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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
तीसरा भाग - प्रेरितों के दल में ज्योती चमकती है (यूहन्ना 11:55 - 17:26)
द - गैतसमनी के मार्ग पर बिदाई (यूहन्ना 15:1 - 16:33)

6. हम में पाई जाने वाली मसीह की शांति दुनिया की यातनाओं को पराजीत करती हैं (यूहन्ना 16:25-33)


यूहन्ना 16:25-26अ
“मैं ने ये बातें तुम से दृष्टान्तों में कहीं हैं, परन्तु वह समय आता है कि मैं तुम से फिर दृष्टान्तों में नहीं कहुँगा, परन्तु खोलकर तुम्हें पिता के विषय में बताऊंगा | 26अ उस दिन तुम मेरे नाम से मांगोगे;”

यीशु ने स्वर्गिय सच्चाईयाँ उदाहरनों और दृष्टांतों के द्वारा स्पष्ट कीं जिस के कारण दुनिया के लोगों के लिये यह रहस्य छिपे रहते थे परन्तु उन लोगों के लिये स्पष्ट किये जाते थे जो धार्मिकता के भूके रहते थे | यीशु की यह तीव्र इच्छा थी कि आप के चेले आप को स्पष्ट रूप से समझें और उस महान दिन की आशा करते थे जब आप मृतकों में से जी उठेंगे और उस के बाद स्वर्ग की ओर प्रयाण कर के परमेश्वर की दहने बाजू को बैठ जाने वाले थे और वहाँ से अपना दिव्य आत्मा अपने चेलों को भेजने वाले थे | आप इन सभी उद्धार करने वाली घटनाओं को एक ही दिन समझते थे | जब आप के अनुयायियों पर आत्मा आयेगा तब कथायें और दृष्टांत प्रगट होना बंद हो जायेंगे क्योंकि मसीह का आत्मा विश्वासियों के दिलों को ज्ञानदान करेगा और कथाओं का काल समाप्त करेगा | परमेश्वर पिता है और मसीह उसके पुत्र हैं | पवित्र आत्मा के बिना कोई व्यक्ति परमेश्वर को नहीं जान सकता परन्तु पुत्र की आत्मा हमें परमेश्वर के परिवार में खींच लेती है | क्या तुम्हारा दुनियावी पिता है ? क्या तुम उस से बात चीत करते हो ? क्या उसे तुम्हारी चिंता होती है ? यह केवल अंत:प्रज्ञात्मक प्रश्न हैं | इस से ऊँचे स्तर पर यीशु का वचन और आप के आत्मा की सांत्वना हमें विश्वास दिलाते हैं कि परमेश्वर सर्वशक्तिमान, पवित्र और हमारा व्यक्तिगत परमेश्वर है जो हम से प्रेम करता है | हम उसकी प्रिय सन्तान हैं यधपि हम सब पापी हैं; परन्तु मसीह के खून के द्वारा हम उसके सामने पवित्र बन गये हैं | सच्ची प्रार्थना करने के लिये पवित्र आत्मा हमारे मुँह खोलता है क्योंकि यह आत्मा मसीह का है | आत्मिक प्रार्थना में मसीह हमारे अन्दर हो कर बोलते हैं | प्रार्थना वही करो जो आत्मा करता है | यह प्रार्थना पिता पर विश्वास रख कर और पुत्र की संगती में की जाती है | तुम्हारी प्रार्थनायें तुम्हारे अन्दर वास करने वाले आत्मा और तुम्हारे स्वर्गिय पिता, जो पुत्र में एक है, के बीच में वार्तालाप होती है |

यूहन्ना 16:26ब-28
“26ब और मैं तुम से यह नहीं कहता कि मैं तुम्हारे लिये पिता से विनती करूँगा; 27 क्योंकि पिता तो आप ही तुम से प्रेम रखता है, इस लिये कि तुम ने मुझ से प्रेम रखा है और यह भी विश्वास किया है कि मैं पिता की ओर से आया | 28 मैं पिता की ओर से जगत में आया हूँ; मैं फिर जगत को छोड़कर पिता के पास जाता हूँ |”

जो पिता अपने बच्चों से प्रेम नहीं करता वह पिता कहलाने के योग्य नहीं होता | परमेश्वर का नाम प्रगट करके, यीशु ने हमें एक सादा नमूना दे दिया है ताकि हम परमेश्वर का अति महान प्रेम प्राप्त करें | पिता के नाम को महत्व देना मसीह का मुख्य उद्देश है | जो व्यक्ति पिता को जानता है वह परमेश्वर को जानता है और उसका परमेश्वर की सन्तान मे परिवर्तन हो जाता है और वह उसके प्रेम में बना रहता है | उस नाम में हम पूर्ण सुसमाचार और अनन्त जीवन की आशा पाते हैं | यीशु घोषणा करते हैं कि अब ध्यान मनन की जरूरत न रही क्योंकि पिता स्वय: तुम से प्रेम करता है और वह प्रेम और दया से परिपूर्ण है | क्योंकि मसीह ने क्रूस पर अपने प्राण दे दिये, इस लिये अब हमारे और पिता के बीच में कोई रूकावट न रही | पुत्र पर जो परमेश्वर का मेमना है, विश्वास करने से परमेश्वर उन लोगों पर अपना प्रेम उंडेल देता है जो मसीह से प्रेम करते हैं | जो व्यक्ति मसीह की दिव्यता, आप का पिता में से निकल आने और उस में बने रहने से परिचित है वह पवित्र त्रिय तक पहुंच चुका होता है | वह परमेश्वर के जीवन में बना रहता है | वह पिता के अनुग्रह से परिपूर्ण हो कर हमेशा आत्मा में आनन्दित होता है |

