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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
क - यीशु की यरूशलेम में अन्तिम यात्रा (यूहन्ना 7:1 - 11:54) अन्धकार का ज्योती से अलग होना
3. यीशु अच्छा चरवाहा (यूहन्ना 10:1-39)

स) यीशु ही अच्छा चरवाहा हैं (यूहन्ना 10:11-21)


यूहन्ना 10:11-13
“ 11 अच्छा चरवाहा मैं हूँ ; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है | 12 मज़दूर जो न चरवाहा है और न भेड़ों का मालिक है, भेडिए को आते देख, भेड़ों को छोडकर भाग जाता है; और भेड़िया उन्हें पकड़ता और तितर-बितर कर देता है | 13 वह इसलिये भाग जाता है कि वह मज़दूर है, और उसको भेड़ों की चिन्ता नहीं |”

परमेश्वर ने बड़े धैर्य से उन राजाओं, झूठे भविष्य वक्ताओं और पादरिओं को सहन किया जो आपके बिखरे हुए लोगों को धोका देते रहे और उन्हें बगैर चरवाहे की भेड़ें समझते रहे | इस लिये परमेश्वर ने हमारे लिये मसीह को एक अच्छे चरवाहे की तौर पर भेजा | इस दुनिया में आने पर आप ने कहा: “मैं सत्य राजा,महा याजक और भविश्य वक्ता, अंतिम भविष्यवाणी के साथ तैयार हूँ |” मसीह की व्यक्ती में हम चरवाहे के सभी कार्य इकट्ठे पाते हैं | आप सत्यत: के साथ यह कह सकते हैं :”सभी थके और बोझ से दबे लोगो, मेरे पास आओ, मैं तुम्हें आराम दूंगा |” मैं तुम्हें शोषित नहीं करूँगा बल्की बहके हुए जीवन और हर खतरे से बचाऊंगा |

केवल आप ही एक अच्छा चरवाहा हैं, इस का सबूत इस बात से मिलता है कि शुरू से ही आप अपनी भेड़ों के लिये अपनी जान देने के लिये इच्छुक थे | आप ने केवल यही नहीं कहा कि वे अपना शरीर बलिदान कर देंगे बल्की आपने अपना शरीर, जीवन और आत्मा परमेश्वर की भेड़ों के उद्धार के लिये दे दिया | आप ने शुरू से ही अपने अनुयायियों की सेवा के लिये परिश्रम किया | आप की शारीरिक मृत्यु आप का स्वंय अपनी जान देने का मुकुट था | याद रखिये कि यीशु केवल अपने लिये ही न जिये या मरे | आप तुम्हारे लिये जिये और मरे |

अविश्वासी चरवाहे तुरन्त पहचान लिये जाते हैं क्योंकी खतरे के समय वो भाग जाते हैं और छिप जाते हैं और केवल अपनी ही चिन्ता करते हैं | वो भेड़ों को भेड़ियों के लिये छोड़ जाते हैं जो अवश्य आ ही जाते हैं | वो जंगली पशु तो नहीं होते परन्तु उनकी तरह अत्याचारी व्यवहार करते हैं | उनका पिता शैतान है | सृष्टिकालीन भेडिये की तरह शैतान का लक्ष उन्हें हड़पना होता है | उसके आक्रमण कुटील, अत्याचारी और मारने वाले होते हैं | वो आकर्षक लालच और सफेद झूठ के साथ आता है | हम पादरियों को,जो झूठी शिक्षा, प्रेम के बहाने दी जाती है उसे न तो सहन करना चाहिए और न ही अनदेखी करना चाहिए | अगर आव्यशकता हो तो प्रेम के हित में हमें सच्चाई को बुद्धिमानी और प्रबलत: से बचाना चाहिए | मसीह का जीवन हमें बताता है कि आप का नरक की आत्माओं के साथ लगातार विवाद रहा है | आप ने बड़े प्रेम से पूरी सच्चाई अपने सेवकों को बताई ताकी वो खतरे के समय पूरे प्रयास के साथ अपने गल्ले की सेवा करें और दुष्ट आत्माओं के आक्रमण के समय उनका बचाव करें | भूखे भेड़िये का इरादा साफ़ होता है क्योंकी वो झूठे आरोप लगा कर और निर्दय अत्याचार से परमेश्वर की कलीसिया का नाश करना चाहता है | क्या तुम परमेश्वर के गल्ले में सेवा और सम्मान ढूंड रहे हो? यह समझ लीजिये कि इस का अर्थ झगड़ा, पीड़ा और बलिदान होगा और इस से विश्राम तो अलग रहा, कोई लाभ या आनंद भी प्राप्त नहीं होता |

