Home
Links
Bible Versions
Contact
About us
Impressum
Site Map


WoL AUDIO
WoL CHILDREN


Bible Treasures
Doctrines of Bible
Key Bible Verses


Afrikaans
አማርኛ
عربي
Azərbaycanca
Bahasa Indones.
Basa Jawa
Basa Sunda
Baoulé
বাংলা
Български
Cebuano
Dagbani
Dan
Dioula
Deutsch
Ελληνικά
English
Ewe
Español
فارسی
Français
Gjuha shqipe
հայերեն
한국어
Hausa/هَوُسَا
עברית
हिन्दी
Igbo
ქართული
Kirundi
Kiswahili
Кыргызча
Lingála
മലയാളം
Mëranaw
မြန်မာဘာသာ
नेपाली
日本語
O‘zbek
Peul
Polski
Português
Русский
Srpski/Српски
Soomaaliga
தமிழ்
తెలుగు
ไทย
Tiếng Việt
Türkçe
Twi
Українська
اردو
Uyghur/ئۇيغۇرچه
Wolof
ייִדיש
Yorùbá
中文


ગુજરાતી
Latina
Magyar
Norsk

Home -- Hindi -- John - 072 (Jesus meets Martha and Mary)
This page in: -- Albanian -- Arabic -- Armenian -- Bengali -- Burmese -- Cebuano -- Chinese -- Dioula? -- English -- Farsi? -- French -- Georgian -- Greek -- Hausa -- HINDI -- Igbo -- Indonesian -- Javanese -- Kiswahili -- Kyrgyz -- Malayalam -- Peul -- Portuguese -- Russian -- Serbian -- Somali -- Spanish -- Tamil -- Telugu -- Thai -- Turkish -- Twi -- Urdu -- Uyghur? -- Uzbek -- Vietnamese -- Yiddish -- Yoruba

Previous Lesson -- Next Lesson

यूहन्ना रचित सुसमाचार – ज्योती अंध्कार में चमकती है।
पवित्र शास्त्र में लिखे हुए यूहन्ना के सुसमाचार पर आधारित पाठ्यक्रम
दूसरा भाग – दिव्य ज्योती चमकती है (यूहन्ना 5:1–11:54)
क - यीशु की यरूशलेम में अन्तिम यात्रा (यूहन्ना 7:1 - 11:54) अन्धकार का ज्योती से अलग होना
4. लाज़र का जिलाया जाना और उसका परिणाम (यूहन्ना 10:40 – 11:54)

2) यीशु का मार्था और मरियम से मिलना (यूहन्ना 11:17-33)


यूहन्ना 11:17–19
“ 17 वहाँ पहुँचने पर यीशु को यह मालूम हुआ कि लाज़र को कब्र में रखे चार दिन हो चुके हैं | 18 बैतनिय्याह यरूशलेम के समीप कोई दो मील की दूरी पर था | 19 बहुत से यहूदी मार्था और मरियम के पास उनके भाई की मृत्यु पर शान्ति देने के लिये आए थे |”

लाज़र को दफ़न किये हुए चार दिन हो चुके थे | जिस दिन उस की मृत्यु हुई उसी दिन उसे दफना (गाड़) दिया गया था | यीशु को भी यह खबर उसी दिन मिल गई थी और आप के वहाँ तुरन्त पहुँचने का कोई अर्थ नहीं था क्योंकि आपके मित्र को दफना (गाड़) दिया गया था | इस में कोई संदेह नहीं कि मृत्यु हो चुकी थी |

बैतनियाह जैतून पहाड़ के पूर्व में बसा हुआ था और वहाँ से 1000 मीटर नीचे यरदन था | उसके आगे मृत सागर (Dead sea) था | उसके पश्चिम में तीन किलोमीटर की दूरी पर यरूशलेम एक पहाड़ी पर किदरोन घाटी के आगे बसा हुआ था |

मृतक के अनेक मित्र उसके घर रोते और छाती पीटते हुए आये थे | विशेषकर दुःख स्पष्ट था क्योंकी परिवार का कमाने वाला केवल लाज़र ही था | जो लोग जमा हुए थे उन पर मृत्यु की छाया मंडला रही थी |

