और अनुग्रहित है; जबकि द्वअर्थक व अन्यायी अभ्यासो द्वारा पहले ही स्वयं के स्वार्थ साधने वाली है| सबसे बदतर बात है कि यह शैतानिक है| द्वेष पूर्ण चतुराईपन जो नरक द्वारा भरी जाती है (6) का साथी झूठा ज्ञान शैतान द्वारा भरा जाता है| वह उल्लास पूर्वक निंदा, कटाक्षों और अश्लील बातों को हमारी जुबान में घुसाता है कि हम यह दूसरों को कहें|

जहाँ सच्चा ज्ञान अच्छे कार्यों को करने में दिखाई देता है (13), दुष्टपूर्ण बुध्दि या बुरे कार्यों के प्रत्येक विवरण के धूर्त समझौते कुछ न कुछ उपद्रव का निर्माण करते है (16) जब आदेश और अनुशासन तोड़े जाते है बुराई विकसित होती है; विलोमतः जब बुराई की कोई जाँच नहीं की जाती वहां अराजकता व्याप्त हो जाती है| न्यायियों की पुस्तक का अंतिम वाक्यांश एक उपयुक्त ऐतिहासिक छींटाकशी का परिणाम है “प्रत्येक मनुष्य वह करता है जो उसकी अपनी आँखों में सही होता है”; और अस्त व्यस्तता राज्य करती है|

By implication the whole passage (13-18) highlights the role and marks of wisdom, even when its counterfeit is being described. In the concluding verses of the chapter James explicitly states the Biblical view of authentic wisdom. Like every good gift it has a heavenly source (1:17), coming from above (Colossians 3:1), we should search in the assurance that those who seek will find. Wisdom from above has a seven-fold excellence: purity, peaceableness, gentleness, reasonableness, fruitfulness, single-mindedness and sincerity.

ह्रदय की शुद्धता एक भीतरी विशेषता है जो परमेश्वर को वास्तव में देखने के सुख देती है (मत्ती 5:8)| As we see Him ever before us we shall not be moved (Psalm 16:8). जीवन के मार्ग के ज्ञान के संकेत पट हमारी सुरक्षित यात्रा का आश्वासन देते हैं (भजन संहिता 16:9-11)| इन संकेत पटों में दूसरा एक अटपटा सा शब्द ‘शांति प्रियता’ है जिसका कि यूनानी विशेषण एइरेनिक (eirenic) की भाववाचक संज्ञा के रूप में अनुवाद किया गया है| जहाँ कही भी परिवारों के आसपास, कलीसियाई सभाओं में, और एक नगरीय या राष्ट्र स्तर पर अशांति है ज्ञान शांति प्रिय है यह प्रशांत कारी है|

विशेषणों के इस जोड़े (Epieikes & Eupeithes) के पास एक समकालीन घेरा है, जब यह कलात्मक उपयोग के लिए किया जाता है| सौम्य और विवेकशील जिसके अनुवाद है| जब भी मजदूर प्रबंधन क्षेत्र में झगडे होते हैं हम मध्यस्ता एवं संराधन की बात करते है| शब्दों के इस जोड़े के पहले शब्द का अर्थ निष्पक्षता भी होता है, किसी मामलेमे क्रिया करने की अपेक्षा शब्दों द्वारा सुलझाने की इच्छा, न्याय के प्रति मध्यस्थता को वरीयता देना है| दूसरा शब्द हमारे ‘असाध्य’ शब्द का विपरीत है| एक ओर निष्पक्षता और दूसरी ओर विवेकशीलपन के साथ कोई भी झगडा सुलझाना कठिन नहीं है|

कुलीनता एक पवित्र आत्मा का फल है, दया का गुण भी इस सूची में जोड़ा जा सकता है| अच्छे फलों की पूरी सूचि के लिए हमें नए नियम में कहीं और भी देखना चाहिए| इन सद्गुणों की लम्बी सूची को केवल संतुष्टता के साथ, एक सही क्रम में बोलने के द्वारा पूर्णता व धनाढयता नहीं आती परन्तु लगातार इन सबका अभ्यास करना, यह इन फलों के बोझ को सहन करने में शामिल है| इस निष्कर्षिय विशेषणों के जोड़े में दो और गुणों को जोड़े, जोकि ईसाई चरित्र में सुन्दरता व शक्ति को जोड़ता है वह हैं, ‘स्थिर और गंभीर’ एक बिना हिचकिचाहटभरा हल है हमारे सभी आचरणों में गंभीर बने रहना, हमें दिखावों और ढोंग से छुडाता है-लोगों को हमारी पारदर्शी साक्षी द्वारा परमेश्वर की ओर आकर्षित करता है|

‘फल बोना’ एक कठिन वर्णन है और भविष्य की ओर संकेत करता है| एक संभव पदच्छेद हो सकता है ‘शांतिदूत जब शांति के लिए संघर्ष करते हैं, बीज बोते है जो ऐसे नितिपरायणता के फल लेते हैं जो एक समुदाय, एक कलीसिया या एक राज्य को ऊपर उठा लेते है|’ (18)

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