यूहन्ना 10:14-15
“14 अच्छा चरवाहा मैं हूँ; मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ, और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं | 15 जैसे पिता मुझे जानता है और मैं पिता को जानता हूँ - और मैं भेड़ों के लिये अपना प्राण देता हूँ |”

मसीह ने अपना दावा दोहराया कि आप एक अनोखे चरवाहे हैं | हम सब असफल होते हैं और जैसा चाहते हैं वैसी सेवा कर नहीं पाते क्योंकी हम अपने शत्रु को अच्छी तरह नहीं जानते, और भेड़ों की मनोवृत्ति को भी अच्छी तरह से नहीं समझते और न यह कि उन्हें अच्छी चरागाहों की तरफ कैसे ले जाना | मसीह हर व्यक्ती को उसके नाम से जानते हैं, और उसके भूतकालीन जीवन, उसके विचारों और उस के भविष्य का भी ज्ञान रखते हैं |

यीशु ने स्वंय अपनी भेड़ें चुन लीं और उन्हें अपने व्यक्तित्व को जानने का ज्ञान समर्पित किया | जैसे ही वे आप को अच्छी तरह से जानने लगती हैं, वे आश्चर्य करने लगती हैं कि आप ने उन्हें कभी भी नहीं ठुकराया | आप की उपस्तिथि ही उनकी असफलता बताती है | यह संपर्क अधिक प्रेम निर्माण करता है जो धन्यवाद और अमर करार या बन्धन की ओर संचालित करता है |

यीशु और आपके गल्ले के बीच यह पारस्परिक ज्ञान, ऊपरी या सांसारिक नहीं है बल्की यह आत्मा का उपहार है क्योंकी हम आप को ऐसे जान लेते हैं जैसे आप पिता को देख लेते हैं और पिता बेटे को जानता है | यह एक रहस्य है कि हर मसीही, आत्मा के उतरने से मसीह के द्वारा दिव्य ज्ञान के सत्य को पाता है | इस का यह अर्थ भी होता है कि परमेश्वर का आत्मा उस के गल्ले में रहता है और उन्हें तृप्त करता है | किसी की उपेक्षा नहीं की जाती |

यूहन्ना 10:16
“ 16 मेरी और भी भेड़ें हैं, जो इस भेड़शाला की नहीं | मुझे उनको भी लाना अवश्य है | वे मेरा शब्द सुनेंगी, तब एक ही झुण्ड, एक ही चरवाहा होगा |”

