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यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
तीसरा भाग - प्रेरितों के दल में ज्योती चमकती है (यूहन्ना 11:55 - 17:26)
अ - पवित्र सप्ताह की शुरुआत (यूहन्ना 11:55 - 12:50)

4. हंगामे के बीच में पिता का महिमा पाना (यूहन्ना 12:27-36)


यूहन्ना 12:27–28
“27 ‘अब मेरा जी व्याकुल है | इसलिये अब मैं क्या कहूँ ? हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा ? नहीं, क्योंकि मैं इसी कारण इस घड़ी को पहुँचा हूँ | 28 हे पिता, अपने नाम की महिमा कर |’ तब यह आकाशवाणी हुई, ‘मैं ने उसकी महिमा की है, और फिर भी करूँगा |’”

यीशु ने अपने अस्तित्व में दु:ख उठाया | आप जीवन के राजकुमार हैं परन्तु नम्र बने रहे और मृत्यु को अपने आप को निगलने दिया | आप प्रभुओं के प्रभु हैं परन्तु आप ने शैतान को, जो मृत्यु पर राज करता है, आप को पूरी शक्ती से परखने दिया | यीशु ने अपनी इच्छा से हमारे पाप उठा लिये ताकि हमारे बदले परमेश्वर के क्रोध की ज्वाला में स्वय: जलें | आप परमेश्वर के पुत्र हैं जो अनन्त काल से परमेश्वर के साथ एक हैं | हमारे उद्धार के लिये आप के पिता ने आप का त्याग किया ताकि अनुग्रह के द्वारा हमारा उससे मिलाप हो | पुत्र और पिता की पीड़ा और दु:ख का अनुभव कोई नहीं कर सकता | त्रिय एकता हमारे उद्धार के लिये पीड़ा में थी |

यीशु का शरीर यह असह दबाव सहन न कर सका | आप रोये, “हे पिता, मुझे इस घड़ी से बचा |” तब आप ने अपने दिल में आत्मा का उत्तर स्पष्ट रूप से सुना, “आप को इस घड़ी के लिये ही जन्म दिया गया था | यह घड़ी अनन्त काल का उद्देश है | सारी उत्पत्ति पिता के साथ इस घड़ी कि प्रतीक्षा कर रही है जब कि मानव जाती का परमेश्वर से मिलाप होगा जैसे सृष्टि का परमेश्वर से मिलाप | अब उद्धार की योजना पूरी होगी |

तब यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा: “ऐ पिता, अपने नाम की महिमा कर !” पुत्र शरीर की आवाज को सुनना न चाहता था ! आप ने पवित्र आत्मा के साथ सहमत होकर प्रार्थना की, “तेरा नाम पवित्र माना जाये | ताकि दुनिया जाने कि तू भयभीत करने वाला परमेश्वर नहीं है जो दूर रहता है और चिन्ता नहीं करता परन्तु प्रेम करने वाला पिता है जो स्वय: को अपने पुत्र में दे देता है ताकि बुरे और नष्ट होने वाले लोग उद्धार पायें |

परमेश्वर ने अपने पुत्र को उत्तर देने में संकोच नहीं किया | उसने स्वर्ग से उत्तर दिया | “मैं ने अपने नाम की तुझ में महिमा की है | तू मेरा आज्ञाकारी और विनम्र पुत्र है | जो तुझे देखता है वो मुझे देखता है | तू मेरा प्रिय है, तुझ से मैं प्रसन्न हूँ | मुझे और कोई आनन्द नहीं सिवाय तेरे क्योंकि तू ने क्रूस उठाया | तेरी प्रतिनिधि मूलक मृत्यु में, जीवन के दु:खों के तूफान में, मैं अपनी महिमा का सार दिखाऊंगा | क्रूस पर तू महिमा और सच्ची पवित्रता के अर्थ प्रगट करना | यह उन लोगों के लिये जो अधिकार नहीं रखते और कठोर दिल वालों के लिये प्रेम, बलीदान और आत्म समर्पण से कम नहीं |”