यूहन्ना 11:20–24
“ 20 जब मार्था ने यीशु के आने का समाचार सुना तो उससे भेंट करने को गई, परन्तु मरियम घर में बैठी रही | 21 मार्था ने यीशु से कहा, ‘हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता, तो मेरा भाई कदापि न मरता | 22 और अब भी मैं जानती हूँ कि जो कुछ तू परमेश्वर से माँगेगा, परमेश्वर तुझे देगा |’ 23 यीशु ने उससे कहा, ‘तेरा भाई फिर जी उठेगा |’ 24 मार्था ने उससे कहा, ‘मैं जानती हूँ कि अन्तिम दिन में पुनरुत्थान के समय वह जी उठेगा |’

जब मार्था ने यह सुना कि यीशु पास आ चुके हैं तो वह विलाप करती हुई और अपने दिल में यह सोचते हुए पहुंची कि अगर यीशु समय पर वहाँ पहुँचते तो यह भयंकर घटना न घड़ी होती | जब वो यीशु से मिली तब उसने अपने विश्वास का प्रदर्शन किया क्योंकी उसे यीशु की असीम शक्ती पर विश्वास था | उसने अपना दुख प्रगट करने में समय बरबाद नहीं किया परन्तु विश्वास के साथ कहा कि वो मृत्यु को रोक सकते थे | परन्तु वह नहीं जानती थी कि कैसे | परन्तु उसे यीशु के अधिकार और आपके परमेश्वर के साथ संबंध पर पूरा विश्वास था जो अपने पुत्र की प्रत्येक प्रार्थना का हर समय उत्तर देता था |

यीशु ने तुरन्त उसके विश्वास के अनुसार महान प्रतिज्ञा के द्वारा वचन दिया कि “तेरा भाई जी उठेगा |” मार्था आपके शब्दों का अर्थ समझ ना पाई और सोचा कि आप उसके अन्तिम पुनरुत्थान के बारे में प्रतिज्ञा कर रहे थे | अब उसको आशा थी कि मृत्यु, जीवन का अन्त नहीं होती | विश्वासी पुनरुत्थान के बाद जीने की आशा रखते हैं|

यूहन्ना 11:25–27
“ 25 यीशु ने उससे कहा, ‘पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जिएगा, 26 और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा | क्या तू इस बात पर विश्वास करती है ?’ 27 उसने उससे कहा, ‘हाँ हे प्रभु, मैं विश्वास करती हूँ कि परमेश्वर का पुत्र मसीह जो जगत में आनेवाला था, वह तू ही है |’”

यीशु ने चेलों के सामने मार्था से वह महान वचन कहा : “पुनरुत्थान अवश्य होगा, वह यहाँ मेरी अपनी व्यक्ती में है | इस का अर्थ यह नहीं कि वो पुनरुत्थान के दिन जी उठेगा परन्तु आज वो मेरी उपस्तिथि में जी उठेगा | मैं निर्माता हूँ, मुझ में से पवित्र आत्मा निकल कर तुम में अग्रसर करती है | तुम्हारे पापों को दूर करने के लिये मैं तुम्हारी जगह मरूंगा ताकि तुम्हें दिव्य जीवन अर्पण करूं | मृत्यु का तुम पर कोई अधिकार न होगा | मैं बहुत जल्दी अपने पुनरुत्थान के द्वारा तुम्हारे पुनरुत्थान का आश्वासन दुंगा ताकि तुम गाड़े जानेके (मरने के) बाद विश्वास के द्वारा मेरे साथ फिर से जी उठो | मेरी मृत्यु तुम्हारी है और मेरा जीवन तुम्हारा है | मैं तुम में जीता हूँ और तुम मुझ में जीते हो |

मसीह का जीवन पाने के लिये एक ही शर्त है,वह यह की मसीह के साथ विश्वास का समझौता किया जाये | जब तक तुम्हारा यीशु के साथ बंधन नहीं होता, आप की जीवन धाराएँ आप में से हमारे अन्दर नहीं पहुंच सकतीं | यीशु पर विश्वास करने से हमें पिता और अनन्त जीवन का ज्ञान होता है | आप का प्रेम हम में आनंद, शांति और प्रेम डाल देता है जो कभी समाप्त नहीं होता | मनुष्य जो मसीह के प्रेम से परिपूर्ण होता है, कभी नहीं मरता क्योंकी परमेश्वर की आत्मा चिरस्थाई है | यह आत्मा उन लोगों में वास करती है जो मसीह पर विश्वास करते हैं |

