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Previous Lesson -- Next Lesson यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
चौथा भाग - ज्योति अन्धकार पर विजय पाती है (यूहन्ना 18:1 - 21:25)
ब - मसीह का पुनरुत्थान और दर्शन देना (यूहन्ना 20:1 - 21:25)
1. फसह के प्रात: काल की घटनायें (ईस्टर) (यूहन्ना 20:1-10)
ब) पतरस और यूहन्ना कब्र की ओर दौड पड़े (यूहन्ना 20:3-10)यूहन्ना 20:6-8 यूहन्ना पतरस के आने तक प्रधान प्रेरित को आदर देने की दृष्टि से कब्र के बाहर खड़े रहे ताकि वे सब से पहले कब्र का निरक्षण करें और उसे खाली स्थिति में देखें | पहले दृष्टिपात पर हटाये हुए पत्थर, खुली कब्र और शव को गायब देख कर युवा यूहन्ना कांपने लगे | कफन के कपड़े भी सावधानी से रखे हुए थे | उन के मन में कई विचार उमंड आये; इस लिये उन्हों ने प्रभु से प्रार्थना की और जो कुछ हुआ उस पर प्रकाश डालने के लिये विनती की | शीघ्र ही पतरस वहाँ पहुँचे और सीधे खुली कब्र मे प्रवेश कर गये; उन्हों ने देखा कि जो रुमाल यीशु के चेहरे पर लिपटा हुआ था उसे अलग लपेट कर रखा गया था | इस का अर्थ यह हुआ कि शव चुराया न गया था क्योंकि आप का प्रस्थान व्यवस्थित रीती से और शान्ति के साथ हुआ था | पतरस कब्र में ऐसे प्रवेश कर गये जैसे निरीक्षक हों परन्तु वे स्पष्ट चिन्हों का अर्थ न समझ पाये | यूहन्ना ने, जो रहस्यवादी थे, अपने मन में विचार किया, प्रार्थना की और उन्हें आशा की झलक दिखाई दी | जब वह पतरस के बुलाने पर अन्दर गये तब उन के प्राण आलौकित हुए और वह मसीह के पुनरुत्थान पर विश्वास करने लगे | उन की मृतकों में से जिलाये गये प्रभु से भेंट के कारण उन में विश्वास निर्माण न हुआ बल्कि इस लिये कि खाली कब्र और कफन के कपड़े जो सावधानी से तह करके रखे गये थे वह सत्य और विश्वास करने की ओर इशारा कर रहे थे | यूहन्ना 20:9-10 यीशु अन्य लोगों, तत्वज्ञानों, भविष्यवक्ताओं और पापियों के समान कब्र में न रहे बल्कि जी उठे और मृत्यु को ऐसे छोड़ गये जैसे कोई कपड़ों को फेंकता है | पवित्र प्रभु निष्पाप रहे | मृत्यु को आप पर कोई अधिकार न था | परमेश्वर का प्रेम कभी असफल नहीं होता | मसीह के शत्रु यह दावा नहीं कर सकते कि यीशु का शरीर कब्र में सड़ गया क्योंकि वह खाली थी | मसीह फरार न हुए और न उन का अपहरण किया गया क्योंकि जिस गुफा में आप का शव रखा हुआ था वहाँ हर वस्तु व्यवस्थित रखी हुई थी | यह स्थिति यूहन्ना के लिये गवाही दे रही थी कि यीशु ने अपनी दुनियावी वस्तुयें छोड़ दी थीं क्योंकि अब आप को उन की आव्यशकता न थी | चरनी में पहने हुए कपड़ों के साथ आप ने अपने जीवन की यात्रा शुरू की और कफन के कपड़ों मे आप चले गये | इस तरह पुनरुत्थान के बाद आप के अस्तित्व का नया दौर आस्मानी स्तर पर शुरू हुआ | यधपि आप अभी भी अपनी मानवी प्रक्रति कायम रखे हुए थे | जब यूहन्ना खाली कब्र पर से लौट रहे थे तब यह विचार उन के मन में घूम रहे थे | यूहन्ना पहले व्यक्ति थे जिन्हें परमेश्वर के पुत्र की पुनरुत्थान में विजय का अनुभव हुआ था तथपि उन्हों ने इस अनुभव पर गर्व न किया बल्कि यह स्वीकार किया कि उन्हों ने इस आश्चर्यकर्म पर बहुत देर के बाद विश्वास किया यधपि इसे पवित्रशास्त्र में स्पष्ट रूप से बताया गया है | उन्हों ने कुछ प्रतिनिधिक मृत्यु और परमेश्वर के सेवक के विषय में यशायाह की पुस्तक के त्रेपन वे अध्याय में जो कुछ पढ़ा था उस की ओर अपनी आँखें बंद कर ली थीं, न ही वह इस विषय पर दाऊद की भविष्यवाणियों का अर्थ समझ पाये (लुका 24:44-48; प्रेरितों के काम 2:25-32; भजन संहिता 16:8-11) | इस महान पर्व की सुबह दो चेले घर लौटे | यदि वे परेशान थे फिर भी आशावान थे; वे विश्वासपूर्ण थे फिर भी यीशु से प्रश्न पूछते और प्रार्थना करते रहे जो अपना अतापता बताये बिना कब्र छोड़ कर चले गये थे | प्रार्थना: प्रभु यीशु, हम आप का दिल से धन्यवाद करते हैं क्योंकि आप अपने चेलों के दिलों में विजेता हो, और उन में अपने पुनरुत्थान के विषय में विश्वास निर्माण कर चुके हो | आप ने हमें अनन्त जीवन की महान आशा दिलाई है | हम आप की आराधना करते हैं क्योंकि आप अनन्त परमेश्वर हो और हम आप के अनुग्रह के द्वारा अमर बन जाते हैं | हमारे मित्रों को उन के पापों में मरने से बचाइये और उन्हें आप के बलिदान में विश्वास दिला कर अनन्त जीवन प्रदान कीजिये | प्रश्न: 120. जब यूहन्ना खाली कब्र में थे तब उन्हों ने किस बात पर विश्वास किया ?
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