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पत्रक - वितरण के लिये लघु बायबलसंबंधी सन्देश
पत्रक 11 -- मेरा अनुसरण करो| (मत्ती 9:9)जो कोई भी एक चिर परिचित एअरलाइनसे एक दूसरे देश की उड़ान भरता है, देख सकता है, वहाँ उतरने के बाद एक छोटी कार उनके हवाईजहाज की ओर आई और उसके सामने रुक गई| यह उस स्थान की ओर धीरे धीरे बढ़ी थी जहाँ यात्री उतरते है| इस कार की छत पर तुम एक लंबा संकेत देख सकते हो जिस पर बड़े अक्षरों में लिखा था, “मेरा अनुसरण करो|” वह आदमी जिन्होंने 2,000 वर्ष पहले इन शब्दों का आरंभ किया था, मसीह मरियम के पुत्र थे (वह नासरत के पहाड़ों से नीचे यर्दन नदी की गहरी घाटी के तिबिरियास झील के निकट राज्य में आये थे| मसीह कफरनहूम में रुक गये थे, एक ऐसा भू-भाग जहाँ कई मार्ग परस्पर एक दूसरे को काटते थे| वहाँ उन्होंने उन सभी बीमार लोगों को चंगा किया जो उनके पास आये थे| उन्होंने सभी अपराधियों को अपने बुरे कार्यों के लिए पश्चाताप करने बुलाया था, और उनको अपना सुख देने वाला सुसमाचार प्रकट किया था| प्रत्येक स्थान से थके हारे और असमर्थ लोग उनके पास आये थे| निकट या दूर से प्रत्येक वह व्यक्ति जो सत्य जानना चाहता था उनके पास आया| वे सभी इस अनुपम आदमी को देखना चाहते थे, जो अचंभित करने वाले चमत्कार प्रस्तुत करने के योग्य थे| उन्होंने उनके शब्दों में दैवीय शक्ति, मार्गदर्शन और सुख पाया| इस जिले में एक कर वसूली करने वाला मत्ती नामक एक व्यक्ति रहता था| वह एक शक्तिशाली रोमियों अधिकारी था| वह रोमवासियों से जो यात्रा करते थे और जो व्यापार के सामान का परिवहन करते थे, से सीमा शुल्क वूसल करता था| उसके अपने यहूदी लोग उसे रोमवासियों की मदद करने के लिए कोसते थे, और वे लोग उससे नफरत करते थे क्योंकि वह उनसे जितना अधिक चाहता था कर वसूल करता था| वह यात्रियों की तरकीबों का जानता था और व्यापार के सामान को छिपाने के स्थानों को खोल देता था और उनको सीमा शुल्क भरने के लिए दबाव डालता था| कोई भी सीमा शुल्क भरना नहीं चाहता था, परंतु मत्ती चालाक था और अपने धूर्त अनुभव के कारण अत्यधिक धन लेने के योग्य था| यद्यपि इस सीमा शुल्क अधिकारी ने जो धन दौलत अर्जित की थी, इसके स्थान पर उसे अपने ही लोगो द्वारा ठुकराया गया था| उसका अन्तर्मन उसे परेशान करता था और वह अपने इस बेईमानी से प्राप्त किये गये धन के लिए क्षमा ढूंढता था और धन के लिए उसके प्रेम से मुक्त होना चाहता था| वह लोग जो उस से घृणा करते थे, वह भी उनसे घृणा करता था परंतु वह अपनी इस घृणा पर विजय पाने की इच्छा रखता था और एक निर्मल हृदय के साथ एक शांतिपूर्ण जीवन की चाह रखता था| यीशु जो उसके कस्बे में बस गये थे, के बारे में सुनने के बाद, वह शीघ्रतापूर्वक उनसे मिलना चाहता था, इस आशा के साथ कि जो