लाज़र को मृतकों में से जिलाने से यीशु ने मृत्यु पर विजय पायी इसकी आपने किसी उत्तेजक भाषण के द्वारा घोषणा नहीं की | जो लोग यीशु की आत्मा में आपके साथ जीवित थे उन्हें आपने विश्वास दिलाया कि मृत्यु का उन पर अधिकार न होगा क्योंकी वे आप के मृत्कों में से जी उठने में पहले से ही सहभागी हो चुके हैं | क्या तुम को यीशु के ओंठों से बिना शर्त की,प्रतिज्ञा की शक्ती का अन्दाजा है ? अगर तुम आप पर विश्वास करोगे तो नहीं मरोगे | तुम अपनी आने वाली मृत्यु या खुली हुई कबर के बारे में मत सोचो बल्की अपनी आँखें यीशु की ओर लगाओ | आप की प्रतिज्ञा के लिये धन्यबाद करो कि आप तुम्हें अनन्त जीवन में स्थापित करेंगे |

प्रिय भाई,क्या तुम जीवन देने वाले यीशु पर विश्वास करते हो ? क्या तुम्हें स्वय: इस बात का अनुभव हुआ है कि आपने तुम्हें मृत्यु के अधिकार से स्वतंत्र किया है और पाप के भ्रष्टाचार से निकाला है ? अगर तुम्हें आत्मिक जाग्रति का अनुभव नहीं हुआ है तो हम तुम्हें विश्वास दिलाते हैं की जीवन देने वाले प्रभु के प्रेम और शक्ति पर विश्वास करो | आपका हाथ पकड़ो और वो तुम्हारे पाप क्षमा करेंगे और तुम्हें अनन्त जीवन देंगे | केवल आप ही तुम्हारे निष्ठावान मुक्तिदाता है |

मार्था ने मसीह की प्रतिज्ञा को स्वीकार किया | उसे न केवल अनन्त जीवन का अनुभव हुआ, बल्की जीवनदाता का भी | उसे विश्वास था कि प्रतिज्ञा किये हुए मसीह, यीशु ही हैं जिनमें मृत्कों को जिलाने की शक्ति है | आपको आखिरी न्याय करने का अधिकार है | उसे अपने अन्दर यीशु की शक्ति के प्रवाह, जाग्रति और पवित्रीकरण का अनुभव हआ | उसने रास्ते में अपने विश्वास की गवाही देने का साहस किया जब की उसे पता था कि यहूदियों ने यीशु को पथराव करने का निश्चय किया था क्योंकी यीशु ने अपने आप को परमेश्वर का पुत्र होने की घोषणा की थी | वह मरने से नहीं डरती थी परन्तु अपने मुक्तीदाता से प्रेम करती थी | एक स्त्री का साहस पुरुषों को शर्मिंदा करता है |

प्रार्थना : ए प्रभु यीशु, आप अनन्त काल तक महान हैं; मृत्यु का आप पर कोई अधिकार नहीं है | आप हमारे लिये मरे | आपने पुनरुत्थान के द्वारा हमें जिलाया | हम आपकी अराधना और धन्यवाद करते हैं | आपने अपने जीवन में हमें सहभागी कर लिया है ताकी मृत्यु का हम पर अधिकार न हो | हमें पाप, डर और मृत्यु से स्वतंत्र करने के लिये, हम आप का धन्यवाद और आपसे प्रेम करते हैं |

प्रश्न:

76. आज हम मृत्यु के बाद कैसे जी उठते हैं ?

