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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
तीसरा भाग - प्रेरितों के दल में ज्योती चमकती है (यूहन्ना 11:55 - 17:26)
इ - यीशु की मध्यस्थयी प्रार्थना (यूहन्ना 17:1-26)

3. यीशु अपने चेलों के लिये प्रार्थना करते हैं (यूहन्ना 17:6-19)


यूहन्ना 17:6
“6 मैं ने तेरा नाम उन मनुष्यों पर प्रगट किया है जिन्हें तू ने जगत में से मुझे दिया | वे तेरे थे और तू ने उन्हें मुझे दिया, और उन्हों ने तेरे वचन को मान लिया है ”

जब यीशु को इस में कोई संदेह न रहा कि आप का पिता, उद्धार का काम पूरा करने के लिये आप को शक्तिशाली करेगा और आप यह भी जान गये कि अनन्त जीवन पाने वाली सन्तान की बड़ी संख्या के जन्म लेने से आप के पिता को अधिक महिमा मिलेगी तब आप के विचार आप के चेलों की ओर लौटे जिन्हें आप ने दुनिया में से चुना था और दिव्य सहमति में इकठ्ठा किया था |

यीशु ने परमेश्वर के नये नाम, पिता, की घोषणा की | इस वक्तव्य के अनुसार वे उसकी सन्तान बन गये जिन्हें दुनिया में से चुना गया था | अस्तित्व की परंपरा कलीसिया का रहस्य है | जो लोग परमेश्वर से जन्म लेते हैं वे स्वय: अपने नहीं होते बल्कि उसके होते हैं जिस ने उन्हें वह नया जन्म दिया और उसने उन्हें अपने बेटे के खून से खरीद कर उन्हें उसे समर्पित किया | अगर तुम मसीह पर विश्वास करो तो तुम भी आप की संपत्ति बन जाओगे |

सुसमाचार पर विश्वास करने और आप के बहु मूल्य वचन का पालन करने के कारण यह दिव्य पितृत्व और विश्वासियों का उसकी सन्तान बनना चेलों में पूरा हुआ | यह वचन का खाली ठनठनाना या अद्श्य होने वाला धुआं नहीं हैं जैसे अक्सर काले अक्षर होते हैं जिन्हें दुनिया के छापखानों में छापा जाता है | वह परमेश्वर का वचन और ऐसे शब्द होते हैं जिन में से उत्पन्न करने की शक्ति छलकती है | जो व्यक्ति पिता का वचन अपने दिल में रखता है वह उसकी शक्ति में जीता है |

यूहन्ना 17:7-8
“7 अब वे जान गए हैं कि जो कुछ तू ने मुझे दिया है वह सब तेरी ओर से है; 8 क्योंकि जो वचन तू ने मुझे दिये, मैं ने उन्हें उनको पहुंचा दिये; और उन्होंने उनको ग्रहण किया, और सच सच जान लिया है कि मैं तेरी ओर से आया हूँ, और विश्वास कर लिया है कि तू ही ने मुझे भेजा |”

यीशु के ओंठों पर पाया जाने वाला परमेश्वर का वचन दुष्ट जीवनों को बदलने के लिये उद्धार दायक ज्ञान निर्माण करता है | यीशु ने स्वय: अपने वचन के अनुसार जीवन बिताया और अपने सभी आश्चर्यकर्म उसी वचन की शक्ति से कर के दिखाये | आप की सब शक्तियां और आशीषें पिता के वचन के द्वारा हमें मिलती हैं | पुत्र ने अपने में कोई व्यक्तिगत ज्ञान होने का दावा नहीं किया परन्तु अपना अधिकार, शक्ति, ज्ञान और प्रेम को परमेश्वर के दिये हुये उपहार कहा |

मसीह ने अपनी बहुमूलय संपत्ति यानी अपना वचन अर्पण किया | यह आप के पिता कि ओर से था, ताकि पुत्र परमेश्वर का देहधारी वचन बने | उस वचन में हमारी शक्ति है | इस प्रकार हम उस वचन की शक्ति का अनुभव करते हैं और उस के द्वारा प्रबुद्ध होते हैं | हम ने इन निशानियों और वचन को प्रसन्नता के साथ स्वीकार किया | सुसमाचार के लेख हमें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के अस्तित्व को पहचानने में सहायता करते हैं |

यहाँ हम देखते हैं कि मसीह प्रार्थना में अपने चेलों का आंतरिक ज्ञान और उनका आपके वचन को ग्रहण करना प्रगट कर रहे हैं क्योंकि आप ने विश्वास का बीज उन के दिलों में बोया था | उन्हों ने आप के वचन को प्रसन्नता से ग्रहण किया परन्तु तुरन्त नहीं | तब आप ने अपना आत्मा उन पर उंडेल दिया; आप का वचन उन में बढ़ता गया और परमेश्वर के नियुक्त किये हुए समय में फल लाया | मसीह ने विश्वास के साथ पहले से ही इन बातों की भविष्यवाणी की थी कि यह घटनायें अवश्य हो जायेंगी |

मसीह के वचन ने चेलों में ज्ञान के साथ विश्वास निर्माण किया | वह विश्वास क्या था ? चेले इन सब बातों पर विश्वास कर चुके थे: पुत्र का पिता से निकल आना; इस अनन्त व्यक्ति का इस काल में अस्तित्व, मानवी रूप मे आप की दिव्य महिमा, घ्रणा के बावजूद आप का लोगों से प्रेम करना, निर्बलता में भी आप की शक्ति का प्रगट होना, क्रूस पर परमेश्वर से अलग होने के बावजूद आप की दिव्यता का कायम रहना, और मृत्यु के बाद भी आपका जीवन | पवित्र आत्मा ने उन्हें उनके उद्धारकर्ता में कायम किया और वे आप के शरीर (कलीसिया) में सदस्य बन गये | वे केवल विश्वास के कारण बहुत दिनों तक दु:खी न रहे बल्कि इच्छापूर्वक आप से आलिंगित रहे जब की आप उनमें आत्मिक दृष्टि से बने रहे थे | इस प्रकार से वे आत्मा के कार्य के द्वारा मसीह की दिव्यता सेपरिचित हुये जो देहधारी हुई |

मसीह के व्यक्तित्व में चेलों ने अपने विशेष जन्म में समानता पाई जिस का अनुभव उन्हों ने मसीह के इस हास्य वाक्य में पाया: “जो आत्मा से जन्म लेता है वह आत्मा है |” यह अभिषिक्त आत्मा चेलों के शरीर में दिव्य शक्ति के रूप में रहता है | वह यीशु के वचन के द्वारा आता है |

प्रार्थना: ऐ प्रभु यीशु, हम आप का धन्यवाद करते हैं क्योंकि आप ने हमें अपने पिता का वचन पहुँचाया | वह वचन जो जीवन और शक्ति से परिपूर्ण है | आप ने हम में विश्वास और ज्ञान निर्माण किया है | आप हमारी शक्ति हैं, हम आप से प्रेम करते हैं और पिता के साथ आप की प्रशंसा करते हैं जिस ने आप को हमें दे दिया |

प्रश्न:

105. यीशु के द्वारा पिता का नाम प्रगट करने का क्या महत्व है?

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