सहायता उसे चाहिए थी वह उनसे मिलेगी| मत्ती परमेश्वर के साथ, और लोगों के साथ शांति की खोज कर रहा था, परंतु एक अफसर के रूप में लोगो के सामने वह नासरत के इस मुग्ध कर लेने वाले आदमी से मिल नहीं सकते थे| यद्यपि यीशु के शब्दों से सो उसने सुना था और जो वह कर रहे थे, ने और अधिक उनको देखने की, और उनसे अकेले मिलने की इच्छा और आशा का निर्माण किया था| मसीह हृदय के विचारों को देखने और पढ़ने के योग्य थे| उन्होंने इस घृणित (जघन्य) सीमा शुल्क अधिकारी के हृदय में एक तीक्ष्ण इच्छा को देखा, और उनकी साहयता को ग्रहण करने की व्याकुलता को जान लिया था| एक दिन जब वह सीमा शुल्क दफ्तर के पास से गुजर रहे थे, उन्होंने स्वयं को मत्ती द्वारा एकटक देखते हुए देखा| यीशु ने उसके हृदय को परखा, प्रायश्चित को देखा, और एक अकेले शब्दपद के साथ उसे आदेश दिया था, “मेरा अनुसरण करो!” इस सीमा शुल्क अधिकारी को प्रभु के मुहँ से अपने लिए एक शब्द सुनने की उम्मीद एक लंबे समय से थी| तों जिस क्षण उन्हें मसीह का आदेश मिला, वह समझ गये कि उन्हें अपने आपको तुरंत और पूरी तरह से, नासरत के इस आदमी को सौंप देना होगा| उनके आदेश से, मत्ती देख सके होंगे कि इस उपदेशक ने उनसे घृणा नही की, परंतु अपने अनुयायियों की मित्रता में उन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार थे इस वास्तविकता के बावजूद कि कस्बे के लोगो द्वारा उनको ठुकराया गया था | यह विचार उनके दिमाग और हृदय में बिजली के समान कौंध गया| वह पलक झपकते ही समझ गये कि उन्हें या तों अभी या फिर कभी नहीं यह कार्य करना चाहिए| उन्होंने सोचा यही मेरे जीवन का एक मौका है| तों मत्ती तुरंत खड़े हुए और अपना दफ्तर दूसरे अधिकारी को सौंप दिया और बिना किसी शर्त के यीशु को आत्मसमर्पण कर दिया| मसीह का अनुसरण करने वाले अंचभित हो गये थे| वास्तव में उन्होंने इस तथ्य को पसंद नहीं किया कि महान चंगाई देने वाले ने इस विशवासघाती को स्वीकार किया| इसीलिए यीशु ने इस बात को स्पष्ट किया कि उनका अनुसरण करने का अर्थ क्या है और निम्नलिखित रहस्य प्रकटीकरण किया और कहा यदि कोई मेरे पीछे आना चाहता है, तों वह अपने आप को भुलाकर, अपना क्रूस स्वयं उठाये और मेरे पीछे हो ले| जो कोई अपना जीवन बचाना चाहता है, उसे वह खोना होगा| किन्तु जो कोई मेरे लिये अपना जीवन खोयेगा, वही उसे बचाएगा|” (मत्ती 16:24-25) यीशु ने इन शब्दों के साथ अपने शिष्यों को सात रहस्य स्पष्ट किये है जिन्हें हमें जानना और समझना चाहिए|