यूहन्ना 11:28–31
“यह कह कर वह चली गई, और अपनी बहिन मरियम को बुलाकर चुपके से कहा, ‘गुरु यहीं है और तुझे बुलाता है |’ 29 यह सुनते ही वह तुरन्त उठकर उसके पास आई | 30 यीशु अभी गांव में नहीं पहुंचा था परन्तु उसी स्थान में था जहाँ मार्था ने उस से भेंट की थी | 31 तब जो यहूदी उसके साथ घर में थे और उसे शांति दे रहे थे, यह देखकर कि मरियम तुरन्त उठ के बाहर गई है यह समझे कि वह कब्र पर रोने को जाती है, तो उसके पीछे हो लिये |”

कदाचित यीशु ने मार्था से बिन्ती की हो कि वो मेरी को विलाप करने वालों के कोलाहल से दूर होकर आपके सुखद और विश्वासपूर्ण शब्दों को सुनने के लिये ले आये | ताकि वो आपके प्रेम के द्वारा अपने विश्वास में प्रगति करे | यीशु निराश और दुख से नहीं बल्की विश्वास की निर्भीकता से विजयी होते हैं | आप दुखी मेरी को परमेश्वर की ज्योती की उपस्तिथि में लाना चाहते हैं ताकी वो आत्मिक दृष्टी में व्यस्त रहे |

हो सकता है मरियम को यीशु के आने की खबर नहीं थी क्योंकी वो दुख में डूबी हुई थी | परन्तु जब मार्था उसके पास वापस लौटी तब उसने मरियम से कहा, यीशु उसके बारे में पूछ रहे थे | यह सुन कर वो चिन्तित हो कर उठी और प्रभु से मिलने गई | जो लोग वहाँ हाज़िर थे उसके आचरण पर विस्मित हुए और पूछने लगे क्या वो कबर पर रोने के लिये तो नहीं जा रही है | वे सब उठ कर उसके पीछे कबर पर गये | मानो यह मानव जीवन का उदाहरण था जिसे मुसीबत और उदासी ने निगल लिया हो और वो नरक दंड की ओर बढ़ रहा हो | जहाँ फिलोसोफी और धर्म, जीवन और मृत्यु की समस्या का सही उत्तर नहीं दे सकते, वहाँ मृत्यु में एक मसीही को जो आशा होती है उसकी सच्चाई, और उसकी ठोस सांत्वना प्रगट हो जाती है |

यूहन्ना 11:32–33
“32 जब मरियम वहाँ पहुंची जहाँ यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पाँवों पर गिर पड़ी और कहा, ‘हे प्रभु, यदि तू यहाँ होता तो मेरा भाई न मरता |’ 33 जब यीशु ने उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे, रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास और व्याकुल हुआ |”

मरियम ने यीशु को देखा और भावुक होकर एक टूटी हुई आत्मा के रूप में आपके पैरों पर गिर पड़ी | उसने अपने विश्वास को स्वीकार किया कि यीशु दिव्य चमत्कार कर सकते हैं | अगर आप पहले वहाँ उपस्थित होते तो उसका भाई नहीं मरता | यह उस सुद्दढ़ विश्वास का संकेत है जो उस परिवार में था कि परमेश्वर, यीशु में उपस्थित था | परन्तु मृत्यु ने उनके विश्वास को हिला दिया और बहनों को उलझन में डाल दिया |

जब यीशु अपने निष्ठावान अनुयायियों के विश्वास को उलझन में और भीड़ की अज्ञानता को देखा तो आपकी आत्मा चिन्तित हो गई | आप ने देखा कि किस तरह वो सब मृत्यु के प्रभाव से हार मान गये थे | आप उनका रोना देख कर दुखी हुए और जान गये कि दुनिया दुष्ट की शक्ति में स्थिर हो चुकी है | आप ने फिर एक बार महसूस किया कि दुनिया के पापों का बोझ आपके कन्धों को दबा रहा है | आत्मा में आपने क्रूस की आव्यशकता को और खुली कबर को देखा जो ऐसे शोक पर विजय प्राप्त करने का एक मात्र मार्ग है | आप को पुनरुत्थान का पूरा विश्वास था जो कुछ ही देर में होने वाला था | वही मृत्यु अविश्वास और विपत्ती का महत्वपूर्ण न्याय है |

www.Waters-of-Life.net

Page last modified on March 04, 2015, at 05:13 PM | powered by PmWiki (pmwiki-2.3.3)