स्वर्गिय आवाजकी गूंज जारी रही, “जब तू कबर में से जी उठेगा और मेरे पास चला आयेगा तब मैं फिर अपने नाम की महिमा करूँगा ताकि तू महिमामंडित हो कर मेरे साथ बैठे और मैं अपनी आत्मा उन लोगों पर उंडेल दुंगा जिन से तुझे प्रेम है | तब मेरे पितवत नाम की पवित्र आत्मा के द्वारा नया जन्म लिये हुए असंख्य सन्तानों की तरफ से प्रशंसा होगी | उन के अस्तित्व से मेरा सम्मान होता है, उनका पुश्यशील स्वभाव मेरा अभीषेक करता है | क्रूस पर तेरी मृत्यु परमेश्वर की सन्तान के जन्म का कारण है | तेरी महिमायुक्त मध्यस्थता कलीसिया की सफलता की गारंटी होगी | केवल तुझ में ही पिता अनन्त काल तक महिमामंडित होता रहेगा |

यूहन्ना 12:29–33
“ 29 तब जो लोग खड़े हुए सुन रहे थे उन्होंने कहा कि बादल गरजा | दूसरों ने कहा, ‘कोई स्वर्गदूत उससे बोला |’ 30 इस पर यीशु ने कहा, ‘यह शब्द मेरे लिये नहीं, परन्तु तुम्हारे लिये आया है | 31 अब इस संसार का न्याय होता है, अब इस संसार का सरदार निकाल दिया जायेगा; 32 और मैं यदि पृथ्वी पर से ऊँचे पर चढ़ाया जाऊंगा, तो सब को अपने पास खींचूंगा |’ 33 ऐसा कह कर उस ने यह प्रगट कर दिया कि वह कैसी मृत्यु से मरेगा |”

जो भीड़ यीशु के चारों तरफ ज़मा हुई थी वह नहीं जानती थी कि आप परमेश्वर से वार्तालाप कर रहे थे बल्कि यह सोचा कि वह गरज की आवाज थी | वे यह नहीं जान सकते थे और न विशलेषण कर सकते थे कि परमेश्वर प्रेम है | वे परमेश्वर की कोमल आवाज सुन न सके और न यह जान सके कि पुत्र में परमेश्वर की महिमा प्रगट होने से दुनिया का न्याय शुरू हो चूका है |

यदपि मसीह को क्रूस पर चढ़ाया गया था जहाँ आप ने अपनी मृत्यु द्वारा हमें जीवन दिया इस लिये शैतान अपने दासों पर से अपना नियंत्रण खो बैठा | पुत्र ने पिता की इच्छा पूरी की इस लिये शैतान अपने अधिकार से वंचित हो गया | यीशु ने शैतान को इस दुनिया का राजकुमार कहा क्योंकि सारी दुनिया उस के अधिकार में रखी गई थी | इस दु:खद और कड़वी स्तिथी के कारण यीशु हिचकिचाये नहीं बल्कि आप ने अपनी धर्मिकता की तलवार से उसे मारा | यह मार अहितकारी ठहरी | अब हम यीशु के नाम में स्वतंत्र सन्तान हैं |

हम आप के क्रूस की ओर खींचे जाते हैं | शैतान आप से इतनी घ्रणा करता था कि वो यीशु को जमीन पर या आप के बिस्तर पर मरने न देना चाहता था बल्कि आप को उठाया ताकि आप लज्जा के क्रूस पर मरते | परन्तु जैसे मूसा के दिनों में निर्जन वन में साँप को ऊपर उठाये जाने से विश्वासियों के लिये परमेश्वर के दंड से मुक्ति मिली उसी तरह क्रूस सब का दंड यीशु के कन्धों पर जमा करता है | परमेश्वर उन लोगों को दंड नहीं देता जो क्रूस पर चढ़ाये हुए (यीशु) को देखते रहते हैं | मसीह पर हमारा विश्वास हमें आप के साथ क्रूस का मृत्यु दंड देता है और आप की मृत्यु में मिला देता है | हम पाप के लिये मर चुके हैं परन्तु धार्मिकता के लिये जीवित हैं |