मत्ती, एक सुसमाचार प्रचारक, मसीह का अनुसरण करते हुए इन विभिन्न अवस्थाओं का अनुभव कर चुके थे| उन्होंने मसीह की आयतों का अपने नए कानून में समाविष्ट किया, अपने हृदय में उन्हें रखा और स्पष्ट रूप से लिखा (पढे : मत्ती 5:1 - 7:29)| अन्य उपदेशकों ने उनको मसीह के शब्दों को एकत्रित एब सुरक्षित रखने का आदेश दिया था| (लुका 1:2)| उन्होंने बहुत लंबा सुसमाचार विवरण लिखा था| उन्होंने अपने विचार नहीं लिखे परन्तु अपने शब्दों, कार्यों और प्रर्थानाओं में यीशु का प्रमाण दिया था| यह स्वीकार्य है कि मत्ती अपने प्रेममयी प्रभु के एक विश्वसनीय साक्षी थे| हम यूहन्ना को मसीह के प्रकटीकरण की पुस्तक में पढ़ चुके हैं कि स्वर्ग में नये यरूशलेम की नीव के बहुमूल्य पत्थरों में मत्ती भी एक होंगे| (यूहन्ना का प्रकाशित वाक्य 21:14, 19-20) मत्ती ने यीशु का अनुसरण करने के लिए अपना दफ्तर और अपने धनाढ्य को छोड़ दिया था| यीशु के साथ आसपास के स्थानों पर यात्रा करना आसान नहीं था, परंतु जो कुछ थोडा सा प्रभु उनको प्रत्येक दिन देते थे, उसमे संतुष्ट रहना, उन्होंने सीख लिया था| वह सीमा शुल्क के निर्देशक थे और लोगों पर वह अपना प्रभुत्व रखते थे; वह पवित्र लोग जो मसीह को ठुकरा चुके थे, यीशु का अनुसरण करते समय, उन लोगो की घृणा को उन्हें सहन करना पड़ता था| वह अन्य शिष्यों के साथ उस रात जब यीशु को हिरासत में लिया गया, और मृत्युदंड दिया गया था, भाग गये थे| पहले मत्ती अपने कर्मचारियों पर एक स्वतंत्र शासक थे| परंतु यीशु का अनुसरण करते हुए, उन्हें आज्ञापालन और समर्पण करना सीखना पड़ा था| मत्ती ने अपनी सांसारिक सुरक्षा को छोड़ दिया था और अपने प्रभु की देखरेख में संतुष्ट होना सीख लिया था| रोमवासियों के साथ काम करने के कारण समाज द्वारा बहिष्कृत बने रहने के अकेलेपन को उन्होंने छोड़ दिया था, और यीशु के अनुयायियों की मित्रता में प्रवेश कर लिया था| मसीह ने उन्हें उनके अपराधों से मुक्त कर दिया था और उन्हें अपनी पवित्रता में ले आये थे| प्रभु ने उन्हें उनके अन्तर्मन की निंदा से बचा लिया था ताकि वे परमेश्वर एव लोगों के साथ शांति से रह सके| मत्ती पवित्र आत्मा की शक्ति द्वारा इस जगत से अलगाव से बच गये थे, जो उन्हें परमेश्वर, उनके पुत्र और उनके अनुयायियों के प्रेम द्वारा प्राप्त हुई थी| यीशु ने मत्ती को आदेश दिया था : “मेरा अनुसरण करो” उन्होंने उन को एक दार्शनिक या एक राजनैतिक दल का अनुसरण करने के लिए नहीं कहा था, परन्तु परमेश्वर के अवतार का अनुसरण करने के लिए कहा था| यीशु एकमात्र उनके भविष्य और सफलता के लिए जमानत थे| इसलिए परमेश्वर मत्ती को चंगाई देने वाले, पवित्र करने वाले, उद्धारकर्ता, मुक्तिदायक और उनके जीवन शक्ति के स्त्रोत बने| यीशु मत्ती के रक्षक थे| परमेश्वर के मेमने ने न्याय में मत्ती के स्थान पर स्वयं अपने प्राण दिये| इसलिए मत्ती उन पर विश्वास करते थे पतरस के शब्दों के साथ लिखकर स्वीकार किया था, “तू मसीह है, साक्षत परमेश्वर का पुत्र|” (मत्ती 16:16) प्रिय पाठकों, WATERS OF LIFE Internet: www.waters-of-life.net |