मसीह ने किसी विशेष समाज के लिये नहीं बल्की सब के लिये अपने प्राण दिये | आप ने पुराने करार के जिद्दी लोगों को ही नहीं बल्की अन्य समाजों के भृष्ट लोगों को भी मुक्ती प्रदान की | आप ने भविष्यवाणी की थी कि आप की मृत्यु सारे जगत की कई भेड़ों को मुक्ति प्रदान करेगी | कोई व्यक्ती स्वंय अपने प्रयास से परमेश्वर के पास नहीं आता, उन्हें एक मार्गदर्शक यानी अच्छे चरवाहे की आव्यशक्ता होती है | और यह व्यक्ती मसीह को होना था | आप स्वंय सारे देशों और व्यक्तियों के राज़ा हैं | आपके वचन के द्वारा आपका आत्मिक मार्गदर्शन होता है | जिस तरह भेड़ें अपने चरवाहे की आवाज़ पहचानती हैं उसी तरह हर तरफ लोग मसीह की आवाज़ सुनने के लिये तैयार किये जाते हैं और वो बहुत जल्दी विश्वास करते हैं | पुराने नियम के चुने हुये लोगों और दूसरी समाजों मे से विश्वास करने वाले लोगों से मसीह के नेतृत्व में एक आत्मिक गटबंधन निर्माण हुआ | आज़ नए करार के लोग परमेश्वर का गल्ला बन गए हैं और यीशु हमारे चरवाहे हैं | वो सब जो सुसमाचार को प्रसन्नता से सुनते हैं और परमेश्वर के पुत्र, मसीह पर विश्वास करते हैं वो सत्य कलीसिया के सदस्य हैं, चाहे वो भिन्न गुटों के सभासद क्यों न हों | हमारा एक ही आत्मा है, एक प्रभु और एक पिता है | आत्मा उन सब लोगों पर उतरता है जो मसीह के खून से पवित्र किये गये हैं | मसीह के गल्ले का मिलाप जिस में हर कोने से भेड़ें जमा की गई हैं, हमारे विचारों से बढ़ कर है | अच्छा चरवाहा स्वंय आकर अपने विश्वासियों और साधारण अनुयायियों को महीमा की ओर ले जाता है | तब केवल एक ही गल्ला और एक चरवाहा होगा. परन्तु अगर आज कोई मानवी प्रथा व रीती और सांसारिक प्रयोजन के अनुसार कलीसिया स्थापन करने की कोशिश करे तो उसे किसी बड़े भेडिये के जाल में फंस जाने का खतरा हो सकता है जो गल्ले का ध्यान उसके चरवाहे की तरफ से हटा कर अपनी तरफ खींच लेने की कोशिश करता है | परन्तु हम उस समय तक एक दूसरे के निकट नहीं आ सकते जब तक मसीह के निकट न आयें |

यूहन्ना 10:17-18
“ 17 पिता इसलिये मुझ से प्रेम रखता है कि मैं अपना प्राण देता हूँ कि उसे फिर ले लूँ | 18 कोई उसे मुझ से छीनता नहीं, वरन मैं उसे आप ही देता हूँ | मुझे उसके देने का भी अधिकार है, और उसे फिर से लेने का भी अधिकार है : यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है |”

हमारा विश्वास है कि परमेश्वर प्रेम है जो हमेशा अपने पुत्र से प्रेम करता रहा है | क्योंकी यीशु सदा वही करते रहे जिस से आप के पिता प्रसन्न होते थे | अब हम पढते हैं कि परमेश्वर को सच में क्या पसंद है ; वह केवल क्रूस ही है | यीशु की मृत्यु वह उद्देश था जिसे परमेश्वर ने निश्चित किया था | बलिदान और मेमने के खून से अभिषेक किये बिना गल्ले को पाप से मुक्त करने का और कोई मार्ग नहीं है |

यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान महान आश्चर्यकर्म हैं; आप ने हमें बताया कि आप जीने के लिये मरेंगे | आप ने किसी ज़बरदस्ती के कारण अपने प्राण देने का प्रस्ताव नहीं किया बल्की स्वंय यह निर्णय लिया क्योंकी आप पापियों को मुक्ती देना चाहते थे. आप सत्य प्रेम हैं | आप के पिता ने आप को जगत को मुक्ती प्रदान करने का अधिकार दिया और वह जीवन फिर से लेने का भी अधिकार दिया | कोई व्यक्ती क्रूस पर मसीह के विजय के समापन को रोक न सकता था | शैतान और उसके अनुयायी आपके मुक्ती के कार्य में बाधा डालने का प्रयत्न कर रहे थे परन्तु यह कुटील व्यक्ती मसीह के शक्तीशाली प्रेम के सामने असफल रही | न काइफा, न पिलातुस और न किसी और व्यक्ती ने आप को प्राण देने पर मज़बूर किया | आप ने स्वंय यह निर्णय लिया | आप भेडिये को अपनी तरफ आते हुए देख कर भाग न गये बल्की हमें मुक्ती प्रदान करने के लिये स्वंय बलिदान दिया | यह परमेश्वर की परिपूर्ण इच्छा थी | यीशु ने क्रूस पर स्वर्ग और नरक के आपस के विवाद पर विजय पाई | उस दिन से आप के गल्ले को यह विश्वास दिलाया गया और उस पर मेमने के खून से मोहर लगाई गई | यीशु हमें संकटों और पीड़ाओं से अपनी महीमा की ओर ले चलते हैं |