मसीह के साथ हमारा मिलाप हमें आपकी शक्ति और महिमा में सहभागी करता है | जिस तरह आप ने अपनी पवित्रता में पाप और मृत्यु पर विजय पायी उसी तरह आप हमें अपने पीछे बुलायेंगे और अपनी महिमा की ओर खींच लेंगे | जो लोग आप पर विश्वास रखते हैं वे कभी नष्ट न होंगे परन्तु अनन्त जीवन पायेंगे |

यूहन्ना 12:34
“34 इस पर लोगों नें उससे कहा, ‘हम ने व्यवस्था की यह बात सुनी है कि मसीह सर्वदा रहेगा, फिर तू क्यों कहता है कि मनुष्य के पुत्र को ऊँचे पर चढ़ाया जाना अवश्य है ? यह मनुष्य का पुत्र कौन है ?’”

यहूदियों ने यीशु को तर्कसंगत और स्पष्ट सबूत पेश करने पर मजबूर किया ताकि वो जांच पड़ताल किये बिना आप की असलियत का निर्णय ले सकें | वो दानियेल की पुस्तक के सातवें अध्याय का धर्मविज्ञान विषयक जानते थे जहाँ मसीह को मनुष्य का पुत्र और सारी दुनिया का न्याय करने वाला बताया गया है | परन्तु वे आप से आप के दिव्य पुत्र होने के दावे के विषय में सुनना चाहते थे “यह उन्होंने इसलिये नहीं किया ताकि अपने ऊपर दबाव ड़ाल कर आप पर विश्वास करने का साहस करें बल्कि केवल ऊपर ही ऊपर से मान जाते कि आप वही हैं जैसा कि आप दावा करते हैं | उन में से कुछ लोग आप के शत्रु थे जिन के इरादे दुष्ट थे और वो चाहते थे कि अगर आप स्पष्ट रूप में कहते कि आप वही मनुष्य के पुत्र हैं तो आप को धर्मद्रोह का दोषी ठहरा कर फंदे में फंसाते | यीशु अपने आप को अन्वेषण करने वालों के सामने स्पष्ट रूप से प्रगट नहीं करते परन्तु आप साधारण विश्वासियों के सामने प्रगट होते हैं जो पवित्र आत्मा के आदेश व शिक्षा को मानते हैं, ठोस सबूत मिलने से पहले ही स्वीकार करते हैं कि मनुष्य का पुत्र, परमेश्वर का पुत्र है |

यूहन्ना 12:35
“35 यीशु ने उनसे कहा, ‘ज्योति अब थोडी देर तक तुम्हारे बीच में है | जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो, ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है |”

यीशु जगत की ज्योति हैं | ज्योति का अनुभव करने के लिये किसी विस्तृत स्पष्टीकरण की आवयश्कता नहीं होती | उस का अनुभव किया जाता है क्योंकि साधारण लोग ज्योति देख सकते हैं और उस का अन्धकार से फरक जानते हैं | जब तक दिन है, मनुष्य पैदल या दौड़ते हुए यात्रा कर सकता है | रात के समय मनुष्य कोई काम नहीं कर सकता | जब सूरज चमकता है तब काम करने का और व्यस्त होने का समय होता है | यीशु ने यहूदियों से कहा कि अगर वो चाहें तो आप की ज्योति के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं परन्तु इस के लिये उन के पास बहुत कम समय रह गया है | इस कम समय में उन्हें निर्णय लेना है, आत्मसमर्पण करना है और दृढ रहना है |