अगर एक वाक्य में कहा जाये तो सत्य यह है कि मसीह अपने चेलों से उद्धार के आश्चर्यकर्म का वर्णन करते हैं | आप दिव्यता की ऊंचाई से नीचे उतर आये और उस धर्ती पर चलते फिरते रहे जो शत्रुता और अपराधिता से छलनी हो चुकी थी | परन्तु जब आप ने क्रूस पर मानव जाति की धार्मिकता का काम पूरा किया, तब दुनिया को अलविदा कह कर तेज़ी से अपने पिता की ओर प्रस्थान किया जो पूर्णतया जीवन का स्त्रोत है |

यूहन्ना 16:29-30
“29 उसके चेलों ने कहा, “देख, अब तो तू खोल कर कहता है, और कोई दृष्टान्त नहीं कहता | 30 अब हम जान गए हैं कि तू सब कुछ जानता है, और इसकी आवश्यकता नहीं कि कोई तुझ से कुछ पूछे; इससे हम विश्वास करते हैं कि तू परमेश्वर की ओर से आया है |”

चेले परमेश्वर के प्रेम की महानता और यीशु के अनन्त व्यक्तित्व से परिचित होते जा रहे थे | यीशु सत्य परमेश्वर हैं जो सर्वज्ञ, पवित्र और अनन्त है परन्तु वह यह स्मरण न रख सके कि आप देहधारी प्रेम थे और उन्हों ने परमेश्वर को पिता कह कर पुकारा तक नहीं जब की यीशु ने यह सत्य बार बार दुहराये थे | उन्हों ने यह बातें सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर ली थीं परन्तु उसके सत्य स्वभाव के तत्व को समझ न पाये |

यूहन्ना 16:31-32
“31 यह सुन यीशु ने उन से कहा, ‘क्या तुम अब विश्वास करते हो? 32 देखो, वह घड़ी आती है वरन आ पहुंची है कि तुम सब तितर-बितर होकर अपना अपना मार्ग लोगे, और मुझे अकेला छोड़ दोगे; तौभी मैं अकेला नहीं क्योंकि पिता मेरे साथ है |

अत्यंत व्यंगपूर्ण मुस्कान द्वारा यीशु ने उन से कहा: “क्या तुम यह कल्पना करते हो कि केवल बुद्धि के द्वारा तुम मेरे सत्य व्यक्तित्व को समझ सको गे ?” क्या ऐसा ज्ञान सत्य विश्वास के जैसा ही होता है ? परीक्षा अभी ली जानी है जो बतायेगी कि तुम्हारा विश्वास प्रेमरहित है | तुम परमेश्वर को समझ न पाये क्योंकि तुम उसके पितृत्व में विश्वास नहीं रखते | तुम सब भाग जाओगे और मुझे अकेला छोड़ दोगे | जिस से यह स्पष्ट होगा कि तुम्हारा विश्वास विश्वसनीय नहीं है |

“मृत्यु के समय में भी मैं अकेला नहीं हूँ क्योंकि मेरा पिता मेरे साथ है “ क्या यह वचन यीशु के क्रूस पर दी हुई इस पुकार के विरुद्ध है: “हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया ?” जी नहीं, क्योंकि पवित्र परमेश्वर ने अपना चेहरा पुत्र से छिपा लिया था, परन्तु मसीह अपने पिता की उपस्थिति में विश्वास किये जा रहे थे | आप की चींख यह स्पष्ट कर रही थी कि परमेश्वर बदलता नहीं, “यदि मैं तुझे न भी देखूं तो भी तुझे न छोडूंगा | मैं अपना आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ |” परमेश्वर के पित्रत्व पर मसीह के विश्वास ने उस दंड पर श्रेष्ठता प्राप्त की जो हमारे कारण आप को भुगतनी पड़ी | पुत्र के अपने पिता के लिये प्रेम ने परमेश्वर के क्रोध की आग को बुझा दिया जो हमारे पापों के उधार से उत्पन्न हुई थी | आप की स्थिर आशा ने पिता को देखने के लिये हमारे लिये दरवाजा खोल दिया | पिता के परामर्श के अनुसार आप की मृत्यु के कारण हम यह कह सकते हैं: “मैं अकेला नहीं हूँ क्योंकि पिता मेरे साथ है |”

यूहन्ना 16:33
“33 मैं ने यह बातें तुम से इसलिये कहीं हैं कि तुम्हें मुझ से शांति मिले | संसार में तुम्हे क्लेश होता है, परन्तु ढाढस बाँधो, मैं ने संसार को जीत लिया है |”

