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रोमियो - परमेश्वर के वचन को न केवल सुननेवाले, परन्तु उस अनुसार कार्य करने वाले बनो|
याकूब की पत्री का अध्ययन (डॉक्टर रिचर्ड थॉमस द्वारा)
अध्याय I
अभिवादन (याकूब 1:1)
याकूब 1:1
1 परमेश्वर के और प्रभु यीशु मसीह के दास याकूब की ओर से उन बारहों गोत्रों को जो तित्तर बित्तर होकर रहते हैं नमस्कार पहुंचे|.
यिर्मयाह में एक उल्लेखनीय वचन है, परमेश्वर राजकुमारों एवं उपदेशकों से कहते है और उन्हें चेतावनी देते हैं “यहोवा की यह भी वाणी है कि क्या मेरा वचन आग सा नहीं है? फिर क्या वह ऐसा हथौड़ा नहीं जो पत्थर को फोड़ डाले?” (यिर्मयाह २३:२९)| याकूब की पुस्तक का अधिकांश भाग एक हथौडे के समान है और एक तेजस्वी व्यक्तित्व की साक्षी देते हैं, परन्तु उपदेशक परमेश्वर के लोगो को उत्साहित करने के लिए सौम्य प्रसन्न शब्दों के साथ आरंभ करते हैं| उनका अभिवादन संक्षिप्त रूप में है परन्तु उसमे सभी कुछ सम्मिलित हैं| पौलुस ने जहाँ अपने आप को ‘यीशु मसीह का एक उपदेशक’ के रूप में प्रस्तुत किया है, याकूब और यहूदा प्रभु यीशु मसीह क सेवकों के रूप में जाने जाते हैं, यद्यपि यहूदा याकूब के परिवार के साथ उनके निकट संबंधो के बारे में हमें याद दिलाते हैं| क्या हम सभी यीशु मसीह के सेवकों में नहीं है और एक परिवार के भाई व बहने नहीं है? ‘भाई’ यह शब्द उतना ही उन लोगो पर जचँता है जो ईसाई कहलाने के अत्यधिक उपयुक्त है और विश्वासियों में सबसे अधिक नम्र है|
यह पत्री उन ‘बारह जनजातियों’ को लिखी गई है जो संसार में सब और बिखरे हुए थे| मसीही कलीसिया ऐसे तीर्थयात्रियों के रूप में होना चाहिए जो आजके समय में प्रत्येक स्थान के अजनबियों, सभी स्थानों के परमेश्वर के लोगों के बीच, स्वर्गीय पवित्र स्थान की ओर चलते रहे| अभिवादन अपने आप में महत्वपूर्ण है, जबकि यह पत्र के प्राप्तकर्ता के अभिवादन के लिए आम तौर पर उपयोग किया जाने वाला शब्द है, इस अनिश्चित शब्द का अर्थ ‘वाहवाही देना’ या ‘प्रसन्न होना’ है| अतः अपनी पत्री के आरंभ से ही याकूब हमें खुश होने के लिए कहते हैं, आखिरकार जो कुछ भी उन्होंने हमारे लिए एकत्र करके रखा है, प्रभु की ओर से सन्देश है|