यदपि जो ज्योति को अस्वीकार करता है वह अन्धकार में रहता है और अपना रास्ता नहीं जानता | यह भविष्यवाणी यीशु ने यहूदियों को पहले ही सुनाई थी कि वे अन्धकार में भटकते रहेंगे और उन्हें न रास्ता दिखाई देगा न उन का कोई उद्देश होगा न आशा | ऐसे अन्धकार को अन्धकार न समझा जाये जो हमारे बाहर है | यीशु जिस अन्धकार का वर्णन कर रहे हैं वो अन्दर का है जो मनुष्य के अन्दर पाई जाने वाली दुष्ट आत्मा के कारण होता है | जिस के कारण वो जीवन भर उदास और दु:खी रहता है | जो व्यक्ती मसीह के सामने आत्मसमर्पण नहीं करता वो अन्धकार के अधीन हो जाता है | क्या तुम देख रहे हो कि कुछ “मसीही” देश, दुनिया में अन्धकार का कारण क्यों बन गये हैं ? मसीही परिवार में ज्न्म लिये हुए हर व्यक्ती ने अपना जीवन मसीह के लिये अर्पित नहीं किया है | कुछ ऐसे मसीही भी हैं जिन्होंने आत्मिक दृष्टि से नया जीवन पाया है | अन्धकार हर उस व्यक्ति पर छा जाता है जो ज्योति की दुनिया में प्रवेश नहीं करता | तुम अपने माता पिता से स्वाभाविक दृष्टि से सुसमाचार की आशीषें उत्तराधिकार में नहीं पा सकते | यह स्वय: तुम पर निर्भर करता है कि मसीह को स्वीकार करो, अपना विश्वास प्रगट करो और आप की आज्ञा मानो |

यूहन्ना 12:36
“ 36 जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो ताकि तुम ज्योति की सन्तान बनो |”

विश्वास द्वारा मसीह के साथ संबन्ध स्थापन करने से तुम में क्रांति आ जायेगी | सुसमाचार परमेश्वर की महिमा की किरनें फैलाता है जो एटमी किरनों से अधीक शक्तिवान होती हैं | परन्तु जहाँ एटमी किरनें नष्ट करती हैं वहाँ मसीह की किरनें हम में अनन्त जीवन निर्माण करती हैं जिस से विश्वासु ज्योति का बालक बन जाता है और दूसरों के लिये स्वय: प्रकाश स्तंभ बन जाता है | क्या तुम मसीह की विस्तारित बाहों में आलिंगित हुए हो जो सच्चाई, पवित्रता और प्रेम से परिपूर्ण होती हैं? यीशु तुम को तुम्हारे अन्धकार में से निकाल कर आप की वैभवशाली ज्योति में प्रवेश करके पवित्र होने का निमंत्रण देते हैं |

यरूशलेम में प्रवेश करने से पहले यह प्रवचन सुनाने के पश्चात् आप ने बल प्रयोग कर के अधिकार प्राप्त नहीं किया न ही रोमियों और हिरोदेस राजा पर शस्त्र आक्रमण किया | आप का युद्ध पूरा हो चुका था और दुनिया का न्याय कुछ ही समय में होने वाला था | ज्योति अन्धकार में चमकती है, विश्वासु उद्धार पायेंगे और अविश्वासु नष्ट होंगे | आस्मान और ज़मीन के बीच का विवाद शिखर को पहुँचा है | परमेश्वर लोगों को विश्वास करने के लिये जबरदस्ती नहीं करता | क्या तुम ज्योति की सन्तान बन चुके हो या अब तक अन्धकार के दास बन कर रहे हो?

प्रार्थना: ऐ प्रभु यीशु, आपने स्वय: अपने आप को दुनिया की ज्योति के समान प्रगट किया इस के लिये हम आप को धन्यवाद देते हैं | हमें आप की करुणा की किरनों की ओर आकर्षित कीजिये और हमें दयालु बनाइये | हमारी निगाहें, धन, अधिकार और दुनियावी जीत से हटाइये ताकि हम आप की व्यावहारिक रीति से आप के पीछे चलें और आप की ज्योति की सन्तान बन कर रहें |

प्रश्न:

83. हमारे ज्योति की सन्तान बनने का क्या अर्थ है ?

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