यीशु ने अपने बिदाई वचन का सब विश्वासियों के लिये सांत्वना देते हुए संक्षिप्त विवरण दिया, “मैं कुछ समय तक तुम्हारे साथ रहा और तुम्हें शिक्षा दी ताकि तुम्हारे दिल दिव्य शान्ति से परिपूर्ण हो जायें | अविश्वासियों को कोई शान्ति नहीं मिलती | मैं, परमेश्वर के पुत्र ने तुम्हारे दिलों को क्षमा किया है और तुम्हारे अंतकरणों को शुद्ध किया हैं | मैं अपना शान्ति का आत्मा तुम में रखता हूँ | मेरे वचन में बने रहो | मैं स्वय: तुम्हारा रक्षक हूँ | मेरे सिवाय कोई और तुम्हारी रक्षा नहीं कर सकता | तुम्हारा परमेश्वर के साथ मेल मिलाप उस शान्ति का मूल आधार है | जब तक मेरे खून में तुम्हारे पाप क्षमा नहीं होते तब तक तुम्हारे अंतकरण पवित्र और साफ नहीं हो सकते | मैं ने तुम्हारा उद्धार किया है और मेरा आत्मा तुम में है | मेरी शान्ति किसी भूत की छाया नहीं है परन्तु सच्चाई है | मैं तुम्हें शान्ति देने आया हूँ; उसे स्वीकार कर लो और मुझ पर विश्वास करो |”

“यह कल्पना न करो कि इस दुनिया में तुम शान्ति पाओगे | जी नहीं! अत्याचार, बीमारियाँ, धोके, भय और मृत्यु घात में बैठे हुए हैं | व्यवस्था के तज्ञ तुम्हें अस्विकार करेंगे, और ऊपरी लोग तुम्हारी हंसी उड़ायेंगे | हजारों झूट और तत्व विज्ञान तुम्हारे विश्वास को कसोटी पर लेंगे | घमंड हमेशा तुम्हारे निकट होगा | धन दौलत से प्रेम न करो; धन दौलत तुम्हारी रक्षा न करेगी |

“मेरे प्रेम को जानो और मेरी विनम्रता का अनुकरण करो, मेरे स्वार्थरहितता और संयम मे बने रहो | मैं ने दुनिया पर विजय पाई है | मैं ने स्वय: अपने लिये कुछ नहीं माँगा है | मैं तत्वत: परमेश्वर का पवित्र पुत्र हूँ | मुझ में परमेश्वर की यह आज्ञा पूरी हुई: ‘पवित्र बनो कयोंकि मैं पवित्र हूँ |’ मैं प्रेम की परिपूर्णता हूँ, और मुझ में तुम पिता को देख सकते हो |

क्या तुम यीशु के बिदाई वचन के महत्व को ग्रहण कर चुके हो | आप ने तुम्हें पिता की संगति में बिठाया है ताकि तुम्हारा दिल मसीह की शान्ति से सहमत हो | वह शान्ति विश्वासी के जीवन में अतिआवश्यक सत्य है | दुनिया दुष्ट ही रहेगी और तुम्हें कष्ट देती रहेगी | परन्तु मृत्यु और शैतान पर विजय पाने वाले (मसीह) पर तुम्हारा विश्वास तुम्हें परमेश्वर के क्रोध की आग और बाहरी यातना से मुक्त कर देगा | जो व्यक्ति मसीह पर विश्वास करता है वह परमेश्वर की दया पाता है | क्या यीशु के इस संदेश से तुम परिपूर्ण हो चुके हो ? क्या तुम्हारे अन्दर का पवित्र आत्मा तुम्हें यह कहने की प्रेरणा देता है : “पिता मेरा है, पुत्र मेरा उद्धारकर्ता है और आत्मा मुझ में रहता है | एक परमेश्वर हम में है | मैं उसके अनुग्रह में बना हुआ हूँ |

प्रार्थना: प्रभु यीशु मसीह, आप ने मेरा दिल जीत लिया और मुझे अपने लिये खरीद लिया | आप ने मुझे शैतान के फंदों से बचाने के लिये अपने शरण में रखा और मुझे उसके झूट की कैद से मुक्त किया | आप ने मुझे अनन्त जीवन प्रदान किया | मुझे मृत्यु का भय नहीं क्योंकि मैं आप के आने की प्रतीक्षा करता हूँ | मुझे अपनी इच्छा में बने रहने दीजिये और अपनी शक्ति से परिपूर्ण कीजिये ताकि मैं दूसरे विश्वासियों के साथ आप की महिमा और पिता की आराधना करूं | आप की अगुवाई के अनुसार मुझे अपने भाईयों से प्रेम करने, लोगों को क्षमा करने और मेल मिलाप करने वाला बनने की प्रेरणा दीजिये | मैं आप पर विश्वास करता हूँ; आप ही विजेता हैं |

प्रश्न:

103. पिता हम से क्यों और कैसे प्रेम करता है ?

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