यूहन्ना 10:19-21
“ 19 इन बातों के कारण यहूदियों में फिर फूट पड़ी | 20 उनमें से बहुत से कहने लगे, “उसमें दुष्टात्मा है, और वह पागल है; उसकी क्यों सुनते हो ?” 21 अन्य लोगों ने कहा, “ये बातें ऐसे मनुष्य की नहीं जिसमें दुष्टात्मा हो | क्या दुष्टात्मा अन्धों की आँखें खोल सकती है ?”

यहूदी नेताओं के भेजे हुए जासूसों ने जब यीशु को यहूदी प्रशासकों लुटेरे और शैतान के एजंट बताते हुए और स्वयम अच्छा चरवाहा और विशिष्टत: सब राष्ट्रों का चरवाहा होने का दावा करते हुए सुना तो और भी क्रोधित हुए क्योंकी ऐसे विषयों को यहुदी बुरा समझते थे | वे अपने आप को परमेश्वर के चुने हुए लोग समझते थे | उन्होंने कहा कि आप में दुष्ट आत्मा है और आप को पागल ठहराया | वे आप से अप्रसन्न हुए | ज़्यादातर दातर तमाशा देखने वाले इस आरोप से सहमत थे | सारा जन समुहदाय यीशु के विरुद्ध हो गया क्योंकी आपकी आसमानी शिक्षा उनकी समझ के बाहर थी |

फिर भी आप के कुछ श्रोताओं मे इतना साहस था कि उन्होंनें यह साक्षी दी कि वे यीशु के वचन में परमेश्वर की आवाज़ सुन रहे थे | आप का वचन खोखले विचार न थे बल्की शक्तीशील और सुजनशील थे | आप ने एक अन्धे व्यक्ती के पापों को क्षमा प्रदान की थी | लोगों में यीशु के विरुद्ध शत्रुता बढ़ गई परन्तु आप का प्रेम कुछ निष्ठा पूर्वक लोगों में जड़ पकड़ गया | यीशु नेतृत्व करते हैं और आप ने अपने गल्ले का हमेशा आत्मा में अत्यंत शांतीपूर्वक किसी विशेष उद्देश के लिये मार्गदर्शन किया |

प्रार्थना : ऐ भेड़ों के चरवाहे, प्रभु यीशु, आप ने हठी भेड़ों को नहीं ठुकराया बल्की उनके मिलने तक उन्हें ढूंडा और उनके लिये अपने प्राण दे दिये | हमारे पाप क्षमा कीजिये | हमें ज्ञान की आत्मा प्रदान करने के लिये हम आप के आभारी हैं जिस के कारण हम आप को जान सकें, ठीक उसी तरह जैसे आप पिता को जानते हैं | आप हमारे नाम जानते हैं और हमें भूल नहीं जाते | आप अपने सब अनुयायियों के साथ हमारा पालन पोसन करते हैं | राष्ट्रों में से ऐसे लोगों को चुन लीजिये जो आप का वचन सुनें और उन्हें एकजुट करें | उन्हें खा जाने वाले भेड़िये से सु`रक्षित रखिये |

प्रश्न:

71. यीशु अच्छे चरवाहे कैसे बने?

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